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एनइपी 2020 : वॉट टू थिंक नहीं हाऊ टू थिंक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हायर एजुकेशन पर हुए कॉन्क्लेव में नई शिक्षा नीति पर कहा है कि अब वॉट टू थिंक नहीं बल्कि हाऊ टू थिंक पर फोकस किया जा रहा है।सरकार ने 30 जुलाई को नई शिक्षा नीति घोषित की थी। इसमें स्कूलों के एडमिनिस्ट्रेशन को लेकर बड़े बदलाव किए गए हैं। ऑनलाइन एजुकेशन को बढ़ावा दिया जाएगा। पढ़ाई के पैटर्न में 10 साल के अंदर धीरे-धीरे बदलाव किए जाएंगे।

https://www.jru.edu.in/blog-post/new-education-policy-2020-approved-after-34-years/

प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की 10 बातें :

  1. बदलाव के लिए पॉलिटिकल विल जरूरी:
    मोदी ने शिक्षा नीति बनाने वाले एक्सपर्ट से कहा कि यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि इतना बड़ा रिफॉर्म जमीन पर कैसे उतारा जाएगा। इस चैलेंज को देखते हुए व्यवस्थाओं को बनाने में जहां कहीं कुछ सुधार की जरूरत है, वह हम सभी को मिलकर करना है। आप सभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में सीधे तौर पर जुड़े हैं। इसलिए आप सब की भूमिका बहुत अहम है।
  2. नेशनल वैल्यूज के साथ लक्ष्य :
    हर देश अपनी शिक्षा व्यवस्था को नेशनल वैल्यूज के साथ जोड़ते हुए और नेशनल गोल्स के अनुसार रिफॉर्म्स करते हुए आगे बढ़ता है, ताकि देश का एजुकेशन सिस्टम वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों का फ्यूचर तैयार कर सके। भारत की पॉलिसी का आधार भी यही सोच है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत की फाउंडेशन तैयार करने वाली है।
  3. नई नीति में स्किल्स पर फोकस:
    21वीं सदी के भारत में हमारे युवाओं को जो स्किल्स चाहिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस पर विशेष फोकस है। भारत को ताकतवर बनाने के लिए, विकास की नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए इस एजुकेशन पॉलिसी में खास जोर दिया गया है। भारत का स्टूडेंट चाहे वो नर्सरी में हो या फिर कॉलेज में, तेजी से बदलते हुए समय और जरूरतों के हिसाब से पढ़ेगा तो नेशन बिल्डिंग में कंस्ट्रक्टिव भूमिका निभा पाएगा।
  4. https://www.jru.edu.in/blog-post/first-green-house-research-center-in-jharkhand-state-located/

  5. इनोवेटिव थिंकिंग पर जोर:
    बीते कई साल से हमारे एजुकेशन सिस्टम में बदलाव नहीं हुए, जिससे समाज में क्यूरोसिटी और इमेजिनेशन की वैल्यू को प्रमोट करने के बजाय भेड़ चाल को बढ़ावा मिलने लगा था। जब तक शिक्षा में पैशन और परपज ऑफ एजुकेशन नहीं हो, तब तक हमारे युवाओं में क्रिटिकल और इनोवेटिव थिंकिंग डेवलप कैसे हो सकती है?
  6. होलिस्टिक अप्रोच की जरूरत :
    बीते कई साल से हमारे एजुकेशन सिस्टम में बदलाव नहीं हुए, उच्च शिक्षा हमारे जीवन को सद्भाव में लाती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का बड़ा लक्ष्य इसी से जुड़ा है। इसके लिए टुकड़ों में सोचने की बजाय होलिस्टिक अप्रोच की जरूरत है।शुरुआती दिनों में सबसे बड़े सवाल यही थे कि हमारी शिक्षा व्यवस्था युवाओं को क्यूरोसिटी और कमिटमेंट के लिए मोटिवेट करती है या नहीं? दूसरा सवाल था कि क्या शिक्षा व्यवस्था युवाओं को एम्पावर करती है? देश में एक एम्पावर सोसाइटी बनाने में मदद करती है? पॉलिसी बनाते समय इन सवालों पर गंभीरता से काम हुआ।
  7. 10+2 से आगे निकले :
    एक नई विश्व व्यवस्था खड़ी हो रही है। एक नया स्टैंडर्ड भी तय हो रहा है। इसके हिसाब से भारत का एजुकेशन सिस्टम खुद में बदलाव करे, ये भी किया जाना बहुत जरूरी था। स्कूल करिकुलम के 10+2 से आगे बढ़ना इसी दिशा में एक कदम है। हमें अपने स्टूडेंट्स को ग्लोबल सिटीजन भी बनाना है, साथ ही ध्यान रखना है कि वे जड़ों से भी जुड़े रहें। घर की बोली और स्कूल में पढ़ाई की भाषा एक होने से सीखने की गति बेहतर होगी।
  8. https://www.jru.edu.in/blog-post/jharkhand-rai-university-ke-11-diploma-students-ka-chayan/

