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1 साल का LLM कोर्स कराने वाला झारखंड के टॉप कॉलेज की जानकारी

झारखंड राय विश्वविद्यालय भारत के नवोदित वकीलों और अधिवक्ताओं के लिए 1 वर्षीय LLM कार्यक्रम की पेशकश करता है। एलएलएम 1 वर्षीय पाठ्यक्रम दो सेमेस्टर में फैला हुआ है। यह कार्यक्रम विभिन्न कानूनी प्रणालियों और पृष्ठभूमि से विभिन्न कैरियर योजनाओं के साथ बौद्धिक रूप से जिज्ञासु और विचारशील उम्मीदवारों को आकर्षित करता है। एलएलएम कार्यक्रम में छात्रों की विविधता सभी छात्रों के शैक्षिक अनुभव में महत्वपूर्ण योगदान देती है।

LLM STRIP

LLM प्रवेश 2025:
एलएलएम कार्यक्रम अब राष्ट्रीय और साथ ही अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए खुला है। जिन लोगों ने अपनी एलएलबी की डिग्री पूरी कर ली है, वे प्रवेश के लिए पात्र होंगे। सभी संभावित छात्र अधिवास या योग्यता के आधार पर छात्रवृत्ति का लाभ उठा सकते हैं।

LLM (मास्टर ऑफ लॉ) क्या हैं?
एलएलएम लैटिन शब्द लेगम मैजिस्टर का संक्षिप्त रूप है, जिसका अर्थ है कानून का मास्टर। लैटिन में, किसी शब्द के बहुवचन रूप को अक्षर को दोहराकर संक्षिप्त किया जाता है। इसलिए, “एलएल” “कानून” का संक्षिप्त रूप है। लेगम लैटिन शब्द लेक्स का अधिकारपूर्ण बहुवचन रूप है, जिसका अर्थ है “विशिष्ट कानून”, जो कि जूस शब्द में निहित अधिक सामान्य अवधारणा के विपरीत है, जिससे ज्यूरिस शब्द और आधुनिक अंग्रेजी शब्द “न्याय” व्युत्पन्न हुए हैं। छात्रों को पता होना चाहिए कि एलएलएम शब्द की कोई सार्वभौमिक परिभाषा नहीं है। दुनिया भर के संस्थानों द्वारा इसका उपयोग अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और जर्मनी में, एलएलएम कार्यक्रम अक्सर विदेशी वकीलों को मेजबान देश के बुनियादी कानूनी सिद्धांतों को सिखाने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं। इस संबंध में, एलएलएम उन वकीलों की मदद कर सकता है जो दूसरे देश में स्थानांतरित होकर अभ्यास करना चाहते हैं, या अपने अभ्यास के क्षेत्र को बहुराष्ट्रीय मुद्दों तक विस्तारित करना चाहते हैं।

झारखंड राय यूनिवर्सिटी से एलएलएम 1 वर्षीय कोर्स क्यों करें?
एलएलएम (मास्टर ऑफ लॉज़) एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त स्नातकोत्तर कानून की डिग्री है। एलएलएम आमतौर पर एक साल का पूर्णकालिक कार्यक्रम पूरा करके प्राप्त किया जाता है। कानून के छात्र और पेशेवर अक्सर कानून के किसी विशेष क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए एलएलएम की पढ़ाई करते हैं, उदाहरण के लिए कर कानून या अंतरराष्ट्रीय कानून के क्षेत्र में। कई कानून फर्म एलएलएम डिग्री वाले नौकरी के उम्मीदवारों को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि यह दर्शाता है कि एक वकील ने उन्नत, विशेष कानूनी प्रशिक्षण प्राप्त किया है, और एक बहुराष्ट्रीय कानूनी वातावरण में काम करने के लिए योग्य है।

LLM स्पेशलाइजेशन :
झारखंड राय विश्वविद्यालय का डिपार्टमेंट ऑफ़ लीगल स्टडीज 1 वर्षीय LLM पाठ्यक्रम में Constitutional and Administrative Law में स्पेशलाइजेशन देता है।

LLM पाठ्यक्रम के दौरान छात्रों को एक विशिष्ट क्षेत्र पर अपना ध्यान केंद्रित करने में मदद करने के लिए, एलएलएम में विभिन्न विशेषज्ञताएं पेश की जाती हैं जिन्हें कोई भी चुन सकता है। यहां LLM स्पेशलाइजेशन की सूची दी गई है:

  • एनवायरनमेंटल लॉ
  • कॉर्पोरेट लॉ
  • इंटेलेकुलेट प्रॉपर्टी लॉ (आईपीआर)
  • ह्यूमन राइट्स लॉ
  • क्रिमिनल लॉ
  • कांस्टीट्यूशन लॉ
  • मैरीटाइम लॉ
  • साइबर लॉ
  • प्राइवेट एंड पब्लिक इंटरनेशनल लॉ
  • फैमिली लॉ
  • लेबर लॉ एंड एंप्लॉयमेंट लॉ
  • ट्रांसनेशनल लॉ
  • बिज़नेस लॉ

कैरियर की संभावनाएँ:
एलएलएम कोर्स पूरा करने के बाद, छात्रों के लिए कई अवसर खुले हैं। एलएलएम की डिग्री छात्रों को लॉ फर्म में उच्च स्तर की स्थिति प्रदान करती है। कार्यक्रम पूरा करने के बाद, छात्र अधिवक्ता, जिला और सत्र न्यायाधीश, नोटरी, एनजीओ ,सॉलिसिटर, कोर्ट रिपोर्टर आदि के रूप में अपना करियर बना सकते हैं।

BSC रेडियोलॉजी : रांची के टॉप कॉलेज के बारे में जानिए

बीएससी रेडियोलॉजी कोर्स एक UG प्रोग्राम है जो रोगों के निदान और उपचार के लिए एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई और अल्ट्रासाउंड जैसी मेडिकल इमेजिंग तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करता है। बीएससी रेडियोलॉजी कोर्स की अवधि 3 साल है। बीएससी रेडियोलॉजी कोर्स के लिए पात्र होने के लिए उम्मीदवारों को विज्ञान (PCB) में कक्षा 12 उत्तीर्ण होना चाहिए।

STRIP Radiology updated

BSC रेडियोलॉजी क्या हैं ?

