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20 मार्च विश्व गौरैया दिवस : प्रकृति के नन्हे दूतों की भूमिका को श्रद्धांजलि

प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है, जो जैव विविधता और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में गौरैया के महत्व पर प्रकाश डालता है। नन्ही चिड़िया गौरेया दुनिया के कई देशों में पाई जाती है। हर साल ये दिवस विलुप्त की कगार पर आ गई गौरैया के प्रति लोगों की जागरूकता को बढ़ाने के लिए इसके संरक्षण के लिए मनाया जाता है। तेजी से बढ़ते प्रदूषण, बाज-चील, पतंगों से समेत अन्य कई कारणों से गौरेया की संख्या में बहुत कमी आई है। जिसकी वजह से अब नन्ही चिड़िया का अस्तित्व खत्म होने की कगार है, जिसे हम सबको मिलकर बचाना है। गौरैया की लगातार घटती संख्या को लेकर एक रिपोर्ट में बताया गया कि इस पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करने के लिए इंसान ही जिम्मेदार है।

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गौरैया की घटती संख्या के पीछे जो कारण सामने आए हैं वो उनके रहवास की समस्या के साथ सबसे बड़ा कारण मोबाइल रेडिएशन हैं। शहरों में रहवास ना होने की वजह से गौरैया करंट या तीव्र ध्वनि की चपेट में आने से विलुप्त होती जा रही है। साथ ही मोबाइल रेडिएशन की वजह से मादा गौरैया की प्रजनन क्षमता भी खत्म हो जाती है।

साल 2010 में पहली बार 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया गया था। विश्व गौरैया दिवस, नेचर फॉरएवर सोसाइटी ऑफ इंडिया के साथ-साथ फ्रांस की इकोसेज एक्शन फाउंडेशन की शुरू की गई एक पहल है। सोसाइटी की शुरुआत फेमस पर्यावरणविद् मोहम्मद दिलावर ने की थी। उन्हें 2008 में टाइम मैगजीन ने “हीरोज ऑफ एनवायरमेंट” में शामिल किया गया था।

छोटी चिड़िया गौरैया का वैज्ञानिक नाम पासर डोमेस्टिकस और सामान्य नाम हाउस स्पैरो है।गौरैया पासेराडेई परिवार की सदस्य है ,लेकिन इसे वीवरपिंच का परिवार का भी सदस्य माना जाता है।इस चिड़िया की ऊंचाई 16 सेंटीमीटर और विंगस्पैन 21 सेंटीमीटर होते हैं। वहीं एक गौरैया का वजन 25 से 40 ग्राम होता है।
अपना जीवनयापन करने के लिए गौरैया अनाज और कीड़े खाती है। ये गौरेया शहरों की अपेक्षा गांवों में रहना ज्यादा पसंद है। शहर के प्रदूषण और शोर-शराबा गौरेया को रास नहीं आता है।खेती-किसानी में रसायनिक उर्वरकों का बढ़ता प्रयोग बेजुबान पक्षियों और गौरैया के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है. आहार भी जहरीले हो चले हैं। केमिलयुक्त रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से कीड़े मकोड़े भी विलुप्त हो चले हैं। जिससे गौरैयों भोजन का भी संकट खड़ा हो गया है। उर्वरकों के अधिक प्रयोग के कारण मिट्टी में पैदा होने वाले कीड़े-मकोड़े समाप्त हो चले हैं जिससे गौरैयों को भोजन नहीं मिल पाता है।

विश्व गौरैया दिवस 2025 का थीम ‘ प्रकृति के नन्हे दूतों को श्रद्धांजलि ‘ है, जो पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में गौरैया की महत्वपूर्ण भूमिका और संरक्षण प्रयासों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। यह थीम स्वस्थ पर्यावरण के संकेतक के रूप में गौरैया के महत्व पर जोर देती है और इन नन्हे दूतों की रक्षा के लिए अधिक जागरूकता और कार्रवाई का आह्वान करती है।

गौरैया को जैव संकेतक के रूप में पहचानते हुए, थीम इस बात पर जोर देती है कि उनकी उपस्थिति या अनुपस्थिति पर्यावरण के समग्र स्वास्थ्य को कैसे दर्शाती है। एक समृद्ध गौरैया आबादी पर्याप्त खाद्य स्रोतों, स्वच्छ हवा और पर्याप्त घोंसले के स्थानों के साथ एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत देती है, जबकि उनकी संख्या में गिरावट पर्यावरण क्षरण का संकेत दे सकती है। थीम गौरैया आबादी की रक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाने और सक्रिय उपायों का आह्वान करती है, जिसमें प्राकृतिक आवासों को संरक्षित और बहाल करना, प्रदूषण को कम करना और हानिकारक कीटनाशकों के उपयोग को कम करना शामिल है।

