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Agriculture at JRU

बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई के लिए सीमावर्ती राज्य बिहार, बंगाल और ओडिशा के छात्रों को आकर्षित करता झारखण्ड राय विश्वविद्यालय, राँची ।

झारखण्ड राय विश्वविद्यालय, राँची द्वारा संचालित कृषि स्नातक प्रतिष्ठा पाठ्यक्रम(बीएससी इन एग्रीकल्चर ऑनर्स) रोजगारपरक और उद्यमिता से जुड़ा पाठ्यक्रम है। कृषि शिक्षा के प्रति युवाओं रुझान बढ़ा है । इसके पीछे इसमें छिपी भरपूर संभावनाएं है। रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम होने के साथ साथ इस पाठ्यक्रम की मुख्य विशेषता उद्यमिता और स्वरोजगार के लिये भरपूर अवसर सामने आये है। झारखण्ड राय विश्वविद्यालय, राँची द्वारा संचालित कृषि स्नातक प्रतिष्ठा पाठ्यक्रम 4 वर्षीय पाठ्यक्रम है जिसमें झारखण्ड के अलावा बिहार, बंगाल और उडीसा जैसे सीमावर्ती राज्यों के छात्र भी आकार पढ़ाई करते है। सीमावर्ती राज्यों से पढ़ाई करने आने का मुख्य कारण यहाँ कि गुणवत्तापूर्ण और व्यावहारिक तकनिकी शिक्षा पर जोर है। नियमित कक्षा, सेमेस्टर सिस्टम, समय पर परीक्षा और परिणाम का प्रकाशन बाहरी छात्रों कों आकृष्ट करता है।

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विश्वविद्यालय के राँची, नामकुम प्रखंड में स्थायी कैम्पस संचालित है जहाँ 20 एकड़ के भू-भाग पर छात्रों के लिये कृषि कि सैधांतिक पढ़ाई के साथ व्यावहारिक प्रशिक्षण कि व्यवस्था कि गयी है । गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति संकल्पित विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर में अनुभवी शिक्षक पदस्थापित है जिनका इस क्षेत्र में लंबा अनुभव विद्यार्थियों के लिये लाभदायक साबित होता रहा है। विभाग के सभी शिक्षक कृषि विषय में डॉक्टरेट कि डिग्री प्राप्त किये हुए है जो राज्य में संचालित अन्य किसी विश्वविद्यालय या कॉलेज में यदा कदा ही देखने को मिलती है।बीएससी इन एग्रीकल्चर (ऑनर्स) पाठ्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पांचवीं डीन रिपोर्ट कि अनुसंशाओं के अनुसार तैयार कि गयी है ।

सिलेबस में मूल विषय कृषि- वानिकी के साथ लाइफ स्किल और सामाजिक शिक्षा का समावेश किया गया है। विश्वविद्यालय कैम्पस में छात्रों को कृषि की व्यावहारिक जानकारी के तहत 6 महीने के एक्सपेरिमेंटल लीर्निंग प्रोग्राम(ELP) और 6 महीने का रूरल एग्रीकल्चर वर्क एक्सपेरिएंस रावे प्रोग्राम के तहत कार्य करना पडता है यह पुरी तरह आवासीय तकनिकी प्रशिक्षण कार्यक्रम है जिसमें कैम्पस में प्राप्त किये गए व्यवहारिक शिक्षा को गाँव में रहते हुए किसानों के साथ खेतों में जाकर करना होता है। रावे और इएलपी कार्यक्रम दो तरफ़ा संचार प्रक्रिया है जिसमें किसान और विद्यार्थी सामुहिक कृषि कार्य करते हुए एक दुसरे कों सैधांतिक और व्यवहारिक जानकारी से अवगत कराते है ।

विद्यार्थियों कों 4 वर्ष के पाठ्यक्रम दौरान सैधांतिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण और ज्ञान के साथ विभाग द्वारा कृषि बाजार और उपज से जुड़ी समस्याओं से भी अवगत कराने का कार्य किया जाता है। पढ़ाई के दौरान प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद विद्यार्थी विभाग द्वारा आवंटित भूमि पर अपनी पसंद के कृषि कार्य करते है और फिर उसकी बाजार व्यवस्था और बिक्री से जुड़ी समस्याओं का अध्ययन करते हुए फसल से प्राप्त आय और समस्याओं से अवगत भी कराते है ।