रेडियोलॉजी, एक्स रे, अल्ट्रासाउंड, मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग (MRI), कंप्यूटेड टोमोग्राफी, पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी आदि जैसी तकनीकों की मदद से रोगों की पहचान और इलाज की साइंस है। इस क्षेत्र को अध्ययन के दो क्षेत्रों में विभाजित किया गया है – डायग्नोसिस रेडियोलॉजी और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी। सबसे पहले एक्स-रे का उपयोग रोगियों की चोटों की पहचान या इलाज के लिए किया जाता है, जबकि बाद में, रोगों के निदान और उपचार के लिए अल्ट्रासाउंड, MRI, सीटी स्कैन आदि जैसी न्यूनतम-इनवेसिव प्रक्रिया की जाती हैं। इस स्ट्रीम में करियर के अवसरों और आकर्षक वेतन के साथ, रेडियोलॉजी कोर्स एक लोकप्रिय विकल्प बन गया है।

बीएससी रेडियोलॉजी पाठ्यक्रम से स्नातक होने पर, अभ्यर्थी रेडियोग्राफर, सीटी टेक्नोलॉजिस्ट, एमआरआई टेक्नोलॉजिस्ट, अल्ट्रासाउंड टेक्नोलॉजिस्ट, रेडिएशन थेरेपिस्ट आदि जैसे जॉब प्रोफाइल का विकल्प चुन सकते हैं।

BSC रेडियोलॉजी कौन कर सकता है ?
बीएससी रेडियोलॉजी का पूरा नाम बैचलर ऑफ साइंस इन रेडियोलॉजी है। बीमारी के निदान और उपचार के लिए मेडिकल इमेजिंग विधियों का उपयोग रेडियोलॉजी में बीएससी पाठ्यक्रम का मुख्य जोर है, जिसे कभी-कभी मेडिकल इमेजिंग टेक्नोलॉजी या रेडियोलॉजिक टेक्नोलॉजी के रूप में भी जाना जाता है। बीएससी रेडियोलॉजी पाठ्यक्रम उन छात्रों के लिए तीन साल का स्नातक पाठ्यक्रम है जो 12वीं के बाद स्वास्थ्य सेवा उद्योग में अपना करियर बनाना चाहते हैं।

बीएससी रेडियोलॉजी कोर्स के लिए पात्रता मानदंड:

  • आवेदकों ने किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10+2 ग्रेड पूरा किया होगा।
  • उनके पास उच्चतर माध्यमिक शिक्षा में कम से कम 50% अंक होने चाहिए।
  • केवल विज्ञान पृष्ठभूमि वाले छात्रों को ही बीएससी रेडियोलॉजी कोर्स के लिए आवेदन करने की अनुमति है।

BSC RADIOLOGY करने के फायदे :

प्रौद्योगिकी और इमेजिंग विशेषज्ञता:
जब कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी), मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई), अल्ट्रासाउंड और न्यूक्लियर मेडिसिन जैसे विभिन्न इमेजिंग तौर-तरीकों का उपयोग करके उच्च-गुणवत्ता वाली चिकित्सा छवियाँ बनाने की बात आती है, तो रेडियोलॉजिक टेक्नोलॉजिस्ट आवश्यक होते हैं। वे निदान और उपचार योजना के लिए इन छवियों को समझने में रेडियोलॉजिस्ट जैसे चिकित्सा पेशेवरों की सहायता करते हैं।

विशेषज्ञता के अवसर:
रेडियोलॉजी विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता के अवसर प्रदान करती है, जिसमें न्यूक्लियर मेडिसिन, डायग्नोस्टिक रेडियोग्राफी, रेडिएशन थेरेपी, एमआरआई, सीटी, अल्ट्रासाउंड और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी शामिल हैं। पेशेवर विशेषज्ञता प्राप्त करके विशेष इमेजिंग विधियों या रुचि के चिकित्सीय क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

नौकरी की स्थिरता: पुरानी बीमारियों की बढ़ती घटनाएं, इमेजिंग तकनीक में सुधार, और त्वरित और सटीक निदान की मांग, इन सभी से रेडियोलॉजिक टेक्नोलॉजिस्ट की ज़रूरत में वृद्धि होने की उम्मीद है। रेडियोलॉजी में पेशेवर सटीक इमेजिंग प्रक्रियाएँ और मूल्यवान नैदानिक जानकारी प्रदान करके स्वास्थ्य सेवा टीम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो रोगी की देखभाल में सुधार करती हैं।

तकनीकी कौशल: रेडियोलॉजी में कार्यक्रम तकनीकी विशेषज्ञता, विश्लेषणात्मक तर्क और सावधानी पर ज़ोर देते हैं। छात्र जटिल इमेजिंग उपकरणों का उपयोग करने, सुरक्षा नियमों का पालन करने और बदलती इमेजिंग प्रथाओं और तकनीक के साथ तालमेल बिठाने का ज्ञान प्राप्त करते हैं।

झारखंड राय विश्वविद्यालय से बीएससी रेडियोलॉजी कोर्स करने के फायदे:

झारखंड राय विश्वविद्यालय, रांची में बीएससी रेडियोलॉजी कार्यक्रम छात्रों को डायग्नोस्टिक रेडियोग्राफी और मेडिकल इमेजिंग तकनीक में नौकरियों के लिए प्रशिक्षित करता है। यही बात इसे अद्वितीय बनाती है:

