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TWO DREAMS AND A BOY: ASHISH KUMAR

Growing up in Bokaro, Ashish had two dreams. One – to work for a software company and actively learn on the job. Second, to become an entrepreneur in the IT sector.

His dream led him to study BCA at Department of Computer Science and Information Technology, Jharkhand Rai University, Ranchi.

Thanks to the job offer from Wipro, his first dream has come true. Recently, Ashish attended placement facilitated by his Department mentor. Several interviews round later, he was one of the finalists.

“I’m excited to be a part of Wipro. Thanks to my University, I have got this opportunity to work for a leading IT company,” he says.

His clarity about what he wants from this work experience is worth noting. He says, “Know where you want to be in life after 4 years and start doing jobs that will help you get there.”

Ashish’s strong foundation of confidence comes from his mother.

“My mother constantly inspires me to follow my heart. She keeps insisting that I should listen to my inner voice,” he shares.

His career decisions align with this principle from his mother. During his 10+2 years at Bokaro Public School, he was particularly keen on learning computer skills. Apart from school studies, he actively read technology related materials and fortified his interests.

Right after school, BCA was his first choice. “My mother supported my decision and encouraged me to follow my dream.”

Thanking his mentors at college, he says ‘the years spent on JRU campus have been influential in shaping who I am today’.

“With learnings from Wipro, I look forward to make my second dream come true. Soon!” says Ashish with optimism.

As Ashish lives his first dream, JRU wishes him ‘All the Best’ for his future dreams.

Poly House

विश्वस्तरीय हाईड्रो फोनिक्स में प्रशिक्षण और सर्टिफिकेट के साथ बीएससी इन एग्रीकल्चर की डिग्री

बीएससी एग्रीकल्चर (ऑनर्स) 4 वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम के लिए झारखण्ड राय विश्व विद्यालय,राँची एक विश्वसनीय नाम है । यहाँ कृषि स्नातक की पढ़ाई करने वाले छात्रों को मिलता है विश्व स्तरीय हाइड्रो फोनिक्स तकनीक में प्रशिक्षण और प्रमाणपत्र के साथ 4वर्षीय बीएससी एग्रीकल्चर ऑनर्स की डिग्री। झारखंड राय विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित हाइड्रो फोनिक्स पोली हाउस उत्तर भारत का एकलौता, उन्नत पोली हाउस है। यह पूरी तरह ऑटोमेटिक तकनीक से संचालित है जिसमें बिना मिट्टी के पानी और सूर्य की रोशनी की सहायता से पौधों का नैसर्गिक वृद्धि कराया जाता है।

विश्वविद्यालय के नामकुम स्थित स्थायी कैंपस में 20 एकड़ भूमि पर कृषि कार्य किया जाता है जिसमें छात्रों की सीधी भागीदारी होती है । कैंपस में औषधीय पौधों के साथ फूलों की खेती कों बढ़ावा दिया जाता है। सीनियर फेकल्टी के नेतृत्व में फार्म मैनेजर के द्वारा नियमित छात्रों को पेड़- पौधों और फसलों में होने वाले बदलावों से अवगत कराने का कार्य किया जाता है।

झारखण्ड राय विश्वविद्यालय में सैधांतिक समझ के साथ साथ प्रैक्टिकल एडुकेशन पर ज्यादा जोर दिया जाता है। पढाई के 4 वर्षों के दौरान छात्रों कों मेंटरशीप प्रोग्राम से जोड़ कर इन्डस्ट्रीयल टूर, रूरल एग्रीकल्चर एक्सटेंशन वर्क एक्सपीरिएंस, एडुकेशनल टूर, फार्म विजिट, सेमिनार, वर्कशॉप, गेस्ट लेक्चर, ऑफ लाइन और ऑनलाइन शिक्षा, लाइफ स्किल ट्रेनिंग देकर इंडस्ट्री रेडी बनाया जाता है । सफलतापूर्वक पढाई पुरी करने पर यूनिवर्सिटीप्लेसमेंट सेल इन्हें नौकरी प्राप्त करने में भी सहायता प्रदान करता है।यूनिवर्सिटी ने स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए कैम्पस में इनोवेशन सेल और लैब भी स्थापित किया है।यूनिवर्सिटी के कई छात्र कृषि क्षेत्र में खुद का उद्यम स्थापित करके अपने और दूसरों की आजीविका का प्रबंध कर रहे हैं।

