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ऑन लाइन गेमिंग बाजार में भारत का फौजी

चीनी ऐप्स पर डिजिटल वार करते हुए इस बार भारत सरकार ने कुल 118 ऐप्स को बैन कर दिया है । भारत के डिजिटल स्ट्राइक पार्ट 3 का सबसे बड़ा शिकार पाबजी गेम को माना जा रहा है जिसने बहुत तेजी से भारतीय किशोर वर्ग को अपना दीवाना बना दिया था। आये दिन पाबजी को लेकर आत्महत्या और अपराध से जुडी खबरें सुनने को मिलती रहती थी। अभिभावकों की यह एक आम शिकायत थी की बच्चे इसके कारण पढ़ाई में मन नहीं लगा पाते है। अब पबजी के जवाब में भारत की एक कंपनी ने ऑनलाइन गेम लांच किया है। इसका फीचर्स भी काफी हद तक पबजी जैसा ही होगा. इस गेमिंग एप का नाम Fearless and United Guards FAU: G है। बताया जा रहा है की इसे अक्टूबर महीने के अंत तक लांच किया जायेगा। फौजी की तमाम फीचर्स की जानकारी नहीं मिल सकी है। हालांकि, कहा गया है की गेम का पहला लेवल गलवान वैली की घटना से जुड़ा है । 15 जून की रात पूर्वी लद्दाख की गलवान वैली में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। कंपनी को उम्मीद है कि लांचिंग के बाद तकरीबन 20 करोड़ मोबाइल यूजर्स फौजी को इस्टॉल करेंगे। यह ऑनलाइन गेम मेक इन इंडिया के तहत बनाया जा रहा है और भारतीय सेना को समर्पित है। कंपनी का कहना है कि इससे होने वाली कमाई का 20 फीसदी हिस्सा भारतीय सेना के शहीद जवानों की फैमिली को दिया जायेगा । बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार की कंपनी इस मुहिम का समर्थन कर रहे हैं. अक्षय कुमार ने इसे लेकर ट्वीट भी किया था।

मोबाइल गेम का बाजार :
पबजी (Player Unknown’s Battlegrounds) दुनिया भर में मोबाइल पर खेला जानेवाला एक पॉपुलर गेम है । भारत में भी इसके काफ़ी दीवाने हैं । एक जापानी थ्रिलर फ़िल्म ‘बैटल रोयाल’ से प्रभावित होकर बनाया गया यह गेम जिसे दक्षिण कोरिया की वीडियो गेम कंपनी ब्लूहोल कंपनी ने बनाया लेकिन चीन की कंपनी टेनसेंट कुछ बदलाव के साथ इसका मोबाइल वर्जन नए नाम से बाज़ार में लेकर आई और छा गयी। दुनिया में पबजी खेलने वालों में से लगभग 25 फ़ीसद भारत में हैं। जबकि चीन में महज़ 17 फ़ीसद यूज़र्स और अमरीका में 6 फ़ीसद यूज़र्स हैं ।

दुनिया भर में गेमिंग का बाज़ार 16.9 अरब डॉलर का है इसमें चीन की हिस्सेदारी 4.2 अरब डॉलर के साथ सबसे आगे है। दूसरे नंबर पर अमरीका, तीसरे नंबर पर जापान और फिर ब्रिटेन और दक्षिण कोरिया का नंबर आता है।

भारत में अब भी इसका बाजार एक अरब डॉलर से भी कम का है. लेकिन बाक़ी देशों के लिए उभरता हुआ बाज़ार ज़रूर है।भारत में सिर्फ़ पबजी की बात करें तो इस गेम के 175 मिलियन डाउनलोड्स हैं, जिसमें से एक्टिव यूज़र 75 मिलियन के आसपास हैं। चीन से ज़्यादा लोग भारत में पबजी खेलते हैं लेकिन कमाई की बात करें तो वो भारत से बहुत कम होती है ऐसा इसलिए क्योंकि पैसा ख़र्च कर गेम खेलने वालों की तादाद भारत में कम है।

भविष्य में ‘गेमिंग हब’ के तौर पर भारत को देखा जा रहा है अगर किसी कंपनी को भारत के बाज़ार से बाहर निकलना पड़ेगा, तो उस पर असर उसके यूज़र बेस पर ज़रूर पड़ेगा।

यूज़र बेस की बात करें तो भारत में 14 साल से लेकर 24 साल के बच्चे और युवा ऑनलाइन गेम को सबसे ज़्यादा खेलते हैं लेकिन पैसा ख़र्च करने की बात करें तो 25 से 35 साल वाले ऑनलाइन गेमिंग पर ख़र्च ज़्यादा करते हैं ।

