झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी, रांची, कमड़े कैंपस में 1 दिवसीय चारकोल पेंटिंग वर्कशॉप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप का विषय “स्वच्छता अपने आसपास” था। वर्कशॉप का आयोजन जेआरयू कल्चरल क्लब(JRUCC) के द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमे स्टूडेंट्स को चारकोल पेंटिंग की बारीकियों से अवगत करने के लिए स्वतंत्र चित्रकार प्रवीण करमाकर उपस्थित थे. प्रवीण करमाकर फैब्रीनो एक्वारेलो, इटली और इनवाटर कलर इंडिया के कंट्री हेड है।
रांची के चित्रकार प्रवीण कर्मकार अपनी पेंटिंग कला को लेकर चर्चित रहे है. इटली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कला प्रदर्शनी ‘फेब्रियानो इन एक्वारिले में इनकी पेंटिंग ‘झूमर-2 को अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कला समीक्षकों ने न सिर्फ सराहा, बल्कि पुरस्कृत भी किया। प्रवीण झारखंड ही नहीं, पड़ोसी राज्य बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ आदि से भी एकमात्र चित्रकार हैं, जिनकी पेंटिंग इस प्रदर्शनी के लिए चयनित हुई। उन्होंने ऑन द स्पॉट पेंटिंग में भी पुरस्कार जीतकर राज्य और देश का मान बढ़ाया है।
पिछले दिनों झारखण्ड दौरे पर आये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके बनाये हुये चित्रों की सराहना की थी, जिसमे एक वृद्ध महिला प्रधानमंत्री को आशीर्वाद दे रही है । आयुष्मान भारत योजना के शुभारंभ के अवसर पर यह तस्वीर प्रधानमंत्री को भेंट की गयी थी जिसमें झारखण्ड के कला और संस्कृति को एक साथ प्रदर्शित करने का कार्य प्रवीण ने बखूबी किया था।
वर्कशॉप के दौरान प्रवीण ने स्टूडेंट्स को चारकोल पेंटिंग के संबंध में जानकारी देते हुए बताया की “चारकोल लकड़ी कोयला का एक प्रकार का शुष्क कला माध्यम है, जो बारीक जमी हुई जैविक सामग्री से बना होता है। चारकोल जो बहुत हल्के या तीव्रता से काले होते हैं, जबकि आसानी से हटाने योग्य होते हैं, चित्र बनाते समय इसका उपयोग अक्सर लकड़ी का कोयला चित्रण के साथ किया जाता है ताकि लकड़ी के कोयले की धूल को मिटाने या रगड़ने से रोकने के लिए स्थिति को मजबूत किया जा सके।चारकोल पेंसिल लकड़ी के एक जैकेट में संलग्न लकड़ी का कोयला से मिलकर बनता है। वर्कशॉप में उन्होंने कई चित्र बनाकर दिखाए और स्टूडेंट्स को भी प्रेरित किया। इस दौरान उन्होंने कहा की “चित्रकार को मौलिक और तकनीकी पक्ष, दोनों के बीच संतुलन बैठाना होता है।तभी एक संतुलित और बेहतर आकृति जन्म लेती है।“