व्यापक पाठ्यक्रम: बीएससी रेडियोलॉजी पाठ्यक्रम में कई तरह के विषय शामिल हैं, जैसे एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, पैथोलॉजी, रेडिएशन सेफ्टी और रेडियोग्राफिक तकनीक। इमेजिंग उपकरण का उपयोग करने और मेडिकल इमेज को डिक्रिप्ट करने में व्यावहारिक निर्देश के अलावा, छात्रों को सैद्धांतिक ज्ञान भी मिलता है।

व्यावहारिक प्रशिक्षण: झारखंड राय विश्वविद्यालय की सुसज्जित रेडियोलॉजी प्रयोगशालाएँ और नैदानिक सेटिंग्स छात्रों को व्यापक व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करती हैं। छात्रों को अस्पतालों और डायग्नोस्टिक केंद्रों में इंटर्नशिप और क्लिनिकल रोटेशन के माध्यम से नैदानिक प्रक्रियाओं को करने और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के साथ काम करने का अमूल्य अनुभव प्राप्त होता है।

उद्योग-संबंधित कौशल: पाठ्यक्रम रेडियोलॉजी की सफलता के लिए आवश्यक तकनीकी दक्षता, विश्लेषणात्मक सोच, समस्या-समाधान और संचार कौशल को निखारने पर केंद्रित है। जैसे-जैसे मेडिकल इमेजिंग आगे बढ़ती है, छात्र नैतिक और सुरक्षा मानदंडों को बनाए रखते हुए नए विकास के साथ तालमेल बिठाना सीखते हैं।

बीएससी रेडियोलॉजी का चयन व्यक्तिगत प्राथमिकताओं, पेशेवर आकांक्षाओं और मजबूत बिंदुओं पर निर्भर करता है। बीएससी रेडियोलॉजी इमेजिंग मोडैलिटीज स्पेशलाइजेशन, डायग्नोस्टिक इमेज के महत्वपूर्ण विश्लेषण और मेडिकल इमेजिंग में तकनीकी दक्षता पर अधिक जोर देती है। ये उद्योग, जो बहुत मांग में हैं और करियर में उन्नति के कई अवसर प्रदान करते हैं, स्वास्थ्य सेवा के प्रावधान के लिए आवश्यक हैं। प्रत्येक व्यक्ति के पास अपने दीर्घकालिक कैरियर लक्ष्यों, तकनीकी दक्षता और सीधे रोगी बातचीत के जुनून के आधार पर एक अलग “बेहतर” विकल्प होता है।

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कृषि में उद्यमिता विकास की अपार संभावनाएं

उद्यमिता का अर्थ है कोई भी आर्थिक क्रिया, जिनसे हम कोई उत्पादन करते हैं और उससे फिर हम लाभ को प्राप्त करते हैं। उद्यमिता में नवाचार का समावेश होता है। अगर हम अपने व्यवसाय में किसी नयी चीज को लेकर आते हैं तब हम उसे एक अच्छा सफल उद्यम कहते हैं।

B.Sc Agri. STRIP

कृषि विषय से स्नातक उत्तीर्ण विद्यार्थियों को इस क्षेत्र की ओर आकर्षित करने के लिये रोबोटिक्स, आई.सी.टी. और नैनो टेक्नोलॉजी जैसी तकनीकी को बढ़ावा दिया जा रहा है। कृषि उद्यमिता, खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य श्रृंखला विकास जैसे घटक युवाओं को कृषि क्षेत्र को ओर आकर्षित करने में सफल रहे हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पारंपरिक रूप से प्रौद्योगिकी विकास और प्रसार में खाद्य और पौषणिक सुरक्षा उपलब्धि के उद्देश्य से फसल, पशु और फार्म उत्पायदकता को बढ़ाने पर जोर देता रहा है। इस प्रकार विकसित की गई प्रौद्योगिकियों ने खाद्यान्न, बागवानी फसलों, दूध, मात्स्यिकी और अंडों के उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण रूप से योगदान दिया है। तथापि, कृषि के बढ़ रहे वैश्वीकरण के कारण, अब अनुसंधान और विकास की प्राथमिकताओं का कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन और कृषि वैविधीकरण को बढ़ावा देकर वास्वातविक समानता और आजीविका सुरक्षा उपलब्ध कराने में सफलता प्राप्त किया है।

युवा भारत आत्मनिर्भर बने इसी उद्देश्य के साथ आत्म निर्भर भारत अभियान प्रारंभ किया गया है। आत्म निर्भर भारत अभियान के अंतर्गत कई योजनाएं कृषि उद्यमिता से संबंधित है। कृषि क्षेत्र में नवाचार द्वारा किये गए अभिनव प्रयास एवं स्टार्ट अप्स कृषि उद्यमिता को प्रभावी आन्दोलन के रूप में देखते हैं।

आत्म निर्भर भारत एवं कृषि उद्यमिता:
आत्म निर्भर भारत अभियान के अनतर्गत वांछित अपेक्षाएं एवं सम्बंधित विषय जैसे कृषि उद्यमिता को लेकर सरकार की नीतियाँ, स्टार्ट अप इन्कुबेटर और एक्ससी लेटर, नवाचार संवर्धन, वित्त जोखिम, कृषि प्रसार एवं कृषि उद्यमिता में अवसर शामिल हैं।

कृषि क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए किये गए प्रयास :

  • राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर नीति 2016)
  • स्टार्ट -अप इंडिया अभियान (2016)
  • उद्योग-शिक्षाविदों के बीच सहभागिता को प्रोत्साहन।
  • नई प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा।
  • किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य
  • कृषि में दक्षता एवं कार्य बल का विकास
  • उद्यमशीलता विकास कार्यक्रम (ईडीपी) का क्रियान्वयन
  • छात्रों में उद्यमशीलता विकास हेतु स्टूरडेंट रेडी (ग्रामीण उद्यमशीलता जागरूकता विकास योजना) की शुरुआत
  • ग्रामीण जागरूकता कार्य अनुभव।
  • कृषि विज्ञान केंद्रों एवं कृषि महाविद्यालयों / विश्वविद्यालयों में निरंतर संपर्क।