higher-education

एनइपी 2020 : वॉट टू थिंक नहीं हाऊ टू थिंक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हायर एजुकेशन पर हुए कॉन्क्लेव में नई शिक्षा नीति पर कहा है कि अब वॉट टू थिंक नहीं बल्कि हाऊ टू थिंक पर फोकस किया जा रहा है।सरकार ने 30 जुलाई को नई शिक्षा नीति घोषित की थी। इसमें स्कूलों के एडमिनिस्ट्रेशन को लेकर बड़े बदलाव किए गए हैं। ऑनलाइन एजुकेशन को बढ़ावा दिया जाएगा। पढ़ाई के पैटर्न में 10 साल के अंदर धीरे-धीरे बदलाव किए जाएंगे।

https://www.jru.edu.in/blog-post/new-education-policy-2020-approved-after-34-years/

प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की 10 बातें :

  1. बदलाव के लिए पॉलिटिकल विल जरूरी:
    मोदी ने शिक्षा नीति बनाने वाले एक्सपर्ट से कहा कि यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि इतना बड़ा रिफॉर्म जमीन पर कैसे उतारा जाएगा। इस चैलेंज को देखते हुए व्यवस्थाओं को बनाने में जहां कहीं कुछ सुधार की जरूरत है, वह हम सभी को मिलकर करना है। आप सभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में सीधे तौर पर जुड़े हैं। इसलिए आप सब की भूमिका बहुत अहम है।
  2. नेशनल वैल्यूज के साथ लक्ष्य :
    हर देश अपनी शिक्षा व्यवस्था को नेशनल वैल्यूज के साथ जोड़ते हुए और नेशनल गोल्स के अनुसार रिफॉर्म्स करते हुए आगे बढ़ता है, ताकि देश का एजुकेशन सिस्टम वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों का फ्यूचर तैयार कर सके। भारत की पॉलिसी का आधार भी यही सोच है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत की फाउंडेशन तैयार करने वाली है।
  3. नई नीति में स्किल्स पर फोकस:
    21वीं सदी के भारत में हमारे युवाओं को जो स्किल्स चाहिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस पर विशेष फोकस है। भारत को ताकतवर बनाने के लिए, विकास की नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए इस एजुकेशन पॉलिसी में खास जोर दिया गया है। भारत का स्टूडेंट चाहे वो नर्सरी में हो या फिर कॉलेज में, तेजी से बदलते हुए समय और जरूरतों के हिसाब से पढ़ेगा तो नेशन बिल्डिंग में कंस्ट्रक्टिव भूमिका निभा पाएगा।
  4. https://www.jru.edu.in/blog-post/first-green-house-research-center-in-jharkhand-state-located/

  5. इनोवेटिव थिंकिंग पर जोर:
    बीते कई साल से हमारे एजुकेशन सिस्टम में बदलाव नहीं हुए, जिससे समाज में क्यूरोसिटी और इमेजिनेशन की वैल्यू को प्रमोट करने के बजाय भेड़ चाल को बढ़ावा मिलने लगा था। जब तक शिक्षा में पैशन और परपज ऑफ एजुकेशन नहीं हो, तब तक हमारे युवाओं में क्रिटिकल और इनोवेटिव थिंकिंग डेवलप कैसे हो सकती है?
  6. होलिस्टिक अप्रोच की जरूरत :
    बीते कई साल से हमारे एजुकेशन सिस्टम में बदलाव नहीं हुए, उच्च शिक्षा हमारे जीवन को सद्भाव में लाती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का बड़ा लक्ष्य इसी से जुड़ा है। इसके लिए टुकड़ों में सोचने की बजाय होलिस्टिक अप्रोच की जरूरत है।शुरुआती दिनों में सबसे बड़े सवाल यही थे कि हमारी शिक्षा व्यवस्था युवाओं को क्यूरोसिटी और कमिटमेंट के लिए मोटिवेट करती है या नहीं? दूसरा सवाल था कि क्या शिक्षा व्यवस्था युवाओं को एम्पावर करती है? देश में एक एम्पावर सोसाइटी बनाने में मदद करती है? पॉलिसी बनाते समय इन सवालों पर गंभीरता से काम हुआ।
  7. 10+2 से आगे निकले :
    एक नई विश्व व्यवस्था खड़ी हो रही है। एक नया स्टैंडर्ड भी तय हो रहा है। इसके हिसाब से भारत का एजुकेशन सिस्टम खुद में बदलाव करे, ये भी किया जाना बहुत जरूरी था। स्कूल करिकुलम के 10+2 से आगे बढ़ना इसी दिशा में एक कदम है। हमें अपने स्टूडेंट्स को ग्लोबल सिटीजन भी बनाना है, साथ ही ध्यान रखना है कि वे जड़ों से भी जुड़े रहें। घर की बोली और स्कूल में पढ़ाई की भाषा एक होने से सीखने की गति बेहतर होगी।
  8. https://www.jru.edu.in/blog-post/jharkhand-rai-university-ke-11-diploma-students-ka-chayan/

