झारखण्ड राय विश्वविद्यालय, रांची के कृषि संकाय में सहायक प्राध्यापक नेहा कुमारी सिंह ने ” एक्वा फॉडर बेस्ड हायड्रोपोनिक डिवाइस ” का पेटेंट प्राप्त किया है। बिना मिट्टी के सिर्फ पानी के जरिए चारा उगाने की तकनीक पर आधारित उनका यह पेटेंट सूखे और पानी की कमी वाले क्षेत्रों के लिए बेहद उपयोगी है।प्रो.नेहा का यह पहला पेटेंट है।
झारखण्ड राय विश्वविद्यालय, रांची शोध और अन्वेषण के साथ बौद्धिक संपदा अधिकार को बढ़ावा देने के लिए कृत संकल्पित होकर कार्य कर रहा है। विश्वविद्यालय ने शिक्षकों के मौलिक कार्यों को पेटेंट करवाने और आईपीआर के इ प्रचार प्रसार को भी बढ़ावा देने का कार्य किया है। विश्वविद्यालय के 7 शिक्षकों ने अभी तक पेटेंट प्राप्त किया है।
IPR के बारे में जानकारी:
बौद्धिक संपदा (आईपी) संपत्ति की एक श्रेणी है जिसमें अमूर्तता शामिल है मानव बुद्धि के निर्माण, और मुख्य रूप से कॉपीराइट, पेटेंट शामिल हैं। ट्रेडमार्क बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) किसी अन्य संपत्ति की तरह हैं सही जो रचनाकारों, या मालिकों, पेटेंट, ट्रेडमार्क या मालिकों की अनुमति देता है कॉपीराइट किए गए कार्यों को एक निर्माण में अपने स्वयं के काम या निवेश से लाभ उठाने के लिए। बौद्धिक संपदा कानून का मुख्य उद्देश्य एक के निर्माण को प्रोत्साहित करना है बौद्धिक वस्तुओं की विस्तृत विविधता।
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पेटेंट किसे कहते हैं?
पेटेंट शब्द का उपयोग भौतिक आविष्कारों और बौद्धिक संपदा दोनों पर लागू होता है। एक पेटेंट किसी उत्पाद को बनाने और बेचने का अधिकार नहीं देता है; बल्कि यह दूसरों को अपने स्वयं के मौद्रिक लाभ के लिए एक आइटम या अपनी खुद की बौद्धिक संपदा के एक टुकड़े के उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार देता है।
प्रो. नेहा सिंह ने अपने पेटेंट के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि “ भारत जैसे देश में हाइड्रोपोनिक्स को गेम चेंजर विधि है। यह किसी भी वातावरण में सालभर की खेती की अनुमति देती है और कम पानी के उपयोग के साथ अधिक मात्रा में उत्पादन करने की संभावना प्रदान करती है।हाइड्रोपोनिक्स और अन्य मिट्टी-रहित कृषि तकनीक हमारी कृषि और कृषि उद्योग को अगले स्तर पर ले जाने में मदद कर सकती हैं। इस विधि के द्वारा पानी की बचत होती है। साथ ही किसान कम मेहनत में पशुओं के लिए हरा चारे का उत्पादन कर सकता है।
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पिछले कुछ वर्षों में पेटेंट को लेकर देश में संवेदनशीलता बढ़ी है। इसे बढ़ावा देने के लिए सरकारी स्तर भी काफी प्रचार प्रसार किया गया है। पेटेंट की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जा रहा है। विधिक दिक्कतों को न्यूनतम करने में यह कारगर साबित हुआ है। भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी इंडिया इस प्रकार के कार्यों के लिए कार्य कर रहा है।