बीएससी एग्रीकल्चर (ऑनर्स ) के बाद कैसे बने सफल किसान योजना एवं सुविधाओं की पूरी जानकारी प्राप्त करें :

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय कृषि स्नातकों एवं किसानों को कृषि क्षेत्र में बेहतर परिणाम देने के लिए निन्मलिखित सुविधाएँ उपलब्ध करा रही है। कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी देते हुए कहा की

” राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत “नवाचार एवं कृषि उद्यमिता विकास” कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य वित्तीय सहायता देने के साथ ही देश में इनक्यूबेशन इको-सिस्टम का पोषण करके नवाचार एवं कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देना है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने इस कार्यक्रम के अंतर्गत सहायता और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए देश भर में पांच ज्ञान साझेदार (केपी) और चौबीस आरकेवीवाई एग्री बिजनेस (कृषि व्यवसाय) इनक्यूबेटर (आर-एबीआई) नियुक्त किए हैं।

नवाचार और कृषि-उद्यमिता विकास” कार्यक्रम के तहत, कृषि और संबद्ध क्षेत्र के उद्यमियों को अपने स्टार्टअप स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके लिए, कार्यक्रम के तहत छात्रों को अपने विचार को व्यवसाय में बदलने के लिए अधिकतम चार लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, बुवाई से पहले के चरण यानी विचार तथा पूर्व चरण में पांच लाख रुपये और उसके बाद में 25 लाख रुपये अनुदान सहायता के रूप में प्रदान किए जाते हैं। स्टार्टअप को अपने उत्पादों, सेवाओं, व्यावसायिक प्लेटफार्मों आदि को बाजार में लॉन्च करने और व्यावसायिक व्यवहार्यता प्राप्त करने के लिए अपने उत्पादों और संचालन को बढ़ाने में सुविधा प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण, तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

कृषि-क्लीनिक और कृषि-व्यवसाय केंद्र योजना के अंतर्गत, 18 से 60 वर्ष की आयु के चयनित उम्मीदवार, जिनके पास कृषि और संबद्ध विषयों में स्नातक की डिग्री है, वे देश भर के विभिन्न नोडल प्रशिक्षण संस्थानों (NTI) से 45 दिनों का निशुल्क आवासीय प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।

खेती किसानी में युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने ‘कृषि में युवाओं को आकर्षित करना और बनाए रखना (आर्या)’ नामक परियोजना शुरू की है, जो 100 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) में चल रही है।

Air India Express pilot death

Air India Express pilot death, important points to know

A 28-year-old Air India Express pilot, died of cardiac arrest in New Delhi on April 9.

  1. The pilot, identified as Armaan, was recently married.
  2. Armaan had just operated a flight from Srinagar to Delhi.
  3. Shortly after the flight landed at Indira Gandhi International Airport, the unexpected incident occurred.
  4. Report says, the pilot vomited inside the cockpit after landing.
  5. Armaan later collapsed at the airline’s dispatch office.
  6. Though he was rushed to the hospital, he could not be saved and was declared dead.
  7. Air India Express spokesperson expressed regret over the death of its colleague and stated that assistance is being extended to the family.
  8. The airline has further requested that privacy be respected and speculation avoided as it cooperates with the relevant authorities.

Phased implementation of new pilot duty and rest regulations

  1. The Directorate General of Civil Aviation (DGCA) has proposed a phased implementation of new pilot duty and rest regulations.
  2. The aim is to enhance flight safety by reducing pilot fatigue.
  3. Out of 22 clauses, 15 clauses would be implemented from 01.07.2025
  4. The remaining 7 clauses would be rolled out from 01.11.2025.
  5. A significant change in this phase is the extension of the mandatory weekly rest period for pilots from the current 36 hours to 48 hours.
  6. Because pilots have been demanding the removal of two consecutive nights of flying, introduced in 2019.
  7. Flying consecutively for two nights disrupts sleep, causes fatigue, and affects alertness.
  8. What has led to this situation – apparently, the answer lies in the fact that increased international flights have raised night flying, while airlines have cut layovers to improve cost efficiency, further straining pilots.

 

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आईआईटी, खड़गपुर के टेक फेस्ट “ग्रेट स्टेप” में झारखंड राय विश्वविद्यालय के छात्रों का उत्कृष्ट प्रदर्शन

आईआईटी, खड़गपुर के माइनिंग इंजीनियरिंग विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय तकनीकी कार्यक्रम “ग्रेट स्टेप” उत्सव में झारखंड राय विश्वविद्यालय रांची के खनन विभाग के विद्यार्थियों ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया है। ग्रेट स्टेप आईआईटी खड़गपुर के खनन इंजीनियरिंग विभाग द्वारा आयोजित एक बड़ा विभागीय उत्सव है। भू संसाधन इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी पर केंद्रित इस उत्सव में खनन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसमें “रॉक रेजिलिएंस” जैसे कार्यक्रम शामिल हैं, जहां प्रतिभागियों ने वास्तविक दुनिया की भूमिगत खनन समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया। खनन इंजीनियरिंग छात्रों के इस प्रमुख उत्सव में आई आई टी आई एस एम धनबाद, एन आई टी राउरकेला, आई आई टी बीएचयू, बी आई टी सिंदरी और एन आई टी सुरथकल सहित देश के प्रमुख तकनीकी संस्थानों के छात्र शामिल हुए थे। इन सबके बीच झारखंड राय यूनिवर्सिटी, रांची ने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई और उल्लेखनीय सफलता हासिल किया है।

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ग्रेट स्टेप” उत्सव में आयोजित रॉक रेजिलिएंस प्रतियोगिता में झारखंड राय विश्वविद्यालय के सैयद सकीब अली, कुंज कुमार राय और साजल यादव को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। जबकि इंडस्ट्रियल डिजाइन प्रॉब्लम प्रतियोगिता में सारबानु बनर्जी, सौरव, अफरोज और सचिन कुमार की टीम ने भी द्वितीय स्थान हासिल करने में सफलता प्राप्त की। सेफ्टी हंट्स प्रतियोगिता में निरंजन कुमार, आशुतोष उपाध्याय और जिया कुमारी ने तृतीय स्थान हासिल किया है।