  9. हाउ टू थिंक पर जोर :
    अभी तक की व्यवस्था में वॉट यू थिंक पर फोकस रहा है, जबकि नई नीति में हाऊ टू थिंक पर जोर दिया जा रहा है। हर तरह की जानकारी आपके मोबाइल पर है, लेकिन जरूरी ये है कि क्या जानकारी अहम है। नई नीति में इस बात पर ध्यान रखा गया है। ढेर सारी किताबों की जरूरत को खत्म करने पर जोर दिया गया है। इन्क्वायरी, डिस्कवरी, डिस्कशन और एनालिसिस पर जोर दिया जा रहा है। इससे बच्चों में सीखने की ललक बढ़ेगी। हर छात्र को यह मौका मिलना ही चाहिए कि वह अपने पैशन को फॉलो करे।
  10. रीस्किल-अपस्किल से प्रोफेशन बदल सकेंगे :
    अक्सर ऐसा होता है कि कोई कोर्स करने के बाद स्टूडेंट जॉब के लिए जाता है तो पता चलता है कि जो पढ़ा वो जॉब की जरूरतों को पूरा नहीं करता। इन जरूरतों का ख्याल रखते हुए मल्टीपल एंट्री-एग्जिट का ऑप्शन दिया गया है। स्टूडेंट वापस अपने कोर्स से जुड़कर जॉब की जरूरत के हिसाब से पढ़ाई कर सकता है।
    कोई कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे में एडमिशन लेना चाहे तो यह भी संभव है। हायर एजुकेशन को स्ट्रीम से मुक्त कर देना, मल्टीपल एंट्री और एग्जिट के पीछे लंबी दूरी की सोच के साथ हम आगे आए हैं। उस युग की तरफ बढ़ रहे हैं, जहां कोई व्यक्ति जीवनभर किसी एक प्रोफेशन में नहीं टिका रहेगा। इसके लिए उसे लगातार खुद को रीस्किल और अपस्किल करते रहना होगा।
  11. रिसर्च और एजुकेशन का गैप होगा खत्म :
    कोडिंग पर फोकस हो या फिर रिसर्च पर ज्यादा जोर, ये सिर्फ एजुकेशन सिस्टम ही नहीं, बल्कि पूरे समाज की अप्रोच को बदलने का जरिया बन सकता है। वर्चुअल लैब जैसे कंसेप्ट लाखों साथियों के पास बेहतर शिक्षा को ले जाने वाला है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति रिसर्च और एजुकेशन के गैप को खत्म करने में भी अहम भूमिका निभाने वाली है। आज इनोवेशन और एडेप्शन की जो वैल्यू हम समाज में निर्मित करना चाहते हैं वो हमारे देश के इंस्टीट्यूशंस से शुरू होने जा रही है।
  12. टीचर सीखेंगे तो देश बढ़ेगा :
    भारत का टैलेंट भारत में ही रहकर आने वाली पीढ़ियों का विकास करे, इस पर जोर दिया गया है। टीचर्स ट्रेनिंग पर बहुत फोकस है। आई बिलीव वेन ए टीचर लर्न, ए नेशन लीड। राष्ट्रीय शिक्षा नीति सिर्फ एक सर्कुलर नहीं है, इसके लिए मन बनाना होगा। भारत के वर्तमान और भविष्य को बनाने के लिए यह एक महायज्ञ है। 21वीं सदी में मिला बहुत बड़ा अवसर है।
Placement at JRU

