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reboot your working memory

री बूट योर वर्किंग मेमोरी

आपने अकसर यह महसूस किया होगा की किसी काम के लिए आप कमरे में जाते है और फिर रुक जाते है, आप भ्रमित हो जाते है और यह आप कुछ समझ नहीं पाते आप कमरे में आये क्यों थे? आप यह भूल जाती है की आप रसोई में क्यों गयी थी? आप फोन साल करने के लिए उठाते है लेकिन काल किसे करने है इसे लेकर आप सोचने लगते है आप नाम या नंबर रिकॉल नहीं कर पाते है। ईमेल लिखने में ज्यादा समय लगना, थोड़ी देर काम करते ही ध्यान भांग हो जाना, शॉपिंग लिस्ट बनाने में ज्यादा समय लगना और आपके पीछे चलने वाले की शक्ल याद नहीं रख पाना यह सब होता है आपके “वर्किंग मेमोरी” में गड़बड़ी की वजह से। वर्किंग मेमोरी आने वाली सूचनाओं को ग्रहण करने इसे एक विचार का रूप देने और फिर उसे चेहरा देकर उसे तब तक बनाये रखता है जब तक उसकी हमें जरुरत होती है। वर्किंग मेमोरी और किसी काम को करने का ध्यान रखना एक दूसरे से जुड़े हुए है। काम करते समय हमलोग अपने निर्देश और वयवहार पर फोकस करते है। दूसरे शब्दों में कहें तो वर्किंग मेमोरी रियल टाइम में काम करने की काबिलियत है। इंसानी दिमाग को यही ताकवतर बनता है। लेकिन चिंता, काम का प्रेशर, नकारात्मक सोच, बेचैनी और फोकस की कमी से काबिलियत पर असर पड़ता है।

हम इस एंजायटी और तनाव को कभी गंभीरता से नहीं लेते है। यह कितना लम्बा चलेगा यह आप को भी नहीं पता है। विश्व में इसपर कई शोध कार्य चल रहे है।शोध की माने तो वर्किंग मेमोरी और बेचैनी के बिच एक नकारात्मक रिश्ता है। बेचैनी जितनी ज्यादा होगी वर्किंग मेमोरी का परफॉर्मेंस उतना ज्यादा घटता जायेगा। वर्किंग मेमोरी पर अप्रकाशित शोध के अनुसार कोविड 19 का असर वर्किंग मेमोरी पर पड़ा है इससे इंकार नहीं किया जा सकता। आपका अच्छी नींद नहीं ले पाना भी एक प्रमुख कारण के तौर पर सामने आया है।

वर्किंग मेमोरी को बूस्ट करने के लिए मेमोरी एक्सरसाइज और ब्रेन गेम्स की सहायता ली जा सकती है। लेकिन ये बहुत मददगार साबित नहीं हुए है। एन-बैक टास्क एक्ससरसाइज ने जरूर अच्छे परिणाम दिए है। यह एक कंसंट्रेशन गेम है जिसमें मैचिंग कोड्स के जोड़ें खोजने पड़ते है।

एक प्रयास यह भी हो सकता है की आप सकरात्मक हो और यह सोचे की चीजें उतनी बुरी नहीं है जितना आप सोचते है। उस विचार को सिमित करें जो आपको सोचने पर मजबूर करती है। आप अपने प्रतिदिन के ख़बरों की खपत को काम कर सकते है। अपने आप से कहें विपरीत परिस्थितियों में जूझना इसमें कोई बुराई नहीं है। यह भी याद रखने की जरुरत है की हम सब एक महामारी के दौर में जीने की जद्दोज़हत के बिच खड़े है।