किसी देश की अर्थव्यवस्था का आंकलन उस देश की खेती-किसानी की स्थिति से होता है। देश की 70% जनसंख्या तो रोजगार के क्षेत्र में खेती-किसानी से ही जुड़ी है। कृषि में भी आधुनिकता आई है, नवीन तकनीकों का प्रसार हुआ है। इन सब के बावजूद भी आज इस क्षेत्र में युवा शक्ति की कमी है यानि युवाओं के लिये यहां कॅरियर की अथाह सम्भावना है। खास तौर से अध्ययन और स्वरोजगार के क्षेत्र में विशेष सम्भावना है। अगर आप 12वीं क्लास पास कर चुके हैं और सोच रहे हैं कि किस क्षेत्र में करियर बनाएं तो कृषि का क्षेत्र आपके लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। कृषि के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए छात्र डिप्लोमा, ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी कर सकते हैं।
बीएससी-एग्रीकल्चर कोर्स से जुड़ी जानकारी:
12 वीं के बाद कृषि में स्नातक 4 साल का कोर्स है, जिसको बीएससी-एग्रीकल्चर/ बीएससी–एग्रीकल्चर (ऑनर्स) कोर्स कहते हैं। इस कोर्स को प्रोफेशनल कोर्स की भी मान्यता है। इसके लिए योग्यता 12 वीं में एग्रीकल्चर या बायोलॉजी से उतीर्ण होना है। बीएससी-एग्रीकल्चर कोर्स में हम एग्रीकल्चर के विभिन्न विषयों का अध्ययन वैज्ञानिक पद्धति से करते हैं, जिसमे सेमेस्टर प्रणाली की भूमिका महत्वपूर्ण है।इस दौरान समस्त एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी के विषयों पर गहन अध्ययन, प्रायोगिक और सैद्धांतिक रूप से जानकारी प्राप्त कि जाती है।
कृषि की पढ़ाई करें मिलेंगे कई मौके:
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एग्रीकल्चर के विषय :
फार्म मैनेजमेंट, प्रोडक्शन और प्रोटेक्शन, इकोनॉमिक्स, बायोलॉजिकल साइंसेज, नेचुरल एंड सोशल साइंसेज, इंजीनियरिंग और फ़ूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी । एग्रीकल्चरल फील्ड में बायोलॉजी, कैमिस्ट्री, फिजिक्स, मैथ्स और स्टेटिस्टिक्स के बेसिक प्रिंसिपल्स का भी इस्तेमाल किया जाता है।
कृषि से जुड़े कोर्स:
कृषि में ग्रेजुएशन, पोस्ट-ग्रेजुएशन, पीएचडी, डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट कोर्स उपलब्ध हैं. ग्रेजुएशन के बाद आप सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में बेहतरीन पदों पर जॉब हासिल कर सकते हैं। अगर इस क्षेत्र में कुछ बेहतर करना चाहते हैं तो हायर एजुकेशन के लिए मास्टर्स और पीएचडी करके भविष्य संवार सकते हैं। इसके अलावा हायर एजुकेशन लेने के बाद एजुकेशन के क्षेत्र में करियर बना सकते हैं. लेक्चरर बनकर आप भविष्य बना सकते हैं. वहीं, आप इस क्षेत्र में रिसर्च करके कृषि वैज्ञानिक बनकर देश की तरक्की में अपना अहम योगदान दे सकते हैं।
एमएससी एग्रीकल्चर करें और अनुसंधान को बढ़ावा दें :
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कृषि क्षेत्र की कुछ प्रमुख नौकरियां:
