Physiotherapy

फिजियोथेरेपी: संभावनाओं से भरी जादुई चिकित्सा पद्धति

कहावत है कि” दूसरों की सेवा करने में जो आनंद आता है, वह दुनिया की किसी चीज में नहीं होता।” अगर आप भी दूसरों की तकलीफ नहीं देख सकते तो अपने इस मनोभाव के जरिए अपना भविष्य बना सकते हैं।

दरअसल, फिजियोथेरेपी एक ऐसा ही क्षेत्र है, जिसमें दूसरों की सेवा करने का आनंद तो प्राप्त होता है ही, साथ ही पैसा और प्रतिष्ठा भी प्राप्त किया जा सकता है।

फिजियोथेरेपी वास्तव में चिकित्सा विज्ञान की ही एक शाखा है। फिजियोथेरेपी की खासियत यह है कि इसमें इलाज के दौरान किसी भी तरह की दवाई का इस्तेमाल नहीं किया जाता, बल्कि व्यायाम, इलेक्ट्रोथेरपी व मसाज जैसे तरीकों का इस्तेमाल करके व्यक्ति को उसकी स्वास्थ्य समस्या से निजात दिलाता है।

एक फिजियोथेरेपिस्ट सिर्फ अलग−अलग तरीकों से मरीजों का इलाज ही नहीं करता, बल्कि वह पेंशेंट को यह यकीन भी दिलाता है कि वह जल्द ठीक हो सकते हैं और वह भी बिना किसी दवाई के। मरीजों में आत्मविश्वास जगाने के लिए पहले आपके भीतर आत्मविश्वास होना जरूरी है। इतना ही नहीं, इस क्षेत्र में कम्युनिकेशन स्किल व प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल मील का पत्थर साबित होते हैं। एक फिजियोथेरेपिस्ट को अपने काम के दौरान कई तरह के मरीजों की समस्याओं को देखना, समझना व उससे निपटना होता है, इसलिए आपकी सहनशक्ति अधिक होनी चाहिए और आपके भीतर दूसरों की मदद करने का जज्बा होना चाहिए।

अगर आप फिजियोथेरेपिस्ट बनना चाहते हैं तो बीपीटी यानी (बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी) कोर्स करना जरूरी हैं।

आजकल जिस तरह बीमारियां पैर पसार रही हैं, उसे देखते हुए इसकी काफी डिमांड है। अस्पतालों व क्लिनकि, रिहैबिलिटेशन सेंटर, ओल्ड एज होम्स, हेल्थ सेंटर्स, नर्सिंग होम्स एंड डे सेंटर्स, स्पोर्ट्स क्लिनकि, क्लब, जिम सेंटर्स सभी जगह फिजियोथेरेपिस्ट कार्य करते हुए मिल जाएंगे। इसके अलावा अनुभव प्राप्त होने पर आप अपना खुद का फिजियोथेरेपी सेंटर भी चला सकते हैं।

एक अनुमान के मुताबिक़ शुरूआती दौर में आप दस से बीस हजार रूपए प्रतिमाह से शुरुवात कर कुछ समय के बाद आसानी से महीने के 40000 से 50000 रूपए भी कमा सकते हैं। वहीं अगर आप अपना प्राइवेट फिजियोथेरेपी सेंटर खोलते हैं तो आप सिटिंग के हिसाब से चार्ज कर सकते हैं।

फिजियोथेरेपी यूं तो आधुनिक चिकित्सा पद्धति मानी जाती है। लेकिन यह भारत में सदियों से प्रचलित स्पर्श चिकित्सा पद्धति का भी प्रतिनिधित्व करता है।

यह न केवल कम खर्चीला है, बल्कि इसके दुष्प्रभाव की आशंका न के बराबर होती है।

इसे हिंदी में भौतिक चिकित्सा पद्धति कहा जाता है । यानी भौतिक साधनों के सहयोग से होने वाली चिकित्सा ।