झारखण्ड राय विश्वविद्यालय के नामकुम कैम्पस में विश्वस्तरीय हाईड्रोफोनिक्स तकनीक से सुसज्जित लैब स्थापित है जिसमें छात्रों को जल कृषि तकनीक कि जानकारी, प्रशिक्षण और प्रमाणपत्र भी उपलब्ध कराया जाता है।

पाठ्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों को राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) और निगमित सामाजिक दायित्व (CSR) के तहत भी कार्य करने होते है । विश्वविद्यालय के कृषि विभाग से प्रति वर्ष एनएसएस में शामिल विद्यार्थियों में से 3 छात्र और 3 छात्रों का चयन पूर्व गणतंत्र दिवस परेड कैम्प के लिये चयन होता रहा है। कृषि विभाग के विद्यार्थिओं का वर्ष में दो बार अन्य प्रदेशों में एडुकेशनल टूर का आयोजन किया जाता है जिसमें वे देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों, कृषि अनुसंधान केन्द्रों और शोध संस्थानों का भ्रमण करते है और उसपर अपनी रिपोर्ट जमा करते है।

विश्वविद्यालय अपने एकेडमिक कार्यक्रमों के तहत सभी विभागों में नियमित अतिथि व्याख्यान, सेमिनार, वर्कशॉप, इन्डस्ट्री विजिट और विषय से जुड़ी बड़ी हस्तिओं से छात्रों का परिचय कार्यक्रम का आयोजन करता रहता है। विश्वविद्यालय में आयोजित वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता कृषि खेल और वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम गूंज और तरंग के जरिये विद्यार्थी भारतीय कृषि परंपरा से सभी को अवगत कराने का कार्य करते है ।

पढ़ाई शुरू करने के बाद विद्यार्थियों को रोजगार से जोड़ने के लिये कैम्पस प्लेसमेंट कि व्यवस्था भी है विश्वविद्यालय का अपना प्लेसमेंट सेल है जो उन्हें जॉब दिलाने का कार्य करता है। पिछले वर्ष विभाग में 17 प्रतिष्ठित कंपनियों ने आकर छात्रों का चयन किया. इनमें कोरोमंडल इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड, यूपीए, सारदा, पान सिड शामिल है। यहाँ से स्नातक शिक्षा प्राप्त किये छात्र देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहें है और राज्य के साथ विश्वविद्यालय का नाम आगे ले जाने का काम कर रहें है।

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विश्वस्तरीय हाईड्रो फोनिक्स में प्रशिक्षण और सर्टिफिकेट के साथ बीएससी इन एग्रीकल्चर की डिग्री

बीएससी एग्रीकल्चर (ऑनर्स) 4 वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम के लिए झारखण्ड राय विश्व विद्यालय,राँची एक विश्वसनीय नाम है । यहाँ कृषि स्नातक की पढ़ाई करने वाले छात्रों को मिलता है विश्व स्तरीय हाइड्रो फोनिक्स तकनीक में प्रशिक्षण और प्रमाणपत्र के साथ 4वर्षीय बीएससी एग्रीकल्चर ऑनर्स की डिग्री। झारखंड राय विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित हाइड्रो फोनिक्स पोली हाउस उत्तर भारत का एकलौता, उन्नत पोली हाउस है। यह पूरी तरह ऑटोमेटिक तकनीक से संचालित है जिसमें बिना मिट्टी के पानी और सूर्य की रोशनी की सहायता से पौधों का नैसर्गिक वृद्धि कराया जाता है।

विश्वविद्यालय के नामकुम स्थित स्थायी कैंपस में 20 एकड़ भूमि पर कृषि कार्य किया जाता है जिसमें छात्रों की सीधी भागीदारी होती है । कैंपस में औषधीय पौधों के साथ फूलों की खेती कों बढ़ावा दिया जाता है। सीनियर फेकल्टी के नेतृत्व में फार्म मैनेजर के द्वारा नियमित छात्रों को पेड़- पौधों और फसलों में होने वाले बदलावों से अवगत कराने का कार्य किया जाता है।

