झारखंड राय यूनिवर्सिटी के 5 विद्यार्थियों का चयन महानदी कोल् लिमिटेड (MCL) में हुआ है। यूनिवर्सिटी के माइनिंग इंजीनियरिंग विभाग से बीटेक माइनिंग इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले यह छात्र 2019-2023 बैच के है। एमसीएल में चयनित छात्रों का नाम इस प्रकार है अभय सिंह, चन्दन कुमार, आमिर सोहैल, सुमित सिन्हा और आदित्य यादव।
छात्रों के चयन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए यूनिवर्सिटी के कुल सचिव डॉ. पियूष रंजन ने कहा कि ” चयनित हुए छात्रों की मैं उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। विश्वविद्यालय में माइनिंग इंजीनियरिंग के दो कोर्स (डिप्लोमा और बीटेक मनिंग इंजीनियरिंग) सफलतापूर्वक संचालित किये जा रहे है। पिछले कुछ वर्षों में विभाग से निकले छात्रों का कोल् इंडिया के अनुसांगिक इकाइयों में चयन हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में माइनिंग इंजीनियरिंग विषय कि पढ़ाई को लेकर लड़कियों में भी रुझान देखा जा रहा है। आने वाले समय में यह संख्या और ज्यादा बढ़ेगी।“
बीटेक माइनिंग इंजीनियरिंग कर संवारें अपना भविष्य :
माइनिंग इंजीनियरिंग विभाग के समन्वयक प्रो.सुमित किशोर ने जानकारी देते हुए बताया की चयनित छात्र एमसीएल से जुड़े प्रोजेक्ट में कार्य करेंगे। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि विभाग के डिप्लोमा इंजीनियरिंग के एक छात्र वरिसकर मुंडा का चयन भी सीसीएल में हुआ है।
पीडीपीटी ट्रेनिंग से कोल इंडिया में मिलेगी ओवरमैन की नौकरी :
गैर कोकिंग खानों के प्रबंधन के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल माइन्स अथॉरिटी लिमिटेड का गठन किया गया था। महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड 1992 में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड से अलग होकर कार्य करना प्रारंभ किया। इसका मुख्यालय सम्बलपुर ओडिशा में है। सरकार ने एमसीएल को मिनीरत्न का दर्जा दिया हुआ है। एमसीएल की सहयक कंपनियों में महानदी बेसिन पावर लिमिटेड, एमजे कोल् लिमिटेड, महानदी कोल् रेलवे लिमिटेड और एमएनएच शक्ति लिमिटेड शामिल हैं।
झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो. सविता सेंगर एवं रजिस्ट्रार डॉ. पियूष रंजन ने संयुक्त रूप से अतिथियों को पौधा एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया।
सम्मान समारोह के उपरांत सर्वप्रथम विषय प्रवेश करते हुए प्रो. अभिजीत घोष ने माइनिंग इंजीनियरिंग एवं माइनिंग और कोल् के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा की ” यह इंजीनियरिंग का एक ओल्डेस्ट फॉर्म है जो ऐसी टेक्नोलॉजी और टेक्निक से डील करता है जो पृथ्वी में मौजूद मिनिरल की पहचान करने के साथ उसे एक्सपेक्ट करने में मददगार है। यह ऐसा एसेसियल फील्ड है जो देश की इकॉनमी में डायरेक्ट कंट्रीब्यूट करता है। एक माइनिंग इंजीनियर धरती से मिनिरल निकलने के लिए तो होता ही है साथ ही माइनिंग के डेवलपर प्रोसेस इन्स्योर करना भी उसकी ड्यूटी में शामिल है।” B. Tech Mining Engineering – Jharkhand Rai University, Ranchi (jru.edu.in)