ग्रेट स्टेप” ( (भू-संसाधन इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी छात्रों, शिक्षकों और नियोक्ताओं की भागीदारी का संक्षिप्त नाम) खनन और भूविज्ञान उद्योगों में विकास के साथ तालमेल रखने के लिए मार्गदर्शन और उत्साह के रूप में एक दृष्टिकोण के साथ, उभरते हुए खनन इंजीनियरों के लिए एक साझा मंच है।

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झारखंड राय विश्वविद्यालय की चांसलर प्रो ० (डॉ ०) सविता सेंगर ने माइनिंग इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों के आईआईटी, खड़गपुर में उत्कृष्ट प्रदर्शन पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा की खनन संकाय में अध्ययनरत छात्रों ने पिछले कुछ महीनों के दौरान माइनिंग इंजीनियरिंग की कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। गेट परीक्षा 2025 में भी विभाग से विद्यार्थियों को सफलता प्राप्त हुयी है।

झारखंड राय विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो ० (डॉ०) पीयूष रंजन ने आईआईटी, खड़गपुर के टेक फेस्ट “ग्रेट स्टेप” में माइनिंग इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा की माइनिंग इंजीनियरिंग विभाग के पूर्ववर्ती छात्र वर्तमान में देश के कई प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। पिछले महीने एन आई टी राउरकेला में आयोजित मीनारें 2025 में भी विभाग के छात्रों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन से विश्वविद्यालय का नाम रौशन किया था।

माइनिंग के विद्यार्थियों की सफलता पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विभागीय समन्वयक प्रो. सुमीत किशोर, डॉ. जयप्रकाश मीणा, डॉ. विनीता कुमारी, सोमनाथ कुमार ऋषि, कामाख्या नारायण एवं समीर फारूकी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा की यह उपलब्धि हमारे छात्रों की कड़ी मेहनत, समर्पण और उत्कृष्टता का प्रमाण है।

B,Com Program-Blog JRU

B.Com के बाद एकाउंटिंग फील्ड में बनाये अपना करियर

बीकॉम एक लोकप्रिय कोर्स है जिसे 12वीं पास करने के बाद किया जा सकता है। यह एक ऐसा कोर्स है जो छात्रों को लेखांकन (Accounting), वित्तीय प्रबंधन (Financial Management), और व्यापारिक कानून (Business Law) जैसी विषयों में निपुणता प्रदान करता है। इस कोर्स के जरिए छात्र कॉर्पोरेट जगत, बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं, और सरकारी नौकरियों के लिए खुद को तैयार कर सकते हैं। बीकॉम का फुल फॉर्म बैचलर ऑफ कॉमर्स है। यह एक अंडर ग्रेजुएट डिग्री प्रोग्राम है, जो छात्रों को वाणिज्य (Commerce) और व्यापार (Business) से जुड़ी बुनियादी और व्यावसायिक जानकारी प्रदान करता है।

बीकॉम 2025 में क्यों कर रहा है सबसे ज्यादा ट्रेंड।
12 वीं के बाद करियर विकल्पों की खोज हो जाती है शुरू। ऐसे ऑप्शन की तलाश सभी छात्रों को होती है जिसे करने के बाद उनका करियर सुरक्षित हो जाए। एक ऐसा कोर्स जिसे करने के बाद लाखों-करोड़ों रुपये की सैलरी भी कमा सकें। 2025 में बिजनेस फील्ड में अपना करियर बनाने की सोच रहे छात्रों के लिए B.Com एक अच्छा विकल्प हो सकता है। यह एक अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम है जिसकी अवधी 3 साल है। भारत में बीकॉम की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की 2025 में बीकॉम में एडमिशन के लिए 12वीं में मैथ या एप्लाइड मैथ की अनिवार्यता को समाप्त करने की बात चल रही है।
बीकॉम में पढ़े जाने वाले अधिकांश विषय जैसे पैसों का मैनेजमेंट, बैंक से जुड़ी जानकारी, पैसों के लेनदेन, हिसाब-किताब, इनकम टैक्स, और पीएफ की जानकारी आसानी से समझी जा सकती है। छात्र इन विषयों को अच्छे से मैनेज कर पाते हैं। इसलिए यह यूथ्स के बीच इतना लोकप्रिय है।

B.com क्यों करें ?
अगर आप बिजनेस फील्ड में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो B.Com आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। 12th के बाद स्टूडेंट्स में यह ट्रेंडिंग कोर्स में से एक है क्योंकि इस कोर्स के बाद बच्चों के लिए कई जॉब ऑप्शंस उपलब्ध होते हैं। बता दें कि बीकॉम एक यूजी पाठ्यक्रम है जिसकी अवधि 3 साल है और इसे 6 सेमेस्टर में बंटा हुआ है।

12वीं के बाद कॉमर्स की पढ़ाई, बेहतर जॉब आप्शन और बढ़िया सैलेरी।
अगर आप बिजनेस के क्षेत्र में जाना चाहते हैं तो आपके लिए बीबीए ज्यादा बेहतर कोर्स रहेगा। लेकिन अगर आप फाइनेंस सेक्टर में करियर बनाना चाहते हैं तो आपके लिए बीकॉम बेहतर विकल्प होगा। बीकॉम के बाद आप आप चार्टर्ड अकाउंटेंसी (सीए), कंपनी सेक्रेटरी (सीएस), और कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंसी (सीएमए) में प्रोफेशनल सर्टिफिकेशन ले लेकर करियर को और बेहतर बना सकते हैं।

बीकॉम में पढ़ाए जाने वाले मुख्य विषय :