गेमिंग से कमाई :

ऑनलाइन गेमिंग में कई तरह से कमाई होती है।

गेमिंग से पैसा कमाने का एक मॉडल है फ्रीमियम का – यानी पहले फ्री में दो और बाद में किश्तों में ख़र्च करने को कहो दूसरा मॉडल है – मर्चन्डाइज़ बना कर।

गेम से प्रभावित होकर अक्सर उन चीज़ों की ख़रीद बच्चों में ख़ास कर बढ़ जाती है, जैसे गेम से जुड़े कैरेक्टर, टी-शर्ट, कप प्लेट, कपड़ों का क्रेज़ इससे भी कंपनियाँ कमाई करती हैं । कमाई का तीसरा रास्ता है : विज्ञापन और फिल्मों का निर्माण ।कई बार फ़िल्मों पर आधारित गेम्स आते हैं फ़िल्म की लोकप्रियता गेम्स के प्रचार प्रसार में मदद करती है और कभी गेम्स की लोकप्रियता फ़िल्मों के प्रचार प्रसार में मदद करती है। जो लोग इस गेम को प्रोफ़ेशनल तरीक़े से खेलते हैं उनको सरकार के इस क़दम से नुक़सान पहुँच सकता है. कई गेम्स खेलने वाले यूट्यूब पर भी बहुत पापुलर हैं इस तरह के गेम्स ऑर्गेनाइज़ करने वालों को भी काफ़ी नुक़सान होगा ।लेकिन टिकटॉक पर बैन के बाद पबजी बैन की चर्चा शुरू हो गई थी. ऐसे में बहुत लोगों ने पहले ही दूसरे गेम्स पर शिफ्ट करना शुरू कर दिया था।

दूसरा विकल्प क्या है ?

भारत में अभी ऑनलाइन गेम्स बनाने का बहुत बड़ा चलन नहीं है। भारतीय डेवलपर्स इसमें अभी काफ़ी पीछे हैं. उनको उम्मीद है कि बैन के बाद इसमें कई कंपनियाँ अब हाथ आज़माएंगी, क्योंकि अब तक उन्हें पबजी की लोकप्रियता से ख़तरा ज़्यादा था।

भारत में हर तरह के मोबाइल और ऑनलाइन गेम खेलने और देखने वालों की संख्या लगभग 30 करोड़ है, जो लॉकडाउन के समय से लगातार बढ़ती जा रही है। कुछ भारतीय गेम्स भी हैं जो यहाँ के लोगों में पापुलर है जैसे बबल शूटर, मिनीजॉय लाइट, गार्डन स्केप, कैंडी क्रश।

बाजार पर पकड़ और कमाई की बात करने तो अभी भी भारत की पकड़ वैश्विक नहीं मानी जाएगी। चीन के बढ़ते दबदबे को कम करने करने के लिए बैन करने के अलावा बड़े खिलाडियों को इस बाजार पर पकड़ बनानी होगी। भतार की बड़ी आबादी युवाओं की है जिसे बदलाव की आदत है और वह किसी एक गेम के भरोसे रुका नहीं रह सकता।

एक भारतीय कंपनी ने अभिनेता अक्षय कुमार के साथ मिलकर ‘पबजी जैसा’ मोबाइल गेम बाज़ार में लाने की घोषणा की है जिसका मक़सद स्पष्ट रूप से बाज़ार में बनी उस ख़ास जगह को भरना है, जो नामी चीनी मोबाइल ऐप पबजी पर प्रतिबंध लगने से बनी है.

बेंगलुरु स्थित एन-कोर गेम्स नामक कंपनी ने इस मोबाइल गेम को तैयार किया है जिसे सीधे तौर पर पबजी का प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है.
कंपनी ने इस गेम को ‘फ़ौजी’ (FAU:G) नाम दिया है जो अक्तूबर अंत तक बाज़ार में होगा.

कंपनी के सह-संस्थापक विशाल गोंडल ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा कि “फ़ियरलेस एंड यूनाइटेड गार्ड्स इस गेम का पूरा नाम है. इस गेम पर कई महीने से काम चल रहा था. हमने इस गेम के पहले लेवल को गलवान घाटी पर आधारित रखा है.”

गलवान घाटी में ही चीन और भारत के सैनिकों के बीच जून में पहली बार टकराव हुआ था जिसमें कम से कम 20 भारतीय जवान मारे गये थे. तभी से वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव जारी है.