विश्व गौरैया दिवस मनाने के तरीके :

  • पक्षी घर बनाएं: पक्षी घर बनाकर और उन्हें अपने बगीचे या समुदाय में रखकर गौरैया के लिए सुरक्षित घोंसले के स्थान बनाएं।
  • देशी पौधे लगाएं: देशी पौधे लगाने से गौरैया और अन्य पक्षियों को भोजन और आश्रय मिल सकता है।
  • कीटनाशकों का प्रयोग कम करें: गौरैया के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए अपने बगीचे में कीटनाशकों का प्रयोग कम से कम करें।
  • जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लें: स्थानीय कार्यक्रमों और कार्यक्रमों में शामिल हों जिनका उद्देश्य गौरैया संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
  • गौरैया को भोजन दें: गौरैया के लिए अतिरिक्त भोजन का स्रोत उपलब्ध कराने के लिए अपने बगीचे या बालकनी में पक्षियों के लिए बीज, अनाज और पानी के बर्तन रखें।

प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना के लिए आवेदन अब 31 मार्च तक

प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना केंद्र सरकार की ख़ास पहल है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत की टॉप 500 कंपनियों से इंटर्नशिप स्कीम में भागीदारी बढ़ाने की अपील की है। केंद्रीय वित्त मंत्री दिनों PMIS APP लांच किया वहीं कोलकाता में प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना से जुड़ी जानकारियां देने के लिए पहला सुविधा केंद्र भी शुरू हो गया है। सरकार की इस योजना का मुख्य उद्देश्य दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों के युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करना और उन्हें उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप कौशल प्रदान करना है। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान इस योजना के तहत 1.25 लाख इंटर्नशिप प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है. इसकी पायलट परियोजना 3 अक्टूबर 2024 को शुरू की गई थी. इस योजना में 327 से अधिक कंपनियों ने भाग लिया और अब तक 1.18 लाख से अधिक इंटर्नशिप के अवसर अधिसूचित किए गए हैं। PM Internship Scheme के जो भी युवा फॉर्म भरकर निबंधन करना चाहते हैं मोबाइल एप्प उनके लिए मददगार साबित होगा जबकि इंटर्नशिप से जुड़ी हर जानकारी सुविधा केंद्रों में मिलेगी। केंद्र सरकार की योजना कोलकाता की ही तरह देशभर में 47 सुविधा केंद्र बनाने की है। केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि 1 करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप का मौका दिया जाए। प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना के तहत युवाओं को 12 महीने तक ₹5,000 प्रति माह और ₹6,000 का एकमुश्त अनुदान मिलेगा। प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना का ऑफिशियल पोर्टल चलाने वाली संस्था भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लीकेशन जियोइंफॉर्मेटिक्स (BISAG) ने ही इस मोबाइल एप को बनाया है।

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क्या है पीएम इंटर्नशिप योजना ?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को अपने बजट भाषण के दौरान युवाओं के लिए प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना की घोषणा की थी। इस योजना के तहत केंद्र की मोदी सरकार ने युवाओं को रोजगार के योग्य बनाने के उद्देश्य से पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है।

इस योजना के तहत इंटर्नशिप के लिए चयनित युवाओं को 5,000 रुपये प्रतिमाह मिलेंगे। इसके अतिरिक्त उन्‍हें इंटर्नशिप ज्वाइन करने पर 6000 रुपये की मदद दी जाएगी। इंटर्नशिप की अवधि 12 माह की होगी। चालू वित्त वर्ष में 1.25 लाख युवाओं को इंटर्नशिप का अवसर उपलब्ध कराने की सरकार की योजना है। इस योजना पर 800 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।

