डॉक्टर बनने का सपना देश भर के अनगिनत छात्रों के दिल और दिमाग को मंत्रमुग्ध कर देता है। छोटी उम्र से ही, वे खुद को सफेद कोट पहनने, जीवन बचाने और अपनी चिकित्सा विशेषज्ञता के माध्यम से दुनिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने की कल्पना करते हैं।
चिकित्सा में करियर बनाने की आकांक्षा नेक और प्रेरणादायक है, जो दूसरों को ठीक करने, सेवा करने और उनके जीवन में बदलाव लाने की वास्तविक इच्छा से प्रेरित है। हालाँकि, कई महत्वाकांक्षी डॉक्टरों के सपने तब चकनाचूर हो जाते हैं जब वे NEET पास करने में असफल हो जाते हैं।
नीट यूजी एग्जाम ख़त्म हो चूका है। अब सभी को रिजल्ट का इंतजार है। हर साल इस परीक्षा के लिए 15 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स अप्लाई करते हैं। इस साल तो यह संख्या सबसे ज्यादा 24 लाख थी। जबकि देश में MBBS की सीटें केवल 91 हजार ही हैं। ऐसे में प्रतियोगिता बेहद कठिन हो जाती है। टॉप स्कोर हासिल करने वालों को ही एमबीबीएस में एडमिशन मिल पाता है. लेकिन अगर आपके नीट में नंबर कम आए, तो निराश बिल्कुल न हों। क्योंकि केवल नीट परीक्षा में सफल होना अथवा डॉक्टर बनाना ही सफलता की गारंटी नहीं है। दुनिया में और भी कई लोग और प्रोफेशन है जो आपको सफलता के मुकाम पर पहुंचा सकते हैं। नीट परीक्षा में फेल होकर या जिनका सपना डॉक्टर बनने का पूरा नहीं हो पाता उनमें से अधिकांश हिम्मत हार जाते हैं। कुछ फिर से तैयारी में जुटे है और अधिकांश मेडिकल फिल्ड से तौबा कर अपना रास्ता ही बदल देते हैं।
आज हम आपको कुछ वैसे नीट एस्पिरेंट्स के बारे में बताने वाले हैं जिन्होंने नीट परीक्षा में असफल होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और मेडिकल फिल्ड में ही अपने लिए सुनहरा रास्ता तलाशा। आज वह अपने डॉक्टर बनने के सपने के बेहद करीब पहुँच चुके है।
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ओड़िशा की रहने वाली स्नेहा बैचलर ऑफ़ फिजिओथेरेपी कर रही है। स्नेहा बचपन से डॉक्टर बनना चाहती थी। इसलिए 12 वीं के बाद नीट की तैयारी में जुट गई। अपने जूनून को पूरा करने के लिए उसने आगे की पढ़ाई भी जारी नहीं रखने का फैसला किया। नीट परीक्षा में अच्छे मार्क्स नहीं आने के बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारा और नीट की असफलता के बाद मैंने मेडिकल फील्ड में ही करियर बनाने का फैसला किया और फिजिओथेरेपिस्ट बनाने का फैसला किया। स्नेहा इसी फील्ड में और आगे पढ़ना चाहती है। उसका अगला लक्ष्य मास्टर्स करने का है।
झारखंड राय यूनिवर्सिटी से बैचलर इन फिजियोथेरेपी की पढ़ाई कर रहे जीतेन्द्र का सपना भी डॉक्टर बनने का था। अपने सपने को पूरा करने के लिए उसने नीट की तैयारी शुरू की । 2साल की कड़ी मेहनत के बाद जब परिणाम आशा के अनुरूप नहीं आए। जितेंद्र के डॉक्टर बनने का सपना पूरा हुआ बीपीटी कोर्स में एडमिशन के साथ। बैचलर ऑफ़ फिजियोथेरेपी करने के बाद मौका मिलता है अपनी प्रैक्टिस शुरू करने का। किसी अन्य डॉक्टर की तरह क्लिनिक चलने का और नाम के पहले डॉक्टर जोड़ने का।
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केवीएस बोकारो से 12 वीं के बाद साइंस सब्जेक्ट में इंट्रेस्ट को देखते हुए कहकशां ने नीट एग्जाम की तैयारी शुरू की। परीक्षा की तैयारी में एक लंबा समय केवल कोचिंग जाने , ऑनलाइन टेस्ट देने और फिर नोट्स बनाने में खर्च हुआ। परीक्षा देने के बाद भी कोई खासी सफलता नहीं मिली| इसी बीच कहकशां को सीयूइटी(CUET) परीक्षा के बारे में पता चला। परीक्षा के बारे में जानकारी जुटानेके दौरान उसने बीएससी एग्रीकल्चर ऑनर्स करने का मन बनाया। झारखंड राय विश्वविद्यालय रांची से बीएससी एग्रीकल्चर ऑनर्स कर रही कहकशां अब अपना भविष्य एग्रीकल्चर साइंस में देखती है। वह सॉयल साइंस के क्षेत्र में फील्ड रिसर्च से जुड़ना चाहती है।
अंशु मूलतः पूर्णिया बिहार का रहने वाला है । केंद्रीय विद्यालय से 12 वीं करने के बाद उसने नीट परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग करना शुरू किया। परीक्षा देने के क्रम में ही उसे एग्रीकल्चर फील्ड और जॉब्स के बारे में पता चला। अंशु ने नीट परीक्षा देने के बाद सबसे पहले इस सब्जेक्ट के बारे में जानकारी जुटाई| और इसे फील्ड के स्कोप को जाना। अंशु का कहना है ” नीट परीक्षा का परिणाम मेरे आशा के अनुरूप नहीं आया था लेकिन मुझे मेरे इंट्रेस्ट का सब्जेक्ट मिल चूका था। बीएससी एग्रीकल्चर कम्पलीट कर मुझे यूपीएससी की तैयारी करनी है। मेरा सपना एग्रीकल्चर के फिल्ड में रिसर्च करने का है।