हमारे देश में एग्रीकल्चरल फील्ड में समुचित ट्रेनिंग लेने के बाद बतौर सरकारी और निजी कृषि कर्मचारी जैसे फार्म मैनेजर, सुपरवाइजर, सॉइल साइंटिस्ट, एंटोमोलॉजिस्ट, पैथोलोजिस्ट, हॉर्टिकल्चरिस्ट, एग्रोनोमिस्ट, मौसम वैज्ञानिक, पशुपालन विशेषज्ञ, एग्रीकल्चरल इंजीनियर, एग्रीकल्चरल कम्प्यूटर इंजीनियर, एग्रीकल्चर फ़ूड साइंटिस्ट, एग्रीकल्चर रिसर्च ऑफिसर, एग्रीकल्चर ऑफिसर, प्लांट फिजियोलॉजिस्ट, सर्वे रिसर्च एग्रीकल्चर इंजीनियर, एनवायर्नमेंटल कंट्रोल्स इंजीनियर, माइक्रोबायोलॉजिस्ट, फ़ूड सुपरवाइजर, रिसर्चर, एग्रीकल्चर क्रॉप इंजीनियर, बी कीपर, फिशरी मैनेजर, बोटेनिस्ट, सॉयल इंजीनियर, सॉयल एंड प्लांट साइंटिस्ट, लेब टेक्नीशियन और मीडिया मैनेजर आदि के रूप में रोजगार की प्राप्ति कर सकते हैं। इसके अलावा भी सरकारी और निजी क्षेत्र में विषेशज्ञों की नियुक्तियां होती रहती है।
प्रमुख जॉब प्रोवाइडर:
भारत सरकार व राज्य सरकारों के कृषि से संबद्ध सभी विभाग, आईसीएआर के सभी अनुसंधान केंद्र व स्टेट एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, कृषि विज्ञान केंद्र, स्टेट एग्रीकल्चर रिसर्च स्टेशन, मृदा जाँच केंद्र, राष्ट्रीय बीज निगम, केंद्रीय कृषि पशुपालन मंत्रालय व कृषि विभाग, राज्य कृषि व पशुपालन मंत्रालय व विभाग, जल एवं पर्यावरण मंत्रालय, मौसम विभाग आदि प्रमुख हैं। आज कल युवा नौकरी क जगह अपने स्टार्टअप्स और कृषि से जुड़े बिजनेस को गंभीरता से ले रहे है।
झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी में मिलेट मिशन पर व्याख्यान
झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर ने शनिवार को एक्सपर्ट टॉक का आयोजन किया।”एक्सपेरिएंसेस ऑफ़ ओडिशा मिलेट मिशन एंड मिलेट बिज़नेस अपॉर्चुनिटीज फॉर एंटरप्रेन्योर्स” विषय पर आयोजित टॉक को ओडिशा के आत्मा प्रोजेक्ट के ब्लॉक एग्रीकल्चर ऑफिसर तापस चंद्र रॉय ने संबोधित किया। सर्वप्रथम श्री राय ने मोटे अनाज (मिलेट्स) की चर्चा करते हुए कहा की “मोटे अनाज वाली फसलों जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू को मिलेट क्रॉप कहा जाता है। इसे सुपर फूड भी कहते है, क्योंकि इनमें पोषक तत्व अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में होते हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट क्रॉप वर्ष घोषित किया है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से यह कदम भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल के बाद उठाया गया है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा है कि वर्ष 2023 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिलेट्स का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
बीएससी एग्रीकल्चर में करियर कैसे बनाये?
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उन्होंने अपने संबोधन के दौरान ओडिशा राज्य में इस फसल को लेकर किये गए कार्यों की चर्चा करते हुए बताया की” राज्य में किसानों की शिकायत थी कि मोटे अनाजों की फसलों को सूअर सबसे अधिक बर्बाद करते हैं, किसानों की कड़ी मेहनत के बाद भी उपज घर नहीं आ पाती थी। इससे किसानों ने मोटे अनाज, खासकर बाजरे की खेती छोड़ दी। ओडिशा सरकार ने किसानों की समस्याओं पर गौर किया, बाजरे की मार्केटिंग और ब्रांडिंग की उसका नतीजा अब दिखने लगा है।
मिलेट बिजनेस से कैसे जुड़ें?