इस योजना के तहत 5 साल में एक करोड़ युवाओं को प्रशिक्षण देने का बहरहाल लक्ष्‍य रखा गया है। वित्‍त मंत्री सीतारमण ने वित्‍त वर्ष 2024-25 के अपने बजट भाषण में कहा था कि सरकार इंटर्नशिप प्रदान करने के लिए एक व्‍यापक योजना शुरू करने वाली है। इसके तहत 5 साल में 1 करोड़ युवाओं को 500 शीर्ष कंपनियों में प्रशिक्षण का अवसर दिया जाएगा। उन्‍हें व्‍यापार के अलग- अलग क्षेत्र में 12 माह तक गुर सीखने के साथ ही रोजगार का अवसर भी प्राप्त होगा। इसके साथ ही सभी इंटर्नों को बीमा की सुविधा भी दी जाएगी।

पहले चरण में उम्मीदवार पोर्टल पर 12 से 25 अक्टूबर के बीच अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। आवेदन करने वालों को 26 अक्टूबर को फाइनल किया जाएगा। कंपनियां उम्मीदवारों का चयन 12 अक्टूबर से 7 नवंबर के बीच करेगी। इसके बाद चयनित उम्मीदवारों के पास कंपनियों की इंटर्नशिप पेशकश स्वीकार करने के लिए 8 से 15 नवंबर तक का समय दिया जाएगा। इंटर्नशिप 2 दिसंबर से शुरू होगी जो कि 12 महीने तक चलेगी।

इंटर्नशिप के लिए चयनित युवाओं को प्रधानमंत्री जीवन ज्‍योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत बीमा कवर दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त कंपनियां चयनित उम्मीदवारों को अतिरिक्त बीमा दुर्घटना योजना उपलब्ध करा सकती है। पायलट परियोजना का प्रथम चरण दिसंबर के प्रथम सप्ताह में पूरी होने की संभावना है। इसके बाद इसे पूरी तरह लागू किया जाएगा। केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण का नियम इस योजना में भी लागू होगा।

कैसे करें रजिस्ट्रेशन ?

  • प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना की आधिकारिक वेबसाइट pminternship.mca.gov.in पर जाएं।
  • होम पेज पर दिए गए रजिस्ट्रेशन के लिंक पर क्लिक करें।
  • मांगी गई डिटेल को दर्ज करें और डॉक्यूमेंट अपलोड करें।
  • एक बार फार्म जरूर क्रॉस चेक करें इसके बाद ही सबमिट करें।

आवेदन करने के लिए पात्रता:
फुल टाइम नौकरी और पढ़ाई नहीं कर रहे 21 साल से 24 साल के युवा इसके लिए पोर्टल के माध्‍यम से अपना आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन एजुकेशन प्रोग्राम से जुड़े उम्‍मीदवार आवेदन करने के पात्र हैं। जिन उम्मीदवारों ने हाई स्कूल, उच्च माध्यमिक स्कूल से परीक्षा पास की है, आईटीआई का प्रमाण पत्र है, पॉलिटेक्निक संस्थान से डिप्लोमा है, या बीए, बीएससी, बीकॉम, बीसीए, बीबीए, बी फार्मा जैसी डिग्री के साथ स्नातक हैं, वे इसके लिए पात्र होंगे।

कौन नहीं कर सकता है आवेदन:
इसमें जिन उम्मीदवारों के परिवार में किसी सदस्य की सालाना आय 2023-24 में 8 लाख रुपये से अधिक थी, उन्हें इस योजना से बाहर रखने का प्रावधान किया गया है।

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बीबीए और बीकॉम ऑनर्स में कौन है बेहतर ? किसमें है करियर बनाने के ज्यादा मौके

BBA और B.Com दोनों ही अंडर ग्रेजुएट कोर्स हैं। दोनों में कई समानताएं हैं। दोनों ही डिग्री कोर्स में करियर बनाने के कई विकल्प मौजूद हैं। कौन सा कोर्स बेहतर है, यह विद्यार्थी की रुचियों और करियर लक्ष्यों पर निर्भर करता है।

B.Com STRIP

BBA का फ़ुल फ़ॉर्म है – बैचलर ऑफ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन जबकि B.COM कोर्स का पूरा नाम है – बैचलर ऑफ़ कॉमर्स। दोनों पाठ्यक्रम 3 वर्षीय हैं और 6 सेमेस्टर में बांटे गए हैं।

बीबीए में प्रबंधन, विपणन, ह्यूमन रिसोर्स, और फाइनेंस जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं. वहीं, बीकॉम में अकाउंटिंग, फाइनेंस, इकोनॉमिक्स, और ऑडिटिंग जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं। व्यावहारिक अनुभव और इंटर्नशिप इस कोर्स के महत्वपूर्ण अंग है।

