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ELP Agri blog JRU (2)

इएलपी : क्रिटिकल थिंकिंग और मैनेजेरियल स्किल्स का विकास

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स्टूडेंट्स को अच्छी एजुकेशन देने का सबसे बढ़िया तरीका है कि उसको कमरे की चारदीवारी से बाहर निकाल कर वास्तविक चीजों से प्रयोग करके सिखाया जाए। इससे उनमें क्रिटिकल थिंकिंग और खुद ही निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। यह सब होता है – एक्स्पेरीएन्शल लर्निंग से। एक्स्पेरीएन्शल लर्निंग यानी प्रयोग करके सीखना पढ़ाने का बहुत सरल तरीका है। कृषि स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल छात्रों के लिए अंतिम वर्ष के दो सेमेस्टर में एक्स्पेरीएन्शल लर्निंग प्रोग्राम (ELP ) चलाये जाते है।

झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी, राँची द्वारा संचालित कृषि स्नातक प्रतिष्ठा 4 वर्षीय पाठ्यक्रम है। 12 वीं के बाद इंजीनियरिंग और मेडिकल में नहीं जाने वाले छात्रों में यह पसंदीदा कोर्स है। फिफ्थ डीन कमिटी की अनुशंसाओं के तहत इस पाठ्यक्रम को प्रायोगिक, गुणवत्तापूर्ण और नेशनल एग्रो इंडस्ट्री की मांग के अनुरूप तैयार किया है। नियमित कक्षा, सेमेस्टर सिस्टम, समय पर परीक्षा और परिणाम का प्रकाशन के साथ अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए एक्स्पेरीएन्शल लर्निंग प्रोग्राम और रूरल एग्रीकल्चर वर्क एक्सपीरियंस नियमित तौर पर करवाए जाते है। पढ़ाई के दौरान सेमिनार, वर्कशॉप, एजुकेशनल टूर के अलावा प्रतिष्ठित संस्थानों में इंटर्नशिप भी आयोजित करवाया जाता है।

एक्स्पेरीएन्शल लर्निंग प्रोग्राम (ELP) :
इएलपी फाइनल ईयर के विद्यार्थियों का व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम है। यह 6 महीनों तक चलता है और इस दौरान उन्हें खेती बारी से जुड़े कार्य सफलतापूर्वक पुरे करने होते है।

झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी के रांची, नामकुम प्रखंड स्थित स्थायी कैम्पस में बीएससी एग्रीकल्च ऑनर्स पाठ्यक्रम संचालित किया जाता है। 20 एकड़ का विस्तृत भू-भाग में विद्यार्थियों को इएलपी से जुड़े कार्य करने के लिए आवंटित है। इससे जुड़े कार्यों में मार्गदर्शन देने के लिए विशेष शिक्षक नियुक्त होते है जो मार्गदर्शन देने का कार्य करते है। विभाग में सभी शिक्षकों का पदस्थापन स्थायी रूप से किया गया है जो कृषि विषय में डॉक्टरेट कि डिग्री प्राप्त है। पाठ्यक्रम का निर्माण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) एवं पांचवीं डीन रिपोर्ट कि अनुसंशाओं के अनुसार किया गया है।

इएलपी के लिए यूनिवर्सिटी से मिलने वाली सुविधाएँ :

  • प्रत्येक विद्यार्थी को स्पष्ट निर्देशित भू भाग
  • कृषि कार्य हेतु खाद- बीज की उपलब्धता
  • सिंचाई की सुविधा
  • कृषि कार्य हेतु ट्रैक्टर की सुविधा
  • खरपतवार / निराई गुड़ाई के लिए संकल्पित कार्यबल
  • विषय और कार्य पर जानकारी देने के लिए अनुभवी शिक्षक का मार्गदर्शन
  • प्राप्त उपज को बाजार तक ले जाने की सुविधा
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बीटेक इन कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग : हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का लिंग्विस्टिक

इन दिनों बीटेक इन कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (CSE) भारत में इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स और यंग इंजीनियर्स के बीच सबसे लोकप्रिय कोर्सेज में से एक है। इसमें कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और नेटवर्किंग के बेसिक एलिमेंट्स के बारे में अध्ययन किया जाता है। कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग करने वाले स्टूडेंट्स को हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के संबंध में इनफॉर्मेशन सिस्टम की डिजाइनिंग, इम्प्लीमेंटेशन और मैनेजमेंट के बारे में भी पढ़ाया जाता है। उन्हें कम्प्यूटेशन और कम्प्यूटेशनल सिस्टम्स के डिज़ाइन की थ्योरी के बारे में भी पढ़ाया जाता है। कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग का संबंध इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, मैथमेटिक्स और लिंग्विस्टिक्स से भी है।

