Pharma Anveshan 2024

झारखण्ड राय विश्वविद्यालय के फार्मेसी संकाय में फार्मा अन्वेषण 2024 का आयोजन

फार्मेसी के जनक कहे जाने वाले प्रोफेसर महादेव लाल श्रॉफ के जन्मदिवस पर झारखण्ड राय विश्वविद्यालय रांची के फार्मेसी संकाय के द्वारा “फार्मा अन्वेषण 2024” का आयोजन किया गया। प्रो. श्रॉफ के जन्म दिवस को राष्ट्रीय फार्मेसी शिक्षा नीति के रूप में भी मनाया जाता है। फार्मेसी कौंसिल ऑफ़ इंडिया, नई दिल्ली के निर्देश पर इस वर्ष यह दिवस ” तालमेल का लाभ उठाना: उद्योग-अकादमिक साझेदारी के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 का कार्यान्वयन” विषय पर आयोजित किया गया।

झारखंड राय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. (डॉ.) सविता सेंगर ने प्रोफेसर श्रॉफ के जन्म दिवस पर आयोजित कार्यक्रम फार्मा अन्वेषण 2024 पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की ” भारत में फार्मेसी के जनक कहे जाने वाले प्रो श्रॉफ का जन्मदिवस मनाना एवं नई पीढ़ी को उनके योगदान से परिचित करना एक सार्थक प्रयास है। यह दिवस राष्ट्रीय फार्मेसी शिक्षा नीति दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है। विश्वविद्यालय के फार्मेसी संकाय को इस प्रकार के आयोजन के लिए शुभकामनाएं व्यक्त करती हूँ।“

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विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. पीयूष रंजन ने परिचर्चा के आयोजन पर बधाई देते हुए कहा कि “यह दिवस फार्मेसी के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों और फार्मासिस्ट का समाज के प्रति दायित्व के निर्वाहन के बारे में बताता है। नई पीढ़ी जो इस क्षेत्र से जुड़े हुए है उन्हें प्रोफेसर श्रॉफ के द्वारा फार्मेसी प्रोफेशन एवं प्रोफेशनल्स के लिए किये गए कार्यों से सीखलेते हुए समाज के लिए उदारहण प्रस्तुत करना चाहिए।“

भारत में फार्मेसी शिक्षा के जनक:
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया, (PCI) ने प्रोफेसर महादेव लाल श्रॉफ की जयंती को राष्ट्रीय फार्मेसी शिक्षा दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की थी। भारत में फार्मेसी शिक्षा की स्थापना में प्रो. लाल की बड़ी भूमिका थी। उनके योगदान की याद और सम्मान में प्रतिवर्ष 6 मार्च को राष्ट्रीय फार्मेसी शिक्षा दिवस मनाया जाता है। प्रो. श्रॉफ इस देश में काम करने वाले सभी फार्मासिस्टों के लिए उनकी शाखाओं और कर्तव्यों की विविधता के बावजूद आज भी एक आदर्श बने हुए हैं। उन्होंने भारत में फार्मेसी शिक्षा के निर्माण में महान भूमिका निभाई, उन्होंने फार्मेसी पेशे के अन्य पहलुओं के विकास में भी अपना योगदान दिया। महादेव लाल श्रॉफ का जन्म बिहार के दरभंगा शहर में 6 मार्च 1902 को हुआ था। 25 अगस्त 1971 को उनका निधन हुआ ।

बैचलर ऑफ फार्मेसी डिग्री हासिल करने के लाभ:
https://www.jru.edu.in/programs/department-of-pharmacy/bachelor-in-pharmacy-b-pharm/

फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया:
फार्मेसी कौंसिल ऑफ़ इंडिया, नई दिल्ली भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन एक वैधानिक संस्था है। फार्मेसी अधिनियम, 1948 के तहत इसका गठन देश में फार्मेसी शिक्षा और पेशेवरों को विनियमित करने के लिए किया गया था। इसका गठन फार्मेसी अधिनियम की धारा (3) के तहत 9 अगस्त 1949 को किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य फार्मेसी अधिनियम के तहत फार्मेसी शिक्षा को रेगुलेट करना, फार्मासिस्टों का पंजीकरण, फार्मासिस्टों के प्रैक्टिस पर नजर रखना है।

फार्मासिस्ट भी शुरू कर सकेंगे अब अपना खुद का क्लिनिक
https://www.jru.edu.in/programs/department-of-pharmacy/diploma-in-pharmacy/

भारत में फार्मेसी शिक्षा:
भारत में फार्मेसी शिक्षा का इतिहास काफी पुराना है। जब देश ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन था, उसी समय से इस प्रकार के पाठ्यक्रम की मांग उठ रही थी। भारत में फार्मेसी शिक्षा का बीज सबसे पहले 1860 में मेडिकल कॉलेज, मद्रास की ओर तैयार किया गया था। बैचलर, डिप्लोमा या अस्पताल सहायता के लिए अर्हता प्राप्त छात्रों को फार्मेसी की कार्य कुशलता प्रदान करने के लिए फार्मेसी कक्षाएं आरंभ की गयी। जुलाई 1937 में प्रो. श्रॉफ के अथक प्रयासों से फार्मास्युटिकल केमिस्ट्री और फार्माकोग्नॉसी को बीएससी डिग्री के रूप में पेश किया गया। वर्तमान में फार्मेसी को सार्थक परिणामों वाले एक सुस्थापित पाठ्यक्रम के रूप में पहचाना जाता है।

परिचर्चा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए फार्मेसी संकाय के प्रो. (डॉ.) रणधीर कुमार गुप्ता ने उद्योग जगत और अकादमी के सहयोग पर विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए अपनी बातें रखी। उद्योग जगत से आये श्री प्रिय बता बोई, डॉ. सुमित पांडेय ने भी विद्यार्थियों के समक्ष अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए दिवस की महत्ता पर प्रकाश डाला। धन्यवाद ज्ञापन फार्मेसी संकाय के विभागाध्यक्ष डॉ. सैयद मो. अब्दुल्लाह ने किया।