Lean Startup blog

झारखंड राय विश्वविद्यालय में लीन स्टार्टअप पर मेंटरिंग सेशन का आयोजन

झारखंड राय विश्वविद्यालय, रांची के माइनिंग इंजीनियरिंग संकाय एवं साइंस क्लब ने इंस्टीटूशन इनोवेशन कौंसिल के सहयोग से ऑन लाइन ”Lean Start-up & Minimum Viable Product/Business ” पर मेंटरिंग सेशन का आयोजन किया गया। मेंटरिंग सेशन को आई आई टी जोधपुर के स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप में फैकल्टी असोसिएट संकिया बैनर्जी ने संबोधित किया।

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मेंटरिंग सत्र में विद्यार्थी, शिक्षक और उद्यमिता क्षेत्र में रुचि रखने वाले उपस्थित थे। इस दौरान लीन स्टार्ट-अप पद्धति के सिद्धांतों और इसके महत्व पर ध्यान केंद्रित किया गया। प्रो० बनर्जी ने बताया की किसी व्यवसाय के प्रारंभिक चरण में न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद (MVP) विकसित करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने विस्तार पूर्वक समझाया कि कैसे स्टार्ट-अप इकोसिस्टम, उद्यमियों को अपने विचारों को जल्दी और कुशलता से मान्य करने में सक्षम बनाता है और किसे इन अवधारणाओं ने जोखिम को कम करते हुए बाजार में क्रांति ला दी है।

प्रो. बनर्जी ने व्यावहारिकता और विषय वस्तु के प्रति एक नया दृष्टिकोण देते हुए बताया की एक सफल स्टार्ट-अप शुरू करने की दिशा में अपना पहला कदम कैसे उठाएं। स्टार्ट-अप परिदृश्य और इसे नेविगेट करने के लिए आवश्यक रणनीतिक उपकरणों की गहरी समझ और नेटवर्किंग और व्यावहारिक ज्ञान के आदान-प्रदान का अवसर भी उनके द्वारा उपस्थित प्रतिभागियों को प्रदान किया गया।

झारखण्ड राय विश्वविद्यालय स्टार्टअप्स मैकेनिज़्म प्री इन्क्यूबेशन,इन्क्यूबेशन और इन्क्यूबेटर को सफल स्टार्टअप्स विक्स को दे रहा बढ़ावा

झारखण्ड राय विश्वविद्यालय , रांची का इंस्टीटूशन इनोवेशन कौंसिल (IIC) भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर स्थापित किया गया है। इनोवेशन सेल की स्थापना का उद्देश्य नवाचार की संस्कृति को देश में व्यवस्थित रूप से बढ़ावा देना है। इसके मुख्य कार्यों में आईडिया जेनेरेशन,प्री इन्क्यूबेशन,इन्क्यूबेशन और इन्क्यूबेटर को सफल स्टार्टअप्स में बदलने के लिए प्रेरित करना शामिल है। इसके अलावा उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ने वाले युवाओं की सकारात्मक ऊर्जा को नए विचार गढ़ने और उनपर अमल करते हुए स्टार्टअप्स के अलावा उद्यमशील उद्यम स्थापित करने के लिए तैयार करना भी है।

झारखण्ड राय विश्वविद्यालय रांची ने 2019 में स्टार्टअप्स से जुड़े कार्यों को व्यवस्थित रूप से संचालित और संचारित करने के लिए इंस्टीटूशन इनोवेशन कौंसिल की स्थापना की थी। कौंसिल युवाओं को प्रेरित करने , नए विचारों के साथ कार्य करने , मूल विचारों के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। आईआईसी स्थानीय स्तर पर इनोवेशन इको सिस्टम की स्थापना , स्टार्टअप्स मैकेनिज़्म निर्माण, संज्ञानात्मक योग्यता विकास को बढ़ावा देने का कार्य करता है। कौंसिल के सहयोग से उद्यम और नवाचार, इंटेलेक्टुअल प्रॉपर्टी राइट्स जैसे विषयों पर जानकारी प्रदान करने के लिए वर्कशॉप, सेमिनार ,नवाचार और सफल उद्यमशील उद्यम से जुड़े लोगों के साथ परिचय, निवेशकों के साथ बातचीत , हैकेथोन, आईडिया कम्पटीशन, आईडिया पिचिंग जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है।

लीन स्टार्ट अप के चार सिद्धांतों का करें अनुसरण:

  • बिजनेस मॉडल तैयार करना
  • परिकल्पनाओं का निरूपण।
  • परिकल्पना को टेस्ट करना
  • गलतियों का विश्लेषण और प्रोडक्ट में सुधार।

लीन स्टार्टअप मेथोडोलॉजी क्या है?