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कंप्यूटर इंजीनियरिंग को हम एक गठजोड़ कह सकते है। यह गठजोड़ कंप्यूटर साइंस और इलेक्ट्रिकल साइंस के साथ हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर नॉलेज को एक साथ जोड़ते हुए कंप्यूटिंग टाइप्स पर काम करता है।

वो यह देख पाते है की कैसे माइक्रोप्रोसेसर काम करता है। कैसे उनका डिजाईन किया जाता है और कैसे डेटा ट्रांसफर होता है, कैसे सॉफ्टवेयर लिखा जाता है और किस तरह कम्पाईल्ड किया जाता है। आसान शब्दों में कहें तो एक कंप्यूटर इंजीनियर जिम्मेदार होता है सॉफ्टवेयर को रन करने के उन तमाम कार्यों के लिए जिसका इजाद कंप्यूटर साइंटिस्ट करते है।

झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी, रांची में बीटेक इन कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए आवेदन आमंत्रित किये जा रहे है। चार वर्षों के इस नियमित पाठ्यक्रम में नामांकन लेने के लिए विज्ञान विषयों के साथ 12 वीं पास छात्र आवेदन कर सकते है। बीटेक कंप्यूटर साइंस (इंजीनियरिंग) की पढ़ाई में आप अपने स्पेशलाइजेशन के तौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साईबर सिक्यूरिटी, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, वेब एंड मोबाईल एप्लीकेशन विषय का चयन कर सकते है।

पढ़ाई के दौरान आप इंजीनियरिंग नॉलेज,प्रॉब्लम एनालिसिस, डिजाइन एंड डेवलपमेंट ऑफ़ सलूशन, काम्प्लेक्स प्रॉब्लम सलूशन, मॉडर्न टूल यूजेज,इंजीनियरिंग सोसायटी, एन्वॉयरन्मेंट और सस्टेनब्लिटी, कम्युनिकेशन, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एंड फाइनेंस के साथ सीखते है लाइफ लॉन्ग लर्निंग का यादगार पाठ।

पढ़ाई के बाद अपने फील्ड में सफल होने के लिए चाहिए प्रोफेशन स्किल्स, प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स और इंटरप्रेन्योर स्किल्स और यह सब आप को सिखाते है कंप्यूटर साइंस इंडस्ट्री से जुड़े प्रोफेशनल।

कंप्यूटर साइंस इंजीनियर बनने के लिए होने चाहिए ये स्किल्स :

  1. टीम वर्क एबिलिटी
  2. प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स डेटर्मिनेशन,
  3. लॉजिकल एंड सिस्टेमेटिक माइंड सेट
  4. पेसेंस।

इस कोर्स को करने के बाद करियर ऑप्शन्स के तौर पर टीचिंग के अलावा कंप्यूटर प्रोग्रामर, सिस्टम डिज़ाइनर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, सॉफ्टवेयर डेवलपर, सॉफ्टवेयर टेस्टर, मोबाइल ऐप डेवलपर, आईटी एडमिनिस्ट्रेटर, ई-कॉमर्स स्पेशलिस्ट, डाटा वेयरहाउस एनालिस्ट के पद देश की प्रतिष्ठित कंपनियों में प्राप्त कर सकते है।

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झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी का जागरूकता अभियान: सफाई भी, दवाई भी और कड़ाई भी

