Priyanka is a trend setter. When most of her schoolmates have taken admissions in conventional courses, she has decided to pursue B.Tech Mining Engineering at Jharkhand Rai University.
“Why not do something different? Why do the done things?,” Priyanka says.
With passion and dedication in her heart, this girl from Banares is all set to chase her success.
If you ask what made her choose this field, Priyanka says she has always been fascinated by stories about the mines. She finds them mysterious. As if the mines are waiting to be explored.
She is happy to be chasing her dreams. Her father, who also works in the coal and mining sector has been a great inspiration for her always.
Her father, Priyanka says knows that working in underground mines can be challenging. And that is what he expects her daughter to do – to succeed in something that is tough.
सरहदों पर लड़कियां तैनात तो खदानों में क्यों नहीं: प्रियंका कुमारी
माईनिंग इंडस्ट्री कों हमेशा से पुरुषों के वर्चस्व वाला सेक्टर समझा जाता रहा है यह विडंबना ही कही जायेगी कि महिला सशक्तीकरण के तमाम दावों के बीच आज भी माईनिंग सेक्टर में महिलाओं कि उपस्थिति नगण्य ही है. इस के पीछे सबसे बड़ा कारण रहा है माईनिंग कि पढ़ाई कों लेकर सरकारी और आम जनमानस कि अवधारणा. सरकार ने भी पिछले वर्ष तक इस कि पढ़ाई करने के लिये इक्छुक लड़कियों के नामांकन पर रोक लगा रखी थी क्योंकि कानून आड़े आता था.
माईनिंग कानूनों के अंतर्गत यह प्रतिबंधित किया गया था कि महिलाओं का माईन्स के अंदर काम करना सुरकक्षित नहीं माना जा सकता. इसका कानून का सीधा प्रभाव इसकी पढ़ाई करने और इस फिएल्ड में आने वाली लड़कियों पर पड़ा कि जब माईनिंग इंडस्ट्री में डाईरेक्ट इंट्री ही नहीं हो सकती तो इसकी पढ़ाई कौन करेगा. माईन्स एक्ट 1952 सेक्सन 46 (1)B अबतक कायम था.
इस वर्ष से सरकार ने इसमें संशोधन करते हुए इस फिल्ड कों महिलाओं के लिए ओपन कर दिया है जिसका सकारात्मक असर इस विषय कि पढ़ाई कराने वाले संस्थानों और विभागों में दिखयी पद रहा है. यहाँ नामांकन लेने वाली कतार में पहली बार लड़कियां भी दिखाई दे रही है . ऐसा ही अनुभव प्रियंका कुमारी ने हमारे साथ साझा किया जब उन्हें हमारे संवाददाता ने राँची के झारखण्ड राय युनिवर्सिटी में मीनिंग इंजीनियरिंग विभाग में फॉर्म खरीदते हुए देखा .
पुछने पर प्रियंका ने बताया कि “ में मूलतः बनारस कि रहने वाली हूँ और मैंने बीटेक इन माईनिंग इंजीनियरिंग करने का मन बनाया है और इसलिए यहाँ एडमिशन लेने आई हूँ. माईनिंग इंडस्ट्री में आने और निजी जीवन के बारे में पुछने पर बताते हुए प्रियंका ने बताया कि “ मेरे पिताजी इसी फिल्ड से जुड़े है और वह टाटा माईन्स वेस्ट बोकारो में कार्यरत है जिसके कारण मेरे मन में बचपन से ही इस के प्रति एक अलग आकर्षण है मेरा बड़ा भाई भी डिप्लोमा माईनिंग इंजिनियरिंग कि पढ़ाई कर रहा है, उसने ही जानकारी दी कि इस वर्ष से लड़कियों कों माईनिंग इंजिनियरिंग में एडमिशन लेने की अनुमति मिल गयी है.
मेरे लिये यह खुशी का पल था और मैंने राँची में इसकी पढ़ाई करवाने वाली संस्थाओं कि ऑनलाइन खोज शुरू किया. कोरोना और लॉक डाउन के कारण मोबाइल फोन ही सहारा बना और खोजबीन के दौरान नजर रुकी राँची के झारखण्ड राय युनिवर्सिटी पर जहाँ पढ़ाई के साथ साथ प्रायोगिक शिक्षा पर दिया गया जोर और एक्स्ट्रा एक्टिविटी ने मुझे आकर्षित किया .
झारखण्ड राय युनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. प्रो. पीयूष रंजन ने इस फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि “विभाग कि पहली गर्ल्स स्टुडेंट होने के कारण प्रियंका कुमारी एक बेहद खास स्थान रखती है. माईनिंग कि पढ़ाई में इंटरेस्ट रखने वाली लड़कियों के द्वारा यहाँ नामांकन वर्ष के दौरान पूछताछ कि जाती थी कईयों ने तो माना करने के बाद भी फॉर्म ख़रीदा. यहाँ फैसला बेहद सुखद अहसास देने वाला है और यक़ीनन इससे इस फिल्ड महिलाओं कि उपस्थिथि बढ़ेगी और कार्यों में गुणवत्ता भी. झारखण्ड जैसे राज्य में माईनिंग सेक्टर सबसे ज्यादा अवसर प्रदान करने वाला है “
प्रियंका कुमारी ने बीटेक माईनिंग इंजिनियरिंग में एडमिशन लेकर अपनी पढ़ाई सुरुकर दी है और इसे सफलतापूर्वक पूरा करके जॉब करना चाहती है. झारखण्ड राय युनिवर्सिटी के माईनिंग इंजिनियरिंग विभाग के समन्वयक प्रो. सुमीत किशोर से बात करने पर उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि “ इस वर्ष से फिमेल कैंडिडेट्स के एडमिशन लेने पर लगी रोक को हटाने से लड़कियों में काफी उत्साह देखा जा रहा है हमारे विभाग के लिये भी यह पहला अवसर है जब गर्ल्स स्टुडेंट का नाम अटेंडेंस लिस्ट में देखा जा रहा है. आने वाले वर्षों में यह और ज्यादा लोकप्रिय होने वाला है क्योंकि यहाँ अवसर कि कमी नहीं है.