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क्विज ओ कोड 1.0 का समापन – झारखण्ड राय विश्वविद्यालय

झारखण्ड राय युनिवर्सिटी, रांची में डिपार्टमेंट ऑफ़ कंप्यूटर साइंस एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी ने क्विज प्रतियोगिता क्विज ओ कोड 1.0 का आयोजन किया. प्रतियोगिता में 10टीमों ने भाग लिया।

प्रतियोगिता को तीन भागों में आयोजित किया गया था जिनके नाम मेंटल हैक, एरर टेरर और अल्गो क्राफ्ट था. प्रतियोगिता में शामिल होने वाली टीमों के नाम इस प्रकार थे – विंडोस, डॉस,लिनक्स,उबंटू, मैक ,एंड्राइड ,यूनिक्स ,सोलारिस, फेडोरा और आईओएस।

क्विज ओ कोड 1.0 की विजेता रहने वाली टीम इस प्रकार रही – क्विज प्रतियोगिता मेन्टल हैक की विजेता टीम रही विंडोज जिसमे शिवानी कुमारी- सपना कुमारी -वारुणी मिश्रा और आयुष्मान शमित थे। वहीँ अलगो क्राफ्ट की विजेता टीम रही एंड्राइड जिसमे – मिथुन कुमार – फरहा अंजुम- चन्दन मोदी थे। एरर टेरर के विजेताओं के नाम इस प्रकार है- आयुष्मान – बबलू कुमार और राकेश कुमार।

प्रतियोगिता का शुभारंभ युनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. पीयूष रंजन ने लाइटिंग कैंडल के जरिये किया यह कैंडल इलेक्ट्रॉनिक लाइट्स का बना हुआ था जिसे मोबाइल के जरिये ऑपरेट किया गया. अपने संबोधन में डॉ. रंजन ने कहा की “इनोवेशन हर कही है और इसे किसी भी रूप में अपनाया जा सकता है। डिपार्टमेंट ऑफ़ कंप्यूटर साइंस एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी का यह प्रयास बेहद सराहनीय है इस प्रयास को इंटर यूनिवर्सिटी लेवल तक ले जाने की जरुरत है। क्विज ओ कोड १.० के जरिये कंप्यूटर साइंस और आई टी से जुड़े कॉलेज स्टूडेंट्स को एक प्लेटफार्म मिलेगा अपनी प्रतिभा को दिखाने का और कुछ नया सिखने का भी. ”

क्विज प्रतियोगिता के सफल सञ्चालन में प्रो. अनुराधा शर्मा , प्रो. अमरेंद्र की भूमिका रही। स्टूडेंट्स वॉलेंटियर्स राजेश , शयाम, नंदिता, मुस्कान, शशिकांत, दीक्छा और विनीत का सहयोग रहा।

(Story written by Prof. Prashant Jaiwardhan)

IBTESHAM SUCCESS STORY STUDENT JRU 2

अपने जीवन की कहानियाँ सुनाकर बनायीं अलग पहचान : इब्तेशाम

इब्तेशाम श्रीन झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी रांची में एमबीए सेकंड ईयर की स्टूडेंट है. हाल ही में इन्हे कोलकाता में आयोजित फिल्म फेस्टिवल में स्टोरी टेलिंग के लिए पुरस्कृत किया गया था।

इब्तेशाम की कहानी हमने उनसे ही सुनी। उसने अपनी कहानी कुछ यूँ बयां की “मेरा जन्म एक माध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था जहां जेंडर को लेकर प्राचीन मान्यतायें थी.”

“बचपन से ही पढ़ने में मेरी रूचि थी और मैं पढ़ने में तेज भी थी. वह दिन मुझे आज भी याद है जिन दिन मेरे 10 वीं के रिजल्ट आने वाले थे, मैं उत्सुक भी थी और नर्वस भी.”

