झारखंड राय विश्वविद्यालय, राँची के प्रबंधन विभाग, साइंस क्लब और हेल्थ क्लब के सौजन्य से “अंग दान एवं अंग प्रत्यारोपण से जुड़े मिथकों को दूर करने” विषय पर जागरूकता सत्र का आयोजन किया । कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अंग दान एवं प्रत्यारोपण जैसे महत्वपूर्ण विषय पर जागरूकता को बढ़ाना, छात्रों एवं संकाय सदस्यों को शिक्षित करना था। इस दौरान अंग दान एवं अंग प्रत्यारोपण से जुड़ी गलत धारणाओं को भी दूर करने का प्रयास किया गया जो अक्सर इस कार्य में बाधा बनती हैं।
कार्यक्रम को राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ (RIMS) राँची में State Organ and Tissue Transplant Organization (SOTTO) के नोडल अफसर और सहायक प्राध्यापक डॉ० राजीव रंजन एवं एसओटीटीओ झारखंड की परामर्शदाता सुश्री साल्विया सर्ली ने संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान दोनों ने अंग दान और अंग प्रत्यारोपण से जुड़े मिथक और सच्चाइयों पर प्रकाश डालते हुए कहा की देश में दाताओं की कमी का एक कारण मिथक और गलत धारणाएं भी हैं। गलत धारणाएं लोगों को अंग दान करने से रोकती है।
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अंग दान से जुड़े मिथक :
- अंग दान करने से शरीर विकृत हो जाता है:
अंग दान करने से शरीर का स्वरूप नहीं बदलता. दान किए गए अंगों को शल्य चिकित्सा के ज़रिए निकाला जाता है, जिसका तरीका पित्ताशय की थैली या अपेंडिक्स को हटाने जैसा ही होता है. अंतिम संस्कार के लिए दान किए गए अंग को बदलने की ज़रूरत नहीं होती. - खुले ताबूत में अंतिम संस्कार नहीं किया जा सकता:
अंगदान करने वाले के लिए भी खुले ताबूत में अंतिम संस्कार किया जा सकता है. दान किए गए अंगों के कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते. - अंग दान करने के लिए लाइसेंस की ज़रूरत होती है:
ड्राइवर लाइसेंस के आवेदन या नवीनीकरण के फ़ॉर्म पर ‘हां’ पर निशान लगाकर, आप प्रत्यारोपण और अनुसंधान के लिए सभी अंगों, आंखों, और ऊतकों के लिए सहमति दे सकते हैं. - अंग दान करने से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं :
सभी प्रमुख धर्मों में दान को दूसरों के प्रति अंतिम उदारता माना जाता है. अगर आपको किसी तरह की संशय है, तो आप अपने धार्मिक नेता से बात कर सकते हैं. - सेलिब्रिटी और अमीर लोगों को प्राथमिकता:
अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में शामिल होने के लिए, व्यक्ति को चिकित्सा डेटा प्रस्तुत करना होता है. इसके बाद, चिकित्सा ज़रूरत, रक्त और ऊतक का प्रकार, ऊंचाई, और वज़न के आधार पर अंग आवंटित किए जाते हैं । इस कार्य में अमीरों और सेलेब्रेटी को अधिक महत्त्व दिया जाता है।
डॉ० राजीव रंजन एवं सुश्री साल्विया सर्ली ने ऐसे कई विषयों पर अपने विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम के दौरान छात्रों और संकाय सदस्यों द्वारा उठाये गए विचारशील प्रश्न एवं विषय पर दृष्टिकोण से जुड़ी शंकाओं का इन्होंने समाधान किया जिससे अंगदान से जुड़े कलंक को तोड़ने के महत्व को बल मिला।
कार्यक्रम में हेल्थ साईंसेस के असोसिएट डीन डॉ० रणधीर कुमार गुप्ता ने वक्ताओं को पौधा देकर सम्मानित किया।