बाजरे की खेती और इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए ओडिशा में संचालित ओडिशा मिलेट मिशन देश के एक बेहतरीन अभियानों में से एक है। इससे ओडिशा में बाजरा उत्पादन को काफी गति मिली है। पहले साल उत्पादन में 20-30 क्विंटल की बढ़ोतरी हुई । इसके बाद से सरकार ने इसकी खेती की तरफ ध्यान देना शुरू किया। मार्केटिंग पर जोर देने के लिए उत्पादन बढ़ाया गया। फिर बाजरे की खरीद पर फोकस किया गया। आज राज्य के 1.5 लाख किसान इससे जुड़े हुए हैं और दो लाख हेक्टेयर में इसकी खेती होती है।
एक्सपर्ट टॉक के समापन पर कृषि स्नातक विषय की पढ़ाई कर रहे छात्रों ने सवाल पूछे जिनका जवाब तापस चंद्र रॉय ने विस्तार पूर्वक दिया। धन्यवाद् ज्ञापन विभाग समन्वयक डॉ. नीता केरकेट्टा ने दिया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. नेहा सिंह ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रो. राहुल कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जेईई मेन 2023: अधिसूचना जारी, आवेदन प्रक्रिया शुरू
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने अगले साल होने वाले जेईई मेंस (JEE-Main 2023) काशेड्यूल जारी कर दिया है। जेईई मेन 2023 की परीक्षा दो सत्रों में आयोजित की जाएगी।पहला सत्र जनवरी 2023 में और दूसरा सत्र अप्रैल 2023 में आयोजित किया जाएगा। इन परीक्षाओं में मिली मेरिट रैंक के आधार पर देश के नामचीन इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन मिल सकेगा। इस साल भी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से संयुक्त प्रवेश परीक्षा के आयोजन की जिम्मेदारी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को सौंपी गई है।
बीटेक इन कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग : हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का लिंग्विस्टिक:
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ऑनलाइन आवेदन 15 दिसंबर से 12 जनवरी तक:
एनटीए ने अधिसूचना जारी कर बताया कि पहले सत्र की परीक्षा जनवरी 2023 में होगी। इसके लिए कैंडिडेट्स केवल ऑनलाइन आवेदन 15 दिसंबर, 2022 से 12 जनवरी 2023 तक कर सकते हैं। किसी अन्य मोड में आवेदन पत्र स्वीकार नहीं किए जाएंगे। आवेदन शुल्क (क्रेडिट/डेबिट कार्ड/नेट-बैंकिंग/यूपीआई के माध्यम से) जमा करने की अंतिम तिथि: 12 जनवरी, 2023 को रात 11:50 बजे तक रखी गई है। इंजीनियरिंग दाखिलों के लिए देश की सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के इच्छुक छात्र एनटीए जेईई मेन की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।
बेहतर भविष्य और जॉब की गारंटी माइनिंग इंजीनियरिंग:
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13 भाषाओं में होगी जेईई मेन परीक्षा :
जेईई मेन- 2023 की परीक्षा को 13 भाषाओं में आयोजित किया जाएगा। जनवरी के दूसरे सप्ताह में छात्रों को परीक्षा केंद्र से संबंधित शहरों की जानकारी दे दी जाएगी। वहीं जनवरी के तीसरे सप्ताह में छात्र अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकेंगे।
जेईई मेंस की परीक्षा 25 जनवरी ,27 जनवरी , 28 जनवरी, 29 जनवरी, 30 और 31 जनवरी को आयोजित की जाएंगी।
JEE Main 2023:
जेईई मेन में दो पेपर होंगे, मुख्य संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई मेन) में दो पेपर शामिल होते हैं। पेपर 1 (बीई/बीटेक) है। एनआईटी, आईआईआईटी और अन्य केंद्रीय वित्तपोषित तकनीकी संस्थान (सीएफटीआई), वित्तपोषित/ मान्यता प्राप्त संस्थान/ विश्वविद्यालय में अंडर ग्रेजुएट इंजीनियरिंग प्रोग्राम (बीई/बीटेक) में प्रवेश के लिए आयोजित किया जाता है। वहीं, पेपर 2 के जरिए बी-आर्क और बी-प्लानिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित किया जाता है। इसके अलावा जेईई मेन, जेईई एडवांस्ड के लिए पात्रता परीक्षा भी है, जो कि आईआईटी में प्रवेश के लिए आयोजित की जाती है।
