Tag Archives: MCL

प्रॉस्पेक्ट्स ऑफ कोल् एंड मेटल माइनिंग इन झारखंड” विषय पर वेबिनार का आयोजन

झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी, रांची के डिपार्टमेंट ऑफ़ माइनिंग इंजीनियरिंग और इंस्टीटूशनस इनोवेशन कॉउन्सिल के संयुक्त तत्वावधान में वेबिनार का आयोजन किया गया । ” प्रॉस्पेक्ट ऑफ़ कोल एंड मेटल माइनिंग इन झारखण्ड ” विषय पर आयोजित वेबिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर सीसीएल के सीएमडी पी.एम.प्रसाद, महानदी कोलफील्ड लिमिटेड के पूर्व सीएमडी ए.एन. सहाय और एचइसी के पूर्व सीएमडी अभिजीत घोष शामिल हुए। वेबिनार का विधिवत शुरुवात दीप प्रज्वलीत कर सरस्वती वंदना के साथ किया गया।


वेबिनार को सर्वप्रथम एमसीएल ( महानदी कोल् लिमिटेड) के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ( सीएमडी) ए. एन सहाय ने सम्बोधित किया उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा की ” इंजीनियरिंग का सबसे महत्वपूर्ण ब्रांच माइनिंग इंजीनियरिंग है। मेरे 45 वर्ष के अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूँ कि आने वाले समय में भी इस क्षेत्र की भूमिका इसी प्रकार बनी रहेगी। झारखण्ड में कोल् माइनिंग की चर्चा करते हुए उन्होंने विस्तार पूर्वक बताया की ‘ भारत में विश्व का 4.7 प्रतिशत कोयला उत्पादन होता है। वर्तमान में भारत लगभग 72.9 करोड़ टन कोयले का उत्पादन कर रहा है। हालांकि, वास्तविकता यही है कि घरेलू उत्पादन देश में कोयले की घरेलू जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं है। भारत ने बीते साल 24.7 करोड़ टन कोयले का आयात किया था और इस पर 1.58 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा खर्च हुई थी। भारत दुनिया का दूसरा बड़ा कोयला उत्पादक है और कोयला भंडार के मामले में 5वां बड़ा देश है। ये भंडार 100 साल या उससे ज्यादा वक्त तक बने रह सकते हैं। कोयला उत्पादन में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है और भारत के तीन शीर्ष कोयला उत्पादक राज्यों में झारखण्ड का स्थान पहला है।“

विद्यार्थियों को दिए अपने सन्देश में उन्होंनेकहा कि ” इस क्षेत्र में शुरुवाती 10 वर्ष संघर्ष के होते है और इन्हीं वर्षों में आप जितना सीखना चाहते है सीखें । माइनिंग रोजगार प्रदान करने वाला एक बड़ा क्षेत्र है जिसमें आने वाले भविष्य में भी बेहतर संभावनाएं हैं।सही प्रशिक्षण और गुणवत्तापूर्ण प्रमाणनन कोल् इंडस्ट्री की जरुरत और अनिवार्यता है। अच्छे अवसर को प्राप्त करने के लिए मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्र बेहद सहयोगी है।“


सीसीएल के सीएमडी पी एम. प्रसाद ने संबोधन के दौरान प्रतिभागियों को बताया की ” भारत सरकार का लक्ष्य देश के उभरते हुए क्षेत्रों में आर्थिक विकास में तेजी लाना है। चूंकि, ये राज्य संसाधनों के लिहाज से संपन्न हैं, इसलिए इन राज्यों के विकास में इन संसाधनों का उपयोग करना काफी अहम है। मंत्रालय पारिस्थितिकीय रूप से अनुकूल, सतत तथा लागत सापेक्ष तरीके से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की मांग को पूरा करने के लिए कोयला उपलब्ध करने को प्रतिबद्ध है।

उत्पादकता, सुरक्षा, गुणवत्ता और पारिस्थितिकी में सुधार लाने के उद्देश्य से अत्याधुनिक एवं स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों को अपनाकर सरकारी कंपनियों के साथ-साथ केप्टिव खनन कार्य के माध्यम से उत्पादन में बढ़ोतरी हमारा लक्ष्य है।

झारखण्ड में सीसीएल के कार्यों की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया की “ नार्थ कर्णपुरा में और नए माईन्स खोले जाने है। धनबाद का मुनीडीह कोल् माईन्स को आज भी एक बेहतर माईन्स माना जाता है। इसके अलावा आने वाले समय में चतरा कथारा, गिरिडीह जैसे जिलों में में भी संभावनाएं छुपी हुये है।“