  9. हाउ टू थिंक पर जोर :
    अभी तक की व्यवस्था में वॉट यू थिंक पर फोकस रहा है, जबकि नई नीति में हाऊ टू थिंक पर जोर दिया जा रहा है। हर तरह की जानकारी आपके मोबाइल पर है, लेकिन जरूरी ये है कि क्या जानकारी अहम है। नई नीति में इस बात पर ध्यान रखा गया है। ढेर सारी किताबों की जरूरत को खत्म करने पर जोर दिया गया है। इन्क्वायरी, डिस्कवरी, डिस्कशन और एनालिसिस पर जोर दिया जा रहा है। इससे बच्चों में सीखने की ललक बढ़ेगी। हर छात्र को यह मौका मिलना ही चाहिए कि वह अपने पैशन को फॉलो करे।
  10. रीस्किल-अपस्किल से प्रोफेशन बदल सकेंगे :
    अक्सर ऐसा होता है कि कोई कोर्स करने के बाद स्टूडेंट जॉब के लिए जाता है तो पता चलता है कि जो पढ़ा वो जॉब की जरूरतों को पूरा नहीं करता। इन जरूरतों का ख्याल रखते हुए मल्टीपल एंट्री-एग्जिट का ऑप्शन दिया गया है। स्टूडेंट वापस अपने कोर्स से जुड़कर जॉब की जरूरत के हिसाब से पढ़ाई कर सकता है।
    कोई कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे में एडमिशन लेना चाहे तो यह भी संभव है। हायर एजुकेशन को स्ट्रीम से मुक्त कर देना, मल्टीपल एंट्री और एग्जिट के पीछे लंबी दूरी की सोच के साथ हम आगे आए हैं। उस युग की तरफ बढ़ रहे हैं, जहां कोई व्यक्ति जीवनभर किसी एक प्रोफेशन में नहीं टिका रहेगा। इसके लिए उसे लगातार खुद को रीस्किल और अपस्किल करते रहना होगा।
  11. रिसर्च और एजुकेशन का गैप होगा खत्म :
    कोडिंग पर फोकस हो या फिर रिसर्च पर ज्यादा जोर, ये सिर्फ एजुकेशन सिस्टम ही नहीं, बल्कि पूरे समाज की अप्रोच को बदलने का जरिया बन सकता है। वर्चुअल लैब जैसे कंसेप्ट लाखों साथियों के पास बेहतर शिक्षा को ले जाने वाला है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति रिसर्च और एजुकेशन के गैप को खत्म करने में भी अहम भूमिका निभाने वाली है। आज इनोवेशन और एडेप्शन की जो वैल्यू हम समाज में निर्मित करना चाहते हैं वो हमारे देश के इंस्टीट्यूशंस से शुरू होने जा रही है।
  12. टीचर सीखेंगे तो देश बढ़ेगा :
    भारत का टैलेंट भारत में ही रहकर आने वाली पीढ़ियों का विकास करे, इस पर जोर दिया गया है। टीचर्स ट्रेनिंग पर बहुत फोकस है। आई बिलीव वेन ए टीचर लर्न, ए नेशन लीड। राष्ट्रीय शिक्षा नीति सिर्फ एक सर्कुलर नहीं है, इसके लिए मन बनाना होगा। भारत के वर्तमान और भविष्य को बनाने के लिए यह एक महायज्ञ है। 21वीं सदी में मिला बहुत बड़ा अवसर है।
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34 साल बाद नई शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी

नई शिक्षा नीति-2020 को कैबिनेट की मंज़ूरी मिल गई है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी ।

इससे पहले 1986 में शिक्षा नीति लागू की गई थी. 1992 में इस नीति में कुछ संशोधन किए गए थे. यानी 34 साल बाद देश में एक नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है।

पूर्व इसरो प्रमुख के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति ने इसका मसौदा तैयार किया था, प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इसे मंज़ूरी दी।

https://www.jru.edu.in/blog-post/eleven-students-placed-during-lockdown-in-a-leading-company/

नई शिक्षा नीति 2020 की मुख्य बातें :

  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है ।
  • नई शिक्षा का लक्ष्य 2030 तक 3-18 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है।
  • छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे। इसके लिए इसके इच्छुक छात्रों को छठी क्लास के बाद से ही इंटर्नशिप करवाई जाएगी ।इसके अलावा म्यूज़िक और आर्ट्स को बढ़ावा दिया जाएगा।इन्हें पाठयक्रम में लागू किया जाएगा।
  • उच्च शिक्षा के लिए एक सिंगल रेगुलेटर रहेगा (लॉ और मेडिकल एजुकेशन को छोड़कर)। यानी अब यूजीसी और एआईसीटीई समाप्त कर दिए जाएंगे और पूरे उच्च शिक्षा के लिए एक नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन किया जाएगा।
  • https://www.jru.edu.in/blog-post/job-required-after-12th-job-guarantee-in-these-courses/

  • पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम लागू किया गया है। इसे इस तरह समझ सकते हैं:- आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरिंग पढ़ने या छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो आपके पास कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में एक साल के बाद सर्टिफ़िकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल के बाद डिग्री मिल जाएगी. इससे उन छात्रों को बहुत फ़ायदा होगा जिनकी पढ़ाई बीच में किसी वजह से छूट जाती है।
  • उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं. जो छात्र रिसर्च करना चाहते हैं उनके लिए चार साल का डिग्री प्रोग्राम होगा। जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे. लेकिन जो रिसर्च में जाना चाहते हैं वो एक साल के एमए (MA) के साथ चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद सीधे पीएचडी (Ph.D) कर सकते हैं। उन्हें एमफ़िल (M.Phil) की ज़रूरत नहीं होगी।
  • शोध करने के लिए नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन (एनआरएफ़) की स्थापना की जाएगी. एनआरएफ़ का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालयों के माध्यम से शोध की संस्कृति को सक्षम बनाना होगा. एनआरएफ़ स्वतंत्र रूप से सरकार द्वारा, एक बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स द्वारा शासित होगा।
  • https://www.jru.edu.in/blog-post/which-industry-is-hiring-engineers/

  • उच्च शिक्षा संस्थानों को फ़ीस चार्ज करने के मामले में और पारदर्शिता लानी होगी।
  • ई-पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे. वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फ़ोरम (NETF) बनाया जा रहा है।
  • उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फ़ीसद GER (Gross Enrolment Ratio) पहुंचाने का लक्ष्य है।
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12 वीं के बाद चाहिए जॉब: इन कोर्सेज में है जॉब की गारंटी

