केंचुआ पालन व्यवसाय से हर महीने करें 25 से 30 हजार रुपए की कमाई

झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी से बीएससी एग्रीकल्चर की पढाई कर रहे विशाल कुमार ने अपनी पहचान खुद गढ़ी है । उनके गाँव वाले उन्हें कृषि उद्यमी के तौर पर पहचानने लगे है। बिहार के गया के टेकारी गांव के रहने वाले विशाल फ़िलहाल रांची में रहकर पढाई करते है। बीएससी एग्रीकल्चर फाइनल ईयर के इस स्टूडेंट ने केंचुआ खाद (वर्मी कंपोस्ट) का प्रशिक्षण लेने के बाद उद्यमशील बनकर कार्य करने का फैसला लिया।

Agriculture Strip-Admission Open 2024

विशाल बताते है ” साल 2021 में कृषि विज्ञान केंद्र, जहानाबाद में आयोजित चार दिवसीय केंचुआ खाद प्रशिक्षण में मुझे शामिल होने का मौका मिला । प्रशिक्षण के बाद केंद्र के वैज्ञानिकों ने मुझे इसके आर्थिक लाभ और बाजार के बारे में अवगत कराया। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद मैं इसमें जुट गया । पहले मैंने 1 बेड (एक क्यारी) से काम शुरू किया और आज 26 बेड से वर्मी कंपोस्ट उत्पादन कर रहा हूँ। ”

https://www.jru.edu.in/dedicated-agriculture-land/

वर्मी कंपोस्ट एक उत्तम जैव उर्वरक है। इसे केंचुआ खाद भी कहा जाता है। यह खाद केंचुआ और गोबर की मदद से बनाई जाती है। इसे लगभग डेढ़ महीने में आसानी से तैयार किया जा सकता है। यह खाद वातावरण को प्रदूषित नहीं होने देती है। इस खाद में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। जो फसलों को तेजी से विकास में मदद करता है और मिट्टी को बेकार नहीं होने देता है। वर्मी कंपोस्ट बनाने की मुख्य तीन विधियां हैं – प्लास्टिक या टटिया विधि ,पिट विधि और बेड विधि।

खेतिहर किसानों के बीच बेड विधि ज्यादा लोकप्रिय है। इस विधि में कई बेड बनाकर वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार की जाती है। शुरुआत में पहले बेड में ही केंचुए डालने की आवश्यकता होती है। एक बेड का खाद बन जाने के बाद केंचुए स्वतः ही दूसरे बेड में पहुंच जाते हैं। इसके बाद पहले बेड से वर्मी कम्पोस्ट अलग करके छानकर भंडारित कर लिया जाता है।

Click for Fee Structure

https://www.jru.edu.in/fully-automated-polyhouse/

काम शुरू किये हुए दो वर्ष हो चुके हैं और अब उनके पास केंचुआ खाद को खरीदने वाले 20 गांव के किसान है जो उनकी बनाई कंपनी “फेटिडा आर्गेनिक” से खाद खरीदते है।

केंचुआ खाद और इसके प्रयोग करने से मिट्टी को पहुँचने वाले लाभ से अवगत कराने में मुझे शुरुवाती दिनों में थोड़ी दिक्कत हुई लेकिन फिर मेरे द्वारा बनाये गए किसानों के विडियो क्लिप्स जिसमें किसानों ने इसके प्रयोग को लेकर अपनी सकारात्मक राय दी थी वह बेहद उपयोगी साबित हुई । इसके बाद मेरे पास खाद के आर्डर भी ज्यादा आने लगे और मैंने फेटिडा आर्गेनिक नाम से अपनी एक कंपनी भी बना ली ।

केंचुआ खाद उत्पादन में लागत और बिक्री के बारे में पूछने पर बोलते हुए विशाल कहते है “एक बेड तैयार करने में 2200 से 2300 रुपए की लागत आती है। और लाभ प्रति बेड 2000 रूपए हो जाता है।

https://www.jru.edu.in/programs/department-of-agriculture-2/m-sc-agriculture/

भविष्य से जुड़े गए सवालों पर जवाब देते हुए विशाल कहते है ” अगले कुछ महीनों में मेरी पढाई पूरी हो जायेगी फिर मैं पूरा ध्यान अपने स्टार्टअप पर दूंगा। केंचुआ खाद की बिक्री मुझे उत्साहित करती है अब मैंने अपना ध्यान पपीते की खेती की तरफ डाला है। रेड लेडी पपीते की नस्ल 786 के 400 पौधे मैंने खेतों में लगाया हैं । किसानों को साल भर नियमित आय प्राप्त हो इसके लिए एक मॉडल खेती तकनीक को तैयार करने पर काम कर रहा हूँ । मैं अपने स्टार्टअप , खाद की बिक्री और बाजार खोजने की जगह ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुँच कर इसके बदलावों से अवगत करने का काम करता रहता हूँ। इससे मुझे नया बाजार भी मिलता है और किसानों के पास तकनीक और जानकारी भी पहुँचती है।जैविक खेती को बढ़ावा देना और मिट्टी संरक्षण मेरा लक्ष्य है”