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BPT कोर्स देता है डॉक्टर बनकर प्रैक्टिस करने का सुनहरा अवसर

फिजियोथेरेपी, Bachelor of Physiotherapy (BPT) – Jharkhand Rai University, Ranchi (jru.edu.in) चिकित्सा विज्ञान की एक शाखा है। फिजियोथेरेपी की खासियत यह है कि इसमें इलाज के दौरान किसी भी तरह की दवाई का इस्तेमाल नहीं किया जाता। एक्ससरसाइज, इलेक्ट्रोथेरपी व मसाज जैसे तरीकों का इस्तेमाल करके व्यक्ति को उसकी स्वास्थ्य समस्या से निजात दिलाता है।

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फिजियोथेरेपिस्ट सिर्फ अलग−अलग तरीकों से मरीजों का इलाज ही नहीं करता, बल्कि वह पेंशेंट को यह यकीन भी दिलाता है कि वह जल्द ठीक हो सकते हैं और वह भी बिना किसी दवाई के।

BPT कोर्स इन रांची :

अगर आप फिजियोथेरेपिस्ट बनना चाहते हैं तो BPT यानी (बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी) कोर्स Bachelor of Physiotherapy (BPT) – Jharkhand Rai University, Ranchi (jru.edu.in) बेस्ट ऑप्शन है। इसकी अवधी 4 वर्ष होती है और विज्ञान विषयों के साथ 12 वीं पास विद्यार्थी इसमें नामांकन ले सकता है।

बैचलर ऑफ़ फिजिओथेरेपी की पढ़ाई के लिए झारखण्ड,रांची में झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी Jharkhand Rai University (JRU), Ranchi एक विश्वसनीय नाम है। यूजीसी और नैक की मान्यता प्राप्त यह यूनिवर्सिटी बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल का एकलौता निजी विश्वविद्यालय है। Museum – Jharkhand Rai University (JRU), Ranchi बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्री फ्रेंडली करिकुलम, अनुभवी शिक्षक, प्रैक्टिकल बेस्ड एजुकेशन, लैबोरेटरी और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी के कारण इसे कौंसिल द्वारा मान्यता प्रदान किया गया है। Physiotherapy Lab. – Jharkhand Rai University (JRU), Ranchi

BPT में करियर :

आजकल जिस तरह बीमारियां पैर पसार रही हैं, उसे देखते हुए यह कोर्स आज कल डिमांड में है। अस्पतालों व क्लिनकि, रिहैबिलिटेशन सेंटर, ओल्ड एज होम्स, हेल्थ सेंटर्स, नर्सिंग होम्स एंड डे सेंटर्स, स्पोर्ट्स क्लिनकि, क्लब, जिम सेंटर्स सभी जगह फिजियोथेरेपिस्ट कार्य करते हुए मिल जाएंगे। इसके अलावा अनुभव प्राप्त होने पर आप अपना खुद का फिजियोथेरेपी सेंटर भी चला सकते हैं।

एक अनुमान के मुताबिक़ शुरूआती दौर में आप दस से बीस हजार रूपए प्रतिमाह से शुरुवात कर कुछ समय के बाद आसानी से महीने के 30,000 से 50,000 रूपए भी कमा सकते हैं। अगर आप अपना प्राइवेट सेंटर खोलते हैं तो आप सिटिंग के हिसाब से चार्ज कर सकते हैं।

फिजियोथेरेपी यूं तो आधुनिक चिकित्सा पद्धति है। लेकिन यह भारत में सदियों से प्रचलित स्पर्श चिकित्सा पद्धति का भी प्रतिनिधित्व करता है। यह न केवल कम खर्चीला है, बल्कि इसके दुष्प्रभाव की आशंका न के बराबर होती है।