  • लेखांकन (Accounting)
  • व्यापार कानून (Business Law)
  • वित्तीय प्रबंधन (Financial Management)
  • अर्थशास्त्र (Economics)
  • आयकर (Income Tax)
  • बैंकिंग और बीमा (Banking and Insurance)
  • सांख्यिकी (Statistics)
  • ई-कॉमर्स (E-Commerce)
  • प्रबंधन सिद्धांत (Principles of Management)
  • कंप्यूटर एप्लिकेशन (Computer Applications)

बीकॉम कोर्स के फायदे:
यह कोर्स छात्रों को लेखांकन, वित्त, बैंकिंग, और बीमा के क्षेत्र की अद्यतन जानकारी प्रदान करता है। यह कोर्स छात्रों को मार्केटिंग, अकाउंटिंग, उद्यमिता, विभिन्न कराधान और औद्योगिक कानून जैसी विषयों में निपुणता देता है। बीकॉम छात्रों को कॉर्पोरेट जगत, बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं, और सरकारी नौकरियों में करियर के लिए तैयार करता है।

B.com के बाद एकाउंटिंग फील्ड में बनाये करियर :
बीकॉम एक व्यावसायिक कोर्स होने के साथ-साथ कॉमर्स फील्ड में दिलचस्पी रखने वाले छात्रों के लिए एक अच्छा करियर विकल्प भी है।
बीकॉम की पढ़ाई पूरी करने के बाद के बाद करियर के कई ऑप्शन खुल जाते हैं लेकिन फ्रेशर्स के बीच एकाउंटिंग एक सदाबहार आप्शन है जिसकी डिमांड भी काफी ज्यादा है।

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कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा 10वीं के बाद सबसे अच्छा कोर्स। ITI करने वालों के लिए लेटरल एंट्री सुविधा उपलब्ध

प्रौद्योगिकी के निरंतर विकास के साथ, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर उद्योगों के लिए विकास के विशाल अवसर उभरे हैं। सॉफ्टवेयर उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक है। झारखंड राय विश्वविद्यालय में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग पर्याप्त तकनीकी विशेषज्ञता के साथ सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। अनुभवी संकाय सदस्य छात्र – छात्राओं को कठोर और विस्तृत पाठ्यक्रम से परिचित कराते हैं, जो उनकी सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को सामने लाने और उन्हें सीएसई के क्षेत्र में नवीनतम विकास से अवगत रखने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है।

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झारखंड राय विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस एवं इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी विभाग में कंप्यूटर साइंस के यूजी एवं पीजी कोर्स के अलावा बी टेक एवं डिप्लोमा कोर्सेज भी संचालित किया जाता है।

डिप्लोमा इन कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग :
12वीं के बाद कंप्यूटर साइंस से जुड़ी पढ़ाई करने के लिए डिप्लोमा इन कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग एक बेहद सूझबूझ भरा फैसला है।
डिप्लोमा कोर्स जरिए भी अंतःविषय क्षेत्र में फंडामेंटल कॉन्सेप्ट्स और बेसिक्स को समझा जा सकता है। डिप्लोमा इन कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग कोर्स आज की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है। डिप्लोमा प्रोग्राम बेसिक कॉन्सेप्ट्स और कंप्यूटर साइंस के तहत आने वाले कठिन डोमेन के टॉपिक्स को कवर करता हैं। छात्रों को ऑपरेटिंग सिस्टम, नेटवर्किंग के साथ-साथ बुनियादी प्रोग्रामिंग और कंप्यूटिंग के बारे में बुनियादी जानकारी उपलब्ध कराता है। 12वीं कंप्यूटर साइंस के बाद डिप्लोमा का विकल्प चुनने से कंप्यूटर के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के अच्छे ज्ञान के साथ-साथ इस क्षेत्र में एंट्री लेवल जॉब्स पाने लायक काबिलियत आ जाती है।

डिप्लोमा इन कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग क्या हैं ?
कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा एक तीन वर्षीय पाठ्यक्रम है जो कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग के बुनियादी सिद्धांतों, जैसे कि प्रोग्रामिंग, डेटा स्ट्रक्चर, और कंप्यूटर नेटवर्क, पर केंद्रित है। डिप्लोमा सीएसई छात्रों को आईटी क्षेत्र में करियर बनाने के लिए तैयार किया गया कोर्स है।

डिप्लोमा सीएसई के विषय :
डिप्लोमा इन कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग कोर्स में कंप्यूटर हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, नेटवर्किंग, साइबर सुरक्षा, डेटाबेस, और वेब डेवलपमेंट जैसे विषय शामिल होते हैं। आईटी क्षेत्र के बदलते स्वरूप और मांग को देखते हुए कई विश्वविद्यालयों ने अपने कोर्सेज में AI और रोबोटिक्स को भी जगह दिया है।

कैरियर के अवसर:
10वीं और 12वीं के बाद कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा सबसे अच्छे विकल्पों में से एक है। डिप्लोमा कंप्यूटर इंजीनियरिंग एक रोमांचक और भविष्यवादी क्षेत्र है। डिप्लोमा कार्यक्रम आपको कंप्यूटर विज्ञान में मूलभूत ज्ञान प्राप्त करने में मदद कर सकता है। विशेषज्ञ के तौर पर स्थापित होकर बड़े औद्योगिक घरानों में काम करने का मौका प्रदान करता है। कुशल और योग्य पेशेवर के तौर पर आईटी इंडस्ट्री में स्थापित कर सकता है। डिप्लोमा कंप्यूटर साइंस कार्यक्रम विविध उद्योगों में विभिन्न प्रकार के करियर विकल्प खोल सकता है। सफलतापूर्वक डिप्लोमा सीएसई करने के बाद सॉफ्टवेयर डेवलपर, वेब डेवलपर, डेटाबेस प्रशासक, नेटवर्क इंजीनियर, और साइबर सुरक्षा विश्लेषक जैसे पदों पर काम कर सकते हैं।