सिम्पोजियम के दूसरे वक्ता सीएमपीडीआईएल के पूर्व जेनेरल मैनेजर देबाशीष बसु ने अपने व्याख्यान के दौरान माइनिंग इंजीनियरिंग की पढ़ाई, तकनिकी कौशल विकास, प्रशिक्षण और रोजगार के अवसरों पर विस्तार पूर्वक अपनी बातें रखी। उन्होंने विद्यार्थियों के साथ अपना निजी अनुभव साझा करते हुए बताया की माइनिंग इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को पढ़ाई पूरी करने के बाद पांच वर्ष तक कड़े परिश्रम करने के लिए तैयार रहना चाहिए। इस दौरान प्रतिदिन कुछ नया सिखने की कोशिश करना जीवन में बेहद मददगार साबित होता है। Diploma in Mining Engineering – Jharkhand Rai University, Ranchi (jru.edu.in) उन्होंने कहा कि देश में माइनिंग इंजीनियर्स की डिमांड काफी तेजी के साथ बढ़ती जा रही है। झारखण्ड के विद्यार्थियों के लिए सीसीएल, मेकॉन, सीएमपीडीआई, एचईसी, सेल जैसे बड़े उद्यमों का राज्य में होने का सबसे बड़ा फ़ायद छात्रों को मिलने वाला एक्सपोज़र है। https://www.jru.edu.in/blog-post/which-industry-is-hiring-engineers/
सिम्पोजियम के उपरांत विभाग द्वारा माइन कार्निवल का आयोजन किया गया । यूनिवर्सिटी के सेमिनार हाल में आयोजित प्रदर्शनी में माइनिंग विषय से जुड़े चित्रों की प्रदर्शनी लगायी गयी एवं कई मॉडलों का प्रदर्शन भी किया गया। प्रदर्शित मॉडलों में एंट्रेंस कोल माइन, चौक शील्ड सपोर्ट, एरियल रोपवे, बोड एंड पिलर वर्किंग मॉडल, शील्ड सपोर्ट, अंडरग्राउंड वर्किंग जैसे मॉडल प्रदर्शित किये गए। https://www.jru.edu.in/blog-post/mining-engineer-bankar-sawaren-apna-bhavishya/ जूरी द्वारा प्रथम पुरस्कार एरियल रोपवे, द्वितीय पुरस्कार बोड एंड पिलर वर्किंग मॉडल , तृतीय पुरस्कार शील्ड सपोर्ट और जूरी का विशेष पुरस्कार अंडरग्राउंड वर्किंग मॉडल को दिया गया। सभी विजेता टीमों को मोमेंटो और प्रमाणपत्र प्रदान किया गया।
झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. पियूष रंजन ने धन्यवाद् ज्ञापन करते हुए कहा की विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों के व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए इंडस्ट्रियल टूर, एक्सपोज़र विजिट, एक्सपर्ट टॉक, गेस्ट लेक्चर को पाठ्क्रम का अनिवार्य अंग बनाया है। विश्वविद्यालय ने माइनिंग इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों का गैस टेस्टिंग एग्जामिनेशन और लैंप हैंडलिंग सर्टिफिकेट एवं पीडीपीटी ट्रेनिंग में सौ प्रतिशत सफलता का रिकॉर्ड स्थापित किया है। उन्होंने उपस्थित अतिथियों का सिम्पोजियम में उपस्थित होकर माइनिंग के क्षेत्र में अवसरों पर अपने विचार साझा करने के लिए धन्यवाद किया। https://www.jru.edu.in/blog-post/mining-engineering-admission-2022/ कार्यक्रम को सफल बनाने में माइनिंग इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के समन्वयक प्रो. सुमीत किशोर,व्याख्याता मृत्युंजय कुमार,व्याख्याता सूरज देव सिंह, व्याख्याता उमेश कुमार मिस्त्री की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी, रांची के डिपार्टमेंट ऑफ़ माइनिंग इंजीनियरिंग और इंस्टीटूशनस इनोवेशन कॉउन्सिल के संयुक्त तत्वावधान में वेबिनार का आयोजन किया गया । ” प्रॉस्पेक्ट ऑफ़ कोल एंड मेटल माइनिंग इन झारखण्ड ” विषय पर आयोजित वेबिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर सीसीएल के सीएमडी पी.एम.प्रसाद, महानदी कोलफील्ड लिमिटेड के पूर्व सीएमडी ए.एन. सहाय और एचइसी के पूर्व सीएमडी अभिजीत घोष शामिल हुए। वेबिनार का विधिवत शुरुवात दीप प्रज्वलीत कर सरस्वती वंदना के साथ किया गया।
