झारखंड राय विश्वविद्यालय के सहयोग से जेसीईआरटी, रांची में झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (जेईपीसी) द्वारा मॉडल पोषण उद्यान (आदर्श पोषण वाटिका) पर प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। झारखंड राय विश्वविद्यालय, रांची के सहयोग से जेसीईआरटी, रांची में झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (JEPC) के द्वारा मॉडल पोषण उद्यान (आदर्श पोषण वाटिका) पर प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। दो दिवसीय प्रशिक्षण में राज्य के विभिन्न विभिन्न जिलों के 33 टीजीटी और पीजीटी शिक्षक शामिल हुए।
प्रशिक्षण के दौरान शिक्षकों को प्राकृतिक खेती के ढांचे में मॉडल पोषण उद्यान से संबंधित ज्ञान और कौशल के बारे में जानकारी दी गयी। प्रशिक्षण के पहले दिन आदर्श पोषण वाटिका के सैद्धांतिक पहलुओं जैसे लेआउट, फसल चयन, प्रौद्योगिकी और उत्पादन के विषय के पर जानकारी देने का कार्य किया गया। इसके अलावा प्रतिभागियों को नर्सरी तैयार करना, बीज बोना, सब्जियों और फलों की रोपण तकनीकों का अभ्यास भी कराया गया।
बीएससी एग्रीकल्चर (ऑनर्स ) की पढ़ाई करने दूसरे राज्यों से आते है स्टूडेंट्स
झारखण्ड राय विश्वविद्यालय, राँची में संचालित कृषि स्नातक प्रतिष्ठा पाठ्यक्रम (बीएससी इन एग्रीकल्चर ऑनर्स) रोजगारपरक और उद्यमिता से जुड़ा पाठ्यक्रम है। कृषि शिक्षा के प्रति युवाओं रुझान बढ़ा है । इस क्षेत्र में भरपूर संभावनाएं है। कृषि स्नातक प्रतिष्ठा पाठ्यक्रम 4 वर्षीय पाठ्यक्रम है। झारखण्ड राय विश्वविद्यालय, राँची का जोर गुणवत्तापूर्ण और रोजगारपरक शिक्षा पर है। इसी कारण झारखण्ड के अलावा बिहार, बंगाल और ओड़िसा से भी छात्र आकर यहाँ पढ़ाई करते हैं । कृषि संकाय के विद्यार्थियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए विश्ववविद्यालय परिसर के अंदर ही 20 एकड़ भूमि आवंटित है। बीएससी इन एग्रीकल्चर (ऑनर्स) पाठ्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पांचवीं डीन रिपोर्ट कि अनुसंशाओं के अनुसार तैयार कि गयी है ।
प्रशिक्षण के दूसरे दिन प्रतिभागी शिक्षकों को प्राकृतिक खेती के सैद्धांतिक पहलुओं और प्राकृतिक खेती के घटकों जैसे जीवामृत, बीजामृत, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र के विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई वहीं सत्र के दूसरे भाग में इन घटकों के निर्माण, तैयारी और सुरक्षा उपायों के व्यावहारिक पहलुओं का अभ्यास कराया गया।
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (जेईपीसी) के प्रशिक्षण कार्यक्रम में झारखंड राय विश्वविद्यालय, रांची के कृषि संकाय के डॉ. आर.पी. सिंह रतन, (डीन कृषि) और नेहा कुमारी सिंह, सहायक प्राध्यापक को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया था । इसके साथ ही के वी के गढ़वा और लोहरदगा से एक-एक वैज्ञानिक भी मास्टर ट्रेनर के तौर पर उपस्थित थे।
प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद प्रतिभागी शिक्षकों ने अपने-अपने जिलों में आदर्श पोषण वाटिका के प्राप्त प्रशिक्षण को दोहराया।
ज्ञात हो कि झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (जेईपीसी) के मॉडल पोषण उद्यान (आदर्श पोषण वाटिका) प्रयास के परिणामस्वरूप इस वर्ष जुलाई महीने के अंत तक राज्य के के चयनित स्कूलों में 31000 से अधिक आदर्श पोषण वाटिका स्थापित की गई हैं।
आदर्श पोषण वाटिका क्या है?
पोषण वाटिका या रसोईघर बाग़ या फिर गृह वाटिका उस वाटिका को कहा जाता है, जो घर के अगल बगल में घर के आंगन में ऐसी खुली जगह पर होती हैं, जहाँ पारिवरिक श्रम से परिवार के इस्तेमाल हेतु विभिन्न मौसमों में मौसमी फल तथा विभिन्न सब्जियाँ उगाई जाती है| पोषण वाटिका न केवल बच्चों को पौष्टिक सब्जियों और फलों का ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि उन्हें कृषि के महत्व को भी समझने में मदद करती है।
MDM में बच्चों को मिलेगी कैंपस में उगाई सब्जियां :
स्कूली बच्चों को मध्यान भोजन में पोषक तत्वों की बहुलता के लिए विद्यालय परिसर में ही पोषण वाटिका का निर्माण किया गया है। यहाँ उगाई गयी सब्जियों का इस्तेमाल मध्यान भोजन में किया जायेगा। कुपोषण राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती है जिससे निपटने के लिए मध्यान भोजन में पौष्टिक तत्वों युक्त फल और सब्जियां को शामिल करना जरुरी है। पोषण वाटिका का निर्माण जैविक तरीके से किया जायेगा।