BBA STRIP

बीकॉम में व्यापार और वाणिज्य विषय के सैद्धांतिक अवधारणाओं पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। बीकॉम में अकाउंटिंग, वित्त, और व्यवसाय कानून में करियर बनाया जा सकता है ।

BBA कोर्स क्या है?
बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (BBA) की डिग्री प्रबंधन और व्यवसाय के महत्व पर केंद्रित है। इसमें मार्केटिंग, वित्त, मानव संसाधन और संचालन प्रबंधन जैसे विषय शामिल हैं। बीबीए कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों के प्रबंधकीय कौशल और नेतृत्व क्षमताओं को विकसित करना है, जो इसे व्यवसाय प्रबंधन और प्रशासन में काम करने के इच्छुक लोगों के लिए आदर्श बनाता है।

B.Com कोर्स क्या है?
बैचलर ऑफ कॉमर्स (B.Com) की डिग्री व्यवसाय और वाणिज्य सिद्धांतों की व्यापक समझ प्रदान करती है। इसमें अकाउंटिंग, वित्त, अर्थशास्त्र और प्रबंधन जैसे विषय शामिल हैं। बीकॉम कार्यक्रम विश्लेषणात्मक और वित्तीय कौशल विकसित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो इसे अकाउंटिंग, वित्त और अन्य वाणिज्य-संबंधित क्षेत्रों में करियर के लिए उपयुक्त बनाता है।

BBA करने के फ़ायदे :

  • प्रबंधकीय और नेतृत्व कौशल विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • एमबीए करने के लिए एक ठोस आधार प्रदान करता है।
  • व्यवसाय प्रबंधन में विविध कैरियर के अवसर प्रदान करता है।

B.COM करने के फ़ायदे:

  • मजबूत विश्लेषणात्मक और वित्तीय कौशल का निर्माण करता है।
  • वित्त, लेखांकन और वाणिज्य में विभिन्न भूमिकाओं के लिए छात्रों को तैयार करता है।
  • उद्यमिता सहित कैरियर विकल्पों में लचीलापन प्रदान करता है।

BBA और B.Com में समानताएं क्या है जानिए:

    बीबीए और बीकॉम कोर्स में कई तरह की समानताएं हैं.

  1. मैनेजमेंट और कॉमर्स से जुड़ा सिलेबस.
  2. दोनों कोर्स की अवधि 3 साल है.
  3. दोनों में एडमिशन के लिए 12वीं क्लास में कॉमर्स या साइंस स्ट्रीम में पास होना जरूरी है.
  4. प्रोफेशनल स्किल डेवलपमेंट पर फोकस.
  5. फाइनेंस, अकाउंटिंग और इकोनॉमिक्स की पढ़ाई.
  6. बिजनेस मैनेजमेंट, मार्केटिंग और ह्यूमन रिसोर्सेस में करियर के ऑप्शन.
  7. हायर एजुकेशन के विकल्प, जैसे कि एमबीए, एमकॉम, सीए, आईसीडब्ल्यूए.
  8. बिजनेस लीडरशिप और मैनेजमेंट स्किल्स को बढ़ावा.
  9. इंडस्ट्री और बिजनेस के विभिन्न सेक्टर में रिसर्च और एनालिटिकल स्किल डेवलपमेंट.
  10. प्रोफेशनल नेटवर्किंग और कम्युनिकेशन स्किल्स डेवलपमेंट

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न :
स्टूडेंट्स अकसर यह सवाल पूछते हैं कि बीबीए और बीकॉम में कौन सा कोर्स बढ़िया है, किस्में जॉब्स के अवसर ज्यादा है और किस कोर्स की डिमांड अभी ज्यादा है। इन सवालों पर हमारे एक्सपर्ट की राय जानिए।

बीबीए या बीकॉम, किसकी सैलरी ज्यादा है?
बीबीए और बीकॉम दोनों स्नातक अच्छा वेतन कमा सकते हैं, लेकिन यह उद्योग और विशिष्ट नौकरी की भूमिका पर निर्भर करता है। आम तौर पर, बीबीए स्नातक प्रबंधकीय भूमिकाओं में अधिक कमा सकते हैं, जबकि बीकॉम स्नातक वित्त और लेखा में अधिक कमा सकते हैं।

