केंद्रीय बजट 2025-26 में किसानों के लिए बड़ी राहत दी गई है. कृषि लोन की सीमा 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दी गई, जिससे झारखंड के 21.50 लाख से अधिक किसानों को लाभ मिलेगा। 1 फ़रवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में अपना आठवां बजट पेश किया. जिसमें 2025-26 का आम बजट पेश किया गया. इस बजट में किसान क्रेडिट कार्ड पर कृषि लोन की सीमा बढ़ाया गया है. जिसे 3 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख तक की घोषणा की है. झारखंड में लगभग 21.50 लाख से अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सकता है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना (PM Kisan Samman) की बात करें तो 21 लाख से अधिक किसान इस योजना से जुड़े है।
बजट 2025 -26 में कृषि :
बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री ने कृषि क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने इस क्षेत्र के लिए कम से कम नौ नए मिशन या कार्यक्रमों की घोषणा की और भारत को “विश्व का खाद्य भंडार” बनाने में किसानों की भूमिका को स्वीकार किया। सीतारमण ने कृषि को “विकास का पहला इंजन” बताते हुए अपने भाषण की शुरुआत सरकार की कृषि प्राथमिकताओं से की। ये घोषणाएं कृषि क्षेत्र के महत्व को स्वीकार करने का संकेत थीं, जो लाखों लोगों की आजीविका से गहराई से जुड़ा हुआ है। कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जिसने पिछले कुछ सालों के दौरान स्थिर वृद्धि दर्ज की है और भारत के आर्थिक विकास का एक प्रमुख कारक बना हुआ है।
जानें बजट 2025-26 में कृषि क्षेत्र को क्या मिला :
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सीतारमण ने 9 प्रमुख कार्यक्रमों का प्रस्ताव रखा, जो कृषि क्षेत्र की वृद्धि और उत्पादकता को बढ़ाने पर केंद्रित हैं:
- प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना: इसे राज्यों के साथ साझेदारी में 100 कम उत्पादकता वाले जिलों में लागू किया जाएगा, जहां फसलों की गहनता मध्यम है और कृषि ऋण मानक औसत से कम हैं। इस कार्यक्रम से 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है, लेकिन बजट दस्तावेज में इस योजना के लिए आवंटित राशि स्पष्ट नहीं है।
- दालों में आत्मनिर्भरता के लिए मिशन: छह वर्ष का यह मिशन 2025-26 के लिए 1,000 करोड़ रुपए के बजट के साथ शुरू किया जाएगा। इसका मुख्य फोकस तूर (अरहर), उड़द (काला चना), और मसूर (लाल मसूर) पर रहेगा। इसके तहत केंद्रीय एजेंसियां—नेफेड और एनसीसीएफ — अगले चार वर्षों तक पंजीकृत किसानों से इन तीनों दालों की जितनी भी पेशकश होगी, उतनी खरीदेंगी।
- सब्जी और फलों के लिए व्यापक कार्यक्रम: यह राज्यों के साथ साझेदारी में शुरू किया जाएगा, जिसका उद्देश्य उत्पादन, आपूर्ति शृंखला, प्रसंस्करण और किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाना है। इस मिशन के लिए 2025-26 में ₹500 करोड़ का बजट रखा गया है।
- कपास उत्पादकता मिशन: पांच वर्षीय इस मिशन को 2025-26 के लिए ₹500 करोड़ आवंटित किए गए हैं। यह कपास की उत्पादकता और स्थिरता में सुधार करने तथा अतिरिक्त लंबा रेशा (एक्स्ट्रा-लॉन्ग स्टेपल) कपास की किस्मों को बढ़ावा देने पर केंद्रित रहेगा।
- उच्च उपज वाले बीजों का राष्ट्रीय मिशन: यह मिशन उन 100 से अधिक उच्च उपज, कीट-प्रतिरोधी और जलवायु-लचीले बीजों के वाणिज्यिक उपयोग, लक्षित विकास और प्रचार पर केंद्रित रहेगा, जो जुलाई 2024 के बाद जारी किए गए हैं। इसे 2025-26 के लिए ₹100 करोड़ आवंटित किए गए हैं।
- बिहार में मखाना बोर्ड: बिहार में मखाना उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्द्धन और विपणन को बढ़ाने के लिए एक मखाना बोर्ड स्थापित किया जाएगा। इस मिशन को 2025-26 में ₹100 करोड़ आवंटित किए गए हैं। यह किसानों को प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करेगा, साथ ही मखाना उत्पादन से जुड़े लोगों को किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) में संगठित किया जाएगा।
- ग्रामीण समृद्धि और सुदृढ़ता कार्यक्रम: यह राज्यों के साथ साझेदारी में शुरू किया जाएगा और कृषि में अधूरी रोजगार संभावनाओं को कौशल विकास, निवेश और तकनीक के माध्यम से संबोधित करेगा। यह विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं, युवा किसानों, ग्रामीण युवाओं, सीमांत और छोटे किसानों और भूमिहीन परिवारों पर केंद्रित रहेगा।
- मत्स्य पालन क्षेत्र: सरकार भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और हाई सीज में मत्स्य संसाधनों के सतत उपयोग के लिए एक सक्षम नीति लाएगी, जिसमें अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूह पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इस संदर्भ में, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के बजट में 2025-26 में 2024-25 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 64% की उल्लेखनीय वृद्धि की गई है।
- असम में यूरिया संयंत्र: असम के कामरूप में सालाना 12.7 लाख मीट्रिक टन क्षमता वाला एक नया यूरिया संयंत्र स्थापित किया जाएगा, जिससे देश में यूरिया की आपूर्ति को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।