झारखण्ड राय विश्वविद्यालय में सैधांतिक समझ के साथ साथ प्रैक्टिकल एडुकेशन पर ज्यादा जोर दिया जाता है। पढाई के 4 वर्षों के दौरान छात्रों कों मेंटरशीप प्रोग्राम से जोड़ कर इन्डस्ट्रीयल टूर, रूरल एग्रीकल्चर एक्सटेंशन वर्क एक्सपीरिएंस, एडुकेशनल टूर, फार्म विजिट, सेमिनार, वर्कशॉप, गेस्ट लेक्चर, ऑफ लाइन और ऑनलाइन शिक्षा, लाइफ स्किल ट्रेनिंग देकर इंडस्ट्री रेडी बनाया जाता है । सफलतापूर्वक पढाई पुरी करने पर यूनिवर्सिटीप्लेसमेंट सेल इन्हें नौकरी प्राप्त करने में भी सहायता प्रदान करता है।यूनिवर्सिटी ने स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए कैम्पस में इनोवेशन सेल और लैब भी स्थापित किया है।यूनिवर्सिटी के कई छात्र कृषि क्षेत्र में खुद का उद्यम स्थापित करके अपने और दूसरों की आजीविका का प्रबंध कर रहे हैं।

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एनइपी 2020 : वॉट टू थिंक नहीं हाऊ टू थिंक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हायर एजुकेशन पर हुए कॉन्क्लेव में नई शिक्षा नीति पर कहा है कि अब वॉट टू थिंक नहीं बल्कि हाऊ टू थिंक पर फोकस किया जा रहा है।सरकार ने 30 जुलाई को नई शिक्षा नीति घोषित की थी। इसमें स्कूलों के एडमिनिस्ट्रेशन को लेकर बड़े बदलाव किए गए हैं। ऑनलाइन एजुकेशन को बढ़ावा दिया जाएगा। पढ़ाई के पैटर्न में 10 साल के अंदर धीरे-धीरे बदलाव किए जाएंगे।

https://www.jru.edu.in/blog-post/new-education-policy-2020-approved-after-34-years/

प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की 10 बातें :

  1. बदलाव के लिए पॉलिटिकल विल जरूरी:
    मोदी ने शिक्षा नीति बनाने वाले एक्सपर्ट से कहा कि यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि इतना बड़ा रिफॉर्म जमीन पर कैसे उतारा जाएगा। इस चैलेंज को देखते हुए व्यवस्थाओं को बनाने में जहां कहीं कुछ सुधार की जरूरत है, वह हम सभी को मिलकर करना है। आप सभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में सीधे तौर पर जुड़े हैं। इसलिए आप सब की भूमिका बहुत अहम है।
  2. नेशनल वैल्यूज के साथ लक्ष्य :
    हर देश अपनी शिक्षा व्यवस्था को नेशनल वैल्यूज के साथ जोड़ते हुए और नेशनल गोल्स के अनुसार रिफॉर्म्स करते हुए आगे बढ़ता है, ताकि देश का एजुकेशन सिस्टम वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों का फ्यूचर तैयार कर सके। भारत की पॉलिसी का आधार भी यही सोच है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत की फाउंडेशन तैयार करने वाली है।
  3. नई नीति में स्किल्स पर फोकस:
    21वीं सदी के भारत में हमारे युवाओं को जो स्किल्स चाहिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस पर विशेष फोकस है। भारत को ताकतवर बनाने के लिए, विकास की नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए इस एजुकेशन पॉलिसी में खास जोर दिया गया है। भारत का स्टूडेंट चाहे वो नर्सरी में हो या फिर कॉलेज में, तेजी से बदलते हुए समय और जरूरतों के हिसाब से पढ़ेगा तो नेशन बिल्डिंग में कंस्ट्रक्टिव भूमिका निभा पाएगा।
  4. https://www.jru.edu.in/blog-post/first-green-house-research-center-in-jharkhand-state-located/

