DOS AND DON'TS OF SOCIAL MEDIA

सोशल मीडिया और नैतिकता का सवाल।

यू.जी.सी. ने युवाओं को सोशल मीडिया की नैतिकता और शिष्टाचार सिखाने के लिए इसे स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम का हिस्सा बना दिया है।

सोशल मीडिया के दुरूपयोग को देखते हुए उसके बारे में युवाओं को जागरूक करने के लिए इस तरह के पाठ्यक्रम की आवश्यकता बड़ी शिद्दत से महसूस की जा रही थी। युवाओं में सोशल मीडिया का क्रेज देखते बनाता है लेकिन इसके पीछे की नैतिकता औऱ जिम्मेदारी से अधिकांश अनभिज्ञ है।

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सोशल मीडिया साइट्स का इस्तेमाल करते समय हमारे मन मे कभी भी किसी अनहोनी या नकारात्मक सोच हावी नहीं रहती।

क्या कारण है कि युवा मन को आपराधिक सोच विकसित करने में यह एक प्लेटफॉर्म साबित हो रहा है? कोरोना काल मे फेसबुक औऱ इंस्टाग्राम पर चलने वाले ग्रुप्स की चर्चा बेमानी है। क्योंकि हमारे घरों से ही संस्कार ग़ायब होते जा रहे है।

नई पीढ़ी नातेदारी और रिश्तों की चादर में लपेटी हुई संबंधों की गर्मी को महसूश नहीं करता है। युवा मन की सोच और सोशल मीडिया के प्रति उसके जुड़ाव को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह माध्यम सोशल डिस्टेंसिंग को बढ़ावा देता है, मोरल और इथिकल वैल्यूज यहाँ नदारत है।

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युवा मन चंचल होता है इसलिए उसे चाहिए एक अनुभवी साथी जो अपने अनुभव की पोटली से निकाल कर उसके लिए आदर्श विचार औऱ संचार देने का कार्य करें। सोशल मीडिया का प्रयोग करें लेकिन समझदारी के साथ नादानी आपको खतरे में डाल सकती है।

दैनिक जीवन में सोशल मीडिया का प्रभाव :–

• यह बहुत तेज गति से होने वाला संचार का माध्यम है
• यह जानकारी को एक ही जगह इकट्ठा करता है ।
• सरलता से समाचार प्रदान करता है
• सभी वर्गों के लिए है, जैसे कि शिक्षित वर्ग हो या अशिक्षित वर्ग
• यहां किसी प्रकार से कोई भी व्यक्ति किसी भी कंटेंट का मालिक नहीं होता है।
• फोटो, वीडियो, सूचना, डॉक्यूमेंटस आदि को आसानी से शेयर किया जा सकता है

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सोशल मीडिया का दुष्प्रभाव :–

• यह बहुत सारी जानकारी प्रदान करता है जिनमें से बहुत सी जानकारी भ्रामक भी होती है।
• जानकारी को किसी भी प्रकार से तोड़-मरोड़कर पेश किया जा सकता है।
• किसी भी जानकारी का स्वरूप बदलकर वह उकसावे वाली बनाई जा सकती है जिसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं होता।
• यहां कंटेंट का कोई मालिक न होने से मूल स्रोत का अभाव होना।
• प्राइवेसी पूर्णत: भंग हो जाती है।
• फोटो या वीडियो की एडिटिंग करके भ्रम फैला सकते हैं जिनके द्वारा कभी-कभी दंगे जैसी आशंका भी उत्पन्न हो जाती है।
• सायबर अपराध सोशल मीडिया से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या है।

इन आदतों को घर नहीं बनाने दें:-

1. इंटरनेट की लत ।
2.आत्म नियंत्रण खोना।
3.नींद नहीं आना।
4. तनाव का शिकार होना।
5.बार बार मोबाईल चेक करना।
6. हमेशा ऑनलाइन रहने की लत
7. अकेलापन महसूस करना
8. सोशल मीडिया पर सभी को व्यक्तिगत जानकारी देना।
9. हर समय अपने काम को मीडिया के जरिये प्रदर्शित करना।
10. अनजान लोगों को दोस्त बनाना।

सोशल मीडिया के अपने सिद्धांत है, अपनी नियंत्रण प्रणाली है। संयम, आत्ममुग्धता, आकर्षण और गोपनीयता का पालन करते हुए सामाजिक संबंधों की गांठो को खोलना होता है। आभासी संसार में सबकुछ पारदर्शी नहीं होता। सावधानी ही सुरक्षा का प्रथम चरण है।

(आलेख: डॉ. प्रशांत जयवर्द्धन,झारखंड राय यूनिवर्सिटी, रांची, डिजिटल सेल ।)