रांची सहित देश के कई हिस्सों में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार को रोकने के लिए यूजीसी के द्वारा विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को आगे आने के लिए कहा गया है। यूजीसी ने सभी कुलपति और कॉलेज प्राचार्यों को पत्र भेज कर कोरोना से बचाव के लिए ‘दवाई भी, कड़ाई भी ‘ के तहत जागरूकता अभियान चलाने को कहा है। विश्वविद्यालय और कॉलेज के एनएसएस और एनसीसी इकाई का सहयोग जागरूकता अभियान को गति देने के लिए लिया जा सकता है। यूजीसी के पत्र में कहा गया है की विश्विद्यालय और कॉलेज के शिक्षक, अधिकारी और विद्यार्थी इस जागरूकता अभियान को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक,सोशल मीडिया का सहारा लिया जाय। जागरूकता के तहत लोगों के बीच हमेशा मास्क लगाने, हाथ को साबुन से धोने, अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर उपयोग में लाने,आँख, कान , नाक और मुँह को बार बार छूने से बचने, एक दूसरे के बीच सामाजिक दुरी का पालन करने, किसी को बुखार, कफ और साँस लेने में तकलीफ होने पर तुरंत टॉल फ्री नंबर 1075 और राज्य सरकार (झारखण्ड ) द्वारा जारी हेल्प लाइन नंबर 104/181 पर कॉल करने के लिए प्रेरित करने का कार्य करें।

पत्र में विश्वविद्यालय को राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन के साथ मिल कर जागरूकता अभियान चलाने का आग्रह किया गया है।

झारखण्ड राय विश्वविद्यालय ने यूजीसी के निर्देश के आलोक में एक्सटेंशन एक्टिविटी के तहत अपने ऑफिसियल वेबसाइट और सोशल मीडिया पेज पर जागरूकता अभियान चला रखा है। इसे अलावा विश्वविद्यालय एनएसएस इकाई के सहयोग से आयुर्वेदिक इम्युनिटी बूस्टर टैबलेट्स का निः शुल्क वितरण भी किया जा रहा है। यह अभियान पिछले तीन महीनो से चलाया जा रहा है। इस कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न करने में एनएसएस स्वयंसेवकों का सहयोग लिया जा रहा है। पिछले दिनों इसी कड़ी में रांची के रातू अंचल कार्यालय में कवाथ इम्युनिटी टैबलेट्स का निः शुल्क वितरण किया गया।

झारखंड राय यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रो. (डॉ.) पीयूष रंजन ने जानकारी देते हुए बताया कि “यूजीसी के निर्देश के तहत विश्वविद्यालय ने पूर्व में ही हेल्पलाइन नंबर 1800 120 2546 जारी किया हुआ है। यह हेल्पलाइन नंबर विद्यार्थियों की किसी भी शैक्षणिक, मानसिक परेशानी होने पर निवारण करने में सहयोग प्रदान करता है।“

झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी के माइनिंग इंजीनियरिंग स्टूडेंट दीपक सिंह ड्रीम बिग सीजन वन फोटोशूट में चयनित

झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी, डिपार्टमेंट ऑफ़ माइनिंग इंजीनियरिंग के सेमेस्टर चार के स्टूडेंट दीपक किशोर सिंह का चयन “ड्रीम बिग सीजन वन फोटोशूट” के लिए किया गया है। आसनसोल के रहने वाले दीपक डिप्लोमा माइनिंग इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीआईटी नागपुर से पूरी की है और बीटेक माइनिंग इंजीनियरिंग के लिए उनकी पसंद झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी रांची थी। अपनी सफलता को लॉक डाउन और कोरोना पैंडेमिक से जोड़ते हुए इन्होंने बताया ” उस दौरान मैं भी सभी स्टूडेंट्स की तरह ऑनलाइन अच्छे कॉलेज में एडमिशन सर्च कर रहा था और खली समय में नेट सर्फिंग किया करता था। इस दौरान मैंने एक ब्लॉग बनाया और कुछ लिखने के साथ वीडियो ब्लॉगिंग की शुरुवात अपने गृह नगर आसनसोल से किया। इसका नाम ‘फैसनेबल आसनसोल’ रखा था। सोशल मीडिया सर्च के दौरान मुझे प्रिंस नरूला के द्वारा लॉक डाउन के दौरान आयोजित होने वाले टैलेंट हंट कार्यक्रम की जानकारी मिली। प्रिंस नरूला एक जाने माने मॉडल और एमटीवी रोडीज़ 12 के विजेता रह चुके हैं। उन्होंने कई टीवी धारावाहिकों में भी काम किया है जिनमे रियलिटी शो बिग बॉस खासा चर्चित रहा। बिग बॉस 9 को उन्होंने जीता भी है। बस यही मुझे आकर्षित करने के लिए काफी था और मैंने फिर इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का फैसला किया। ”

दीपक के अनुसार प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए मैंने अपना फोटो और एक शार्ट वीडियो प्रोफाइल बनाकर भेजा। प्रतियोगिता में 40 बेहतरीन चेहरों का चयन किया गया जिनका पोर्टफोलियो शूट प्रिंस नरूला के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।

