शिक्षा का लक्ष्य चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास है। शिक्षा किसी देश की भाषा, सभ्यता, संस्कृति और जीवन आचरण से जुड़ा विषय है। इसका मुख्य अंग चरित्र निर्माण और सम्पूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण कर समाज के लिए आदर्श नागरिक तैयार करना है। उक्त बातें चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय संयोजक देश राज शर्मा ने झारखण्ड राय विश्वविद्यालय में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने बताया कि न्यास द्वारा 16 विषयों पर कार्य किया जा रहा है जिनमें से चरित्र निर्माण एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में शामिल है। उन्होंने पंचकोश अवधारणा से भी संछिप्त परिचय कराया। झारखण्ड राय विश्वविद्यालय, रांची एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त प्रयास से रविवार को एक दिवसीय कार्यशाला ” चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास आयोजन विश्वविद्यालय कैम्पस में किया गया।
कार्यशाला का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर सरस्वती वंदना के साथ किया गया। इसके उपरांत न्यास के संयोजक अमरकांत झा से उपस्थित अतिथयों का सभी से परिचय करवाया और कार्यशाला के विषय पर अपनी बातें रखी।
स्वागत भाषण करते हुए झारखण्ड राय विश्वविद्यालय, रांची की कुलपति एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, झारखण्ड की अध्यक्ष प्रो. सविता सेंगर ने सर्वप्रथम कार्यशाला के विषय और न्यास द्वारा किये जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा की ” शिक्षा का स्वरुप ऐसा होना चाहिए जो समाज और संस्कृति से जुड़ा हो। शिक्षा का उद्देश्य केवल व्यावसायिक दक्षता प्राप्त युवा शक्ति का निर्माण करना नहीं है युवाओं के अंदर चरित्र निर्माण का विकास करते हुए उन्हें एक आदर्श नागरिक के तौर पर समाज के लिए तैयार भी करना होता है।
एमिटी यूनिवर्सिटी रांची के कुलपति डॉ. रमन झा ने अपने संछिप्त भाषण में शिक्षा , शिक्षक और वर्तमान मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ” चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व का विकास मूलतः तीन बातों पर केंद्रित है। इन तीन के जरिये शिक्षक, विद्यार्थी और आदर्श समाज की कल्पना को साकार किया जा सकता है ये हैं – सुविधा, सम्बन्ध और समझ। ये तीनों ही चरित्र निर्माण का आधार स्तम्भ है और उनके व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास तभी संभव है।
सरला बिरला विश्वविद्यालय, रांची के कुल सचिव डॉ. विजय सिंह ने अपने सम्बोधन में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के अब तक किये गए कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा की नई शिक्षा नीति 2020 के निर्माण में न्यास की महत्वपूर्ण भूमिका है। आगामी वर्षों में नीति के क्रियान्वयन से अहम् बदलाव देखने को मिलेगें। देश की शिक्षा नीति भारतीय परम्पराओं और इतिहास के सही रूप को प्रदर्शित करने का कार्य करेगी।
कार्यशाला के दौरान समूह चर्चा और सामूहिक गतिविधि कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। गतिविधि कार्यों के जरिये प्रतिभागियों को विषय की समझ और उससे जुड़े कार्यों से अवगत करने का कार्य किया गया।
कार्यशाला के समापन अवसर पर झारखण्ड राय विश्वविद्यालय, रांची के कुलसचिव डॉ. पियूष रंजन ने उपस्थित अतिथियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने उपस्थित प्रतिभागियों और न्यास से जुड़े अधिकारयों का भी धन्यवाद दिया जिन्होंने कार्यशाला को सफल बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
कार्यशाला में महेंद्र सिंह,डॉ. रंजीत प्रसाद, डॉ. रामकेश पांडेय, डॉ. बालेश्वर नाथ, डॉ. देवधन सिंह, प्रो. श्रीधर बी. दंडीन , प्रो. अमित गुप्ता, डॉ. भारद्वाज शुक्ल,डॉ. सुशील शुक्ल, प्रो. भूपेंद्र उपाध्याय,डॉ. बालेश्वर नाथ पाठक, डॉ. ब्रज कुमार विश्वकर्मा आदि उपस्थित।