बारहवीं के रिजल्ट जारी हो चुके हैं। जैक बोर्ड, सीबीएसई, आईसीएसई बोर्ड द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षाओं के परिणाम घोषित हो चुके हैं। बारहवीं के बाद छात्रों के मन में सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि आगे वो किस क्षेत्र में अपना करियर बनाएं। भीड़ से अलग दिखने वाले कोर्सेज ही सफलता की गारंटी है जरुरी नहीं। पारंपरिक कोर्सेज आज भी लोकप्रिय और रोजगारपरक बने हुए है।एक नजर वैसे कोर्सेज पर जो बारहवीं के बाद आप कर सकते है जिनसे व्यक्तित्व तो निखरेगा ही, साथ ही अच्छे पैसे भी कमा सकते हैं।

https://www.jru.edu.in/blog-post/which-industry-is-hiring-engineers/

पारंपरिक कोर्स :

  • मास्टर ऑफ़ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए )
  • बैचलर ऑफ़ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए )
  • मास्टर ऑफ़ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए )
  • बैचलर ऑफ़ कंप्यूटर एप्लीकेशन (बीसीए )
  • बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीटेक )
  • डिप्लोमा इन इंजीनियरिंग ( डीई )

https://www.jru.edu.in/blog-post/mining-engineer-bankar-sawaren-apna-bhavishya/

आज कल का ट्रेंड :
12 वीं के बाद रोजगार देने वाले कोर्स की बात करें तो आज भी एग्रीकल्चर और फार्मेसी अपना क्रेज बनाये हुए है। ये दोनों ही कोर्स मार्केट में अपनी मजबूत उपस्थिति रखते है और स्टूडेंट्स को आकर्षितकरते है।

  • डिप्लोमा इन फार्मेसी ( डी. फार्म )
  • बैचलर ऑफ़ फार्मेसी ( बी. फार्म )
  • बैचलर और साइंस इन एग्रीकल्चर (बीएससी एग्रीकल्चर )

https://www.jru.edu.in/blog-post/bba-logistics-ranchi-college/

जरा हटके कोर्स :

  • माइनिंग इंजीनियरिंग
  • डिप्लोमा इन माइनिंग इंजीनियरिंग
  • बीटेक इन माइनिंग इंजीनियरिंग

10 वीं उत्तीर्ण छात्र डिप्लोमा में ले सकते है नामांकन

  • पोस्ट डिप्लोमा प्रैक्टिकल ट्रेनिंग ( पीडीपीटी) इन माइनिंग।
  • पोस्ट ग्रेजुएट प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (पीजीपीटी ) इन माइनिंग।
  • ओवरमैन सर्टिफिकेट ऑफ़ कॉम्पिटेंसी।
  • औद्योगिक प्रशिक्षण के दौरान 9000 तक छात्रवृति सुविधा।
  • इंटर्नशिप / ट्रेनिंग ( सीसीएल, एनसीएल, एचसीएल , इसीएल,बीसीसीएल, सेल टाटा स्टील)

बीबीए इन लॉजिस्टिक्स | हाई लाइट्स ऑफ़ द कोर्स :

  • सरकार के उच्च शिक्षा मंत्रालय और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा संचालित।
  • इंडस्ट्रियल सेक्टर की जरूरतों को पूरा करने वाला।
  • स्किल्ड और इंडस्ट्री रेडी बनाने में मददगार ।
  • लाइफ स्किल्स और पर्सनालिटी डेवलपमेंट ।
  • पढ़ाई के दौरान 18 महीने का औद्योगिक प्रशिक्षण।
  • प्रत्येक प्रशिक्षण समाप्त होने पर सरकार द्वारा प्रमाणपत्र।
  • औद्योगिक प्रशिक्षण के कार्य अनुभव को मान्यता।
  • औद्योगिक प्रशिक्षण के दौरान 9000-15000 छात्रवृति सुविधा।
  • ग्रामीण छात्रों के लिए रोजगार प्राप्त करने का सुनहरा अवसर।
  • लॉजिस्टिक्स सेक्टर स्किल कौंसिल द्वारा नौकरी की सुविधा।
  • स्टार्टअप्स और इंटरप्रेन्योर बनने का अवसर।
NCC exam

