कंप्यूटर का अविष्कार मानव इतिहास का युगांतरकारी अध्याय है इस अविष्कार के साथ ही मनुष्य ने अपने काम मशीनों से करवाने का चलन शुरू किया था । कृत्रिम बुद्धि शब्द का इस्तेमाल तब से ही चलना में आया। इसे ही आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के नाम से सभी पहचानते है।
फेसबुक ने 2017 में अपने एक रिसर्च प्रोग्राम को अचानक बंद कर दिया गया जो आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस पर शोध से संबंधित था। मीडिया रिपोटों के जरिये जो जानकारी सामने आयी वह बेहद हैरान करने वाली थी। शोध कार्यक्रम इसलिए बंद करना पड़ा क्योंकि डिज़ाइन किए गए चैटबॉट्स ने अंग्रेज़ी के बजाय एक अलग ही भाषा ईज़ाद कर ली जिसे इंसान नहीं समझ सकते थे। । इस घटना को लेकर विज्ञान जगत में काफी बहस हुई। इस के बाद दुनिया के कई बड़े वैज्ञानिकों ने यह माना की भविष्य में मानव को मशीनों से चुनौतियों का सामना करना होगा। इस के बाद से ही दुनिया भर में वैज्ञानिक अक़्लमंद मशीनें तैयार करने में लगे हुए है जो मानवता की रक्षा कर सकें। कोरोना वायरस ने दुनिया को जितना प्रभावित करना था किया लेकिन अब पूरी दुनिया की नजर इसके वैक्सीन की खोज पर टिकी है। कोरोना वायरस कोविड-19 की वैक्सीन खोजने की रेस में रूस ने स्पुतनिक 5 नामक टीके को अविष्कार करने का दावा किया है। भारत समेत दुनिया के कई देश भी इसी काम में जुटे हैं। वैज्ञानिक, शोधकर्ता और दवा बनाने वाले साथ मिल कर इस चुनौती को कम से कम समय में पूरी करने की कोशिश में लगे हैं। इस चुनौती से निपटने में सबसे बड़ा सहायक साबित हुआ है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग।
पहले के दौर में कोई नई वैक्सीन या दवा बनने में सालों का वक्त लगता था। लेकिन एआई और मशीन लर्निंग के इस्तेमाल से इस काम को सालों की बजाय अब कुछ दिनों में ही पूरा कर लिया जाता है।
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस:
ग्रीक मिथकों में ‘मैकेनिकल मैन की अवधारणा से संबंधित कहानियाँ मिलती हैं अर्थात् एक ऐसा व्यक्ति जो हमारे किसी व्यवहार की नकल करता है। प्रारंभिक यूरोपीय कंप्यूटरों को ‘लॉजिकल मशीन ‘ कहकर बुलाया जाता था। तकनीक के बढ़ते प्रयोग और तेज गति से काम करने करने के विचार को समृत वर्क में बदलने के लिए ऐसी मशीनों के बारे में सोचा गया जो इंसानों के निर्देश को समझना, चेहरे की पहचान, ख़ुद से गाड़ियां चलाना , किसी गेम को जीतने के लिए खेलना, घरेलु काम करना बेहतर और समझदारी के साथ कर सके। यही कहलाया एआई या आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस। इसका हमारे जीवन में कितना दखल है इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते है की होटल में रोबोट, कार का ड्राइवर, हॉस्पिटल में सर्जरी करने वाले, ट्रैफिक कण्ट्रोल करने वाले सभी रोबोट्स ही है। इतना ही नहीं नयी दवाएं तैयार करना, नये केमिकल तैयार करना, निर्देश देना, मार्ग बताना, माइनिंग करने और यहाँ तक की एयर ट्रैफिक कंट्रोल के लिए आर्टिफ़िशियल दिमाग का इस्तेमाल किया जाता है। नीति आयोग ने इसके महत्व को देखते हुए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के मुद्दे पर बहस और विचार करने के लिए ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए राष्ट्रीय नीति’ पत्र बनाया था। भारत सरकार ने राष्ट्रीय “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पोर्टल” लॉन्च किया है, जिसका नाम एआई डॉट गॉव डॉट इन (ai.gov.in) है।
भारत अपनी अर्थव्यवस्था को डिज़िटल अर्थव्यवस्था बनाने के साथ-साथ सरकारी काम-काज को AI से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। रोबोटिक्स, वर्चुअल रियल्टी, बिग डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग को फिफ्थ इंडस्ट्रियल रिवोल्युशन कहा जा रहा है इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 3-डी प्रिंटिंग और ब्लॉक चेन शामिल हैं ।