ड्रीम बिग सीजन एक में चयनित होने के बाद दीपक के पास मॉडलिंग से जुड़े तीन ऑफर भी है जिस पर वह काम चल रहा है। दीपक ने अपने हॉबी और अकादमिक करियर पर बात करते हुए बताया की ” मुझे क्रिकेट खेलना पसंद है और मैंने डिप्लोमा की पढ़ाई के दौरान अपने यूनिवर्सिटी को रिप्रजेंट भी किया। बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं माइनिंग इंजीनियरिंग में ही एमटेक करना चाहता हूँ। आने वाले समय में मुझे रणविजय सांगा के साथ काम करने का मौका मिलने वाला है जो मुझे इस फील्ड में एक नई पहचान दिलाने में मददगार साबित होगा।“

विभाग के छात्र दीपक की सफलता पर विभाग समन्वयक प्रो. सुमित किशोर सहित अन्य शिक्षकों ने हर्ष वयक्त किया है।

यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रो. (डॉ) पियूष रंजन ने दीपक सिंह के उज्वल भविष्य की कामना करते हुए पढ़ाई के साथ मॉडलिंग को करियर के तौर पर अपनाने पर हर्ष जताया है। उन्होंने अपने संदेश में माइनिंग इंजीनियरिंग विभाग के शिक्षकों का भी धन्यवाद किया है।

झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी में मेडिकल राइटिंग ऐज ए कैरियर इन फार्मेसी पर वेबिनार का आयोजन

झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट ऑफ़ फार्मासूटिकल्स के द्वारा “मेडिकल राइटिंग ऐज ए कैरियर इन फार्मेसी” विषय पर एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन शनिवार को किया गया। इस अवसर पर ऑनलाइन व्याख्यान देने के लिए एपीसीइआर अहमदाबाद में सीनियर मेडिकल राइटर डॉ. दीपिका उपस्थित थी।

उन्होनें ने वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा की ” चिकित्सा लेखन विशेष लेखकों द्वारा वैज्ञानिक दस्तावेजों का निर्माण है। मेडिकल लेखक आमतौर पर वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और अन्य विषय विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम करता है ताकि प्रभावी दस्तावेज तैयार किए जा सकें जो अनुसंधान परिणामों और उत्पाद के उपयोग को स्पष्ट रूप से परिभाषित करें।

मेडिकल राइटिंग के प्रकार :

डॉ. दीपिका ने मेडिकल राइटिंग के प्रकारों पर प्रकाश डालते हुए उन बताया की इसे मुख्य रूप से दो प्रकारों में बांट सकते है

  • एजुकेशनल मेडिकल राइटिंग
  • रेगुलर लीटरचर राइटिंग ।

एजुकेशनल राइटिंग में जर्नल, एजुकेशनल मैटर्स,मार्केटिंग लिटेरेचर, पब्लिकेशन, प्रेस शामिल है जबकि रेगुलर राइटिंग में शोध सामग्री, नियम परिनियम एवं अन्य साहित्य सामग्री का समावेश होता है।

मेडिकल राइटिंग शैली :
एक अच्छा मेडिकल राइटर बनने के लिए चिकित्सा क्षेत्र का ज्ञान, शब्दावलियों की जानकारी और लेखन शैली का ज्ञान आवश्यक शर्त है। राइटिंग स्कील्स को दो भागों में विभाजित किया जाता है डोमेन नॉलेज स्किल्स और जेनेरल नॉलेज स्किल्स।

मेडिकल राइटर कैसे बने :

  • प्रोजेक्ट की सही जानकारी और लेखन उद्देश्य की पहचान ।
  • टारगेट ऑडियंस को समझते हुए एक स्तर का लेखन।
  • लेखन विषय का सम्पूर्ण ज्ञान।
  • चिंतन करने की छमता और ज्ञान और नए विचार का समावेश।
  • वैज्ञानिक सटीकता ।
  • विषय विस्तार के दौरान सावधानी।
  • स्पष्ट शब्दावली चयन।
  • कार्य में शामिल व्यक्तिओं के साध सही संचार और समनवय।
  • समय प्रबंधन का ज्ञान एवं समय सीमा के अनादर कार्य पूर्ण करने का भाव।

कैरियर विकल्प :