वेबिनार को सर्वप्रथम एमसीएल ( महानदी कोल् लिमिटेड) के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ( सीएमडी) ए. एन सहाय ने सम्बोधित किया उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा की ” इंजीनियरिंग का सबसे महत्वपूर्ण ब्रांच माइनिंग इंजीनियरिंग है। मेरे 45 वर्ष के अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूँ कि आने वाले समय में भी इस क्षेत्र की भूमिका इसी प्रकार बनी रहेगी। झारखण्ड में कोल् माइनिंग की चर्चा करते हुए उन्होंने विस्तार पूर्वक बताया की ‘ भारत में विश्व का 4.7 प्रतिशत कोयला उत्पादन होता है। वर्तमान में भारत लगभग 72.9 करोड़ टन कोयले का उत्पादन कर रहा है। हालांकि, वास्तविकता यही है कि घरेलू उत्पादन देश में कोयले की घरेलू जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं है। भारत ने बीते साल 24.7 करोड़ टन कोयले का आयात किया था और इस पर 1.58 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा खर्च हुई थी। भारत दुनिया का दूसरा बड़ा कोयला उत्पादक है और कोयला भंडार के मामले में 5वां बड़ा देश है। ये भंडार 100 साल या उससे ज्यादा वक्त तक बने रह सकते हैं। कोयला उत्पादन में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है और भारत के तीन शीर्ष कोयला उत्पादक राज्यों में झारखण्ड का स्थान पहला है।“
विद्यार्थियों को दिए अपने सन्देश में उन्होंनेकहा कि ” इस क्षेत्र में शुरुवाती 10 वर्ष संघर्ष के होते है और इन्हीं वर्षों में आप जितना सीखना चाहते है सीखें । माइनिंग रोजगार प्रदान करने वाला एक बड़ा क्षेत्र है जिसमें आने वाले भविष्य में भी बेहतर संभावनाएं हैं।सही प्रशिक्षण और गुणवत्तापूर्ण प्रमाणनन कोल् इंडस्ट्री की जरुरत और अनिवार्यता है। अच्छे अवसर को प्राप्त करने के लिए मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्र बेहद सहयोगी है।“
सीसीएल के सीएमडी पी एम. प्रसाद ने संबोधन के दौरान प्रतिभागियों को बताया की ” भारत सरकार का लक्ष्य देश के उभरते हुए क्षेत्रों में आर्थिक विकास में तेजी लाना है। चूंकि, ये राज्य संसाधनों के लिहाज से संपन्न हैं, इसलिए इन राज्यों के विकास में इन संसाधनों का उपयोग करना काफी अहम है। मंत्रालय पारिस्थितिकीय रूप से अनुकूल, सतत तथा लागत सापेक्ष तरीके से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की मांग को पूरा करने के लिए कोयला उपलब्ध करने को प्रतिबद्ध है।
उत्पादकता, सुरक्षा, गुणवत्ता और पारिस्थितिकी में सुधार लाने के उद्देश्य से अत्याधुनिक एवं स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों को अपनाकर सरकारी कंपनियों के साथ-साथ केप्टिव खनन कार्य के माध्यम से उत्पादन में बढ़ोतरी हमारा लक्ष्य है।
झारखण्ड में सीसीएल के कार्यों की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया की “ नार्थ कर्णपुरा में और नए माईन्स खोले जाने है। धनबाद का मुनीडीह कोल् माईन्स को आज भी एक बेहतर माईन्स माना जाता है। इसके अलावा आने वाले समय में चतरा कथारा, गिरिडीह जैसे जिलों में में भी संभावनाएं छुपी हुये है।“
पी.एम. प्रसाद ने कोल क्षेत्रों में विकास के लिए दिए जाने वाले डिस्ट्रिक रूरल फण्ड की चर्चा करते हुए बताया की इसके जरिये ग्रामीण विकास के कार्यों को गति प्रदान किया जा रहा है।
अक्षय ऊर्जा और भविष्य में कोयला उत्पादन और प्रबंधन पर विचार देते हुए उन्होंने कहा की सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने और कोयले के विकल्प के तौर पर इसे खड़ा करने की कोशिशें की जा रही है लेकिन अभी भी 2070 तक कोयले का भंडार देश के औद्योगिक जरूरतों को पूरा करने में सहायक रहेगा।