झारखंड राय यूनिवर्सिटी के 11 डिप्लोमा स्टूडेंट्स का चयन

झारखंड राय यूनिवर्सिटी, रांची के 11 स्टूडेंट्स का चयन मरेली मदर संस ऑटोमेटिव लाइटिंग इंडिया कंपनी के लिए हुआ है। मरेली मदरसंस ऑटोमेटिव सेक्टर की लीडिंग कंपनी है । यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ मेकेनिकल इंजीनियरिंग और डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के डिप्लोमा पास स्टूडेंट्स का चयन विभिन्न पदों के लिए कंपनी द्वारा किया गया है। कोरोना काल और लॉक डाउन को देखते हुए कैम्पस प्लेसमेंट का आयोजन टेलीफोनिक इंटरव्यू के जरिये किया गया जिसमें 12 स्टूडेंट्स शामिल हुए और फाइनल राउंड के बाद 11 का चयन किया गया।

चयनित होने वाले स्टूडेंट्स में प्रद्युम्न कुमार, दीपू कुमार, दीपक कुमार, राजीव सिन्हा, अपूर्व सिन्हा, लक्श्चमी मिंज, राजकुमार गोप, रोहित उरांव,अरबाज़ खान, अनीश शर्मा और सुमित कुमार का नाम शामिल है।

यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. पीयूष रंजन ने 11 स्टूडेंट्स के एक ही कंपनी में चयनित होने पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा की “यूनिवर्सिटी का कैरियर मैनेजमेंट सेल स्टूडेंट्स को बेहतर अवसर देने के किये कार्य कर रहा है। इसी कड़ी में डिप्लोमा के स्टूडेंट्स का चयन हुआ है। चयनित स्टूडेंट्स को उनके बेहतर जीवन और नई शुरुवात के लिए उन्होंने पुनः अपनी शुभकामनाएं दी। “

झारखंड राय यूनिवर्सिटी, कमड़े के करियर मैनेजमेंट सेल ने ऑनलाइन प्लेसमेंट दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यूनिवर्सिटी के प्लेसमेंट सेल के प्लेसमेंट अधिकारी प्याली दास, प्रो. गौरव, प्रो. राजीव नयन ने भी स्टूडेंट्स के फाइनल चयन के बाद अपनी शुभकामनाएं दी।

कैंपस चयन के संबंध में जानकारी मीडिया प्रभारी डॉ. प्रशांत जयवर्द्धन ने उपलब्ध कराई।।

क्विज ओ कोड 1.0 का समापन – झारखण्ड राय विश्वविद्यालय

झारखण्ड राय युनिवर्सिटी, रांची में डिपार्टमेंट ऑफ़ कंप्यूटर साइंस एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी ने क्विज प्रतियोगिता क्विज ओ कोड 1.0 का आयोजन किया. प्रतियोगिता में 10टीमों ने भाग लिया।

प्रतियोगिता को तीन भागों में आयोजित किया गया था जिनके नाम मेंटल हैक, एरर टेरर और अल्गो क्राफ्ट था. प्रतियोगिता में शामिल होने वाली टीमों के नाम इस प्रकार थे – विंडोस, डॉस,लिनक्स,उबंटू, मैक ,एंड्राइड ,यूनिक्स ,सोलारिस, फेडोरा और आईओएस।

क्विज ओ कोड 1.0 की विजेता रहने वाली टीम इस प्रकार रही – क्विज प्रतियोगिता मेन्टल हैक की विजेता टीम रही विंडोज जिसमे शिवानी कुमारी- सपना कुमारी -वारुणी मिश्रा और आयुष्मान शमित थे। वहीँ अलगो क्राफ्ट की विजेता टीम रही एंड्राइड जिसमे – मिथुन कुमार – फरहा अंजुम- चन्दन मोदी थे। एरर टेरर के विजेताओं के नाम इस प्रकार है- आयुष्मान – बबलू कुमार और राकेश कुमार।

प्रतियोगिता का शुभारंभ युनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. पीयूष रंजन ने लाइटिंग कैंडल के जरिये किया यह कैंडल इलेक्ट्रॉनिक लाइट्स का बना हुआ था जिसे मोबाइल के जरिये ऑपरेट किया गया. अपने संबोधन में डॉ. रंजन ने कहा की “इनोवेशन हर कही है और इसे किसी भी रूप में अपनाया जा सकता है। डिपार्टमेंट ऑफ़ कंप्यूटर साइंस एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी का यह प्रयास बेहद सराहनीय है इस प्रयास को इंटर यूनिवर्सिटी लेवल तक ले जाने की जरुरत है। क्विज ओ कोड १.० के जरिये कंप्यूटर साइंस और आई टी से जुड़े कॉलेज स्टूडेंट्स को एक प्लेटफार्म मिलेगा अपनी प्रतिभा को दिखाने का और कुछ नया सिखने का भी. ”