  • फार्मासूटिकल्स और बायोटेक्नोलॉजी कम्पनियाँ ।
  • अनुबंध आधारित कार्य ।
  • मेडिकल कम्युनिकेशन एजेंसी।
  • इसके अलावा फ्रीलांसर के तौर पर मेडिकल राइटिंग का कार्य करने वालों के लिए भी कई अवसर उपलब्ध है जिनमें मेडिकल के अलग अलग क्षेत्र में विशेषज्ञ के तौर पर लेखन कार्य शामिल है ।

मेडिकल राइटिंग पेशा अपनाने के लाभ :

  • घर से काम करने या किसी भी जगह से कार्य करने की आजादी।
  • सही और सटीक कार्य करने पर ज्यादा अवसर और कार्य।
  • आर्थिक लाभ ।
  • दूसरों को इस क्षेत्र में जोड़ने और प्रशिक्षित करने का अवसर।
  • वेबिनार के समापन पर स्टूडेंट्स के सवालों का जवाब भी डॉ. दीपिका द्वारा दिया गया। वेबिनार आयोजन में डिपार्टमेंट ऑफ़ फार्मासूटिकल्स के प्रो. हेमेंद्र और प्रो. प्रियंका का योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन प्रो. कोमल कृति ने किया।

ड्रिप सिंचाई खेती से पानी की बचत के साथ किसानों को सब्सिडी का लाभ और मुनाफा ज्यादा

झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी रांची के डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर साइंस द्वारा किसानों को उन्नत कृषि के लाभों से अवगत कराने के लिए प्रशिक्षण, जनजागरण और किसान गोष्ठी आयोजित की जाती है। कृषि में तकनीक और लाभदायक फसलों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है। झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी ने नामकुम कैंपस में विश्व स्तरीय हाइड्रो फोनिक्स लैब स्थापित है। इसके साथ ड्रिप एरिगेशन, मल्चिंग, पोली हाउस, स्प्रिंकलर सिंचाई और अल्ट्रा डेंसिटी तकनीक से कृषि कार्य किया जाता है।

ड्रिप सिंचाई की जानकारी देने और उसके लाभों से अवगत करता आलेख किसानों के जनहित में जारी:

एग्रीकल्चर एक्सपर्ट का मानना है की परंपरागत खेती के तरीकों में भू गर्भ जल का 85 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है। एक क्विंटल धान पैदा करने में ढाई लाख लीटर पानी खर्च होता है। किसान टपक सिंचाई पद्धति को अपनाकर पानी की बर्बादी रोक सकता है। टपक सिंचाई को बूंद बूंद सिंचाई या ड्रिप सिंचाई के नाम से भी जाना जाता है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में किसानों से एक सीधे संवाद में किसानों को खेती की लागत घटाकर उत्पादन बढ़ाने के टिप्स देते हुए कहा था कि सूक्ष्म सिंचाई पद्धति से खेती की लागत घटाकर उत्पादन बढ़ाते हुए फसलों में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है। पानी की कमी से जूझते किसानों की कृषि लागत घटाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत ड्रिप और स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे पानी की तो बचत होती ही है, सिंचाई का खर्च कम हो जाता है और किसान का लाभ भी बढ़ जाता है।

    ड्रिप सिंचाई में उपयोगी उपकरण :

  • मोटर पंप – पानी की आपूर्ति के लिए
  • फ़िल्टर यूनिट – पानी को छानने में उपयोगी
  • फ्रटीगेशन यूनिट – पानी में खाद मिलाने की वयवस्था
  • प्रेशर गेज – पानी के दाब को मापने का यंत्र

खेत में टपक विधि का इस्तेमाल करने के लिए पौधों की दूरी निर्धारित होना आवश्यक है। ऊपर से लगे पाइप में सुराख के जरिए पानी की बूंद बराबर पौधों पर गिरती रहती है। इसके लिए खेत में एक बड़ी टंकी लगाई जाती है, जबकि फव्वारा विधि में मोटर से पानी सप्लाई के जरिए पौधों को फुहारें दी जाती हैं। टपक विधि में प्रति हेक्टेयर 1.15 लाख रुपये लागत आती है। इसमें सरकार की ओर से 90 फीसदी तक अनुदान मिलता है।

    टपक सिंचाई के लाभ :