लेटरल एंट्री क्या हैं ?
लैटरल एंट्री का मतलब है, किसी छात्र को किसी कोर्स के दूसरे साल या तीसरे सेमेस्टर में सीधे दाखिला देना। यह विकल्प आम तौर पर उन छात्रों के लिए होता है जिन्होंने पहले से ही किसी विषय में डिप्लोमा या समकक्ष योग्यता हासिल कर ली हो। लैटरल एंट्री के ज़रिए छात्र समय बचा सकते हैं और सीधे उन्नत पाठ्यक्रम में दाखिला ले सकते हैं।

लेटरल एंट्री के फायदे:

  • लेटरल एंट्री से पढ़ाई को ज़्यादा लचीलापन मिलता है।
  • अपने क्षेत्र में व्यावहारिक अनुभव दिलाने में लेटरल एंट्री का अहम् योगदान है।
  • जटिल अवधारणाओं को समझने में भी यह सहायक साबित होता है।
  • लेटरल एंट्री छात्रों को अपने कौशल को व्यावहारिक स्थितियों में लागू करने में मदद मिलती है।

भविष्य आईटी पेशेवरों का है :
IT, प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, संचार और मीडिया उच्चतम शुद्ध रोजगार संभावनाओं भरा क्षेत्र हैं। प्रतिभा को आकर्षित करना और बनाए रखना प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए अनिवार्य है। भविष्य आईटी पेशेवरों का है। आईटी इंडस्ट्री में आज सबसे ज्यादा जॉब्स हैं। फ्रेशर्स की डिमांड और भी ज्यादा है। यदि आप झारखंड राय यूनिवर्सिटी, रांची से डिप्लोमा इन कंप्यूटर इंजीनियरिंग करते हुए सही योग्यता हासिल कर लेते हैं तो आपके लिए आगे बहुत संभावनाएं होंगी। पढ़ाई के दौरान बेहतर लैब सुविधा के साथ आपको वहां एक अच्छा अनुभव मिलेगा। आईटी पेशेवर महत्वाकांक्षा के साथ व्यक्तिगत विकास को संतुलित करते हैं।

IKS faculty training workshop conducted at Jharkhand Rai University Ranchi 2025

झारखंड राय विश्वविद्यालय, रांची में शनिवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के आईकेएस (IKS) डिवीजन के निर्देश पर सिद्धांत नॉलेज फाउंडेशन (आईकेएस शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र) द्वारा एक दिवसीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का विधिवत उद्घाटन झारखंड राय विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोo (डॉ ०) पीयूष रंजन, ने दीप प्रज्वलित कर किया।

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कार्यशाला को रांची विश्वविद्यालय के कुलपति की ओएसडी डॉ ० स्मृति सिंह , डोरंडा कॉलेज के प्राचार्य डॉ ० राज कुमार शर्मा एवं झारखंड राय विश्वविद्यालय के डॉ ० कुमार अमरेंद्र ने सम्बोधित किया। तीनों विशेषज्ञ सिद्धांत नॉलेज फाउंडेशन के उन्नत प्रमाणित आईकेएस प्रशिक्षक हैं, जिन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और शिक्षा मंत्रालय द्वारा नियुक्त किया गया है।

कार्यशाला के पहले सत्र को सम्बोधित करते हुए डॉ ० स्मृति सिंह ने भारतीय ज्ञान परंपरा पर विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए उसके विविध आयामों पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा की भारतीय ज्ञान परंपरा के सहारे ही भारत का विश्व गुरु बनने का सपना पूरा होगा। वहीँ कुमार अमरेंद्र ने पारंपरिक शोध पद्धति तंत्रयुक्ति पर अपने विचार रखे। कार्यशाला के दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए प्राचार्य डॉ ० राज कुमार शर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय ज्ञान परंपरा पर चर्चा बातें रखीं उन्होंने कहा की शिक्षकों को भारतीय ज्ञान परंपरा के बारे में गहरी समझ छात्रों को एक बेहतर और व्यापक शिक्षा प्रदान करने में सहायक होगी। इससे विद्यार्थियों को सफल और सार्थक जीवन जीने के लिए कौशल विचार प्राप्त होंगे। कार्यशाला में झारखंड के 16 कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से कुल 85 संकाय सदस्यों को नामित किया गया था। उन्हें शिक्षा मंत्रालय से प्रमाण पत्र प्राप्त होंगे।

झारखंड राय विश्वविद्यालय देश के 13 विश्वविद्यालयों में शामिल।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के आईकेएस डिवीजन के निर्देश पर देश भर में आयोजित किये जा रहे भारतीय ज्ञान परंपरा शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला के लिए कें 13 प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों का चयन किया है जिनमें झारखंड राय विश्वविद्यालय भी शामिल है। शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन सिद्धांत फाउंडेशन के द्वारा किया जा रहा है। झारखंड राय विश्वविद्यालय के दो शिक्षक आई के एस मास्टर ट्रेनर के रूप में चयनित हैं ।KS डिवीजन ने देश के 13 विश्वविद्यालयों में झारखंड राय विश्वविद्यालय को किया शामिल।

Transforming Indian farms through AI technology 25

कृषि क्षेत्र में AI का बढ़ता दखल, प्रतिदिन 20 हजार से अधिक किसान ई-मित्र का करते हैं उपयोग

हाल के वर्षों में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का खेती में बड़े पैमाने पर प्रयोग किया गया है। एआई किसानों को किसी विशेष मौसम परिदृश्य के लिए सर्वोत्तम बीज चुनने में मदद करता है। एआई-संचालित समाधान किसानों को कम संसाधनों में अधिक उत्पादन करने और फसल की गुणवत्ता में सुधार करने में मददगार है।भारत सरकार ने किसानों की सहायता के लिए कृषि क्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों के समाधान करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता विधियों को अपनाया है।