“रिजल्ट के दिन सुबह के समय मेरे अब्बू दौड़ते हुए आये उनके हाथ में अखबार था उसमे मेरी फोटो छपी थी मैंने अपने स्कूल में टॉप किया था। मुझे लगा जैसे मैंने दुनिया जीत लिया हो.”

“मैंने अपने पापा से कहा मैं अपनी आगे की पढ़ाई किसी अच्छे स्कूल से करना चाहती हूँ.”

“उन्होंने मुझसे कहा तुम परिवार में एकलौती नहीं हो हमें तुम्हारे भाई को भी पढ़ना है.”

“मैंने कहा आप परेशान न हों मैं अपनी पढ़ाई का सारा खर्च खुद उठाउंगी पापा तैयार हो गए. मैंने कड़ी मेहनत करते हुए बच्चों को ट्यूसन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्च उठाया.”

IBTESHAM SUCCESS STORY STUDENT JRU 1

“मैं अच्छे नंबरों से पास भी हुयी लेकिन परेशानियाँ अभी ख़त्म नहीं हई थी। अच्छे नंबरों के साथ साइंस स्ट्रीम में मैंने एग्जाम पास किया था और अब इंजीनियरिंग करना चाहती थी.

पापा ने कहा ” तुम लड़की हो” परिजन मेरे पिता से कहने लगे “इसे बाहर पढ़ने मत भेजिए ये लड़की है ” मैं पूरी तरह टूट चुकी थी।

काफी जदोजहद के बाद मुझे दादी के घर पढ़ने के लिए भेजा गया जमशेदपुर, “वहां मैं सुरक्षित थी.” मैंने यहीं अपना ग्रैजुएशन पूरा किया एक छोटे से कॉलेज से जिसकी मैं टॉपर थी. यह मेरे लाइफ की दूसरी अचीवमेंट थी.

मेरी इस सफलता ने मेरे परिवार के सोचने का नजरिया बदल दिया। मुझे पढ़ाने में परिवार का सहयोग मिलने लगा और मेरी वजह से उनको एक गौरव का अनुभव भी हुआ।

इसके बाद मैंने झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी रांची से मास्टर ऑफ़ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) करने का फैसला लिया। मेरे पिता ने मेरे इस फैसले पर कहा था “तुम एक दिन एक अच्छी मैनेजर बनोगी मुझे ये विश्वास है.” एक लड़की होने के कारण मुझे इतनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.

राय यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना और एमबीए की पढ़ाई करना एक उचित फैसला साबित हुआ. फैकल्टी, फ्रेंड्स यूनिवर्सिटी कल्चर, ऐकडेमिक सेशन और यहाँ की एक्स्ट्रा एक्टिविटी ने मुझमे नया उत्साह भरा.

हर साल होने वाले बिज़ क्विज ,बिज़ स्प्री और कल्चरल इवेंट्स में मेरा शामिल होना मुझे कुछ नया करने की प्रेरणा दे रहा था. फिर वह दिन आया जब मेरा सेलेक्शन स्टोरी टेलिंग कम्पीटीशन के लिए हुआ और मुझे कोलकाता जाना था.

मेरा चयन जेंडर बेस्ड वायलेंस पर अमेरिकन सेंटर कोलकाता में आयोजित एक महोत्सव के लिए हुआ था जिसके लिए मैंने एजुकेशन टॉपिक चुना था। मेरा चयन मेरे लिखने के स्टाइल के कारण किया गया था, इससे पहले दो ऑनलाइन सेशन भी किये गए थे. आखिर कार मैं कोलकाता में थी जहाँ पाँच दिन के वर्कशॉप के लिए मुझे सारी सुविधायें मिली जिसमे आने -जाने, रहने और खाने की सुविधा शामिल थी.