JEE मुख्य परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण तिथियां:
- ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरने की प्रक्रिया : 15 दिसंबर, 2022 से 12 जनवरी, 2023 को सुबह नौ बजे तक
- आवेदन शुल्क (क्रेडिट/डेबिट कार्ड/नेट-बैंकिंग/यूपीआई के माध्यम से) जमा करने की अंतिम तिथि : 12 जनवरी, 2023 को रात 11:50 बजे तक
- परीक्षा केंद्र शहरों की घोषणा : जनवरी 2023 के दूसरे सप्ताह में
- एनटीए की वेबसाइट पर एडमिट कार्ड डाउनलोड के लिए उपलब्धता : जनवरी 2023 का तीसरा सप्ताह
- जेईई मेन परीक्षा के पहले सत्र की तिथियां : जनवरी,24, 25, 27, 28, 29, 30 एवं 31
केंचुआ पालन व्यवसाय से हर महीने करें 25 से 30 हजार रुपए की कमाई
झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी से बीएससी एग्रीकल्चर की पढाई कर रहे विशाल कुमार ने अपनी पहचान खुद गढ़ी है । उनके गाँव वाले उन्हें कृषि उद्यमी के तौर पर पहचानने लगे है। बिहार के गया के टेकारी गांव के रहने वाले विशाल फ़िलहाल रांची में रहकर पढाई करते है। बीएससी एग्रीकल्चर फाइनल ईयर के इस स्टूडेंट ने केंचुआ खाद ( वर्मी कंपोस्ट ) का प्रशिक्षण लेने के बाद उद्यमशील बनकर कार्य करने का फैसला लिया ।
विशाल बताते है ” साल 2021 में कृषि विज्ञान केंद्र, जहानाबाद में आयोजित चार दिवसीय केंचुआ खाद प्रशिक्षण में मुझे शामिल होने का मौका मिला । प्रशिक्षण के बाद केंद्र के वैज्ञानिकों ने मुझे इसके आर्थिक लाभ और बाजार के बारे में अवगत कराया। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद मैं इसमें जुट गया । पहले मैंने 1 बेड (एक क्यारी) से काम शुरू किया और आज 26 बेड से वर्मी कंपोस्ट उत्पादन कर रहा हूँ। ”
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वर्मी कंपोस्ट एक उत्तम जैव उर्वरक है। इसे केंचुआ खाद भी कहा जाता है। यह खाद केंचुआ और गोबर की मदद से बनाई जाती है। इसे लगभग डेढ़ महीने में आसानी से तैयार किया जा सकता है। यह खाद वातावरण को प्रदूषित नहीं होने देती है। इस खाद में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। जो फसलों को तेजी से विकास में मदद करता है और मिट्टी को बेकार नहीं होने देता है। वर्मी कंपोस्ट बनाने की मुख्य तीन विधियां हैं – प्लास्टिक या टटिया विधि ,पिट विधि और बेड विधि।
खेतिहर किसानों के बीच बेड विधि ज्यादा लोकप्रिय है। इस विधि में कई बेड बनाकर वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार की जाती है। शुरुआत में पहले बेड में ही केंचुए डालने की आवश्यकता होती है। एक बेड का खाद बन जाने के बाद केंचुए स्वतः ही दूसरे बेड में पहुंच जाते हैं। इसके बाद पहले बेड से वर्मी कम्पोस्ट अलग करके छानकर भंडारित कर लिया जाता है।
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काम शुरू किये हुए दो वर्ष हो चुके हैं और अब उनके पास केंचुआ खाद को खरीदने वाले 20 गांव के किसान है जो उनकी बनाई कंपनी “फेटिडा आर्गेनिक” से खाद खरीदते है।
केंचुआ खाद और इसके प्रयोग करने से मिट्टी को पहुँचने वाले लाभ से अवगत कराने में मुझे शुरुवाती दिनों में थोड़ी दिक्कत हुई लेकिन फिर मेरे द्वारा बनाये गए किसानों के विडियो क्लिप्स जिसमें किसानों ने इसके प्रयोग को लेकर अपनी सकारात्मक राय दी थी वह बेहद उपयोगी साबित हुई । इसके बाद मेरे पास खाद के आर्डर भी ज्यादा आने लगे और मैंने फेटिडा आर्गेनिक नाम से अपनी एक कंपनी भी बना ली ।