  5. इनोवेटिव थिंकिंग पर जोर:
    बीते कई साल से हमारे एजुकेशन सिस्टम में बदलाव नहीं हुए, जिससे समाज में क्यूरोसिटी और इमेजिनेशन की वैल्यू को प्रमोट करने के बजाय भेड़ चाल को बढ़ावा मिलने लगा था। जब तक शिक्षा में पैशन और परपज ऑफ एजुकेशन नहीं हो, तब तक हमारे युवाओं में क्रिटिकल और इनोवेटिव थिंकिंग डेवलप कैसे हो सकती है?
  6. होलिस्टिक अप्रोच की जरूरत :
    बीते कई साल से हमारे एजुकेशन सिस्टम में बदलाव नहीं हुए, उच्च शिक्षा हमारे जीवन को सद्भाव में लाती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का बड़ा लक्ष्य इसी से जुड़ा है। इसके लिए टुकड़ों में सोचने की बजाय होलिस्टिक अप्रोच की जरूरत है।शुरुआती दिनों में सबसे बड़े सवाल यही थे कि हमारी शिक्षा व्यवस्था युवाओं को क्यूरोसिटी और कमिटमेंट के लिए मोटिवेट करती है या नहीं? दूसरा सवाल था कि क्या शिक्षा व्यवस्था युवाओं को एम्पावर करती है? देश में एक एम्पावर सोसाइटी बनाने में मदद करती है? पॉलिसी बनाते समय इन सवालों पर गंभीरता से काम हुआ।
  7. 10+2 से आगे निकले :
    एक नई विश्व व्यवस्था खड़ी हो रही है। एक नया स्टैंडर्ड भी तय हो रहा है। इसके हिसाब से भारत का एजुकेशन सिस्टम खुद में बदलाव करे, ये भी किया जाना बहुत जरूरी था। स्कूल करिकुलम के 10+2 से आगे बढ़ना इसी दिशा में एक कदम है। हमें अपने स्टूडेंट्स को ग्लोबल सिटीजन भी बनाना है, साथ ही ध्यान रखना है कि वे जड़ों से भी जुड़े रहें। घर की बोली और स्कूल में पढ़ाई की भाषा एक होने से सीखने की गति बेहतर होगी।
  8. https://www.jru.edu.in/blog-post/jharkhand-rai-university-ke-11-diploma-students-ka-chayan/