इसमें बांग्लादेश,असम, रांची, नागालैंड और कोलकाता के प्रतिनिधि शामिल थे। इस वर्क शॉप के लिए हमारी गाइड थी अमेरिका की “ऐमी हिल” जिन्होंने ने हम सबको जेंडर वायलेंस पर एक शार्ट मूवी बनाने के लिए तैयार किया ये कहानी हमसब की अपनी थी। हमारी अपनी कहानी।

मैंने अपनी कहानी अपनी एजुकेशन के दौरान आयी परेशानियों लेकर बनाया था। मैंने इसे प्रस्तुत भी वैसे ही किया जैसे वो सारी घटनायें फिर से दुहरायी जा रही हो। सबने इसकी सराहना की। वर्कशॉप के आखिरी दिन हम लोगो की बनायीं मूवी को दिखाया गया और हम सभी को प्रमाणपत्र देखर सम्म्मानित किया गया। इस मूवी को सितंबर महीने में आयोजित फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित भी किया गया.

यह अपने आप में एक अनोखा अनुभव था जिसमे सीखने और दुनिया को जानने का भरपूर मौका था. इब्तेशाम की इस प्रतिभा को पहचानते हुए यूनिवर्सिटी ने उसे पहले विमेंस अचीवर अवार्ड(2019) के लिए नामित करते हुए अंतराष्ट्रीय विमेंस डे(8 मार्च) के दिन पुरस्कृत किया।

(Story written by Prof. Prashant Jaiwardhan)

SATRUPA SUCCESS STORY STUDENTS JRU 1

रांची से दिल्ली तक – सतरूपा की कहानी, झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्

सतरूपा भट्टाचार्जी झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी के बीएससी एग्रीकल्चर की एक होनहार स्टूडेंट् है. टीचर्स के बिच इसकी पहचान एक अनुशासित लेकिन काम बोलने वाली शर्मीली छात्रा की है, अपने वयक्तित्व के विपरीत सतरूपा ने कुछ ऐसा किया है जिसके कारण उसकी चर्चा राय यूनिवर्सिटी ही नहीं बल्कि राजधानी रांची के सभी कॉलेजों और यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स और नेशनल सर्विस स्कीम के स्टूडेंट्स के बिच हो रही है. झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट सतरूपा भट्टाचार्जी रांची के सभी सरकारी और निजी विशवविद्यायों में एकलौती स्टूडेंट्स है जिसका चयन रिपब्लिक डे परेड 2019 के लिए किया गया था.

SATRUPA-SUCCESS-STORY

सतरूपा अपनी इस उपलब्धि को बताते हुए कहती है “सेंट्रल जोन के लिए रांची निफ्ट में आयोजित विशेष कैम्प के लिए मेरा चयन किया गया था.15 दिनों के इस कैम्प में एजुकेशन , कल्चरल, योगा, एक्सरसाइज, ग्रुप टास्क और लीडरशिप जैसे कई इवेंट हुए जिसमे सफल होकर मैंने 6 राज्यों के स्टूडेंट्स के बिच खुद को बेस्ट साबित किया और फाइनल सिलेक्शन के दिन दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस परेड के लिए मेरा चयन किया गया. ये मेरे लिए और मेरे यूनिवर्सिटी के लिए एक गौरव की बात है. मेरी इस सफलता के पीछे यूनिवर्सिटी के अकैडमिक कल्चर, एक्स्ट्रा एक्टिविटी, एन एस एस अधिकारी प्रो. धीरज कुमार पांडेय के मार्गदर्शन को जाता है।

SATRUPA SUCCESS STORY STUDENT JRU 3

यहाँ एडमिशन लेककर मैं एग्रीकल्चर के सेक्टर में जॉब करना चाहती थी लेकिन कैम्प में जाकर और कई राज्यों के स्टूडेंट से इंटरैक्ट करते हुए मैंने काफी कुछ सीखा और समझा भी. मेरे देखने और सोचने के नजरिये में काफी बदलाव आया है और यह राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम का प्रभाव है।सतरूपा की इस सफलता को यूनिवर्सिटी ने एक पहचान देने के लिए इस वर्ष के विमेंस अचीवर अवार्ड से उसे सम्मानित किया है.

(Story written by Prof. Prashant Jaiwardhan)