नियुक्ति और पदोन्नति के साथ नवाचार और पेशेवर विकास की जवाबदेही भी होगी तय।
यूजीसी ने सोमवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों और अकादमिक स्टाफ की नियुक्ति और पदोन्नति से जुड़ी न्यूनतम योग्यता एवं उच्च शिक्षा के मानकों के अनुरक्षण के उपाय विनियम, 2025 का मसौदा जारी किया। मसौदा विनियम, 2025 को फीडबैक, सुझाव और परामर्श के लिए सार्वजनिक डोमेन में रखा गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यूजीसी जल्द ही मसौदा विनियम, 2025 को उसके अंतिम रूप में प्रकाशित करेगा, जिससे शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन आएगा तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और अनुसंधान के माध्यम से देश को विकसित भारत 2047 की ओर अग्रसर किया जा सकेगा।
UGC के इस मसौदा विनियम के लागू होने से उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षण और अध्ययन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह विनियम विश्वविद्यालयों को अपने संस्थानों में शिक्षकों और अकादमिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति में लचीलापन प्रदान करेगा।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ये मसौदा सुधार और दिशा निर्देश उच्च शिक्षा के हर पहलू में नवाचार, समावेशिता, लचीलापन और गतिशीलता लाएंगे, शिक्षकों और अकादमिक कर्मचारियों को सशक्त बनाएंगे, अकादमिक मानकों को मजबूती प्रदान करेंगे और शैक्षिक उत्कृष्टता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। उन्होंने एनईपी 2020 के सिद्धांतों के अनुरूप मसौदा विनियम और दिशानिर्देश तैयार करने के लिए यूजीसी की टीम को बधाई दी। मसौदा विनियम, 2025 को फीडबैक, सुझाव और परामर्श के लिए सार्वजनिक डोमेन में रखा गया है।
UGC मसौदा विनियम की मुख्य विशेषताएं:
- लचीलापन: उम्मीदवार उन विषयों में शिक्षण करियर बना सकते हैं, जिनके लिए वे नेट/सेट के साथ अर्हता प्राप्त करते हैं, भले ही वे विषय उनकी पिछली डिग्री से अलग हों। पीएचडी विशेषज्ञता को प्राथमिकता दी जाएगी।
- भारतीय भाषाओं को बढ़ावा: मसौदा विनियम अकादमिक प्रकाशनों और डिग्री कार्यक्रमों में भारतीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा देते हैं।
- समग्र मूल्यांकन: इनका उद्देश्य “उल्लेखनीय योगदान” सहित योग्यताओं की एक व्यापक रेंज पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्कोर-आधारित शॉर्ट-लिस्टिंग को खत्म करना है।
- विविधतापूर्ण प्रतिभा पूल: कला, खेल और पारंपरिक विषयों के विशेषज्ञों के लिए समर्पित भर्ती का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
- समावेशिता: दिव्यांगजनों सहित निपुण खिलाड़ियों को शिक्षण व्यवसाय में प्रवेश करने के अवसर प्रदान करते हैं।
- संवर्धित गवर्नेंस: पारदर्शिता के साथ विस्तारित पात्रता मानदंडों सहित कुलपतियों के लिए चयन प्रक्रिया को संशोधित करते हैं।
- सरलीकृत पदोन्नति प्रक्रिया: शिक्षण, अनुसंधान आउटपुट और अकादमिक योगदान पर जोर देते हुए पदोन्नति के मानदंडों को सुव्यवस्थित करते हैं।
- पेशेवर विकास पर फोकस: संकाय विकास कार्यक्रमों के माध्यम से शिक्षकों को निरंतर सीखने और कौशल वृद्धि करने हेतु प्रोत्साहित करते हैं।
- संवर्धित पारदर्शिता और जवाबदेही: भर्ती, पदोन्नति और शिकायतों के समाधान के लिए पारदर्शी प्रक्रियाओं को बढ़ावा देते हैं।
पसंदीदा विषय में नेट पास कर बन सकेंगे फैकल्टी:
विश्वविद्यालयों में फैकल्टी बनने के लिए अभ्यर्थी अब अपनी पसंद के विषय में नेट परीक्षा दे सकते हैं। नेट परीक्षा के लिए अब स्नातक और स्नातकोत्तर के विषयों की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। यानी स्नातक और स्नातकोत्तर में विषय कोई भी रहे हों, अभ्यर्थी परीक्षा देने के लिए अपने पसंदीदा विषय को चुन सकता है।
यूजीसी के नए मसौदा दिशा-निर्देशों के अनुसार, उम्मीदवार अपनी पसंद के विषय में NTA UGC NET पास करके उच्च संस्थानों में संकाय पदों के लिए अर्हता प्राप्त कर सकते हैं, भले ही उनकी स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री अलग-अलग विषयों में हों । दिशा-निर्देशों के अनुसार, संकाय चयन के लिए स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री में अध्ययन किए जाने वाले विषयों से पहले पीएचडी डिग्री का विषय आता है।