  9. हाउ टू थिंक पर जोर :
    अभी तक की व्यवस्था में वॉट यू थिंक पर फोकस रहा है, जबकि नई नीति में हाऊ टू थिंक पर जोर दिया जा रहा है। हर तरह की जानकारी आपके मोबाइल पर है, लेकिन जरूरी ये है कि क्या जानकारी अहम है। नई नीति में इस बात पर ध्यान रखा गया है। ढेर सारी किताबों की जरूरत को खत्म करने पर जोर दिया गया है। इन्क्वायरी, डिस्कवरी, डिस्कशन और एनालिसिस पर जोर दिया जा रहा है। इससे बच्चों में सीखने की ललक बढ़ेगी। हर छात्र को यह मौका मिलना ही चाहिए कि वह अपने पैशन को फॉलो करे।
  10. रीस्किल-अपस्किल से प्रोफेशन बदल सकेंगे :
    अक्सर ऐसा होता है कि कोई कोर्स करने के बाद स्टूडेंट जॉब के लिए जाता है तो पता चलता है कि जो पढ़ा वो जॉब की जरूरतों को पूरा नहीं करता। इन जरूरतों का ख्याल रखते हुए मल्टीपल एंट्री-एग्जिट का ऑप्शन दिया गया है। स्टूडेंट वापस अपने कोर्स से जुड़कर जॉब की जरूरत के हिसाब से पढ़ाई कर सकता है।
    कोई कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे में एडमिशन लेना चाहे तो यह भी संभव है। हायर एजुकेशन को स्ट्रीम से मुक्त कर देना, मल्टीपल एंट्री और एग्जिट के पीछे लंबी दूरी की सोच के साथ हम आगे आए हैं। उस युग की तरफ बढ़ रहे हैं, जहां कोई व्यक्ति जीवनभर किसी एक प्रोफेशन में नहीं टिका रहेगा। इसके लिए उसे लगातार खुद को रीस्किल और अपस्किल करते रहना होगा।
  11. रिसर्च और एजुकेशन का गैप होगा खत्म :
    कोडिंग पर फोकस हो या फिर रिसर्च पर ज्यादा जोर, ये सिर्फ एजुकेशन सिस्टम ही नहीं, बल्कि पूरे समाज की अप्रोच को बदलने का जरिया बन सकता है। वर्चुअल लैब जैसे कंसेप्ट लाखों साथियों के पास बेहतर शिक्षा को ले जाने वाला है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति रिसर्च और एजुकेशन के गैप को खत्म करने में भी अहम भूमिका निभाने वाली है। आज इनोवेशन और एडेप्शन की जो वैल्यू हम समाज में निर्मित करना चाहते हैं वो हमारे देश के इंस्टीट्यूशंस से शुरू होने जा रही है।
  12. टीचर सीखेंगे तो देश बढ़ेगा :
    भारत का टैलेंट भारत में ही रहकर आने वाली पीढ़ियों का विकास करे, इस पर जोर दिया गया है। टीचर्स ट्रेनिंग पर बहुत फोकस है। आई बिलीव वेन ए टीचर लर्न, ए नेशन लीड। राष्ट्रीय शिक्षा नीति सिर्फ एक सर्कुलर नहीं है, इसके लिए मन बनाना होगा। भारत के वर्तमान और भविष्य को बनाने के लिए यह एक महायज्ञ है। 21वीं सदी में मिला बहुत बड़ा अवसर है।
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34 साल बाद नई शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी

नई शिक्षा नीति-2020 को कैबिनेट की मंज़ूरी मिल गई है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी ।

इससे पहले 1986 में शिक्षा नीति लागू की गई थी. 1992 में इस नीति में कुछ संशोधन किए गए थे. यानी 34 साल बाद देश में एक नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है।

पूर्व इसरो प्रमुख के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति ने इसका मसौदा तैयार किया था, प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इसे मंज़ूरी दी।

https://www.jru.edu.in/blog-post/eleven-students-placed-during-lockdown-in-a-leading-company/

नई शिक्षा नीति 2020 की मुख्य बातें :

  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है ।
  • नई शिक्षा का लक्ष्य 2030 तक 3-18 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है।
  • छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे। इसके लिए इसके इच्छुक छात्रों को छठी क्लास के बाद से ही इंटर्नशिप करवाई जाएगी ।इसके अलावा म्यूज़िक और आर्ट्स को बढ़ावा दिया जाएगा।इन्हें पाठयक्रम में लागू किया जाएगा।
  • उच्च शिक्षा के लिए एक सिंगल रेगुलेटर रहेगा (लॉ और मेडिकल एजुकेशन को छोड़कर)। यानी अब यूजीसी और एआईसीटीई समाप्त कर दिए जाएंगे और पूरे उच्च शिक्षा के लिए एक नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन किया जाएगा।
  • https://www.jru.edu.in/blog-post/job-required-after-12th-job-guarantee-in-these-courses/

  • पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम लागू किया गया है। इसे इस तरह समझ सकते हैं:- आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरिंग पढ़ने या छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो आपके पास कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में एक साल के बाद सर्टिफ़िकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल के बाद डिग्री मिल जाएगी. इससे उन छात्रों को बहुत फ़ायदा होगा जिनकी पढ़ाई बीच में किसी वजह से छूट जाती है।
  • उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं. जो छात्र रिसर्च करना चाहते हैं उनके लिए चार साल का डिग्री प्रोग्राम होगा। जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे. लेकिन जो रिसर्च में जाना चाहते हैं वो एक साल के एमए (MA) के साथ चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद सीधे पीएचडी (Ph.D) कर सकते हैं। उन्हें एमफ़िल (M.Phil) की ज़रूरत नहीं होगी।
  • शोध करने के लिए नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन (एनआरएफ़) की स्थापना की जाएगी. एनआरएफ़ का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालयों के माध्यम से शोध की संस्कृति को सक्षम बनाना होगा. एनआरएफ़ स्वतंत्र रूप से सरकार द्वारा, एक बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स द्वारा शासित होगा।
  • https://www.jru.edu.in/blog-post/which-industry-is-hiring-engineers/