पी.एम. प्रसाद ने कोल क्षेत्रों में विकास के लिए दिए जाने वाले डिस्ट्रिक रूरल फण्ड की चर्चा करते हुए बताया की इसके जरिये ग्रामीण विकास के कार्यों को गति प्रदान किया जा रहा है।

अक्षय ऊर्जा और भविष्य में कोयला उत्पादन और प्रबंधन पर विचार देते हुए उन्होंने कहा की सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने और कोयले के विकल्प के तौर पर इसे खड़ा करने की कोशिशें की जा रही है लेकिन अभी भी 2070 तक कोयले का भंडार देश के औद्योगिक जरूरतों को पूरा करने में सहायक रहेगा।

जमींन अधिग्रहण करने और वन भूमि कानूनों के कारण झारखण्ड में नई परियोजनाओं को प्रारंभ करने में देर हो रही है कही कहीं रेलवे सुविधा का नहीं होना भी बाधक बन रहा है।

CHECK DIPLOMA IN MINING ENGG. COURSE FEE HERE

CHECK B. TECH MINING COURSE FEE HERE


एचइसी के एक्स सीएमडी प्रो. अभिजीत घोष ने अपने अभिभाषण की शुरुवात झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी को गणतंत्र दिवस समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा आमंत्रित किये जाने से करते हुए कहा की यूनिवर्सिटी का चयन प्राइमिनिस्टर बॉक्स में बैठने के लिए किया गया है जिसमे यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व यहाँ के दो मेधावी छात्र करेंगे। देश के 50 यूनिवर्सिटी में झारखण्ड से दो यूनिवर्सिटी का चयन किया गया है। झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी के अलावा आईएसएम धनबाद को यह मौका मिला है।

प्रो. घोष ने मेटल माइनिंग पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की “भारत सरकार द्वारा किए गए पारदर्शी उपायों के साथ कोयला खदानों की वाणिज्यिक नीलामी से देश में कोयले की मांग और आपूर्ति में अंतर को पाटने का उपयुक्त समय आ गया है। इससे न सिर्फ पिछड़े क्षेत्रों में रोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध होंगे, बल्कि प्रति वर्ष 20,000 करोड़ रुपये से 30,000 करोड़ रुपये तक की विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।“
उन्होंने केंद्र सर्कार के पहल की चर्चा करते हुए बताया कि ‘सरकार द्वारा नियुक्त एक उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) ने पारदर्शिता को बनाए रखते हुए कोयला क्षेत्र को उदार बना दिया है। कारोबारी सुगमता सुनिश्चित करने, अतिरिक्त प्रावधानों को खत्म करने और आवंटन में लचीलापन लाने के उद्देश्य से खनिज कानून अधिनियम, 2020 के माध्यम से सीएमएसपी अधिनियम और एमएमडीआर अधिनियम के उपयुक्त प्रावधानों में संशोधन किया गया है। कानून में बदलाव के अलावा, 2020 में नीलामी की प्रक्रिया और क्रियाविधि को सरल बना दिया गया है। कोयला खदानों की नीलामी में राजस्व साझेदारी व्यवस्था की पेशकश के साथ एक अन्य बड़ा बदलाव किया गया, जिससे नीलामी को ज्यादा बाजार अनुकूल बना दिया गया है। नई व्यावसायिक खनन व्यवस्था में कोयले के गैसीकरण को प्रोत्साहन दिया गया है। 2020 में पहली किस्त में 38 ब्लॉकों के साथ व्यावसायिक खनन के लिए कोयला ब्लॉकों की नीलामी की शुरुआत की गई है।

उन्होंने माइनिंग क्षेत्र में झाखंड का महत्व बताते हुए कहा की नोवामुंडी माईन्स आज भी एक आदर्श उदहारण है और माइनिंग के छात्रों के लिए सिखने की उत्तम जगह है। सौ साल पुराना यह माईन्स पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण है।


वेबिनार के समापन पर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रो. डॉ. पियूष रंजन ने धन्यवाद् ज्ञापन करते हुए कहा की “माइनिंग इंडस्ट्री के तीन बड़े आईकॉन का एक मंच पर आकर विद्यार्थियों संबोधित करना विभाग के साथ विश्वविद्यालय के लिए भी एक नया अनुभव है। इसका सीधा लाभ माइनिंग इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को मिलेगा जो क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहते है। विषय की प्रासंगिकता को देखते हुए 11 राज्यों से विद्यार्थी शामिल हुए।“ उन्होंने पुनः सभी अतिथियों और वेबिनार के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लोगों का धन्यवाद किया।