क्विज प्रतियोगिता के सफल सञ्चालन में प्रो. अनुराधा शर्मा , प्रो. अमरेंद्र की भूमिका रही। स्टूडेंट्स वॉलेंटियर्स राजेश , शयाम, नंदिता, मुस्कान, शशिकांत, दीक्छा और विनीत का सहयोग रहा।

(Story written by Prof. Prashant Jaiwardhan)

CULTIVATING THE RARE NONI – PRASENJIT, ENTREPRENEUR, B.SC AGRICULTURE STUDENT, JRU ALUMNI, RANCHI

It takes courage to choose a different path in life. Young Prasenjit, a student of Jharkhand Rai University (JRU) trained in B.Sc Agriculture has chosen a different entrepreneurship journey.

No. He is not doing something with the digital or technology, like other entrepreneurs today. He is applying his agriculture knowledge to cultivate noni fruit, an indigenous plant found in coastal regions.

Besides, when Prasenjit started his journey, he knew that the road he has chosen will be difficult, because in India the noni plant grows wild in the coastal areas of Orissa, Kerala, Karnataka and Tamil Nadu.

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Andaman and Nicobar  Islands has the highest naturally  grown populations of noni plants. But, Prasenjit is farming noni in Kasmaar district, Bokaro, which is in central India.

Moreover, given the climatic conditions of Bokaro region, it is difficult to grow noni in Kasmaar district.

WHY DID HE CHOOSE TO CULTIVATE NONI?

Here’s why Prasenjit chose to cultivate Noni.

Noni, also known as Indian mulberry,  awl tree,  cheese fruit,  nino,  nona has immense medicinal potential. The tree is known  as  ‘Ach’  in  Hindi.  Moreover, the  plant  has  been  known  as  a medicinal and wellness plant for more than 2000  years.

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However, currently noni is  an  endangered plant  and is listed in the Red Data Book.

Noni fruit juice is a health and wellness drink. Fruits and leaves are used for  preparation  of  different  nutraceuticals.  Though the  fruit  is  not  edible  as  such.  You have to process to consume noni fruit.

Approximately three kilos of noni  fruits  when processed will yield  1.0  kg  noni juice.

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It is considered to be an immuno-modulator plant in its activity on man. Noni is effective against a wide array of diseases such as type-2 diabetes, arthritis,  filariasis,  skin  infections.  In fact, noni  has  a  positive influence  on AIDS treatment. Research shows that noni is  non-toxic to blood, blood elements  and also to vital organs such as lever and kidney and has a broad range of therapeutic effects such as analgesic,   anti-inflammatory, anti-hypertensive,  immune-enhancing,  anti-cancer, anti-bacterial, anti-viral,  anti-fungal,  anti-tuberculous,  anti-protozoal,  anti-oxidant  anti-stress  and  sedative effects. These effects of noni has made it a popular health enhancer and food supplement world wide.

CULTIVATING NONI IN BOKARO

In February this year, he procured 50 noni plants from Odisha and planted in one acre field. Out of these, only 17 trees survived to bear fruit. From these trees, he now plans to expand his cultivation.

Prasenjit says, ‘Noni seeds are sold in the market for Rs800 per kilo.’

He is the first person in Bihar, Jharkhand and North India to be cultivating this plant in his village. His efforts has surprised the locals.

Enterprising efforts run in his family. His father Vivekananda, back in 2005 had cultivated spirulina in this region, surprising everyone with his produce. His mother is a famous medicinal practitioner. Their family nursery grows several unconventional plants and fruits that include – red-lady papaya, aloe vera, night-flowering jasmine (harshingaar in Hindi), dragon fruit and others Being different and unconventional is what makes an entrepreneur after all. And Prasenjit is proving it to be true.

ROBOTS IN RANCHI, SUCCESSFUL BTECH STUDENTS

ROBOTS IN RANCHI – MEET THE JRU B.TECH TEAM WHO IS MAKING IT

What does a team of 6 B.Tech Computer Science final year students do when asked to do a project?