केंचुआ खाद उत्पादन में लागत और बिक्री के बारे में पूछने पर बोलते हुए विशाल कहते है “एक बेड तैयार करने में 2200 से 2300 रुपए की लागत आती है। और लाभ प्रति बेड 2000 रूपए हो जाता है।
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भविष्य से जुड़े गए सवालों पर जवाब देते हुए विशाल कहते है ” अगले कुछ महीनों में मेरी पढाई पूरी हो जायेगी फिर मैं पूरा ध्यान अपने स्टार्टअप पर दूंगा। केंचुआ खाद की बिक्री मुझे उत्साहित करती है अब मैंने अपना ध्यान पपीते की खेती की तरफ डाला है। रेड लेडी पपीते की नस्ल 786 के 400 पौधे मैंने खेतों में लगाया हैं । किसानों को साल भर नियमित आय प्राप्त हो इसके लिए एक मॉडल खेती तकनीक को तैयार करने पर काम कर रहा हूँ । मैं अपने स्टार्टअप , खाद की बिक्री और बाजार खोजने की जगह ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुँच कर इसके बदलावों से अवगत करने का काम करता रहता हूँ। इससे मुझे नया बाजार भी मिलता है और किसानों के पास तकनीक और जानकारी भी पहुँचती है।जैविक खेती को बढ़ावा देना और मिट्टी संरक्षण मेरा लक्ष्य है”
ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव(रॉवे) : बीएससी एग्रीकल्चर की डिग्री के साथ रूरल डेवलोपमेन्ट का प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का आंकलन उस देश की खेती-किसानी की स्थिति से होता है। एग्रीकल्चर का नाम सुनते ही आज की आधुनिक पीढ़ी के मन में गाँव के कामधाम का चित्रण सामने आता है परन्तु वास्तविकता यह है कि देश की 70 % जनसंख्या तो रोजगार के क्षेत्र में खेती-किसानी से ही जुड़ी है।
पिछले छह दशक से इस कार्य में युवाओं ने इसके गहन अध्ययन, शोध व प्रयोग में बतौर कृषि कर्मचारी के रूप में हाथ बटाएं हैं, जिससे कृषि में भी आधुनिकता आई है, नवीन तकनीकों का प्रसार हुआ है।
इन सब के बावजूद भी आज इस क्षेत्र में युवा शक्ति की कमी है यानि युवाओं के लिये यहां कॅरियर की अथाह सम्भावना है। खास तौर से अध्ययन और स्वरोजगार के क्षेत्र में विशेष सम्भावना है।
कक्षा 12 के बाद कृषि में 4 साल का कोर्स है, जिसको बीएससी-एग्रीकल्चर/बीएससी–एग्रीकल्चर (ऑनर्स) का कोर्स कहते हैं, साथ ही इस कोर्स को प्रोफेशनल कोर्स की भी मान्यता है। इसके लिये छात्र कक्षा 11 या 12 में एग्रीकल्चर या बायोलॉजी से उतीर्ण होना आवश्यक है।
इस चार साल के एग्रीकल्चरल साइंस के कोर्स में हम एग्रीकल्चर के विभिन्न विषयों का अध्ययन वैज्ञानिक पद्धति से क्रमबद्ध रूप से करते हैं, जिसमे सेमेस्टर प्रणाली (छ: माह का एक सेमेस्टर) की भूमिका होती है। उस दौरान समस्त एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी के सभी विषयों पर गहन अध्ययन, प्रायोगिक और सैद्धांतिक रूप से होता है।
अध्ययन का अंतिम वर्ष प्रायोगिक रूप से महत्वपूर्ण वर्ष है। इसमें कृषि, किसान,समाज, गाँव और खेत खलिहान से जुड़ी सामाजिक और व्यवहारिक जानकारियों से विद्यार्थियों को रूबरू होना पड़ता है।
ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (RAWE) कार्यक्रम अंतिम वर्ष की एक प्रमुख गतिविधि है। कृषि स्नातकों के पेशेवर कौशल का सम्मान करके उनमें आत्मविश्वास पैदा करना एवं आईसीएआर द्वारा स्नातक स्तर पर रावे को शुरू करने का प्रमुख उद्देश्य है। पूरे कार्यक्रम को आठ मॉड्यूल में विभाजित किया गया है जिसके माध्यम से छात्रों को कृषि और ग्रामीण विकास में वर्तमान और उभरते अवसरों और चुनौतियों से अवगत कराया जाता है। फार्म प्लानिंग, वाटरशेड डेवलपमेंट प्रोग्राम, एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम, रिसर्च स्टेशन और केवीके प्रशिक्षण और विलेज स्टे छात्रों को इन रणनीतिक क्षेत्रों का व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किए गए मुख्य मॉड्यूल हैं।