  1. टपक सिंचाई में जल उपयोग दक्षता 95 प्रतिशत तक होती है जबकि पारम्परिक सिंचाई प्रणाली में जल उपयोग दक्षता लगभग 50 प्रतिशत तक ही होती है।
  2. इस सिंचाई विधि में जल के साथ-साथ उर्वरकों को अनावश्यक बर्बादी से रोका जा सकता है।
  3. टपक विधि से सिंचित फसल की तीव्र वृद्धि होती है फलस्वरूप फसल शीघ्र परिपक्व होती है।
  4. खर-पतवार नियंत्रण में अत्यन्त ही सहायक होती है क्योंकि सीमित सतह नमी के कारण खर-पतवार कम उगते हैं।
  5. टपक सिंचाई विधि अच्छी फसल विकास हेतु आदर्श मृदा नमी स्तर प्रदान करती है।
  6. इस सिंचाई विधि में कीटनाशकों एवं कवक नाशकों के धुलने की संभावना कम होती है।
  7. लवणीय जल को इस सिंचाई विधि से सिंचाई हेतु उपयोग में लाया जा सकता है।
  8. इस सिंचाई विधि में फसलों की पैदावार 150 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
  9. पारम्परिक सिंचाई की तुलना में टपक सिंचाई में 70 प्रतिशत तक जल की बचत की जा सकती है।
  10. इस सिंचाई विधि के माध्यम से लवणीय, बलुई एवं पहाड़ी भूमियों को भी सफलतापूर्वक खेती के काम में लाया जा सकता है।
  11. 11.

  12. टपक सिंचाई में मृदा अपरदन की संभावना नहीं के बराबर होती है, जिससे मृदा संरक्षण को बढ़ावा मिलता है।
  13. 12.

  14. ड्रिप सिंचाई खेती करने पर किसानों को सब्सिडी मिलती है। सब्सिडी दर अलग अलग राज्यों में अलग अलग है।
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इंपैक्ट एंड स्टैट्जीज़ फॉर द एजुकेशन सेक्टर ड्यूरिंग कोविड -19 पैंडेमिक पर वेबिनार का आयोजन

झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी और डोरंडा कॉलेज रांची के सयुंक्त तत्वावधान में “इंपैक्ट एंड स्टैट्जीज़ फॉर द एजुकेशन सेक्टर ड्यूरिंग कोविड -19 पैंडेमिक ” पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इसे बिनोबा भावे विश्वविद्यालय, हज़ारीबाग़ के पूर्व कुलपति प्रो. डॉ. रमेश शरण और अमेज़ॉन वेब सर्विसेज एकडेमी के साउथ एशिया हेड लोकेश मेहरा ने संबोधित किया ।

वेबिनार का शुभारंभ सरस्वती वंदना के साथ किया गया। अमेजॉन के लोकेश मेहरा ने सर्वप्रथम विषय प्रवेश करते हुए माजूदा दौर में एजुकेशन सेक्टर की चुनौतियाँ अवसर, विकास और तकीनीकी छमता को रेखांकित करते हुए अपनी बात रखी। उन्होंने पुरातन शिक्षा वयवस्था और कोविड के बाद हुए बदलाओं पर विस्तार से अपनी बात रखते हुए बताया की ” बेहतर भविष्य को हासिल करने के लिए एजुकेशन फील्ड से जुड़े लोगों ने आगे आकर इस विषम परिस्थिति में भी बेहतर कार्य किया है।

तकनीक ने नए अवसर भी पैदा किये है वर्चुअल एजुकेशन ने इस दौर में बड़े बदलाव किये है जिनसे सभी को दो चार होना पड़ा है। तमाम चुनौतियों के साथ नए अवसर भी सामने आये है। कोविड- 19 के कारण कई बड़ी कंपनियों को बंद होना पड़ा है। तकनिकी प्रसार के साथ तालमेल बिठाने में कई समस्यायें भी देखने को मिली रहती है। लेकिन सोशल मीडिया के जरिये इसको समझने में सहायता भी मिली है। आज का दौर सोशल मीडिया, बिग डेटा, मोबाइल फ़ोन और क्लाउड कंप्यूटिंग का दौर है। बदलाओं की बात करे तो जॉब पोजीशन ही नहीं बल्कि माइंड सेट भी बदलते देखे गए है।