Agriculture Strip-Admission Open 2024

कृषि क्षेत्र में AI का उपयोग :
किसान ई-मित्र’, AI -संचालित चैटबॉट : यह पीएम किसान सम्मान निधि योजना से जुड़े प्रश्नों के उत्तर देने में किसानों की सहायता के लिए विकसित किया गया है। कई भाषाओं में उपलब्‍ध यह चैटबॉट अन्य सरकारी कार्यक्रमों में सहायता के लिए विकसित किया जा रहा है। किसान ई-मित्र प्रतिदिन 20,000 से अधिक किसानों के प्रश्नों का उत्तर देता है और अब तक 92 लाख से अधिक प्रश्नों का उत्तर दे चुका है।

राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली : यह प्रणाली जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले उत्पादन नुकसान से निपटने के लिए ,फसलों में कीटों का पता लगाने के लिए एआई और मशीन लर्निंग का उपयोग करती है। वर्तमान में 10,000 से अधिक कार्यकर्ताओं द्वारा इसका उपयोग किया जा रहा है। यह कीट निगरानी प्रणाली फसलों को कीटों से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए किसानों को कीटों की तस्वीरें खींचने की सुविधा उपलब्ध करती है। अब तक इस प्रणाली से लगभग 1 लाख अपलोड की गई छवियों के साथ 61 फसलों और 400 से अधिक कीटों की पहचान की गई है।

चावल और गेहूं की फसलों के लिए डेटा सेट का उपयोग : चावल और गेहूं की फसलों के लिए उपग्रह, मौसम और मिट्टी की नमी डेटासेट का उपयोग करके फसल स्वास्थ्य मूल्यांकन और फसल स्वास्थ्य निगरानी के लिए क्षेत्र की तस्वीरों का उपयोग करके एआई-आधारित विश्लेषण किया जाता है।

AI का उपयोग करके, किसान अब उन्नत डेटा और एनालिटिक्स टूल तक पहुँच सकते हैं जो बेहतर खेती को बढ़ावा देंगे, दक्षता में सुधार करेंगे और नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभावों को कम करते हुए जैव ईंधन और खाद्य उत्पादन में बर्बादी को कम करेंगे । AI और मशीन लर्निंग ने विभिन्न उद्योगों को बदल दिया है।

झारखंड राय विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा पर शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का होगा आयोजन

झारखंड राय विश्वविद्यालय रांची में शनिवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के आई के एस डिविजन के निर्देशानुसार भारतीय ज्ञान परंपरा पर एक दिवसीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन सिद्धांत फाउंडेशन के द्वारा किया जा रहा है। भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने के लिए देश के 13 विश्वविद्यालयों का चयन किया गया है जिनमें झारखंड राय विश्वविद्यालय भी शामिल है। झारखंड राय विश्वविद्यालय के दो शिक्षक मास्टर ट्रेनर के रूप में चयनित हैं।

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शिक्षकों को प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली और शिक्षा पद्धतियों के बारे में जानकारी प्रदान करेगी। कार्यशाला का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप भारतीय ज्ञान परंपरा को शामिल करने के उद्देश्यों को पूरा करना है। कार्यशाला शिक्षकों को भारतीय ज्ञान परंपरा के बारे में ज्ञान प्रदान करने और उन्हें अपनी शिक्षण पद्धतियों में शामिल करने में मददगार साबित होगी।

UG – PG के स्टूडेंट्स के लिए IKS अनिवार्य, अर्जित करने होंगे 5% क्रेडिट

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत छात्रों के लिए नए सत्र से एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने सभी विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर निर्देश जारी किया है कि यूजी-पीजी पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान प्रणाली को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए। अब छात्रों को अपनी डिग्री के लिए आवश्यक कुल क्रेडिट में से कम से कम 5 प्रतिशत क्रेडिट भारतीय ज्ञान प्रणाली से अर्जित करने होंगे।

पत्र में लिखा है कि कुल क्रेडिट में से 50 फीसदी प्रमुख विषयों (मेजर डिसिप्लिन) से होने जरूरी होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में IKS के समावेशन हेतू यह दिशा-निर्देश है। इसके तहत स्नातक और स्नातकोत्तर पाठयक्रमों के छात्रों को भारतीय ज्ञान प्रणाली की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। यूजी और पीजी पाठ्यक्रमों के छात्रों को कुल क्रेडिट में से पांच फीसदी क्रेडिट भारतीय ज्ञान प्रणाली की पढ़ाई के बाद अर्जित करने होंगे।

यूजीसी उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रोफेसर को भी भारतीय ज्ञान प्रणाली के तहत प्रशिक्षण दे रहा है। इसका मकसद यूजी और पीजी पाठ्यक्रमों में पढ़ाई से पहले शिक्षकों को भी तैयार करना है।

यूजीसी का यह कदम भारतीय शिक्षा प्रणाली को अधिक समावेशी और समृद्ध बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इस पहल से न केवल छात्रों को अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर मिलेगा, बल्कि भारत की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर पहचान भी मिलेगी। विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया गया है कि वे जल्द से जल्द अपने पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान प्रणाली से संबंधित विषयों को लागू करें, ताकि छात्र इसका लाभ उठा सकें।

भारतीय ज्ञान प्रणाली के अंतर्गत वेद, उपनिषद, आयुर्वेद, योग, ज्योतिष, वास्तु शास्त्र, भारतीय गणित, तर्कशास्त्र, साहित्य, कला, दर्शन और प्राचीन विज्ञान की विभिन्न धाराओं को पढ़ाया जाएगा। छात्रों को इन विषयों से जुड़े पाठ्यक्रमों का अध्ययन करना होगा और 5% क्रेडिट प्राप्त करने होंगे।

यूजीसी ने यह भी सुनिश्चित किया है कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के शिक्षक भारतीय ज्ञान प्रणाली को प्रभावी ढंग से पढ़ा सकें। इसके लिए उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि वे अपने विषयों में भारतीय ज्ञान प्रणाली को जोड़कर छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान कर सकें।

यूजीसी का यह कदम भारतीय शिक्षा प्रणाली को अधिक समावेशी और समृद्ध बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इस पहल से न केवल छात्रों को अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर मिलेगा, बल्कि भारत की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर पहचान भी मिलेगी।