Make a robot! Unbelievable right!

But that is what the team of JRU students comprising of – Ankit Singh, Kiran Baral, Arati Sahu, Chandani Kumari, Suman Kumari and Bismillah – are doing.

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These successful B.Tech final year students from Jharkhand Rai University, Ranchi  have just completed making a robot guided firefighting system. This kind of robotic system is extremely useful in tackling/extinguishing fire in tall buildings and sky-scrapers.

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ROBOTS IN RANCHI

JRU B.Tech Robots Team in Ranchi

Using an Arduino Uno board and connecting it with fire sensors, the robot can detect temperatures as they rise. The robot gets activated as soon as the temperature crosses a certain mark. Guided by its ultrasonic sensors, it then reaches the place of fire and activates the fire extinguishing systems. Because, this robot is equipped with a navigation system it can make its way through obstructions in path. In case of fire, the system guides the robot to reach the zone of high temperature caused by fire. A robot like this is enormously useful in handling fire at places where it is difficult for humans to reach easily.

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Project based, hands-on learning is an important aspect of teaching at Jharkhand Rai University. It is the perfect way of guiding students to experiment on ideas. Moreover, any project lets you ask several questions/problems that you want to solve. Project-based education system help students develop scientific bent of mind and makes them solve problems which need answers.

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The team of six students from JRU believes that engineering or science is not just about memorizing facts. It is about solving problems. And in this scientific journey, teachers are important mentors, who guide you towards the right direction.

For a world dominated by technology and digital, these students have glorious future waiting for them ahead.

AN ENTREPRENEUR FROM RANCHI – VISHAL SAHU, JRU ALUMNI & FOUNDER, EMURGA.COM

Meet Vishal Sahu from Ranchi – alumni of JR University and an entrepreneur. What Vishal, the entrepreneur from Ranchi loves is to eat chicken. Today, he is also the founder of emurga.com. Well, it was not just his love for savoury chicken that led him to open emurga.com. It was his need to get fresh raw chicken anywhere, anytime that gave Vishal Sahu the idea to open an online fresh-raw chicken delivery shop. To order fresh organic chicken, all you need to do is order online at emurga or call and place your order.

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Entrepreneur from Ranchi, JRU student

Vishal at his shop in Ranchi.

Vishal at his shop in Ranchi.

Well, what gave this boy from Ranchi the idea to build a start-up? When asked this question, Vishal says, ‘The idea for this business came to my mind one day when I had guests at home. They especially wanted to eat chicken. I was busy with work and couldn’t go to the market to get fresh cut chicken. Nor was there anything available from where I could have ordered reliable fresh-raw chicken at reasonable price.’

Farm fresh chicken from emurga.com. Vishal, the founder.

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“That is when it struck me – to offer freshly sourced, farm fresh chicken to those who have sudden chicken cravings and also offer them the convenience of home-delivery.”
Vishal shared his business idea with a few friends and advisors. He got encouraging feedback from all. With confidence, he went ahead and laid the foundation of his start-up along with a friend.

Today, emurga.com is selling more than 80 kgs of fresh raw chicken everyday. The business is growing and it has become very successful with youngsters and families alike in Ranchi city.

Entrepreneur from Ranchi

Farm fresh chicken from emurga.com. Vishal, the founder.

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The best part of this business is, Vishal believes in the concept of farm to table. He has a network of more than 50 poultry farmers from around Ranchi associated with him. So that makes his raw chicken safe and fresh.

Vishal is an MBA student from Jharkhand Rai University. During his MBA years, he had always imagined working in a corporate. But now, having experienced his entrepreneurial journey, he encourages MBA students to be job creators, than job seekers.

Vishal agrees that his education has helped him a lot in his career. That he did his MBA came in handy when he was planning his business model. And his management knowledge comes to rescue when he has to make key decisions.

He is ever grateful to his MBA professors from JRU, Dr Vishal and Dr Abhishek, who have been constantly guiding him in his journey.

Today, Vishal is not just successfully running his emurga.com, but he is a self-declared brand ambassador of ‘entrepreneurship’ too. ‘More than a job, entrepreneurship is the best career option,’ he says.