प्रो डॉ रमेश शरण ने अपने संबोधन के दौरान डिजिटल एजुकेशन सिस्टम को रेखांकित करते हुए कहा की ” डिजिटल एजुकेशन की सबसे बड़ी दिक्कत इसके इस्तेमाल में आने वाली तकनिकी बाधाएँ है जिनसे दो चार होना पड़ता है। उन्होंने कहा की आज भी डिजिटल एजुकेशन सबके लिए संभव नहीं हो पाया है। ग्रामीण इलाकों में आज भी सुविधाजनक तरीके से इसका इस्तेमाल नियमित तौर पर नहीं हो पता है। खासकर स्कूली शिक्षा में अभी भी काफी काम किया जाना बाकि है। प्रो शरण ने डिजिटल एजुकेशन के भविष्य की चर्चा करते हुए कहा की इसमें काफी संभावना है और आगे जाकर यही मिश्रित शिक्षा व्यवस्था कार्य करेगी। उन्होंने स्टूडेंट्स से तकनिकी रूप से सक्षम होने के लिए भी कहा। भविष्य की शिक्षा तकनीक आधारित होगी।“

वेबिनार के दौरान प्रश्न उत्तर सत्र का भी आयोजन किया गया जिसमें स्टूडेंट्स के सवालों का जवाब दिया गया।

वेबिनार के समापन पर झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रो. डॉ. पियूष रंजन ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा की वक्ताओं ने अपना कीमती समय निकाल कर बहुमूल्य राय से सबको अवगत कराया इसके लिए उनका धन्यवाद। उन्होंने कहा की सफलता किसी की मुहताज नहीं होती यह आप दोनों ने साबित किया है। डॉ. पियूष ने पुनः वेबिनार को सफल बनाने में शामिल फैकल्टी और टेक्निकल टीम के सदस्यों एवं वेबिनार के आयोजन में शामिल प्रो. रश्मि और डोरंडा कॉलेज की प्रो. नीलू कुमारी को का धन्यवाद किया।

झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट क्लब आगामी 19 दिसंबर को बिज़ -प्लान 2020 का करेगा आयोजन

झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी, के मैनेजमेंट क्लब द्वारा बिज़ -प्लान 2020 का आयोजन आगामी 19 दिसंबर को किया जाना है। बिज प्लान डिपार्टमेंट ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडी द्वारा संचालित मैनेजमेंट क्लब द्वारा प्रति वर्ष आयोजित होने वाला कार्यक्रम है। इसमें राज्य भर से मैनेजमेंट के स्टूडेंट्स शामिल होते है और अपने बिजनेस प्लान को प्रस्तुत करते है। इस वर्ष इसमें इनोवेटिव आईडिया के प्रस्तुतीकरण पर जोर दिया गया है।

बिज प्लान में शामिल होने वाली टीमों के प्रतिभागी ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट का स्टूडेंट्स होना चाहिए। एक टीम में चार से ज्यादा सदस्य नहीं होने चाहिए। एक कॉलेज से एक ही टीम को प्रतियोगिता में शामिल किया जायेगा। एक प्रतियोगी एक से ज्यादा टीम में शामिल नहीं हो सकता है।

टीम के एक सदस्य को टीम लीडर के तौर पर अपना निबंधन कराना आवश्यक है। टीमों को अपने बिजनेस प्लान की जानकारी एमएस पॉवर पॉइंट में प्रस्तुत करनी होगी। एक टीम किसी एक विषय पर ही अपनी प्रस्तुति देगी। बिजनेस प्लान की प्रस्तुति में कवर पेज, इंडेक्स, समरी, मार्किट एनलाइसिस, ऑपरचुनिटी, एक्सिक्यूशन, फाइनेंसियल प्लान और कन्क्लूजन को शामिल करना होगा।

टीमों का चयन उनके द्वारा प्रस्तुत विचारों में नवीनता मौलिकता , विचार की व्यापकता, बाजार और स्थिरता और बाजार सरलता को देखते हुए किया जायेगा।

प्रतियोगिता से जुड़े किसी भी नियम और जानकारी के लिए मैनेजमेंट क्लब के सदस्यों से संपर्क किया जा सकता है।

Webinar on IMPACT AND STRATEGIES FOR THE EDUCATION SECTOR DURING COVID -19 PANDEMIC

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Date : 14 Dec, 2020
Time : 11:00 am onwards

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SPEAKERS :

Prof. (Dr.) Ramesh Sharan
Dean, Faculty of Social Sciences, Ranchi University Former Vice Chancellor – Vinoba Bhave University

