BEST BSC AGRICULTUERE COLLEGE RANCHI

(स्टार्ट  इट अप )  स्टार्ट योर ओन  माइक्रोग्रीन फार्मिंग बिज़नेस।

लॉकडाउन के दौरान बैठे-बैठे आपको भी लग रहा है कि क्या करें ? ऐसे में आप माइक्रोग्रीन्स उगा सकते हैं जो आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए उपयोगी हैं। माइक्रोग्रीन्स उगाना आसान है, इन्हे लगाने से काटने तक एक से दो सप्ताह का समय चाहिए और इस बीच में लॉकडाउन की अवधि पूरी कर सकते हैं। माइक्रोग्रीन्स आपके भोजन को स्वादिष्ट और पोष्टिक बना सकते हैं।इन्हें स्वयं उगाना रोमांचक अनुभव  है।BEST AGRICULTURE COLLEGE RANCHI

माइक्रोग्रीन्स का उत्पादन

माइक्रोग्रीन्स को थोड़े दिन के अंतराल पर कई बार  उगाया जा सकता है। दिलचस्प बात यह है कि आपके किचन में पूरे साल माइक्रोग्रीन्स का उत्पादन किया जा सकता है, बशर्ते वहां सूर्य की रोशनी आती हो। विटामिन, पोषक तत्वों और बायोएक्टिव कंपाउंड्स के खजाने के रूप मे जाना जाता है। इस कारण माइक्रोग्रीन्स को सुपर फूड भी कहा जाता है। चना, मूंग, मसूर को अंकुरित करके खाना भारतीयों की आदत में शुमार है।  इन्हें अंकुरित बीज या स्प्राउट भी कहते हैं। माइक्रोग्रीन्स इन से कुछ अलग है क्योंकि अंकुरित बीजों या स्प्राउट्स में हम जड़, तना एवं बीज-पत्र को खाने में प्रयोग में लाते हैं।

पौष्टिक और स्वादिष्ट

लेकिन माइक्रोग्रीन्स में तने, पत्तियों और बीज-पत्र का उपयोग किया जाता है और जड़ो को नहीं खाते हैं। आमतौर पर माइक्रोग्रीन्स को मिट्टी या उससे मिलते जुलते मीडिया पर उगाया जाता है। माइक्रोग्रीन्स को विकास के लिए सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। मूली और सरसों जैसी सामान्य सब्जियों के बीज का उपयोग इसके लिए किया जाता है। कोरोना लॉक डाउन के दौरान माइक्रोग्रीन्स के लिए पौधों के बीज मिलने आसान नहीं है परंतु घर में उपलब्ध मेथी, मटर, मसूर दाल, मसूर, मूंग, चने की दाल को स्प्राउट्स के जगह माइक्रोग्रीन्स से रूप में उगा कर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाया जा सकता है।

हफ्ते के भीतर ही तैयार

लॉक डाउन के दौरान घर में ही उपलब्ध सामग्री का प्रयोग करके माइक्रोग्रीन्स को उगाना संभव है। इसके लिए 3 से 4 इंच मिट्टी की परत वाले किसी भी डब्बे को लिया जा सकता है और यदि ट्रे उपलब्ध है तो और  भी अच्छा। मिट्टी की सतह पर बीज को फैला कर   और उसके ऊपर मिट्टी की एक पतली परत डालकर  यह सुनिश्चित कर  लें कि मिट्टी कंटेनर में अच्छी तरह से बैठ गई है। मिट्टी के ऊपर सावधानीपूर्वक पानी डालकर नमी बनाकर रखने से दो से तीन दिन में ही बीज अंकुरित हो जाते हैं। इन अंकुरित बीजों को थोड़ी धूप वाली जगह में रखकर उन पर दिन में दो से तीन बार पानी का छिड़काव किया जाता है। 1

हफ्ते के भीतर ही माइक्रोग्रीन्स तैयार हो जाते हैं। यदि आप चाहें तो इन्हें 2 से 3 इंच से अधिक उचाई तक बढ़ने दे सकते हैं। यह विभिन्न व्यंजनों के अलावा सलाद और सैंडविच में भी उपयोग में लाया जा सकता  हैं। इनकी कटाई केंची के द्वारा आसानी से की जाती है।  फ्रिज में रखने से लगभग 10 दिन तक इसका उपयोग किया जा सकता है।

शहरों में जहां घरों में सीमित स्थान है , माइक्रोग्रीन्स का उत्पादन एक अच्छा विकल्प है। खासतौर पर कोरोना त्रासदी के समय जब आपके पास समय की कोई कमी नहीं है और जल्दी तैयार होने वाली फसल का उत्पादन मुख्य उद्देश्य है, माइक्रोग्रीन उत्पादन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। माइक्रोग्रीन्स उगाना वयस्कों के लिए ही सुखद नहीं बल्कि  कॉलेज स्टूडेंट्स के  लिए रुचिकर खेल है। तो सोच क्या रहें हैं आज ही घर की छत या बॉलकोनी में गमले,बेकार पड़े पॉट का इस्तेमाल करें और घर पर ही करें खेती किसानी।।