बीबीए या बीकॉम – कौन सा बेहतर है?
दोनों ही कोर्स अलग-अलग हैं, बीबीए बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और मैनेजमेंट पर केंद्रित है, जबकि बीकॉम अकाउंटिंग, फाइनेंस और इकोनॉमिक्स जैसे कॉमर्स सिद्धांतों पर केंद्रित है। व्यक्तिगत पसंद के आधार पर, कोई भी यह तय कर सकता है कि उसके लिए कौन सा बेहतर है।

बीबीए या बीकॉम में नौकरी के अधिक अवसर किसमें हैं?
दोनों ही डिग्रियाँ अलग-अलग क्षेत्रों में करियर के भरपूर विकल्प प्रदान करती हैं। बीबीए स्नातकों को अक्सर प्रबंधन और प्रशासन में भूमिकाएँ मिलती हैं, जबकि बीकॉम स्नातकों को वित्त, लेखा, परामर्श और अन्य क्षेत्रों में विविध अवसर मिलते हैं।

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प्रो ० महादेव लाल श्रॉफ जिनकी याद में मनाया जाता है राष्ट्रीय फार्मेसी शिक्षा दिवस।

भारतीय फार्मेसी शिक्षा के वास्तुकार : प्रो. महादेव लाल श्रॉफ के योगदान को याद करते हुए प्रतिवर्ष 6 मार्च को राष्ट्रीय फार्मेसी शिक्षा दिवस मनाया जाता है। वह भारत में फार्मेसी शिक्षा के जनक के तौर पर जाने जाते हैं। वह निश्चित रूप से इस देश में काम करने वाले सभी फार्मासिस्टों के लिए उनकी शाखाओं और कर्तव्यों की विविधता के बावजूद एक आदर्श बने हुए हैं। उन्होंने भारत में फार्मेसी शिक्षा के निर्माण में महान भूमिका निभाई, उन्होंने फार्मेसी पेशे के अन्य पहलुओं के विकास में भी योगदान दिया। महादेव लाल श्रॉफ का जन्म 6 मार्च, 1902 को बिहार के दरभंगा में हुआ था।

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प्रोफेसर श्रॉफ ने अपने प्रयासों से 1940 में बी.एच.यू. में एम.फार्मा की शिक्षा प्रारम्भ की थी. धीरे-धीरे भारत में विभिन्न स्थानों पर फार्मेसी शिक्षा का प्रसार हुआ. बता दें कि महादेव लाल श्रॉफ का जन्म बिहार के दरभंगा शहर में 6 मार्च 1902 को हुआ था. 25 अगस्त 1971 को उनका निधन हुआ था।

*नमक सत्याग्रह में 6 माह की जेल।*
प्रो o श्रॉफ केवल फार्मेसी शिक्षा में योगदान के कारण याद कीजिए जाते है ऐसा नहीं है उनके अंदर देशभक्ति की भावना भी कूट कूट कर भरी थी। श्री जमनालाल बजाज की प्रेरणा से उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेना शुरू किया।
मार्च 1930 में भारत में ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए नमक कर के खिलाफ ‘नमक सत्याग्रह’ शुरू हुआ, तो श्रॉफ बिहार में हुए आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हुए, जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और छह महीने की जेल हुई। वे छह महीने तक हजारीबाग जेल में रहे, क्योंकि ब्रिटिश शासन की नो प्ली, नो प्लीडर, नो अपील नीति सत्याग्रहियों के साथ सख्ती से पेश आती थी। जेल से लौटने पर श्री बजाज ने अपनी वैज्ञानिक प्रतिभा को राजनीतिक गतिविधियों में इस्तेमाल करने के बजाय किसी शैक्षणिक क्षेत्र में उपयोग करना बेहतर समझा।