जमींन अधिग्रहण करने और वन भूमि कानूनों के कारण झारखण्ड में नई परियोजनाओं को प्रारंभ करने में देर हो रही है कही कहीं रेलवे सुविधा का नहीं होना भी बाधक बन रहा है।
एचइसी के एक्स सीएमडी प्रो. अभिजीत घोष ने अपने अभिभाषण की शुरुवात झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी को गणतंत्र दिवस समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा आमंत्रित किये जाने से करते हुए कहा की यूनिवर्सिटी का चयन प्राइमिनिस्टर बॉक्स में बैठने के लिए किया गया है जिसमे यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व यहाँ के दो मेधावी छात्र करेंगे। देश के 50 यूनिवर्सिटी में झारखण्ड से दो यूनिवर्सिटी का चयन किया गया है। झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी के अलावा आईएसएम धनबाद को यह मौका मिला है।
प्रो. घोष ने मेटल माइनिंग पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की “भारत सरकार द्वारा किए गए पारदर्शी उपायों के साथ कोयला खदानों की वाणिज्यिक नीलामी से देश में कोयले की मांग और आपूर्ति में अंतर को पाटने का उपयुक्त समय आ गया है। इससे न सिर्फ पिछड़े क्षेत्रों में रोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध होंगे, बल्कि प्रति वर्ष 20,000 करोड़ रुपये से 30,000 करोड़ रुपये तक की विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।“
उन्होंने केंद्र सर्कार के पहल की चर्चा करते हुए बताया कि ‘सरकार द्वारा नियुक्त एक उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) ने पारदर्शिता को बनाए रखते हुए कोयला क्षेत्र को उदार बना दिया है। कारोबारी सुगमता सुनिश्चित करने, अतिरिक्त प्रावधानों को खत्म करने और आवंटन में लचीलापन लाने के उद्देश्य से खनिज कानून अधिनियम, 2020 के माध्यम से सीएमएसपी अधिनियम और एमएमडीआर अधिनियम के उपयुक्त प्रावधानों में संशोधन किया गया है। कानून में बदलाव के अलावा, 2020 में नीलामी की प्रक्रिया और क्रियाविधि को सरल बना दिया गया है। कोयला खदानों की नीलामी में राजस्व साझेदारी व्यवस्था की पेशकश के साथ एक अन्य बड़ा बदलाव किया गया, जिससे नीलामी को ज्यादा बाजार अनुकूल बना दिया गया है। नई व्यावसायिक खनन व्यवस्था में कोयले के गैसीकरण को प्रोत्साहन दिया गया है। 2020 में पहली किस्त में 38 ब्लॉकों के साथ व्यावसायिक खनन के लिए कोयला ब्लॉकों की नीलामी की शुरुआत की गई है।
उन्होंने माइनिंग क्षेत्र में झाखंड का महत्व बताते हुए कहा की नोवामुंडी माईन्स आज भी एक आदर्श उदहारण है और माइनिंग के छात्रों के लिए सिखने की उत्तम जगह है। सौ साल पुराना यह माईन्स पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण है।
वेबिनार के समापन पर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रो. डॉ. पियूष रंजन ने धन्यवाद् ज्ञापन करते हुए कहा की “माइनिंग इंडस्ट्री के तीन बड़े आईकॉन का एक मंच पर आकर विद्यार्थियों संबोधित करना विभाग के साथ विश्वविद्यालय के लिए भी एक नया अनुभव है। इसका सीधा लाभ माइनिंग इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को मिलेगा जो क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहते है। विषय की प्रासंगिकता को देखते हुए 11 राज्यों से विद्यार्थी शामिल हुए।“ उन्होंने पुनः सभी अतिथियों और वेबिनार के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लोगों का धन्यवाद किया।