  • उच्च शिक्षा संस्थानों को फ़ीस चार्ज करने के मामले में और पारदर्शिता लानी होगी।
  • ई-पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे. वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फ़ोरम (NETF) बनाया जा रहा है।
  • उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फ़ीसद GER (Gross Enrolment Ratio) पहुंचाने का लक्ष्य है।

12वीं क्लास के लिए CBSE की योजना को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी, 15 जुलाई तक जारी कर दिए जाएंगे रिजल्ट।

सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं के मामले में शुक्रवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई की परीक्षा रद्द करने और असेसमेंट प्रक्रिया की स्कीम को मंजूरी दे दी है। बोर्ड लंबित परीक्षाओं के लिए स्टूडेंट्स के रिजल्ट आयोजित हो चुके एग्जाम और इंटरनल असेसमेंट के आधार पर जारी करेगा। सीबीएसई ने कहा की 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं का रिजल्ट 15 जुलाई तक जारी किया जाएगा।

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    Course Strip

    सीबीएसई बोर्ड ने शुक्रवार सुप्रीम कोर्ट में बताया :

    • कक्षा 10वीं और 12वीं के जिन छात्रों ने परीक्षा पूरी कर ली है, उनका सामान्य रूप से रिजल्ट आएगा ।
    • जिन छात्रों ने तीन से ज्यादा पेपर दिए हैं, बचे हुए पेपर के लिए उनका रिजल्ट सर्वश्रेष्ठ तीन विषयों के औसत नंबर के हिसाब से दिया जाएगा.
    • जिन छात्रों ने बोर्ड के तीन पेपर दे दिए हैं, उन्हें बची हुई परीक्षाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ दो विषयों के औसत अंक मिलेंगे.
    • इसके अलावा जिन छात्रों ने 1 या 2 पेपर खत्म किए, उनके नंबर बोर्ड की परफोर्मेंस और इंटरनल/प्रैक्टिकल असेसमेंट के आधार पर दिया जाएगा।

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    Webinar 16 June

    Evolving Role of Management Graduates Post COVID : A Corporate Perspective

    Speaker: Capt. Kumar Devashish Founder & CEO – 3S Consultants, ISDG Research Foundation, Ex Chief Minister Fellow (Chhattisgarh), Ex Master Mariner

    Speaker: Dr. Abhishek Pratap

    Assistant Professor, Jharkhand Rai University, Ranchi

    Date: 16 June, 2020
    Time: 12:00 – 1:00 pm

    Platform: Webex

    Whatsapp link National Webinar Day 2 Voc:
    Whatsapp link National Webinar Day 2 Arts:

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    Webinar on: Techniques used in the Development of Transgenic Plant

    Speaker: Dr. Dhanajay Kumar

    Associate Professor, Jharkhand Rai University, Ranchi, Jharkhand

    Date: 12 June, 2020
    Time: 11:00 am

    Platform: Zoom Meeting

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    Organized by Department of Agriculture, Jharkhand Rai University, Ranchi

    ICSE ISC EXAM DATES 2020

    ICSE, ISC EXAM DATES RELEASED BY CISCE: KNOW THE DATES

    Council for the India School Certificate Examinations (CISCE) will hold ISC and ICSE exams for all remaining subjects from July.
    The board has announced exam dates. According to an official release, the ICSE class 10 exams will be held from July 2 to July 12. The ISC exams for for Class 12 will be held from July 1 to July 14.

    The revised exam time-table will be shared with the Heads of the Schools via email and through the CAREERS Portal of CISCE. It will also be published on the Council’s official website.

    Once the exams are over, the Council will announce the results within a period of 6-8 weeks.

    CHECK THE EXAM DATES BELOW –

    ISC EXAM DATES 2020

    ICSE EXAM DATES 2020