केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नेशनल कॅरिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) का ड्राफ्ट जारी कर दिया है। इसमें 12वीं की बोर्ड परीक्षा को दो टर्म में लेने का प्रस्ताव है।10वीं-12वीं के नतीजों में पिछली कक्षाओं के अंक जोड़ने की सिफारिश भी की गई है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ध्यान में रखकर तैयार इस फ्रेमवर्क में साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स के विभाजन को भी खत्म करने का प्रस्ताव है। गुरुवार को जारी किये गए स्कूली शिक्षा के लिए एनसीएफ प्री-ड्राफ्ट पर छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और विद्वानों से सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। कोरोना के दौरान बोर्ड परीक्षा दो हिस्सों में ली गई थी, अब उसी व्यवस्था को स्थायी बनाया जाएगा। नया फ्रेमवर्क सत्र 2024-25 से लागू हो सकता है।
10वीं, 12वीं के परीक्षा परिणाम में पिछली कक्षा के अंक भी जुड़ सकते हैं:
ड्राफ्ट रिपोर्ट के मुताबिक, 10वीं और 12वीं कक्षा के अंतिम परिणाम में पिछली कक्षा के अंकों का भी मूल्यांकन जोड़ा जा सकता है। इसके आधार पर बच्चों के पास परीक्षा देने का पर्याप्त समय और मौके उपलब्ध होंगे। बच्चे जब भी खुद को तैयार पाएंगे, वे परीक्षा की मांग रख सकते हैं। इसके लिए व्यापक स्तर पर बोर्ड को प्रश्नों का बैंक तैयार करना होगा और परीक्षा के समय उपयुक्त सॉफ्टवेयर की मदद ली जाएगी।
12वीं के बाद इंटीग्रेटेड कोर्स का है जमाना
https://www.jru.edu.in/programs/department-of-law/ba-llb/
विभिन्न श्रेणियों में ये विषय होंगे शामिल:
ह्यूमैनिटीज में भाषा, साहित्य व दर्शन की पढ़ाई होगी, जबकि समाज विज्ञान में इतिहास, भूगोल, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र की और विज्ञान में भौतिकी, रसायन और जीव विज्ञान की पढ़ाई करनी होगी। वहीं, गणित और कंप्यूटिंग में गणित, कंप्यूटर विज्ञान, बिजनेस गणित और कला में संगीत, नृत्य, थियेटर, चित्रकला, वोकेशनल में कौशल विकास के कोर्स, स्पोर्ट्स में गेम्स, योग की जानकारी मिलेगी।
अब 12वीं नहीं 9वीं से भविष्य बनाने में मिलेगी मदद:
अब छात्र को कक्षा नौवीं से अपने भविष्य को लेकर तैयारी शुरू करनी होगी। उसे सभी विषयों के बारे में पढ़ाया जाएगा, ताकि वह 12वीं के बाद किस क्षेत्र में भविष्य बनाना है,उसमें उलझन न हो। मसौदे में 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं को सेकेंडरी स्टेज में रखते हुए दो भागों में बांटा गया है। इसमें कई बड़े बदलाव हो सकते हैं। कक्षा 10वीं को पूरा करने के लिए छात्रों को कक्षा नौंवी और 10वीं के दो वर्षों में कुल आठ-आठ पाठ्यचर्या क्षेत्रों में से प्रत्येक से दो आवश्यक पाठ्यक्रम पूरे करने होंगे। उदाहरण के तौर पर अभी 10वीं बोर्ड परीक्षा के छात्रों को कम से कम पांच विषयों की पढ़ाई करनी होती है, लेकिन नई सिफारिश में आठ विषयों को अनिवार्य किया जा सकता है।
मेडिकल क्षेत्र में जाने का सपना है तो करें बैचलर ऑफ़ फिजिओथेरेपी
https://www.jru.edu.in/programs/bpt/
11वीं में भविष्य के आधार पर तीन क्षेत्रों में से एक चुनने का विकल्प:
मेडिकल, इंजीनियरिंग क्षेत्र में भविष्य बनाने को लेकर अक्सर छात्र तनाव में रहते हैं। इसी कारण महंगी कोचिंग के बाद भी छात्र असफलता के डर से अपना जीवन समाप्त कर देते हैं। इन्हीं दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए नौंवी कक्षा से 12वीं कक्षा के कोर्स को इस तरह से डिजाइन करने की सिफारिश की गयी है, दसवीं कक्षा तक विभिन्न विषयों को पढ़ने और विस्तार से जानने के बाद उसे 11वीं कक्षा में तीन विकल्प मिलेंगे। पहले विकल्प में ह्यूमैनिटीज, सोशल साइंस, साइंस,मैथमेटिक्स और कंप्यूटिंग विषय होंगे। दूसरे में इंटरडिसिप्लिनरी एरिया ऐसे बच्चों के लिए स्नातक के बाद रिसर्च एरिया में भविष्य बनाना चाहते होंगे। तीसरे वर्ग में ऑटर्स, स्पोर्ट्स और वोकेशनल को चुनने का विकल्प मिलेगा।