इसके अलावा छात्रों को कृषि और ग्रामीण विकास में वर्तमान और उभरते अवसरों और चुनौतियों से अवगत कराया जाता है। फार्म योजना, वाटरशेड विकास कार्यक्रम, उद्यमिता विकास कार्यक्रम, कृषि क्लीनिक, कृषि भवन प्रशिक्षण, अनुसंधान स्टेशन और केवीके प्रशिक्षण, एनजीओ प्रशिक्षण और विलेज स्टे छात्रों को इन रणनीतिक क्षेत्रों का व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किए गए मुख्य मॉड्यूल हैं। ग्रामीण प्रवास के दौरान, छात्र एक पखवाड़े के लिए ग्रामीण परिवारों के साथ रहते हैं, जो किसानों को फिर से खोजने का एक दुर्लभ अवसर प्रदान करता है।
प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने के अलावा, रावे मॉड्यूल छात्रों की मानसिकता, दृष्टिकोण, व्यक्तित्व लक्षण, प्रबंधकीय और उद्यमशीलता कौशल में सकारात्मक बदलाव लाते हैं।
यह बदलाव विद्यार्थियों के लिए सोशल वर्क,एनजीओ, ग्राम विकास जैसे क्षेत्रों की तरफ भी आकर्षित करता है जहां भरपूर अवसर मौजूद हैं। कृषि एवं समाज कार्य इन दोनों ही क्षत्रों में असीम अवसर है।
झारखंड की राजधानी रांची में अवस्थित झारखंड राय यूनिवर्सिटी अपने नामकुम स्थित स्थायी कैम्पस राजा उलातु में बीएससी एग्रीकल्चर (ऑनर्स) 4 वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम के लिए एक विश्वसनीय नाम है । यहाँ कृषि स्नातक की पढ़ाई करने वाले छात्रों को मिलता है विश्व स्तरीय हाइड्रो फोनिक्स तकनीक में प्रशिक्षण और प्रमाणपत्र के साथ 4 वर्षीय बीएससी एग्रीकल्चर ऑनर्स की डिग्री। झारखंड राय विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित हाइड्रो फोनिक्स पोली हाउस उत्तर भारत का एकलौता, उन्नत पोली हाउस है। यह पूरी तरह ऑटोमेटिक तकनीक से संचालित है जिसमें बिना मिट्टी के पानी और सूर्य की रोशनी की सहायता से पौधों का नैसर्गिक वृद्धि कराया जाता है।
विश्वविद्यालय के नामकुम स्थित स्थायी कैंपस में 20 एकड़ भूमि पर कृषि कार्य किया जाता है जिसमें छात्रों की सीधी भागीदारी होती है । कैंपस में औषधीय पौधों के साथ फूलों की खेती कों बढ़ावा दिया जाता है। सीनियर फेकल्टी के नेतृत्व में फार्म मैनेजर के द्वारा नियमित छात्रों को पेड़- पौधों और फसलों में होने वाले बदलावों से अवगत कराने का कार्य किया जाता है।
झारखण्ड राय विश्वविद्यालय में सैधांतिक समझ के साथ साथ प्रैक्टिकल एडुकेशन पर ज्यादा जोर दिया जाता है। पढाई के 4 वर्षों के दौरान छात्रों कों मेंटरशीप प्रोग्राम से जोड़ कर इन्डस्ट्रीयल टूर, रूरल एग्रीकल्चर एक्सटेंशन वर्क एक्सपीरिएंस, एडुकेशनल टूर, फार्म विजिट, सेमिनार, वर्कशॉप, गेस्ट लेक्चर, ऑफ लाइन और ऑनलाइन शिक्षा, लाइफ स्किल ट्रेनिंग देकर इंडस्ट्री रेडी बनाया जाता है । सफलतापूर्वक पढाई पुरी करने पर यूनिवर्सिटीप्लेसमेंट सेल इन्हें नौकरी प्राप्त करने में भी सहायता प्रदान करता है।यूनिवर्सिटी ने स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए कैम्पस में इनोवेशन सेल और लैब भी स्थापित किया है।यूनिवर्सिटी के कई छात्र कृषि क्षेत्र में खुद का उद्यम स्थापित करके अपने और दूसरों की आजीविका का प्रबंध कर रहे हैं।
TOP TEN Career Opportunities in the field of Agriculture Sciences
Agriculture is as old as human civilization. The Indian economy is heavily dependent on Agriculture as it contributes to 16.5% of India’s gross domestic product (GDP) and employs the largest (43%) of the Indian workforce. Over the years, India has undergone a quantum shift from basic farming to more efficient, sustainable, and productive farming.