बिज़नेस शुरू करने या अपने खुद के स्टार्टअप को लॉन्च करने की विधि को लीन स्टार्टअप मेथोडोलॉजी कहते हैं। लीन स्टार्टअप का मतलब प्रोडक्ट की लगातार टेस्टिंग करना है जिमें प्रोडक्ट को पहली बार छोटी मात्रा में बाजार में उतारा जाता है। ताकि उपभोक्ताओं से प्राप्त फीडबैक के आधार पर आगे चलकर बदलावों लाए जा सकें। । इसका उद्देश्य प्रोडक्ट प्रक्रिया के दौरान ग्राहकों की प्राथमिकताओं को समझना है और इस प्रकार ठीक उसी उत्पाद जारी करना है, जो मार्किट की जरूरतों को सही ढंग से पूरा करेगा।

लीन स्टार्टअप मेथड के अनुसार काम करने के लिए यह सुनिश्चित करने की जरूरत है, कि प्रोडक्ट उपयोगी और मांग में होगा, यह उम्मीद करने की जगह कि बिक्री शुरू होने के बाद प्रोडक्ट मांग में होने लगेगा। यह आईडिया की कीमत को समझने और यह तय करने में मदद करता है, कि क्या यह बिज़नेस उपलब्ध फंड का निवेश करने लायक है या नहीं। इसमें न केवल वित्तीय निवेश शामिल है, बल्कि समय और मानव संसाधन जैसे अन्य संसाधन भी शामिल हैं।

लीन स्टार्टअप लीन थिंकिंग फिलॉसफी पर कार्य करता है। इसके 8 चरण है।

  • बहुविज्ञता : यह दृष्टिकोण बिल्कुल किसी भी कंपनी में लागू किया जा सकता है, चाहे उसका आकार, व्यावसायिक भूगोल, विशेषज्ञता और इंडस्ट्री कुछ भी हो।
  • लचीलापन और जोखिमों को मैनेज करने की क्षमता: यह मार्केट में बदलावों और बिज़नेस प्रोसेस पर बाहरी कारकों के प्रभाव का तुरंत जवाब देने की क्षमता है। इसलिए, दुनिया की परिवर्तनशीलता को ध्यान में रखना जरूरी है।
  • वास्तविकता : एक स्टार्टअप का मुख्य कार्य यह समझना और मूल्यांकन करना है, कि मार्किट को क्या चाहिए और उपभोक्ता अभी और इसी समय क्या खरीदने के लिए तैयार हैं। ग्राहकों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है और उन्हें कैसे हल किया जा सकता है।
  • प्राइमरी टास्क : फायदे और नुकसान का आंकलन आपको यह समझने में मदद करेगा, कि किस रास्ते पर आगे बढ़ना है। उसी रेट पर बने रहना या दूसरी दिशा में मुड़ना, यानी बिज़नेस के अस्तित्व या प्रोडक्ट के डेवलपमेंट के अन्य रूपों के लिए एक तेज शिफ्ट करना।
  • वेरिफाइड लर्निंग : यह आंकलन करने की प्रक्रिया है कि प्रोडक्ट का पिछला वर्जन कितनी डिमांड में था और कितना उपयोगी निकला लीन स्टार्ट अप के अनुसार, आपको नियमित रूप से प्रोडक्ट की टेस्टिंग करनी चाहिए और सभी इन्नोवेटिव प्रोडक्टों की जांच करनी चाहिए।
  • निरंतर सुधार: लॉन्च किए गए प्रोडक्ट में नियमित रूप से सुधार लाने चाहिए और उसे उस लेवल तक पहुंचना चाहिए, जिस लेवल पर उपभोक्ता उसे देखने की उम्मीद करते हैं।
  • फीडबैक: प्रोडक्ट के आगे के विकास के लिए संभावित ग्राहकों को इसके संशोधित वर्जन और अपडेट दिखाना ज़रूरी है।
  • सफलता संकेतकों की देख-रेख : लीन स्टार्ट अप विधि में वर्तमान कार्यों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने के लिए मानदंड और प्रमुख मैट्रिक्स की नियमित जाँच शामिल है। मुख्य बिज़नेस मेट्रिक्स में शामिल हैं।