राज्य के पुलिस फोर्सेज परीक्षा में एनसीसी सर्टिफिकेट धारकों को मिलेगी वरीयता

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) में भारत के युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए एनसीसी सर्टिफिकेट धारकों को बोनस अंक देने का निर्णय लिया है. अब केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF), राज्य सशस्त्र बलों की परीक्षाओं में एनसीसी कैडेट को अलग से अंक दिए जाएंगे।

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल में एनसीसी कैडेट होने का फायदा :

  • एनसीसी ‘C’ सर्टिफिकेट धारकों को परीक्षा के अधिकतम अंकों का 5% बोनस अंकों के रूप में दिया जाएगा।
  • एनसीसी ‘B’ सर्टिफिकेट धारकों को परीक्षा के अधिकतम अंकों का 3% बोनस अंकों के रूप में दिया जाएगा।
  • एनसीसी ‘A’ सर्टिफिकेट प्राप्त करने वालों को परीक्षा के अधिकतम अंकों का 2% बोनस अंकों के रूप में दिया जाएगा।

ऑनलाइन एक्सिबिशन ऑफ माइन आर्ट 2020 की झलकियां।

सीएपीएफ भर्ती में एनसीसी ‘ए’ प्रमाण पत्र धारकों को बोनस अंक देने की ये योजना उप निरीक्षक और कांस्टेबल (जीडी) के पदों के लिए आगामी सीधी भर्ती परीक्षा में लागू होगी। भारत सरकार सभी राज्य सरकारों से अपने संबंधित पुलिस बलों के लिए सीधी भर्ती परीक्षा में समान प्रावधान करने का भी आग्रह करेगी ताकि एनसीसी प्रमाणपत्र धारकों को उनके साथ जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके । केंद्रीय गृहमंत्री ने इस बारे में कहा कि ये निर्णय न केवल युवाओं को एनसीसी में शामिल होने के लिए प्रेरित करेगा, बल्कि सीएपीएफ को प्रशिक्षित और अनुशासित युवाओं की उपलब्धता भी सुनिश्चित करेगा ।

भारत को क्यों कहा जाता था विश्व गुरु ? एजुकेशन सेक्टर में कैसे बनेगें हम लोकल, वोकल- ग्लोबल ।

राष्ट्रीय कैडेट कोर का परिचय:

एनसीसी एक त्रिकोणीय सेवा संगठन है जिसमें सेना के तीनों विंग शामिल है- थल सेना नौसेना और वायु सेना। संगठन का आदर्श वाक्य ‘एकता और अनुशासन’ है, जिसके पालन से यह युवाओं को अनुशासित और देशभक्त नागरिकों के रूप में तैयार करता है। इसका गठन राष्ट्रीय कैडेट कोर अधिनियम, 1948 के तहत किया गया था. गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने युवाओं को एनसीसी में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने और देश की भलाई के लिए समर्पित तरीके से काम करने के लिए कई कदम उठाए हैं. सशस्त्र बलों के अधिकारियों की सेवा करके कैडेटों को एनसीसी में बुनियादी सैन्य और हथियार प्रशिक्षण दिया जाता है. उनकी प्रवीणता और निपुणता का समय-समय पर परीक्षण किया जाता है, जिसके बाद ही उन्हें प्रमाणपत्र से सम्मानित किया जाता है ।

इंडस्ट्री रेडी कोर्स – बीबीए इन लॉजिस्टिक : स्टार्टअप्स और उद्यमिता का अवसर।

एनसीसी सर्टिफिकेट:

एनसीसी में प्रथम स्तर से उत्तीर्ण होने पर कैडेट को ‘A’ प्रमाणपत्र से सम्मानित किया जाता है. वहीं दूसरे स्तर को उत्तीर्ण करने पर ‘B’ प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है. केवल वे कैडेट जिनके पास ‘बी’ प्रमाण पत्र है, वे ‘सी’ प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए पात्र होते है।

झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी, रांची की ऑफिसियल वेबसाइट www.jru.edu.in के अलावा ब्लॉग के जरिये जानकारी प्राप्त करने के लिए लॉग इन करें https://www.jru.edu.in/my-campus-life/

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माइनिंग इंजीनियर बनकर सवारें अपना भविष्य

आज के युग में खनन और माइनिंग इंजीनियर (Mining Engineer) की मांग हर क्षेत्र में देखने को मिलती है क्योकि आजकल देश में ईंधन की खपत लगातार बढ़ रही है।

माइन (Mine) मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है – अंडर ग्राउंड माइन (Underground mine) और ओपेन-पिट माइन (Open-Pit Mine)

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अंडरग्राउंड माइन (Underground Mine) में ही खनिज (Mineral) मिलते हैं, जिन्हें माइनिंग के द्वारा निकाला जाता है. अंडरग्राउंड माइन के माध्यम से सोने और कोयले को निकाला जाता है, इसके अलावा ओपन पिट माइनिंग (Open pit Mining) द्वारा आयरन (Iron) ओर लाइमस्टोन (limestone), मैग्नीज (Manganese) आदि को निकाला जाता है।

माइनिंग या खनन इंजीनियरिंग में कैरियर बनाने के लिए सबसे पहले उम्मीदवार का किसी मान्यताप्राप्त विद्यालय से साइंस स्ट्रीम में 12 वीं कक्षा पास करना अनिवार्य है। इसके बाद उम्मीदवार माइनिंग से डिप्लोमा(Diploma) बीटेक (B.Tech), बीई (B.E) और बीएससी (BSC) कोर्स कर सकते है। माइनिंग कोर्स के अन्तर्गत उम्मीदवार को ड्रिलिंग (Drilling), ब्लास्टिंग (Blasting), माइन कॉस्ट इंजीनियरिंग (Mine Cost Engineering), अयस्क रिजर्व विश्लेषण (Ore Reserve Analysis), ऑपरेशन विश्लेषण (Operation Analysis), माइन वेंटीलेशन (Main ventilation), माइन प्लानिंग (Mine Planning), माइन सेफ्टी (Mine Safety), रॉक मैकेनिक्स (Rock Mechanics), कम्प्यूटर एप्लीकेशन (Computer Applications), इंडस्ट्रियल मैनेजमेंट (Industrial Management) से सम्बंधित जानकारी दी जाती है।

पॉपुलर कोर्स

  1. डिप्लोमा इन माइनिंग इंजीनियरिंग
  2. बीटेक इन माइनिंग इंजीनियरिंग।

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** माइनिंग इंजीनियरिंग करने वाले स्टूडेंट्स डिप्लोमा इन माइनिंग इंजीनियरिंग और बीटेक इन माइनिंग इंजीनियरिंग कोर्स को बेहद पसंद करते है। ये दोनों कोर्सेज में रोजगार के अवसर सालों भर मौजूद रहते है। बड़ी कंपनियां जैसे सीसीएल, बीसीसीएल,हिंडाल्को अपने यहाँ इंटर्न के अलावा मांइनिंग सरदार और अन्य पदों पर जॉब्स के लिए नियुक्तियां करती रहती है।

मुख्य रूप से इस कोर्स के तहत उम्मीदवार को खनिज पदार्थों की संभावनाओं का पता लगाना, उनके नमूने एकत्रित करना भूमिगत तथा भूतल खदानों का विस्तार और विकास करना, खनिजों को परिष्कृत करना आदि के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है।

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अवसर:

माइनिंग इंजीनियरिंग क्षेत्र मे रोजगार के अपार अवसर उपलब्ध है।एक माइनिंग इंजीनियर स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Steel Authority of India Limited), कोल इंडिया लिमिटेड (Cole India Limited), आईबीपी लिमिटेड (IBP Ltd), आईपीसीएल (IPCL), नेवली लिग्नाइट कॉरपोरेशन (Nevali Lignite Corporation), यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (Uranium Corporation of India) में रोजगार पा सकते है।