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More importantly, with the growing population and rise in urban and rural income there is a huge demand for food, making it critical to have a modern system of agricultural education that can produce highly skilled and competent manpower to address the challenging tasks of catering to the industry requirements.
Some interesting facts about Indian agricultural Industry:
- India has 20 agri-climatic regions and presence of all 15 major climates, encouraging cultivation of variety of different crops across the world
- India possesses 46 of the 60 soil types in the world.
- India has the 10th largest arable land resource in the world
- India is one of the largest producers of vegetables, fruits and flowers in the world
- India is the largest producer of milk, second-largest of sugar & leading producer of coconut and spices. The spice market in India is valued at INR 40,000 crore (USD 5.87 billion) annually
- Organic food is the next big thing and India ranks first in number of organic farmers and ninth in terms of area under organic farming
- In 2019, India was the 9th largest exporter of agricultural products and the total value of exported agricultural products stood at $ 37.4 billion.
- India’s agriculture technology can grow to $24.1 billion in 5 years
- The current market size of agri-tech, including AI-based agri innovation start-ups in India, is nearly worth $ 204mn.
- 2018 saw an inflow of over $1 bn in startups in India in agriculture
What a career in Agriculture can offer
Backed by Government initiatives like “Aatmanirbhar Bharat” & “Make in India” along with growing private sector investment, the overall scenario of agriculture as an industry has undergone a huge change in the past decade. As a result, agricultural education in India has also transformed & become responsive to the growing and changing needs of the society in general and aspirations of the farming community in particular. Let us discuss the exciting emerging career opportunities for aspirants in this field.
Here are the TOP TEN Career opportunities in the field of agriculture Sciences:
Agricultural engineering: There is a growing demand for agriculture engineers in India in both Govt. & private sector. Agricultural engineering is the branch of engineering that applies engineering science disciplines and technology practices to the efficient production and processing of food, feed, fiber and fuels. Agriculture Students can become agriculture engineer, agriculture inspector, agriculture specialist, farm manager, agronomist etc.
Top Employers: ICAR, FCI, ITC, Nestle, NABARD, Amul, CSIR, and Mother Dairy etc.
Food Processing: The Indian food retail market is expected to reach INR 61 lakh crore (US$ 894.98 billion) by 2020. The Indian food processing industry accounts for 32 per cent of the country’s total food market, one of the largest industries in India and is ranked fifth in terms of production, consumption, export and expected growth. There are various opportunities like Food Technologist, Research Scientist, Engineers and Bio-chemists etc. which can be explored.
Top Employers: Parle Agro, ITC Foods, Britannia, LT Foods, KRBL, Venky’s India, MTR Foods etc.
Horticulture: The field of horticulture holds ample scope both nationally and internationally. Horticulturists can find jobs in institutes of horticulture, in plantations, vegetable farms as well as fruit groves. Advancement in horticultural technology, increasing product demands and a growing export industry makes this a lucrative career option. Horticulture jobs include positions like project manager, landscape designer, horticulturist, pomologist, agriculture inspector, floriculturist, irrigation manager etc.
Top Employers: Adama India, Mcleod Russel India Ltd, Jain Irrigation Systems Ltd, Goodricke Group Ltd etc.
Forestry: As we all know that forest is a very important part of an ecosystem. Therefore, management of forest is required and is done by the foresters (forest professionals).The career opportunities are available in both public as well as in private sector. The public sector jobs includes work in zoological parks, wildlife ranges, Forest Dept., National Parks & sanctuaries etc.
Top Employers: Indian Council of Forestry Research and Education (ICFRE) and its affiliated institutes, AECOM India, IIFM etc.
Dairy Farming: India is the largest milk producer and the second largest milk products producer in the world leading to a plethora of career opportunities in dairy farming in the country.