*फार्मेसी शिक्षा के महामना*
प्रो. श्रॉफ बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के स्टाफ में शामिल होने के बाद मालवीय जी को आने वाले वर्षों में भारत में फार्मास्युटिकल साइंस के पाठ्यक्रमों की महान क्षमता और संभावनाओं के बारे बताया , महान दूरदर्शी मालवीय जी को प्रस्ताव के महत्व को समझने में अधिक समय नहीं लगा और उनके संरक्षण में प्रो. श्रॉफ ने पहली बार भारत में फार्मास्युटिकल शिक्षा को व्यवस्थित करने का कार्य किया। उन्होंने इस परियोजना के लिए धन इकट्ठा करने का भी बीड़ा उठाया और इस तरह 1932 में पहली बार बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में फार्मास्युटिकल केमिस्ट्री का खंड स्थापित करने में सफल रहे, 1937 से बीएचयू में पूर्ण विकसित फार्मास्यूटिक्स विभाग का विकास किया। यह संयुक्त राज्य अमेरिका की शिक्षा प्रणाली के बराबर आधुनिक फार्मास्युटिकल शिक्षा की शुरुआत थी। इस प्रकार प्रो. श्रॉफ ने इस देश में फार्मास्युटिकल शिक्षा की आधारशिला रखी। इसके बाद, प्रो. श्रॉफ की गतिशीलता ने भारत के फार्मास्युटिकल क्षेत्र में एक तूफान खड़ा कर दिया। भारतीय फार्मेसी स्वर्गीय प्रोफेसर महादेव लाल श्रॉफ के प्रति बहुत आभारी है, जिन्होंने पहली बार इस देश में फार्मेसी शिक्षा को उत्कृष्ट बनाया और घरेलू जरूरतों के साथ-साथ विदेशों की मांगों के लिए प्रशिक्षित जन शक्ति प्रदान की।

5th Convocation Ceremony Jharkhand Rai University

5th Convocation Ceremony, Jharkhand Rai University

“Convocation ceremony is not an educational milestone. Rather it is a turning point and a start of a new chapter in the lives of students. This day celebrates the hard work, struggle and commitment of students,” said His Excellency Governor Shri Santosh Gangwar on Friday 28 February, 2025 while addressing the students during the 5th Convocation Ceremony at Jharkhand Rai University, Ranchi.
5th Convocation Ceremony Jharkhand Rai University
His Excellency, Shri. Santosh Gangwar, Hon’ble Governor of Jharkhand & Visitor, Jharkhand Rai University was the Chief Guest & presided over the Convocation.

5th Convocation Ceremony Jharkhand Rai University

Commending the activities of the University, the Governor said that Jharkhand Rai University is playing an active role in developing India. Students studying here are not only given education, but are trained to be innovators. They are being prepared for ‘self-reliant India’.

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“It is a historic moment for students who have worked relentlessly. I congratulate the professors who mentored these students in the right direction,” said the Governor.

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Shri. Arjun Munda Ji, Former Minister & Member of Parliament, Govt. of India said that the convocation provides enthusiasm and energy to the students to march forward towards their future.

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The minister added that the positive impact of the National Education Policy 2020 initiated by Prime Minister Narendra Modi is gradually unfolding.  “India will emerge under this education policy.  I am happy that India is moving forward on the strength of students like you. In the coming days, Jharkhand will be known for universities like Jharkhand Rai University, where the seeds of India’s future is being planted,” he said.

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The program was attended by esteemed special guests, including Dr. Epsy Campbell, former Vice President of Costa Rica, and Ms. Euphrasie Kouassi Yao, former Minister of Ivory Coast and UNESCO Chair holder.

5th Convocation ceremony Jharkhand Rai University

While addressing the students, Dr. Harbin Arora Rai, Chancellor of Jharkhand Rai University, said that everyone is connected with women power. The maternity power of every human being is female power. Discussing 5 sources of Shakti, she said that the first power is Shruti or Richa, which we call knowledge and university is the center of knowledge.  The second power is the power of Shri, that is, the power of God. This is also female power. The third power is the power of valor.  The fourth power is the power of decoration and the fifth power of labor.

5th convocation ceremony Jharkhand Rai University

Referring to the achievements of the university, Vice Chancellor of Jharkhand Rai University, Prof. (Dr.) Savita Sengar said that the university plays an important role in giving direction to any nation. If the universities are alive and resonant, then our nation and civilization will also be alive.

5th Convocation ceremony Jharkhand Rai University

Jharkhand Rai University believes that the real purpose of education is to build a skilled citizen for better society and nation, the VC said.

 

The convocation ceremony witnessed the presence of eminent international and national delegates from G100- Group of Global Women Leaders.

During the ceremony, three G100 Global Chairs H.E. Dr. Epsy Campbell Barr, H.E. Ms Euphrasie Kouassi Yao and Ms. Sulajja Firodia Motwani were awarded Honorary Doctorate, Honoris Causa for their excellence in respective fields.

Dr. Epsy Campbell in her acceptance remarks congratulated the graduates and said that I’m here because of “my journey of people who believe in possibilities to build together a better world between us women – men equal rights We need to build a new world, working without borders, by being a global tribe”. She thanked Dr Arora for the incredible movement in the form of G100.

