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राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को विश्वगुरु बनाने वाली नीति है: डॉ. अतुल कोठारी

शिक्षा संस्कृती उत्थान न्यास एवं झारखंड राय विश्वविद्यालय, रांची के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को विश्वविद्यालय परिसर नामकुम में क्षेत्रीय बैठक और संगोष्ठी का आयोजन किया गया। बैठक में झारखंड के अलावा बंगाल और ओडिशा से संयोजक, सह संयोजक और सक्रिय कार्यकर्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल भाई कोठारी, और विशिष्ठ अतिथि के तौर पर राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री सुरेश गुप्ता उपस्थित थे। बैठक की अध्यक्षता डॉ.अतुल भाई कोठारी ने किया। बैठक के प्रथम सत्र में प्रतिनिधियों का परिचय और उनके दायित्वों से अवगत हुआ गया। इसके उपरांत न्यास के द्वारा चलाये जा रहे कार्यों से सभी को अवगत कराया गया। बैठक में सक्रिय कार्यकर्ताओं को नई जिम्मेदारी देने पर भी सहमति बनी और नए निर्देश दिए गए।

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बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय सचिव डॉ.अतुल भाई कोठारी ने कहा कि “पंचकोश अवधारणा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मूल में है। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये भारतीय ज्ञान परंपरा और भारतीय विभूतियों के कार्यों से अवगत कराने का कार्य कर रही है। बैठक के दूसरे सत्र में न्यास के कार्यों का प्रचार प्रसार , प्रकाशन, प्रवास और आगामी कार्यक्रमों की रूप रेखा को लेकर निर्देश दिया गया ।

बैठक की समाप्ति के बाद “नई शिक्षा नीति और भारतीय ज्ञान परंपरा” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का प्रारंभ दीप प्रज्जवलित कर ओंकार ध्वनि के साथ किया गया। अतिथियों का सम्मान पौधा और अंगवस्त्र देकर किया गया। झारखंड राय युनिवर्सिटी की कुलपति प्रो. सविता सेंगर ने स्वागत भाषण करते हुए कहा कि “विश्वविद्यालय के प्रागण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय मूल्य परंपरा विषय पर संगोष्ठी का आयोजन प्रेरणादायी है। भारत की समृद्ध विरासत और ज्ञान परंपरा का निर्वाह करने का दायित्व शैक्षणिक संस्थानों के ऊपर है। झारखंड राय विश्वविद्यालय ने भारतीय ज्ञान परंपरा से विद्यार्थियों को परिचित करवाने के लिए इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया है। इसे जरिये विद्यार्थी भारत की समृद्ध विरासत से परिचित होंगे।“ प्रो. सेंगर ने विश्वविद्यालय मेंराष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन को लेकर उठाये गए महत्वपूर्ण क़दमों की भी चर्चा की।

संगोष्ठी के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल भाई कोठारी ने विस्तार पूर्वक राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय ज्ञान परंपरा पर अपनी बातें रखी। उन्होंने कहा कि यह नीति भारत को विश्व गुरु बनाने की नीति है। शिक्षा किसी भी देश की पहचान और इस देश के चरित्र को परिदर्शित करती है। उन्होंने कहा की हमारे देश का ज्ञान परंपरा एक अमूल्य धरोहर है जिसके जरिए भारतीय समाज में बड़े बदलाव लाए जा सकते है। विद्यार्थियों से उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय

शिक्षा नीति विद्यार्थी केंद्रित है और इसका उद्देश्य हुनरमंद युवा शक्ति तैयार करना है। संगोष्ठी के दौरान भारतीय ज्ञान परंपरा को विषय के तौर पर पाठ्यक्रम में शामिल इसके प्रचार प्रसार के लिए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास और झारखंड राय विश्विद्यालय एवं इकफाई विश्वविद्यालय,रांची के बीच एमओयू किया गया।

धन्यवाद ज्ञापन इकफाई विश्विद्यालय के कुलपति डॉ. रमण झा ने किया। इस अवसर पर सरला बिरला विश्व विद्यालय के कुल सचिव प्रो.विजय सिंह,शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रदेश संयोजक अमरकांत झा उपस्थित थे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं क्रियान्वयन विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, रांची एवं झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ,रांची के संयुक्त तत्वावधान में “राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं क्रियान्वयन ” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राज्यपाल रमेश बैस ने सभी विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को गंभीरता पूर्वक लागू करने का निर्देश दिया है। राज्यपाल ने कहा की शिक्षा का शाब्दिक अर्थ सीखना और सिखाना है। उन्होंने विश्वविद्यालयों को स्थानीय भाषा या हिंदी को बढ़ावा देने पर जोर देने को कहा।

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संबोधन पूर्व महामहिम राज्यपाल, विशेष अतिथि डॉ.अतुल कोठारी, ट्रिपल आईटी के निदेशक प्रो. विष्णु प्रिये जेयूटी के कुलपति प्रो. विजय कुमार पांडे, झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी की कुलपति डॉ. सविता सेंगर, प्रो.विजय कुमार सिंह ने दीप प्रज्वलित कर संगोष्ठी का उद्घाटन किया।

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संगोष्ठी के उपरांत राज्यपाल सह कुलाधिपति ने कुलपतियों के साथ बैठक कर एनईपी की कार्यान्वयन की दिशा में हो रही प्रगति की जानकारी ली। उन्होंने कहा एनईपी के प्रावधानों के क्रियान्वयन में यदि कोई कठिनाई होती है तो बिना संकोच उनसे संपर्क करें।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल भाई कोठारी ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि स्वतंत्र भारत की यह पहली भारत केंद्रित शिक्षा नीति है। अब हमें यह विचार त्याग देने चाहिए कि अंग्रेजी के बिना शिक्षा का कोई महत्व नहीं है। उन्होंने कहा की एनईपी भारत केंद्रित शिक्षा नीति है जो देश की प्रकृति, परिवेश और संस्कृति को दिशा देगी।

संगोष्ठी स्थल पर विभिन्न विश्विद्यालयों के द्वारा स्टॉल भी लगाया गया था जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़े कार्यों का प्रदर्शन किया गया था। महामहिम राज्यपाल ने निरीक्षण के दौरान झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी https://www.jru.edu.in/ के स्टॉल पर शिक्षा, सामुदायिक विकास और सामाजिक भागीदारी के अंतर्गत किये जा रहे कार्यों का जायजा लेते हुए विद्यार्थियों के द्वारा किये गए कार्यों की सराहना की।


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संगोष्ठी के दूसरे सत्र में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से जुड़े किये गए कार्यों और विभिन्न विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर किये जा रहे उत्कृष्ट कार्यों पर सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और प्रतिनिधियों के द्वारा पीपीटी प्रस्तुति दी गयी।

संगोष्ठी का संचालन झारखंड राय यूनिवर्सिटी के कुलसचिव डॉ. पीयूष रंजन ने किया।