ITI करने के बाद, डिप्लोमा कोर्स एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता हैं। किसी भी स्ट्रीम में आईटीआई के बाद डिप्लोमा करने से, स्किल्स और हुनर को और बेहतर बनाया जा सकता है। डिप्लोमा के बाद, सरकारी और प्राइवेट नौकरी के कई अवसर मिलते हैं। आईटीआई के बाद डिप्लोमा करने विद्यार्थियों को लेटरल एंट्री के बारे में जानकारी होना जरूरी है।
डिप्लोमा कोर्स के बारे में जानकारी :
डिप्लोमा एक ऐसा कोर्स है जिसमें किसी खास क्षेत्र में कौशल हासिल किया जाता है। यह कोर्स, विश्वविद्यालय की डिग्री से छोटा होता है. डिप्लोमा कोर्स करने के बाद, सर्टिफिकेट दिया जाता है. यह सर्टिफिकेट, नौकरी पाने में मददगार है।
डिप्लोमा कोर्स के बारे में जरूरी बातें:
- डिप्लोमा कोर्स, किसी संगठन द्वारा दिया जाने वाला दस्तावेज़ होता है
- डिप्लोमा कोर्स, नौकरी के लिए ज़रूरी कौशल सिखाता है
- डिप्लोमा कोर्स, कम समय में पूरा किया जा सकता है
- डिप्लोमा कोर्स करने के बाद, सर्टिफिकेट दिया जाता है
- डिप्लोमा कोर्स, इंजीनियरिंग, मेडिकल, शिक्षा जैसे कई क्षेत्रों में किया जा सकता है
लैटरल एंट्री क्या हैं ?
लैटरल एंट्री का मतलब है, किसी छात्र को किसी कोर्स के दूसरे साल या तीसरे सेमेस्टर में सीधे दाखिला देना। यह विकल्प आम तौर पर उन छात्रों के लिए होता है जिन्होंने पहले से ही किसी विषय में डिप्लोमा या समकक्ष योग्यता हासिल कर ली हो। लैटरल एंट्री के ज़रिए छात्र समय बचा सकते हैं और सीधे उन्नत पाठ्यक्रम में दाखिला ले सकते हैं।
लैटरल एंट्री के फ़ायदे:
- लेटरल एंट्री से पढ़ाई को ज़्यादा लचीलापन मिलता है।
- अपने क्षेत्र में व्यावहारिक अनुभव दिलाने में लेटरल एंट्री का अहम् योगदान है।
- जटिल अवधारणाओं को समझने में भी यह सहायक साबित होता है।
- लेटरल एंट्री छात्रों को अपने कौशल को व्यावहारिक स्थितियों में लागू करने में मदद मिलती है
आईटीआई के बाद डिप्लोमा करने के फायदें :
- आईटीआई के बाद डिप्लोमा कोर्स करने वालों के लिए लैटरल एंट्री का बेहतर विकल्प मौजूद रहता है।
- डिप्लोमा करने के बाद अगर बीटेक करना चाहते है तो यह विकल्प भी होता है।
- डिप्लोमा करने के बाद, कई सरकारी नौकरीयों के लिए आप आवेदन कर सकते हैं।
- डिप्लोमा होल्डर के लिए व्यावसायिक कई क्षेत्रों में रिक्तियां प्रकाशित करते हैं.
डिप्लोमा इन कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग:
कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में डिप्लोमा (DSE) एक तीन साल का कोर्स है. इसे आम तौर पर CSE कहा जाता है. इस कोर्स में कंप्यूटर हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, नेटवर्किंग, साइबर सुरक्षा जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं. यह कोर्स कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग से जुड़ी तकनीकों और अवधारणाओं के बारे में जानकारी देता है।
कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के बाद, आप सॉफ़्टवेयर डेवलपर, साइबर सुरक्षा विश्लेषक, डेटाबेस प्रशासक, नेटवर्क इंजीनियर, डेटा साइंटिस्ट जैसे पदों पर काम कर सकते हैं।
झारखण्ड राय विश्ववविद्यालय में तीन वर्षीय डिप्लोमा इन कंप्यूटर साइंस का पाठ्यक्रम संचालित है। आईटीआई पास किये विद्यार्थियों को इस पाठ्यक्रम लेटरल एंट्री प्राप्त होती है। लेटरल एंट्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को दो वर्ष में ही डिप्लोमा की डिग्री प्राप्त होती है।
कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के लिए ज़रूरी योग्यताएं:
- 10वीं कक्षा में अच्छे अंक लाना।
- 12वीं में विज्ञान, व्यावसायिक, या तकनीकी विषय लेना।
- दो साल का आईटीआई करना।