“कृषि नवाचारों द्वारा पोषण, आय तथा रोजगार संवर्धन” पर आधारित एग्रोटेक किसान मेला 2024 का आयोजन बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची में 2 से 4 मार्च के बीच आयोजित किया गया। मेले का उद्देश्य कृषि नवाचारों,युवा उद्यमियों को उन्नत कृषि, पशुपालन, वानिकी, डेयरी, जैव प्रौद्योगिकी, कृषि यंत्रीकरण, खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्द्धन को बढ़ावा देना था।
कृषि नवाचारों द्वारा पोषण, आय तथा रोजगार संवर्द्धन को ध्यान में रखते हुए झारखण्ड राय विश्वविद्यालय के कृषि संकाय के 32 विद्यार्थियों के दल ने विभागीय शिक्षकों के मार्गदर्शन में एग्रोटेक किसान मेला 2024 का भ्रमण किया। इस दौरान विद्यार्थियों ने मेले में लगाए गए 125 से ज्यादा स्टॉलों का भ्रमण किया। मेले में राज्य के 24 जिलों से किसान शामिल हुए थे।
इस दौरान विद्यार्थियों ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की विभिन्न इकाइयों, राज्य में स्थित आईसीएआर के संस्थानों, बीज एवं उर्वरकों के विक्रेताओं, बैंक एवं वित्तीय संस्थानों, स्वयंसेवी संगठनों, टाटा ग्रुप के रांची कैंसर संस्थान, नर्सरी प्रतिष्ठानों, कृषि परामर्श सेवा केंद्र के बारे में जानकारी भी प्राप्त किया।
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मेला का उद्घाटन केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने 2 मार्च को किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने झारखंड को पूरा सम्मान देने के लिए विकसित भारत संकल्प यात्रा की शुरुआत बिरसा भगवान की जन्मस्थली और उलिहातू से की तथा जंगल, पहाड़, पठार में रहनेवाले देश के 75 प्रिमिटिव ट्राइब्स के संरक्षण के लिए 24000 करोड़ रु की योजना जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान की शुरुआत झारखंड से की। पूर्वी भारत और झारखंड में कृषि विकास के लिए कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी। झारखंड के सभी 32 हजार गांवों के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड बने, इसमें बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को अग्रणी भूमिका निभानी है।
किसान मेला के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा है कि कृषि यानी खेती-किसानी ही सभी संस्कृति की जननी है और बिना कृषि के किसी भी संस्कृति की कल्पना नहीं की जा सकती है। भारत सरकार द्वारा हरित क्रांति के जनक डॉ एम.एस स्वामीनाथन और पूर्व प्रधानमंत्री, किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न प्रदान करने का जिक्र करते हुए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने कृषि वैज्ञानिकों और किसानों का सम्मान बढ़ाया है।
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राज्यपाल ने जेनेटिक बीमारियों और एनिमल ब्रीडिंग से संबंधित डॉ नंदनी कुमारी की दो पुस्तकों, पशुपालन से संबंधित डॉ सुशील प्रसाद की एक पुस्तक तथा बिरसा किसान दैनंदिनी का लोकार्पण किया। उन्होंने मेला में विभिन्न प्रदर्शनी के विजेताओं तथा राज्य के सात अलग अलग जिलों से आए 7 प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया। जिन प्रगतिशील किसानों को राज्यपाल ने सम्मानित किया, उसमें धनबाद के कमल महतो, गिरिडीह के प्रदुमन महतो, खूंटी के निलेश कुमार, सरायकेला खरसावां के सोमराय मार्डी, रांची के राजेश्वर महतो, सिमडेगा के चूड़ामणि यादव और पश्चिमी सिंहभूम के पानी लागुरी का नाम शामिल है। उद्यान प्रदर्शनी में फूलों के वर्ग में भारतीय विधिक माप विज्ञान संस्थान (आईआईएलएम), कांके को सर्वाधिक 06 तथा सब्जियों के वर्ग में होचर गांव (कांके) के रामकुमार साहू को सर्वाधिक 05 पुरस्कार प्राप्त हुए।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा कि झारखंड बागवानी, पशु उत्पादन एवं मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में एक बड़े हब के रूप में उभर सकता है, इसके उत्पादों की मांग देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी होगी। इसके लिए आर्थिक सहयोग के साथ-साथ पॉलिसी सपोर्ट की भी आवश्यकता है। अगली हरित क्रांति में मिट्टी और जल स्तर में पंजाब-हरियाणा जैसा दुष्परिणाम नहीं आए, इस पहलू का पूरा ख्याल रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि आईसीएआर के सभी शोध संस्थानों और देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों को आपस में मिलकर वन आईसीएआर की अवधारणा के साथ काम करना है।