खनिज संपदा हमारे जीवन का मुख्य आधार है। खनिज संपदा को निकालने का काम प्रशिक्षित लोगों के नेतृत्व में किया जाता है, जिन लोगों को माइनिंग इंजीनियर कहते हैं। खनिज संपदा को निकालने के कार्य को खनन (माइनिंग) इंजीनियरिंग कहते हैं। बिहार, झारखंड, उड़ीसा, मध्य प्रदेश व पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में खनिज पदार्थ भारी मात्रा में हैं। इसको देखते हुए देश में माइनिंग इंजीनियर्स की डिमांड काफी तेजी के साथ बढ़ती जा रही है।झारखण्ड के सीमावर्ती राज्यों में इस विषय की पढ़ाई को लेकर काफी क्रेज देखा गया जाता है क्योकि इस सेक्टर में आज भी जॉब काफी संख्या में निकलते है। माइनिंग इंजीनियरिंग में कैरियर बनाने के लिए किसी मान्यताप्राप्त विद्यालय से साइंस स्ट्रीम में 12 वीं कक्षा पास करना अनिवार्य है। इसके बाद बीटेक और एमटेक जैसे कोर्स भी है। डिप्लोमा इन माइनिंग इंजीनियरिंग इस फील्ड का एक लोकप्रिय कोर्स है जिसमे 10 वीं पास स्टूडेंट भी एडमिशन लेकर अपना भविष्य उज्जवल बना सकता है। माईन मशीन ऑपरेटर ,माइनिंग सरदार जैसे कई जॉब है जो डिप्लोमा लेवल की योग्यता मांगते है।
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झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी, रांची का डिपार्टमेंट ऑफ़ माइनिंग इंजीनियरिंग अपने अद्यतन पाठ्यक्रम, अनुभवी फैकल्टी मेंबर्स और पढ़ाई साथ अतिरिक्त गतिविधियों चलते अपनी विसिष्ट पहचान रखता है। राज्य के चुनिंदा विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में ही ममिनिंग इंजीनियरिंग की पढ़ाई होती है। इस कारण राज्य के बाहर के स्टूडेंट्स पढ़ने के लिए झारखण्ड आते है। अगर सरकारी संस्थानों बात करें तो आईआईटी धनबाद, बीआईटी सिंदरी, सीआईएमएफआर धनबाद और गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक निरसा धनबाद के अलावा अन्य नाम नजर नहीं आता है। ये सभी संस्थान कोयला नगरी धनबाद के आसपास स्थित है। राजधानी रांची, जमशेदपुर और राज्य के अन्य जिलों में इस प्रकार का कोई सरकारी संस्थान नहीं है। निजी सस्थानों में झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी, रांची पिछले कई वर्षों से जाना पहचाना नाम जिसने अपने एजुकेशनल एनवायरनमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण अपनी अलग पहचान बनायीं है। यूनिवर्सिटी का डिपार्टमेंट ऑफ़ माइनिंग इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट जिसमे डिप्लोमा इन माइनिंग इंजीनियरिंग और बीटेक इन माइनिंग इंजीनियरिंग की नियमित पढ़ाई होती है सभी विभागों में अपना विसिष्ट स्थान रखता है। रांची शहर में स्थित होने से अन्य राज्यों से पढ़ाई करने आने वाले स्टूडेंट्स की पहली पसंद भी है। सीसीएल, मेकॉन, सीएमपीडीआई, एचईसी, सेल जैसे बड़े संस्थानों मुख्यालय रांची में होने के कारण माइनिंग के स्टूडेंट्स को इसका लाभ भी मिलता है। माइनिंग इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के अनुभवी फैकल्टी मेंबर्स स्टूडेंट्स को इस सेक्टर में बेहतर करने के लिए तैयार करते है।
यहाँ से माइनिंग इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को इंडस्ट्री सेंट्रिक सिलेबस के साथ इस फील्ड के अनुभवी लोगों का मार्गदर्शन समय समय पर मिलता रहता है। इसके अलावा प्रैक्टिकल एजुकेशन की जरुरत को पूरा करने के लिए इंडस्ट्री विजिट,इंटर्नशिप,वर्कशॉप,गेस्ट लेक्चर, माइंस विजिट भी नियमित तौर पर करवाई जाती है।
- यूनिवर्सिटी द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही सुविधाओं में :
- 100 प्रतिशत पीडीपीटी ( पोस्ट डिप्लोमा प्रैक्टिकल ) ट्रेनिंग। यह ट्रेनिंग संपन्न होती है सीसीएल,एसीएल और बीसीसीएल जैसे नामी संस्थानों में।
- कोर्स के दौरान व्यावहारिक (वोकेशनल ) प्रशिक्षण की वयवस्था।
- पढ़ाई के दौरान औद्यौगिक भ्रमण (इंडस्ट्रियल विजिट)की सुविधा जिनमें सीएमपीडीआई, सीआईएमएफआर, जीएसआई जैसे संस्थान शामिल है ।
- गैस टेस्टिंग एग्जामिनेशन में लैंप हैंडलिंग सर्टिफिकेट प्राप्त करने में सहयोग।
- ओवरमैन एग्जामिनेशन पास करने के लिए कैंपस में फ्री प्रतियोगिता परीक्षा तैयारी की सुविधा।
- डायरेक्टर जेनेरल ऑफ़ माइंस सेफ्टी (डीजीएमएस ) द्वारा दी जाने वाली योग्यता जाँच प्रमाणपत्र को प्राप्त करने में सहयोग।
- बोर्ड ऑफ़ प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (बीओपीटी ) कोलकाता द्वारा मान्यता प्राप्त।
- योग्य और अनुभवी शिक्षकों का मार्गदर्शन।
- मॉडर्न माइनिंग लेबोरेटरी की सुविधा शामिल है।