Employment opportunities exist in both government and private sectors. The National Dairy Development Board (NDDB) is a key PSU in the field, however, with almost every state aping Amul’s ‘cooperative’ success, employment opportunities have increased manifold for technologists and managers, both in production and marketing. Entry of multinational giants like Nestle, Cadburys, Britannia, Kellogg’s, Heritage Foods, KFC, HUL, etc. has given a further boost to job opportunities.
Top Employers: Amul, Mother Dairy, Heritage Foods, Cadburys, KSE, Parag Foods etc.
Aquaculture: With its long coastline with rich biodiversity, India is the fourth largest producer of fish in the world offering great scope for Fisheries and aquaculture. Many career options exist in this field in both public and private sectors like Manager – aquaculture, Manager-fisheries, Culturist, consultant, technical staff etc.
Top Employers: BMR Group, Goldmarine Exports, Abad Fisheries, Avni Foods etc.
Poultry Farming: Growing demand for a low priced source of protein-rich nutrients, provided by eggs and chickens has led to a 20% annual growth to the Indian Poultry farming industry. Jobs from the sector can be taken up in various hatcheries, veterinary hospitals, pharmaceutical concerns, feed millers, and feed production companies.
Top Employers: Godrej Agrovet, Suguna Foods, Venkateshwara Hacheries etc.
Sericulture: The word ‘sericulture’ is derived from the Greek word ‘sericos’ which means ‘silk’ and the English word ‘culture’ meaning ‘rearing’. Sericulture refers to the conscious mass-scale rearing of silk producing organisms to obtain silk. India has the unique distinction of being the only country producing all the five kinds of Silk- Mulberry, Eri, Muga, Tropical Tasar and temperate (oak) Tasar. The job prospects comprise of sericulturist, serìculture Research, sericulture assistant, sericulture Inspector and supervisor etc.
Top Employers: State/District Khadi Boards, NABARD, Krishi Vigyan Kendra etc.
Research Science & Communication: You can pursue a career in research and communication as an agricultural researcher or a journalist. You can drive innovation for improving agricultural yields and sustainable production.
Top Employers: Indian Agriculture Research Institute, ICAR, Farmioc etc.
Agri-Entrepreneurs: According to a study by FICCI, agricultural start-ups are growing at 25 per cent Y-O-Y basis offering technological solutions for helping the Indian farm sector in keeping the food and farm supply. A large number of entrepreneurs in the country have turned entrepreneurs and have become quite successful.
Top Agri-Entrepreneurs: Agro Star, EM3 agri Services, Ninjacart, Crofarm, Farm Taaza, Cropln, Ugaao etc.
Exploring Horticultural Nursery as Profitable Enterprise in Eastern India
Speaker: – Dr. Mahesh Kumar Dhakar
Fruit Scientist, ICAR RCER, FSRCHPR, Ranchi, Jharkhand
Date: June 30, 2020
Time: 11:00 am
Platform: Google Meet
Organized by Department of Agriculture, JRU
Live Session: INTERNATIONAL YOGA DAY
Instructor: Priya Bhatia
Govt. Certified Yoga Instructor
Date: 21 June, 2020
Time: 4:00 pm
Platform: Zoom App
Zoom Meeting ID: 824 4556 3318
Password: 967340
Note : Please wear loose comfortable clothes & finish your lunch latest by 2:00 pm
Organized by Jharkhand Rai University, Ranchi
Evolving Role of Management Graduates Post COVID : A Corporate Perspective
Speaker: Capt. Kumar Devashish Founder & CEO – 3S Consultants, ISDG Research Foundation, Ex Chief Minister Fellow (Chhattisgarh), Ex Master Mariner
Speaker: Dr. Abhishek Pratap
Assistant Professor, Jharkhand Rai University, Ranchi
Date: 16 June, 2020
Time: 12:00 – 1:00 pm
Platform: Webex
Whatsapp link National Webinar Day 2 Voc:
Whatsapp link National Webinar Day 2 Arts:
Multifunctional of Agroforestry System in India
Speaker: Dr. Vikash Kumar
Best Ph.D thesis Award, ASRB, NET (ICAR), 2013-19
Assistant Professor, Vivekananda Global University, Jaipur, India
Date: 14 June, 2020
Time: 11:00 am
Platform: Zoom Meeting
Organized by Department of Agriculture, Jharkhand Rai University, Ranchi