अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज (मिलेट) वर्ष 2023 के उपलक्ष्य में झारखंड मिलेट कॉन्क्लेव 27 व 28 अप्रैल को खूंटी के बिरसा कॉलेज बहुउद्देशीय भवन में आयोजित किया गया। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार और पीएचडी चैंबर आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सहयोग से मिलेट प्रदर्शनी और सम्मेलन का आयोजन किया गया ।
प्रदर्शनी सह सम्मेलन में झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर ने भी अपना स्टॉल लगाया। मेले में आये किसानों, एनजीओ के प्रतिनिधियों और कृषि स्टार्टअप्स से जुड़े संगठनों के प्रतिनिधियों ने झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी के स्टॉल पर मोटे अनाज से सम्बंधित जानकारी प्राप्त किया। उत्पाद से जुडी जानकारी, खेती सम्बन्धी जानकारी प्राप्त किया, बीज की उपलब्धता से जुड़े सवाल पूछे और केवीके से मिलने वाली सहायत के विषय में भी जानकारी प्राप्त किया।
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संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मुख्य रूप से भारत द्वारा प्रस्तावित और 70 से अधिक देशों द्वारा समर्थित एक संकल्प को अपनाया है। जिसमें 2023 को मोटे अनाज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया गया है। भारत सालाना लगभग 16 मिलियन मीट्रिक टन मोटे अनाज का उत्पादन करता है।
ज्ञात हो कि पोषण के पावर हाउस के रूप में जाने जाने वाले सुपर फूड्स को मान्यता देने के लिए यह सम्मेलन खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय भारत सरकार और पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज राष्ट्रीय औद्योगिक संगठन के द्वारा आयोजित किया जा रहा है। मिलेट सह प्रदर्शनी पहला मोटा अनाज कार्यक्रम है। जो मोटा अनाज अंतरराष्ट्रीय वर्ष के दौरान राज्य में आयोजित किया जा रहा है।
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सम्मेलन सह प्रदर्शनी में उद्योगों, स्वयं सहायता समूह, कृषि वैज्ञानिक, उन्नत किसान, संगठित कृषि संगठन एवं संबंधित क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने पैनल चर्चा का भी आयोजन किया। झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी के डीन एग्रीकल्चर आरपी सिंह रतन की अध्यक्षता में आयोजित तकनीकी पैनल चर्चा का आयोजन किया गया।पैनल चर्चा में बीएयू के मिलेट वैज्ञानिक डॉ. अरुण कुमार भी शामिल थे।
झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी के स्टॉल पर जानकारी उपलब्ध कराने के लिए बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थी, कृषि में शोध कर रहे शोधार्थी और कृषि संकाय के शोधार्थी उपस्थित थे।