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8 सितंबर : विश्व फिजियोथेरेपी दिवस

लोग समझते हैं कि दवा की गोली खा लेने से दर्द छू मंतर हो जाएगा। पर ऐसा होता नहीं है। कुछ देर की राहत के बाद फिर दवा पर निर्भरता की स्थिति बन जाती है, जोकि हमारे शरीर के लिए सही नहीं है। दरअसल हमारे शरीर की क्षमता में ही शरीर का इलाज छुपा है। इसे फिजियोथेरेपी पद्धति ने पहचाना और लोगों का इलाज बिना दवा-गोली के होना शुरू हुआ। हर वर्ष 8 सितम्बर को पूरे विश्व में ‘वर्ल्ड फिजियोथेरेपी डे’ मनाया जाता है। इस वर्ष इसका थीम है “क्रोनिक पेन “।

झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी रांची में बैचलर ऑफ़ फिजियोथेरेपी का कोर्स संचिलत है। इसकी अवधी 4 वर्ष होती है और कोई विज्ञान विषयों के साथ 12 वीं पास विद्यार्थी इसमें नामांकन ले सकता है।

स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में फिजियोथेरेपी चिकित्सा की अपनी अलग पहचान है। मौजूदा समय में अधिकांश लोग फिजियोथेरेपी की ओर रुख कर रहे हैं, क्योंकि यह न केवल कम खर्चीला होता है, बल्कि इसके दुष्प्रभाव भी नहीं है।

फीजिओथेरेपी मेडिकल साइंस की ऐसी प्रणाली है, जिसकी सहायता से जटिल रोगों का इलाज आसानी से किया जाता है। हालांकि, भारत में बहुत कम ही लोग इसके प्रति जागरूक हैं, जिस वजह से वो इसका लाभ कम ही उठा पाते हैं। फीजिओथेरेपी के जरिए ऑस्टिओअर्थराइटिस, स्पाइनल इंजरी जैसी जटिल बीमारियों का इलाज संभव है। इसका कोई साइड एफेक्ट भी नहीं होता है।

फिजियोथेरेपी यानी शरीर की मांसपेशियों, जोड़ों, हडि्डयों-नसों के दर्द या तकलीफ वाले हिस्से की वैज्ञानिक तरीके से आधुनिक मशीनों, एक्सरसाइज, मोबिलाइजेशन ,टेपिंग , के माध्यम से मरीज को आराम पहुंचाना। हालांकि अधिकतर लोग मानते हैं कि केवल योगा और कुछ कसरतें ही फिजियोथैरेपी होती हैं लेकिन ऎसा नहीं है। फिजियोथैरेपी में विशेषज्ञ कई तरह के व्यायाम और नई तकनीक वाली मशीनों की मदद से इलाज करते हैं।

फिजियोथेरेपी के कुछ फायदे :

  • ये आपको चोट से बचने में मददगार साबित होता है ।
  • सदमा या घाव से उबरे में मदद करता है ।
  • स्ट्रोक और पैरालिसिस से ठीक करने में मददगार है।
  • आयु संबंधी मेडिकल समस्या होने पर बेहतर प्रबंधन में फायदेमंद है।