** झारखंड में माइनिंग इंजीनियरिंग के टॉप 3 इंस्टिट्यूट

  • इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद
  • बिरसा इंस्टीटूट ऑफ टेक्नोलॉजी,झरिया, धनबाद
  • झारखंड राय यूनिवर्सिटी, रांची।

माइनिंग इंजीनियरिंग करने के बाद कौन – कौन सी कंपनियां देती हैं नौकरियां ?

माइनिंग इंजीनियरिंग के बाद कोल इंडिया लिमिटेड, टाटा स्टील, रियो टिनटो, वाइजैग स्टील, मोनेट इस्पात, वेदांता, एचजेडएल, एचसीएल, इलेक्ट्रोस्टील, द इंडियन ब्यूरो ऑफ माइनिंग, जियॉलजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, आईपीसीएल, नालको, अडानी माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियां नौकरिया प्रदान कराती है।

सैलरी:

माइनिंग इंजीनियरिंग कोर्स पूरा करने के बाद कैंडिडेट्स शुरुआत में 4 से 5 लाख रुपये सालाना कमा सकते हैं। आप जैसे-जैसे इस फील्ड में पुराने होते जाएंगे वैसे-वैसे इनकम भी बढ़ती जाएगी। इसी के साथ अगर आप रिसर्च कर रहे हैं तो ये इनकम और भी ज्यादा हो सकती है।

माइनिंग इंजीनियर बनने के लिए होने चाहिए ये स्किल्स :-

  • माइंस/खानों में काम करने के प्रति रुझान
  • मेहनत और मशक्कत करने में कोई परेशानी नहीं
  • लीडरशिप और श्रमिकों से काम करवाने की क्षमता
  • खदान की चुनौतीपूर्ण स्थितियों में किसी भी जोखिम का सामना करने का आत्मविश्वास
  • माइनिंग की तकनीकी और वैज्ञानिक अपडेटेड जानकारी
  • मैथ्स और फिजिक्स जैसे विषयों में दिलचस्पी
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री बूट योर वर्किंग मेमोरी

आपने अकसर यह महसूस किया होगा की किसी काम के लिए आप कमरे में जाते है और फिर रुक जाते है, आप भ्रमित हो जाते है और यह आप कुछ समझ नहीं पाते आप कमरे में आये क्यों थे? आप यह भूल जाती है की आप रसोई में क्यों गयी थी? आप फोन साल करने के लिए उठाते है लेकिन काल किसे करने है इसे लेकर आप सोचने लगते है आप नाम या नंबर रिकॉल नहीं कर पाते है। ईमेल लिखने में ज्यादा समय लगना, थोड़ी देर काम करते ही ध्यान भांग हो जाना, शॉपिंग लिस्ट बनाने में ज्यादा समय लगना और आपके पीछे चलने वाले की शक्ल याद नहीं रख पाना यह सब होता है आपके “वर्किंग मेमोरी” में गड़बड़ी की वजह से। वर्किंग मेमोरी आने वाली सूचनाओं को ग्रहण करने इसे एक विचार का रूप देने और फिर उसे चेहरा देकर उसे तब तक बनाये रखता है जब तक उसकी हमें जरुरत होती है। वर्किंग मेमोरी और किसी काम को करने का ध्यान रखना एक दूसरे से जुड़े हुए है। काम करते समय हमलोग अपने निर्देश और वयवहार पर फोकस करते है। दूसरे शब्दों में कहें तो वर्किंग मेमोरी रियल टाइम में काम करने की काबिलियत है। इंसानी दिमाग को यही ताकवतर बनता है। लेकिन चिंता, काम का प्रेशर, नकारात्मक सोच, बेचैनी और फोकस की कमी से काबिलियत पर असर पड़ता है।

