झारखंड गवर्नमेंट टूल रूम रांची एवं झारखंड राय विश्वविद्यालय रांची के सहयोग से शुक्रवार को “आई पी आर पेटेंट एंड प्रोसेस इन्वॉल्वड इन करंट प्रोस्पेक्टिव ऑन एकेडमिक एंड रिसर्च” विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में स्वागत संबोधन करते हुए एम एस एम इ टूल रूम रांची के प्राचार्य एम के गुप्ता ने केंद्र सरकार के एम एस एम इ मंत्रालय और टूल रूम रांची के द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकार और कौशल विकास को लेकर किए जा रहे कार्यों की चर्चा करते हुए कहा कि ” टूल रूम रांची में 15 से ज्यादा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। आईपीआर को बढ़ावा देने के लिए समय समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।
प्राचार्य गुप्ता ने कहा कि टूल रूम रांची के जरिए अब तक 3 इनोवेटिव आइडिया को 15 लाख रुपए की राशि उपलब्ध कराई गई है। भारत सरकार के कई अन्य योजनाएं जिनमें एम एस एम ई बिजनेस स्कीम, अटल इनोवेशन लैब और झारखंड स्टार्टअप शामिल है के जरिए स्टार्टअप और इनोवेशन को बढ़ावा देने का कार्य किया जा रहा है
झारखंड राय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सविता सेंगर ने अपने विशेष संबोधन के दौरान भारतीय ज्ञान परंपरा, इंडिजिनस हेरिटेज और बौद्धिक अधिकार संपदा पर विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए कहा कि ” विचार का आना और विचार को बौद्धिक अधिकार संपदा में बदलना दो अलग अलग बातें है। विचार भी एक संपदा है इसका अधिकार आइडिया देने वाले के पास होना चाहिए।
प्रो. सेंगर ने कहा की नवीन विचारों का प्रभाव समाज और सामाजिक दायित्वों से भी जुड़ा हुआ है। आई पी आर और पेटेंट को लेकर हमारे समाज में बहुत जागरूकता नहीं रही है लेकिन अब इसके प्रति और इससे जुड़े कानूनी पहलू के प्रति लोगों में समझ बढ़ी है।
कार्यशाल के आयोजन पर उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों में , शिक्षकों में और नवीन विचार पर काम करने वाले लोगों में जन जागरूकता लाने में सफल साबित होंगे।
कुलपति सेंगर ने झारखंड के अगरिया जनजाति का उदाहरण देते हुए कहा कि इनके द्वारा बनाया गया ढलवा लोहा में जंक नहीं लगता है। यह एक प्रकार का युगांतर कारी कार्य है । लेकिन इसके बारे में कितनों को पता है। जिस प्रकार स्टील का अविष्कार एक बड़े बदलाव का वाहक बन गया उसी प्रकार लोहे के साथ इस जनजातीय समाज का प्रयोग भी एक अनोखा प्रयास है हमें इसकी सराहना करनी चाहिए। एन आई टी जमशेदपुर के द्वारा इस पर शोध कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने जियो टैग का भी प्रश्न उठाते हुए कहा की देश के दो प्रदेशों में एक मिठाई को लेकर उठा विवाद भी आई पी आर और पहचान के प्रति हमारी अनदेखी को दर्शाता है।
झारखंड राय विश्विद्यालय के कुल सचिव डॉ. पीयूष रंजन ने कार्यशाला के आयोजन और औचित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा की बौद्धिक विचार का संरक्षण आवश्यक है। एक अशिक्षित भी अपनी जमीन और ऐसे साधनों का संरक्षण और उससे जुड़े कागजातों के प्रति सचेत रहता है तो बौद्धिक समाज को भी अपने विचारों, बौद्धिक संपदा के संरक्षण के प्रति सचेत होने की आवश्यकता है।
कुल सचिव ने कहा की भारत में प्रचुर मात्रा में बौद्धिक विचार और ज्ञान से भरे एकेडमिक और गैर एकेडमिक क्षेत्र से जुड़े लोग बेहतर कार्य कर रहे है लेकिन जानकारी और जागरूकता के अभाव में संपदा संरक्षण के प्रति उदासीनता है। उन्होंने कहा कि पीछे एक दशक में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है। आंकड़ों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा की इस वर्ष देश में 40हजार से ज्यादा पेटेंट पंजीकृत हुए है। इस परिवर्तन का कारण डोमेस्टिक पेटेंट का शामिल होना है। पहली बार देश में पेटेंट के मामले में देशी और घरेलू पेटेंट को प्राथमिकता देने का कार्य किया गया जिसके परिणामस्वरूप पेटेंट की संख्या में वृद्धि हुई है। यह एक स्वागत योग्य कदम है। इस प्रकार के कदम प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत के संकल्प को साकार करने में भी सहायक साबित होंगे।
डॉ. पीयूष रंजन के आगे कहा कि जैसे जैसे देश में शोध,अन्वेषण और आई पी आर का दायरा बढ़ता है देश भी प्रगति करता है। देश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार आता जाता है। आज भारत विश्व की पांच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है ।
उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुए कहा की याद देश आज विश्व की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है। लेकिन वर्ष 2003में चीन की अर्थव्यवस्था विश्व में 13वें नंबर की अर्थव्यवस्था थी। लेकिन 10 वर्षों में चीन के अंदर जो हम बड़ा बदलाव देख रहे हैं उसके पीछे एक मुख्य कारण इनोवेशन और पेटेंट है।
एक वर्ष के अंदर वहां 4 लाख से ज्यादा पेटेंट दर्ज किए गए हैं। वहीं 4.4मिलियन ट्रेडमार्क भी पंजीकृत किए गए है।
भारत में पेटेंट को लेकर बात करते हुए उन्होंने कहा की क्षेत्रीय स्तर पर भी हमारे देश में पेटेंट को लेकर विविधता है अधिकांश पेटेंट महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के राज्यों में होते आए है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इस विषय पर गंभीर पहल देखने को मिल रही है।
तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुए एन यू एस आर एल रांची की डॉ. श्वेता और प्रो. शांतनु ब्रज चौबे ने विस्तार पूर्वक सभी प्रतिभागियों को बौद्धिक संपदा अधिकार, उसके प्रकार, निबंधन की प्रक्रिया, केंद्र सरकार के द्वारा दिए जाने वाले सहयोग, विधिक नियमों और अन्य जानकारियों से अवगत कराने का कार्य किया।
कार्यक्रम के समापन पर टूल रूम रांची के वरीय प्रशासनिक अधिकारी आशुतोष मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।।
कार्यशाला को सफल बनाने में झारखण्ड राय विश्विद्यालय की डीन मैनेजमेंट डॉ. हरमीत कौर एवं विधि संकाय की डॉ. खालिदा रहमान की विशेष भूमिका रही।
कार्यशाला में बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं और शिक्षक शामिल हुए।।