झारखंड राय यूनिवर्सिटी, रांची के माइनिंग इंजीनियरिंग विभाग में इनोवेशन इन माइनिंग स्मार्ट एंड सस्टनेबल फ्यूचर विषय पर पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। 17 से 21 फ़रवरी तक आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन झारखंड राय विश्वविद्यालय रांची की कुलपति प्रो o सविता सेंगर ने कुलसचिव प्रो o पीयूष रंजन एवं आईआईटी खड़गपुर के प्रोफेसर डॉo बीo के o प्रउटी ने संयुक्त रूप से किया।
पांच दिनों तक चले कार्यशाला में रेयर अर्थ मिनरल्स, माइनिंग शेफ्टी, एनवायरनमेंट माइन फायर, सस्टनेबल माइनिंग प्रैक्टिस, माइनिंग वेंटिलेशन सिस्टम पर देश एवं विदेश के माइनिंग इंडस्ट्री एवं अकादमिक क्षेत्र की कई प्रसिद्द हस्तियों ने सम्बोधित किया। कार्यशाला के पहले दिन उद्घाटन सत्र के बाद आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर बी के प्रुस्टि ने इन्नोवेशंस ऑफ़ रेयर अर्थ माइनिंग विषय पर विस्तार से अपनी बातें रखी। वहीं दूसरे सत्र को आईआरईएल इंडिया के जीएम वी चंदशेखर सम्बोधित किया श्री चंद्रशेखर ने माइनिंग इन रेयर अर्थ मिनिरल्स विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।
कार्यशाला के दूसरे एवं तीसरे दिन एनआईटी सूरतकल में सहायक प्रोफेसर डॉ ० अमृतेश सेनापति ने शेफ्टी इन माइनिंग विषय पर जानकारी दी जबकि अगले दिन साउथ डकोटा स्कूल ऑफ़ माइंस एंड टेक्नोलॉजी यूएसए में रिसर्च साइंटिस्ट डॉ० श्री वतसन जयारमन ने अडवांस्ड माईन्स वेंटिलेशन सिस्टम पर चर्चा किया।
कार्यशाला के चौथे दिन बीआईटी सिंदरी में सहायक प्राध्यापक डॉ० आदित्य पांडेय का व्याख्यान आयोजित हुआ माईन एनवायरनमेंट को लेकर विस्तारपूर्वक जानकारी दिया।
कार्यशाला के पांचवे एवं अंतिम दिन सीआईएम्एफआर धनबाद में सीनियर साइंटिस्ट डॉ ० देबाशीष मिश्रा का सम्बोधन हुआ जिसका विषय माईन फायर एंड हैज़ार्डस था। इस दौरान उन्होंने खदानों में लगने वाली आग एवं अन्य खतरों के बारे बारे में बताने का काम किया।
कार्यशाला में कुल 188 विद्यार्थी शामिल हुए जिसमें इथोपिया, साउथ अफ्रीका, यूएसए, पापुआ न्यू गिनी, बांग्लादेश के अलावा देश के विभिन्न आईआईटी, एनआईटी के अलावा झारखंड राय यूनिवर्सिटी, बीआईटी सिंदरी समेत अन्य कॉलेजों के विद्यार्थी शामिल थे।
कार्यशाला के संयोजक माइनिंग विभाग में सहायक प्राध्यापक डॉ ० जय प्रकाश मीणा सह संयोजक का दायित्व प्रो ० सुमीत किशोर एवं डॉ० विनीता कुमारी ने निभाया। कार्यशाला को सफल बनाने में विश्वविद्यालय के माइनिंग इंजीनियरिंग विभाग के सभी शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।