हम इस एंजायटी और तनाव को कभी गंभीरता से नहीं लेते है। यह कितना लम्बा चलेगा यह आप को भी नहीं पता है। विश्व में इसपर कई शोध कार्य चल रहे है।शोध की माने तो वर्किंग मेमोरी और बेचैनी के बिच एक नकारात्मक रिश्ता है। बेचैनी जितनी ज्यादा होगी वर्किंग मेमोरी का परफॉर्मेंस उतना ज्यादा घटता जायेगा। वर्किंग मेमोरी पर अप्रकाशित शोध के अनुसार कोविड 19 का असर वर्किंग मेमोरी पर पड़ा है इससे इंकार नहीं किया जा सकता। आपका अच्छी नींद नहीं ले पाना भी एक प्रमुख कारण के तौर पर सामने आया है।

वर्किंग मेमोरी को बूस्ट करने के लिए मेमोरी एक्सरसाइज और ब्रेन गेम्स की सहायता ली जा सकती है। लेकिन ये बहुत मददगार साबित नहीं हुए है। एन-बैक टास्क एक्ससरसाइज ने जरूर अच्छे परिणाम दिए है। यह एक कंसंट्रेशन गेम है जिसमें मैचिंग कोड्स के जोड़ें खोजने पड़ते है।

एक प्रयास यह भी हो सकता है की आप सकरात्मक हो और यह सोचे की चीजें उतनी बुरी नहीं है जितना आप सोचते है। उस विचार को सिमित करें जो आपको सोचने पर मजबूर करती है। आप अपने प्रतिदिन के ख़बरों की खपत को काम कर सकते है। अपने आप से कहें विपरीत परिस्थितियों में जूझना इसमें कोई बुराई नहीं है। यह भी याद रखने की जरुरत है की हम सब एक महामारी के दौर में जीने की जद्दोज़हत के बिच खड़े है।

Webinar-Yogoda-College

Resurgence of Indian Economy and Employment Opportunities Post COVID 19

Speaker: Mr. Arijit Dey
Director- DYLIS Business Services Pvt Ltd, Mumbai

Date: 4 July, 2020
Time: 11:00 am – 12:00 noon
Meeting Platform : Cisco WebEx Meetings

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Organized by Jharkhand Rai University, Ranchi in association with Yogoda Satsanga Mahavidyalaya, Ranchi

12वीं क्लास के लिए CBSE की योजना को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी, 15 जुलाई तक जारी कर दिए जाएंगे रिजल्ट।

सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं के मामले में शुक्रवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई की परीक्षा रद्द करने और असेसमेंट प्रक्रिया की स्कीम को मंजूरी दे दी है। बोर्ड लंबित परीक्षाओं के लिए स्टूडेंट्स के रिजल्ट आयोजित हो चुके एग्जाम और इंटरनल असेसमेंट के आधार पर जारी करेगा। सीबीएसई ने कहा की 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं का रिजल्ट 15 जुलाई तक जारी किया जाएगा।

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    Course Strip

    सीबीएसई बोर्ड ने शुक्रवार सुप्रीम कोर्ट में बताया :

    • कक्षा 10वीं और 12वीं के जिन छात्रों ने परीक्षा पूरी कर ली है, उनका सामान्य रूप से रिजल्ट आएगा ।
    • जिन छात्रों ने तीन से ज्यादा पेपर दिए हैं, बचे हुए पेपर के लिए उनका रिजल्ट सर्वश्रेष्ठ तीन विषयों के औसत नंबर के हिसाब से दिया जाएगा.
    • जिन छात्रों ने बोर्ड के तीन पेपर दे दिए हैं, उन्हें बची हुई परीक्षाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ दो विषयों के औसत अंक मिलेंगे.
    • इसके अलावा जिन छात्रों ने 1 या 2 पेपर खत्म किए, उनके नंबर बोर्ड की परफोर्मेंस और इंटरनल/प्रैक्टिकल असेसमेंट के आधार पर दिया जाएगा।

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