झारखण्ड राय युनिवर्सिटी में मंगलवार 24 सितंबर को ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन रिम्स, रांची के सहयोग से आयोजित किया गया. झारखण्ड राय युनिवर्सिटी के कमड़े कैंपस में आयोजित इस कैंप में स्टूडेंट्स और स्टॉफ ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया और “रक्त दान महादान” को चरितार्थ किया।
कैंप में रिम्स राँची की टीम उपस्थित थी जिसमे डॉ कविता और डॉ. चिन्मयानंद ( ब्लड बैंक रिम्स, रांची ) अपनी टीम के साथ उपस्थित थे। 1 दिन के कैंप के दौरान राय युनिवर्सिटी कैंपस से 130 यूनिट ब्लड इकठठा किया गया जो इस चालू वर्ष (सितंबर महीने तक ) का अबतक का सेकंड हाईएस्ट कंट्रीब्यूशन था।
राय युनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. पियूष रंजन ने व्यक्तिकक रूप से उपस्थित चिकिसकों से मुलाकात कर इस आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। “उन्होंने 130 यूनिट ब्लड कैंपस से एकट्ठा किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की और युनिवर्सिटी के योगदान को जीवन रक्छा के लिए अमूल्य निधि बताया ”
रक्त दान शिविर के आयोजन से पहले 23 सितंबर को कैंपस में ब्लड डोनेशन अवेयरनेस और मोटिवेशनल सेशन का आयोजन किया गया था जिसमे रिम्स रांची की डॉ. उषा सरोज (असिस्टेंट प्रोफेसर ब्लड बैंक ) और डॉ. कविता देवगढ़िया (असिस्टेंट प्रोफेसर ब्लड बैंक ) ने युनिवर्सिटी के सेमिनार हॉल में अपना व्याख्यान दिया। अपने सबोधन के दौरान डॉ. उषा सरोज ने बताया की ” रक्त में उपस्थित लाल रक्त कणिकाएं 90 से 120 दिन में स्वत: ही मर जाती है इसलिए हर 3 माह में रक्तदान किया जा सकता है.
सामान्य व्यक्ति एक बार रक्तदान कर तीन जानें बचा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार अनुसार भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है। लेकिन करीब 75 प्रतिशत रक्त ही उपलब्ध हो पाता है, जिसके कारण लगभग 25 लाख यूनिट खून के अभाव में हर साल सैकड़ों मरीज़ों की जान चली जाती है।
सवा अरब आबादी वाले भारत देश में रक्तदाताओं का आंकड़ा कुल आबादी का एक प्रतिशत भी नहीं है, जिसका एक बड़ा कारण है रक्तदान से जुड़ी जागरुकता का ना होना।
व्यक्ति जब अपनी इच्छा से बिना किसी आर्थिक लाभ के रक्त देता है तो उसे स्वैच्छिक रक्तदान कहते हैं। सामान्यतः स्वैच्छिक रक्तदान से प्राप्त रक्त अनेक संक्रमणों जैसे हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी, मलेरिया, सिफलिस एवं एच.आई.वी. /एड्स से मुक्त होता है। व्यवसायिक रक्तदाता जो केवल धन कमाने की इच्छा रखते हैं, यौन रोग, हेपेटाइटिस तथा एड्स जैसे संक्रामक रोगों से ग्रसित हो सकते है एवं रक्त प्राप्त करने वाले व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकते हैं।“
डॉ. कविता देवगढ़िया (असिस्टेंट प्रोफेसर ब्लड बैंक ) ने अपने सम्बोधन में ब्लड डोनेशन और इससे जुडी भ्रांतिया और तकनिकी पहलु पर जानकारी दी उन्होंने बताया की “कृत्रिम रक्त बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं पर अभी तक इसका कोई कारगर विकल्प नहीं मिला। है। रक्तदान ही एकमात्र उपाय है।
कोई भी स्वस्थ व्यक्ति जिसकी उम्र 18 से 65 वर्ष के बीच हो, वज़न 45 किलोग्राम या अधिक हो तथा हीमोग्लोबिन कम से कम 12.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर हो, रक्तदान कर सकता है। मानव जीवन की रक्षा के लिए हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है कि उन लोगों की मदद करें, जिन्हें रक्त की आवश्यकता है। राय विश्वविद्यालय में प्रतिवर्ष रक्त दान शिविर का आयोजन किया जाता है जिसमे स्टूडेंट्स, फैकल्टी और स्टॉफ बड़े जोश के साथ रक्त दान कर दूसरों के जीवन बचाने का पुनीत कार्य करते है। रक्त दान शिविर के आयोजन में प्रो. रश्मि की अहम् भूमिका रही जिनके प्रयास से जागरूकता व्याख्यान और शिविर का आयोजन हुआ।
रक्तदान करने से चार लाभ ।
- आपको किसी का जीवन बचाने पर आत्मसंतोष होता है।
- रक्तदान करने से आपके शरीर में नया रक्त बनने की प्रक्रिया तेज हो जाती है।
- शोध से पता चलता है कि रक्तदान करने से रक्तदाता के शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित होती है और ह्रदय रोग की संभावना कम हो जाती है।
- आवश्यकता होने पर आपको स्वयं के लिए या आपके परिवार के किसी सदस्य के लिए रक्तकोष से रक्त लेने में प्राथमिकता दी जाएगी।
क्या आप जानते है ?
- एक औसत व्यक्ति के शरीर में 10 यूनिट यानि (5-6 लीटर) रक्त होता है।
- रक्तदान में केवल 1 यूनिट रक्त ही लिया जाता है।
- कई बार केवल एक कार एक्सीडेंट (दुर्घटना) में ही 100 यूनिट रक्त की जरूरत पड़ जाती है।
- एक बार रक्तदान से आप 3 लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं।
- भारत में सिर्फ 7 प्रतिशत लोगों का ब्लड ग्रुप ‘O नेगेटिव’ है।
- ‘O नेगेटिव’ ब्लड ग्रुप यूनिवर्सल डोनर कहलाता है, इसे किसी भी ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को दिया जा सकता है।
- इमरजेंसी के समय जैसे जब किसी नवजात बालक या अन्य को खून की आवश्यकता हो और उसका ब्लड ग्रुप ना पता हो तब उसे’O नेगेटिव’ ब्लड दिया जा सकता है।
- ब्लड डोनेशन की प्रक्रिया काफी सरल होती है और रक्त दाता को इसमें कोई खास मुश्किल नहीं हैं।
- आप 18 से 60 वर्ष की आयु तक रक्तदान कर सकते हैं।
- रक्त दाता का वजन, पल्स रेट, ब्लड प्रेशर, बॉडी टेम्परेचर आदि चीजों के सामान्य पाए जाने पर ही डॉक्टर्स या ब्लड डोनेशन टीम के सदस्य आपका ब्लड लेते हैं।
- पुरुष 3 महीने और महिलाएं 4 महीने के अंतराल में नियमित रक्तदान कर सकती हैं।
- हर कोई रक्तदान नहीं कर सकता। यदि आप स्वस्थ हैं, आपको किसी प्रकार का बुखार या बीमारी नहीं हैं, तो ही आप रक्तदान कर सकते हैं।
- अगर कभी रक्तदान के बाद आपको चक्कर आना, पसीना आना, वजन कम होना या किसी भी अन्य प्रकार की समस्या लंबे समय तक बनी हुई हो तो आप रक्तदान ना करें।
(Story written by Prof. Prashant Jaiwardhan)