Mr. Lokesh Mehra
Head – South Asia, Amazon Web Services Academy

Convenor : Dr. Neelu Kumari
Assistant Professor, Deptt. of Economics Doranda College, Ranchi Mobile No : 9470193857

Convenor : Prof. Rashmi
Assistant Professor, Deptt. of Life Skills Jharkhand Rai University, Ranchi Mobile No : 9431579389

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झारखण्ड राय विश्वविद्यालय से बीसीए और एमसीए करते हुए लाइव प्रोजेक्ट से जुड़ने का सुनहरा अवसर प्राप्त करें

बीसीए और एमसीए की पढ़ाई करते हुए लाइव प्रोजेक्ट पर काम करने का अनुभव प्राप्त करना आजकल इंडस्ट्री ट्रेंड बन चूका है। एक तरफ विद्यार्थियों को नियमित पढ़ाई के दौरान कोडिंग, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और पायथन जैसे नवीनतम सॉफ्टवेयर का ज्ञान क्लासरूम क्लासरूम लर्निंग से प्राप्त होता है । जबकि लाइव प्रोजेक्ट में शामिल होकर टेस्टिंग, डेवलपिंग, डी बगिंग और कोडिंग मेथड कम समय में पूरा करने का हुनर इंडस्ट्री फ्रेंडली होने में सहायक है। झारखण्ड राय विश्वविद्यालय, रांची का डिपार्टमेंट ऑफ़ कंप्यूटर साइंस एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी अपने छात्रों को इंडस्ट्री रेडी कोर्से, बेहतरीन ऐकडेमिक और लाइफ स्किल्स सपोर्ट, इंटर्नशिप, हैकेथॉन, वर्कशॉप, सेमिनार, इंडस्ट्रियल विजिट के साथ आईटी फील्ड के एक्सपर्ट के साथ रूबरू होने और उनके लाइव सेशन में शामिल होने का मौका प्रदान करता है। डिपार्टमेंट का उद्देश्य है सही मार्गदर्शन के साथ विद्यार्थियों को आईटी फील्ड की नवीनतम तकनिकी जानकारियों से लैस करते हुए इनोवेशन और स्टार्टअप्स के लिए प्रेरित करना । इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन(ISRO) ने अपने ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के लिए यूनिवर्सिटी को आईआईआरएस आउटरीच सेंटर के तौर पर मान्यता प्रदान किया है।

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डिपार्टमेंट ऑफ़ कंप्यूटर साइंस एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मुख्यतः दो पाठ्यक्रम संचालित करता है। मास्टर ऑफ़ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) और बैचलर ऑफ़ कंप्यूटर एप्लीकेशन (बीसीए)। दोनों ही कोर्स पूरी तरह रेगुलर, प्रैक्टिकल बेस्ड और रोजगारपरक है। बीसीए 3 वर्षीय पाठ्यक्रम है जिसके लिए योग्तया 12 वीं और एमसीए के लिए बीसीए की डिग्री अनिवार्य है। डिपार्टमेंट के बीसीए और एमसीए छात्र गूगल इंडिया द्वारा चलाये जाने वाले इंटर्नशिप कार्यक्रम में शामिल है। कोविड के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं में बेहतरी और मरीजों की सुविधा के लिए यहाँ के स्टूडेंट्स ने ऑनलाइन ओपीडी व्यवस्था COVID OPD एप्लीकेशन निर्माण किया है। यहाँ के एमसीए स्टूडेंट्स ने मिलकर अपनी एक कंपनी “आईटी सोल्युशन कंपनी” का निर्माण किया है। यह सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय से निबंधित है। विश्वविद्यालय के प्लेसमेंट सेल के सहयोग से डिपार्टमेंट ऑफ़ सीएस एंड आईटी के स्टूडेंट (बीटेक कंप्यूटर साइंस) अंकित सिंह ने कैंपस ड्राइव के दौरान जारो टॉपस्कॉलर्स लिमिटेड में जॉब प्राप्त किया है। हैकेथॉन जैसे प्रतियोगिताओं में स्टूडेंट्स ने हमेशा बेहतर परिणाम दिया है। अगर आप की इच्छा बीसीए और एमसीए करने के बाद कंप्यूटर और सूचना तकनीक के क्षेत्र में कैरियर बनाने की है।आईटी इंडस्ट्री और स्टार्टअप्स से जुड़ने की है तो झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी, रांची देता है आपको सीखने, खुद को गढ़ने और करियर को नई उचाईयों पर ले जाने का अवसर ।