त्रि दोषों( वात ,पित्त और कफ) का पता लगाने के लिए आयुर्वेद विशेषज्ञ अब आपके घर आएंगे और शरीर की प्रकृति का परीक्षण कर समस्या का समाधान बताने का काम करेंगे।
आयुष मंत्रालय ने 26 नवंबर से देश का प्रकृति परीक्षण अभियान शुरू किया है। एक महीने तक चलने वाले इस अभियान में एक करोड़ परिवारों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। आयुष मंत्रालय ने इसके लिए 4,70,000 से अधिक समर्पित स्वयंसेवकों को ट्रेनिंग दी है। अभियान का उद्देश्य पूरे भारत में स्वास्थ्य सेवा जागरूकता में क्रांति लाना है।
29 अक्टूबर को पीएम मोदी ने 9वें आयुर्वेद दिवस समारोह के अवसर पर ‘देश का प्रकृति परीक्षण अभियान’ की शुरुआत की थी। इस महत्वपूर्ण अभियान का उद्देश्य पूरे भारत में स्वास्थ्य सेवा जागरूकता में क्रांति लाना है। उन्होंने कहा कि किसी की व्यक्ति के स्वास्थ्य प्रकृति को समझना और उसके आधार पर जीवन शैली की सलाह का पालन करने से वे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को स्वस्थ रख सकते हैं। इससे गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) सहित विभिन्न बीमारियों की रोकथाम में भी मदद मिल सकती है। देश का प्रकृति परीक्षण अभियान आयुर्वेद को हर घर के करीब लाता है, नागरिकों को उनकी अनोखी प्रकृति को समझने और व्यक्तिगत, निवारक स्वास्थ्य प्रथाओं को अपनाने के लिए सशक्त बनाता है।
केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव जाधव ने पहल के बढ़ते प्रभाव के प्रति उत्साह व्यक्त करते हुए कहा, “अब तक हमें जो प्रतिक्रिया मिली है वह हमारे देश में दैनिक जीवन में आयुर्वेद के प्रति बढ़ती जागरूकता और स्वीकार्यता का प्रमाण है।” प्रत्येक व्यक्ति जो प्रकृति परीक्षण में भाग लेता है और व्यक्तिगत स्वास्थ्य दृष्टिकोण अपनाता है, एक स्वस्थ भारत के निर्माण में योगदान दे रहा है। यह सिर्फ शुरुआत है, और हम साथ मिलकर आने वाली पीढ़ियों के लिए देश के स्वास्थ्य में बदलाव लाएंगे।”
*देश का प्रकृति परीक्षण अभियान*
आयुष मंत्रालय ने इसके लिए एक ऐप तैयार किया है जिसके माध्यम से लोगों से उनके स्वास्थ्य की जानकारी मांगी जाएगी। इस एप को किसी भी फोन पर डाउनलोड किया जा सकेगा। एप में क्यूआर कोड जारी किया जाएगा जिसको मंत्रालय के वालंटियर स्कैन कर लोगों को उनका प्रकृति बताएंगे।
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*प्रकृति परीक्षण एप कैसे कार्य करती है *
- ऐप से स्वास्थ्य की सूचना 12 प्रश्नावली में मांगी जाएगी
- लाइव वीडियो के जरिये एक वाक्य भी बोलना है
- जानकारियां समिट करने के बाद क्यू आर कोड जेनरेट होगा
- विशेषज्ञ वॉलेंटियर स्कैन कर लोगों को सेहत की प्रकृति बताएंगे।
*त्रि दोष वात, पित्त और कफ*
आयुर्वेद भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़ी चिकित्सा पद्धति है। इसके अनुसार शरीर के तीन दोष होते हैं: वात, पित्त, कफ़। इन तीनों को त्रिदोष कहा जाता है। आयुर्वेद शरीर, मन, और आत्मा के संतुलन पर आधारित चिकित्सा पद्धति है। त्रि दोष शरीर के कार्यों और स्वास्थ्य को नियंत्रित करने का काम करती है। हर दोष की अपनी विशेषताएं, गुण, और कार्य होते है। दोषों के असंतुलन या विकृति के कारण हमारा शरीर बीमार पड़ता है। इस असंतुलन का कारण है अनुचित आहार, अनुचित दिनचर्या, खराब जीवनशैली और तनाव।