IBTESHAM SUCCESS STORY STUDENT JRU 2

अपने जीवन की कहानियाँ सुनाकर बनायीं अलग पहचान : इब्तेशाम

इब्तेशाम श्रीन झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी रांची में एमबीए सेकंड ईयर की स्टूडेंट है. हाल ही में इन्हे कोलकाता में आयोजित फिल्म फेस्टिवल में स्टोरी टेलिंग के लिए पुरस्कृत किया गया था।

इब्तेशाम की कहानी हमने उनसे ही सुनी। उसने अपनी कहानी कुछ यूँ बयां की “मेरा जन्म एक माध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था जहां जेंडर को लेकर प्राचीन मान्यतायें थी.”

“बचपन से ही पढ़ने में मेरी रूचि थी और मैं पढ़ने में तेज भी थी. वह दिन मुझे आज भी याद है जिन दिन मेरे 10 वीं के रिजल्ट आने वाले थे, मैं उत्सुक भी थी और नर्वस भी.”

“रिजल्ट के दिन सुबह के समय मेरे अब्बू दौड़ते हुए आये उनके हाथ में अखबार था उसमे मेरी फोटो छपी थी मैंने अपने स्कूल में टॉप किया था। मुझे लगा जैसे मैंने दुनिया जीत लिया हो.”

“मैंने अपने पापा से कहा मैं अपनी आगे की पढ़ाई किसी अच्छे स्कूल से करना चाहती हूँ.”

“उन्होंने मुझसे कहा तुम परिवार में एकलौती नहीं हो हमें तुम्हारे भाई को भी पढ़ना है.”

“मैंने कहा आप परेशान न हों मैं अपनी पढ़ाई का सारा खर्च खुद उठाउंगी पापा तैयार हो गए. मैंने कड़ी मेहनत करते हुए बच्चों को ट्यूसन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्च उठाया.”

IBTESHAM SUCCESS STORY STUDENT JRU 1

“मैं अच्छे नंबरों से पास भी हुयी लेकिन परेशानियाँ अभी ख़त्म नहीं हई थी। अच्छे नंबरों के साथ साइंस स्ट्रीम में मैंने एग्जाम पास किया था और अब इंजीनियरिंग करना चाहती थी.

पापा ने कहा ” तुम लड़की हो” परिजन मेरे पिता से कहने लगे “इसे बाहर पढ़ने मत भेजिए ये लड़की है ” मैं पूरी तरह टूट चुकी थी।

काफी जदोजहद के बाद मुझे दादी के घर पढ़ने के लिए भेजा गया जमशेदपुर, “वहां मैं सुरक्षित थी.” मैंने यहीं अपना ग्रैजुएशन पूरा किया एक छोटे से कॉलेज से जिसकी मैं टॉपर थी. यह मेरे लाइफ की दूसरी अचीवमेंट थी.

मेरी इस सफलता ने मेरे परिवार के सोचने का नजरिया बदल दिया। मुझे पढ़ाने में परिवार का सहयोग मिलने लगा और मेरी वजह से उनको एक गौरव का अनुभव भी हुआ।

इसके बाद मैंने झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी रांची से मास्टर ऑफ़ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) करने का फैसला लिया। मेरे पिता ने मेरे इस फैसले पर कहा था “तुम एक दिन एक अच्छी मैनेजर बनोगी मुझे ये विश्वास है.” एक लड़की होने के कारण मुझे इतनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.

राय यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना और एमबीए की पढ़ाई करना एक उचित फैसला साबित हुआ. फैकल्टी, फ्रेंड्स यूनिवर्सिटी कल्चर, ऐकडेमिक सेशन और यहाँ की एक्स्ट्रा एक्टिविटी ने मुझमे नया उत्साह भरा.

हर साल होने वाले बिज़ क्विज ,बिज़ स्प्री और कल्चरल इवेंट्स में मेरा शामिल होना मुझे कुछ नया करने की प्रेरणा दे रहा था. फिर वह दिन आया जब मेरा सेलेक्शन स्टोरी टेलिंग कम्पीटीशन के लिए हुआ और मुझे कोलकाता जाना था.

मेरा चयन जेंडर बेस्ड वायलेंस पर अमेरिकन सेंटर कोलकाता में आयोजित एक महोत्सव के लिए हुआ था जिसके लिए मैंने एजुकेशन टॉपिक चुना था। मेरा चयन मेरे लिखने के स्टाइल के कारण किया गया था, इससे पहले दो ऑनलाइन सेशन भी किये गए थे. आखिर कार मैं कोलकाता में थी जहाँ पाँच दिन के वर्कशॉप के लिए मुझे सारी सुविधायें मिली जिसमे आने -जाने, रहने और खाने की सुविधा शामिल थी.

