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International E-Conference

झारखण्ड राय विश्वविद्यालय में दो दिवसीय इंटरनेशनल ई- कॉन्फ्रेंस का आयोजन

झारखण्ड राय विश्वविद्यालय, रांची में शनिवार को दो दिवसीय इंटरनेशनल ई- कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। “मल्टी डिसिप्लनरी एप्रोच फॉर सस्टनेबल डेवेलपमवेंट”(ICMASD 2020) विषय पर आयोजित अंतराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के पहले दिन उद्घाटन सत्र का प्रारंभ दीप प्रज्वलित कर सरस्वती वंदना के साथ किया गया। इस अवसर पर इ स्मारिका का विमोचन भी किया गया। स्वागत भाषण देते हुए झारखण्ड राय विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. सविता सेंगर ने उद्घाटन सत्र में उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया। डॉ. सेंगर ने अपने संबोधन में कॉन्फ्रेंस के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा की “तकनीक एक सतत विकास प्रक्रिया है। आज पूरा विश्व कोरोना वाइरस से जूझ रहा है। इस समय तकनीक एक ऐसे प्लेटफॉर्म की तरह सामने आया है जिसने सभी सेक्टरों में काम करने वालों को रास्ता दिखाया है। तकनीक के बदले प्रयोग ने ठोस नवाचार और समावेशी विकास के विकास में महती भूमिका निभाई है। डॉ. सेंगर ने कहा की सतत विकास एक प्रक्रिया है जो निरन्तर चलता है । सतत विकास से हमारा अभिप्राय ऐसे विकास से है, जो हमारी भावी पीढ़ियों की अपनी जरूरतें पूरी करने की योग्यता को प्रभावित किए बिना वर्तमान समय की आवश्यकताएं पूरी करे। संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रस्तावित सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ संकल्प को, जिसे सतत विकास लक्ष्यों के नाम से भी जाना जाता है। इसका उद्देश्य का उद्देश्य सबके लिए समान, न्यायसंगत, सुरक्षित, शांतिपूर्ण, समृद्ध और रहने योग्य विश्व का निर्माण करना और विकास के तीनों पहलुओं, अर्थात सामाजिक समावेश, आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण को व्यापक रूप से समाविष्ट करना है।

विषय प्रवेश करते हुए झारखण्ड राय विश्वविद्यालय के एडवाइजर और एचइसी के पूर्व सीएमडी प्रो. अभिजीत घोष ने कहा की ” कोरोना महामारी ने पुरे विश्व को प्रभावित किया है। परिस्थितिकी तंत्र और पर्यावरण में देखे जा रहे बदलाव यह संकेत देते है की प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन कर हमने इसे कितना नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने झरिया में लगी आग का जिक्र करते हुए कहा की यह संवेदन हीनता का उदाहरण है अबतक इसे बुझाया नहीं जा सका है। प्रो. घोष ने जानकारी देते हुए बताया की कॉन्फ्रेंस के पहले दिन 100 शोध पत्रों में से चयनित 72 शोध पत्रों को पढ़ा जायेगा। इस कॉन्फ्रेंस में देश के 14 राज्यों के अलावा अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और तजाकिस्तान से आये शोध पत्रों को शामिल किया गया है।“

मुख्य अतिथि डॉ. सुनील कुमार वर्णवाल (आईएएस) प्रिंसिपल सेक्रेटरी झारखण्ड सरकार ने अपने संबोधन में बताया की ” सतत विकास लक्ष्यों का उद्देश्य सबके लिए समान, न्यायसंगत, सुरक्षित, शांतिपूर्ण, समृद्ध और रहने योग्य विश्व का निर्माण करना और विकास के तीनों पहलुओं, अर्थात सामाजिक समावेश, आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण को व्यापक रूप से समाविष्ट करना है। सतत विकास के लक्ष्य एक दूसरे से जुड़े हुए है। विश्व आज कोरोना जैसी आपदा से जूझ रहा है। इस आपदा ने मनुष्य को जीवन के महत्व से परिचित कराया है। मनुष्य को प्रकृति, पर्यावरण और जीवन का महत्व समझाया है। डॉ. वर्णवाल ने जोर देते हुए कहा की ” तकनीक के कारण इस मुश्किल दौर में भी हम एक दूसरे से जुड़े हुए है। तकनीक एक समस्या भी बन सकती है जरुरत है समाज को इस समस्या से बचाने की। इंटरनेशनल कांफ्रेंस का विषय वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए एक सराहनीय पहल है। यहाँ प्रस्तुत होने वाले शोध पत्र सबका मार्गदर्शन करेंगे।

विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. पियूष रंजन ने उद्घाटन सत्र के समापन अवसर पर सभी अतिथियों का धन्यवाद देते हुए कहा की ” दो दिनों तक चलने वाले इस अंतराष्ट्रीय कांफ्रेंस के जरिये सतत विकास, नवाचार,सतत विकास लक्ष्य से जुड़े अंतः विषय चर्चा और शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण किया जायेगा। उन्होंने देश विदेश से जुड़े अतिथियों, शोधार्थियों, के साथ विश्वविद्यालय के फैकल्टी मेंबर और तकनिकी सहायता प्रदान करने वाली टीम के सदस्यों को भी धन्यवाद दिया। डॉ. रंजन ने दो दिवसीय इंटरनेशनल ई कॉन्फ्रेंस के सफल आयोजन के लिए समन्वयक डॉ. श्रद्धा प्रसाद और सह- समन्वयक डॉ. सुमित कुमार पांडेय का भी धन्यवाद किया ।