इसमें बांग्लादेश,असम, रांची, नागालैंड और कोलकाता के प्रतिनिधि शामिल थे। इस वर्क शॉप के लिए हमारी गाइड थी अमेरिका की “ऐमी हिल” जिन्होंने ने हम सबको जेंडर वायलेंस पर एक शार्ट मूवी बनाने के लिए तैयार किया ये कहानी हमसब की अपनी थी। हमारी अपनी कहानी।

मैंने अपनी कहानी अपनी एजुकेशन के दौरान आयी परेशानियों लेकर बनाया था। मैंने इसे प्रस्तुत भी वैसे ही किया जैसे वो सारी घटनायें फिर से दुहरायी जा रही हो। सबने इसकी सराहना की। वर्कशॉप के आखिरी दिन हम लोगो की बनायीं मूवी को दिखाया गया और हम सभी को प्रमाणपत्र देखर सम्म्मानित किया गया। इस मूवी को सितंबर महीने में आयोजित फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित भी किया गया.

यह अपने आप में एक अनोखा अनुभव था जिसमे सीखने और दुनिया को जानने का भरपूर मौका था. इब्तेशाम की इस प्रतिभा को पहचानते हुए यूनिवर्सिटी ने उसे पहले विमेंस अचीवर अवार्ड(2019) के लिए नामित करते हुए अंतराष्ट्रीय विमेंस डे(8 मार्च) के दिन पुरस्कृत किया।

(Story written by Prof. Prashant Jaiwardhan)

SATRUPA SUCCESS STORY STUDENTS JRU 1

रांची से दिल्ली तक – सतरूपा की कहानी, झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्

सतरूपा भट्टाचार्जी झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी के बीएससी एग्रीकल्चर की एक होनहार स्टूडेंट् है. टीचर्स के बिच इसकी पहचान एक अनुशासित लेकिन काम बोलने वाली शर्मीली छात्रा की है, अपने वयक्तित्व के विपरीत सतरूपा ने कुछ ऐसा किया है जिसके कारण उसकी चर्चा राय यूनिवर्सिटी ही नहीं बल्कि राजधानी रांची के सभी कॉलेजों और यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स और नेशनल सर्विस स्कीम के स्टूडेंट्स के बिच हो रही है. झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट सतरूपा भट्टाचार्जी रांची के सभी सरकारी और निजी विशवविद्यायों में एकलौती स्टूडेंट्स है जिसका चयन रिपब्लिक डे परेड 2019 के लिए किया गया था.

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सतरूपा अपनी इस उपलब्धि को बताते हुए कहती है “सेंट्रल जोन के लिए रांची निफ्ट में आयोजित विशेष कैम्प के लिए मेरा चयन किया गया था.15 दिनों के इस कैम्प में एजुकेशन , कल्चरल, योगा, एक्सरसाइज, ग्रुप टास्क और लीडरशिप जैसे कई इवेंट हुए जिसमे सफल होकर मैंने 6 राज्यों के स्टूडेंट्स के बिच खुद को बेस्ट साबित किया और फाइनल सिलेक्शन के दिन दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस परेड के लिए मेरा चयन किया गया. ये मेरे लिए और मेरे यूनिवर्सिटी के लिए एक गौरव की बात है. मेरी इस सफलता के पीछे यूनिवर्सिटी के अकैडमिक कल्चर, एक्स्ट्रा एक्टिविटी, एन एस एस अधिकारी प्रो. धीरज कुमार पांडेय के मार्गदर्शन को जाता है।

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यहाँ एडमिशन लेककर मैं एग्रीकल्चर के सेक्टर में जॉब करना चाहती थी लेकिन कैम्प में जाकर और कई राज्यों के स्टूडेंट से इंटरैक्ट करते हुए मैंने काफी कुछ सीखा और समझा भी. मेरे देखने और सोचने के नजरिये में काफी बदलाव आया है और यह राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम का प्रभाव है।सतरूपा की इस सफलता को यूनिवर्सिटी ने एक पहचान देने के लिए इस वर्ष के विमेंस अचीवर अवार्ड से उसे सम्मानित किया है.

(Story written by Prof. Prashant Jaiwardhan)