Ms. Euphrasie Kouassi Yao in her acceptance speech appreciated the efforts made by Jharkhand Rai University towards ensuring quality education for all in the state.

Sulajja Firodia Motwani, Vice-chairperson, Kinetic Engineering Limited in her acceptance remarks said that her passion is to work towards green energy and create a better world for the future generations.

The grand academic procession of the Convocation was led by Dr Piyush Ranjan, Registrar, Jharkhand Rai University. Dr Ranjan congratulated the students for turning a new chapter in their lives.

A total of 393 students were awarded degrees at the ceremony. His Excellency Governor Shri Santosh Gangwar conferred the gold medal to 10 students while the Chancellor medal was given to 1.

One hundred twenty two postgraduate students,  184 graduate students, 87 students of diploma courses were awarded degrees and certificates.  Apart from this, 23 research students were awarded PhD and three M.Tech students got their research degrees.

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झारखंड राय यूनिवर्सिटी में इनोवेशन इन माइनिंग: स्मार्ट एंड सस्टेनेबल फ्यूचर पर वर्कशॉप का आयोजन

झारखंड राय यूनिवर्सिटी, रांची के माइनिंग इंजीनियरिंग विभाग में इनोवेशन इन माइनिंग स्मार्ट एंड सस्टनेबल फ्यूचर विषय पर पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। 17 से 21 फ़रवरी तक आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन झारखंड राय विश्वविद्यालय रांची की कुलपति प्रो o सविता सेंगर ने कुलसचिव प्रो o पीयूष रंजन एवं आईआईटी खड़गपुर के प्रोफेसर डॉo बीo के o प्रउटी ने संयुक्त रूप से किया।

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पांच दिनों तक चले कार्यशाला में रेयर अर्थ मिनरल्स, माइनिंग शेफ्टी, एनवायरनमेंट माइन फायर, सस्टनेबल माइनिंग प्रैक्टिस, माइनिंग वेंटिलेशन सिस्टम पर देश एवं विदेश के माइनिंग इंडस्ट्री एवं अकादमिक क्षेत्र की कई प्रसिद्द हस्तियों ने सम्बोधित किया। कार्यशाला के पहले दिन उद्घाटन सत्र के बाद आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर बी के प्रुस्टि ने इन्नोवेशंस ऑफ़ रेयर अर्थ माइनिंग विषय पर विस्तार से अपनी बातें रखी। वहीं दूसरे सत्र को आईआरईएल इंडिया के जीएम वी चंदशेखर सम्बोधित किया श्री चंद्रशेखर ने माइनिंग इन रेयर अर्थ मिनिरल्स विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।

कार्यशाला के दूसरे एवं तीसरे दिन एनआईटी सूरतकल में सहायक प्रोफेसर डॉ ० अमृतेश सेनापति ने शेफ्टी इन माइनिंग विषय पर जानकारी दी जबकि अगले दिन साउथ डकोटा स्कूल ऑफ़ माइंस एंड टेक्नोलॉजी यूएसए में रिसर्च साइंटिस्ट डॉ० श्री वतसन जयारमन ने अडवांस्ड माईन्स वेंटिलेशन सिस्टम पर चर्चा किया।

कार्यशाला के चौथे दिन बीआईटी सिंदरी में सहायक प्राध्यापक डॉ० आदित्य पांडेय का व्याख्यान आयोजित हुआ माईन एनवायरनमेंट को लेकर विस्तारपूर्वक जानकारी दिया।

कार्यशाला के पांचवे एवं अंतिम दिन सीआईएम्एफआर धनबाद में सीनियर साइंटिस्ट डॉ ० देबाशीष मिश्रा का सम्बोधन हुआ जिसका विषय माईन फायर एंड हैज़ार्डस था। इस दौरान उन्होंने खदानों में लगने वाली आग एवं अन्य खतरों के बारे बारे में बताने का काम किया।

कार्यशाला में कुल 188 विद्यार्थी शामिल हुए जिसमें इथोपिया, साउथ अफ्रीका, यूएसए, पापुआ न्यू गिनी, बांग्लादेश के अलावा देश के विभिन्न आईआईटी, एनआईटी के अलावा झारखंड राय यूनिवर्सिटी, बीआईटी सिंदरी समेत अन्य कॉलेजों के विद्यार्थी शामिल थे।

कार्यशाला के संयोजक माइनिंग विभाग में सहायक प्राध्यापक डॉ ० जय प्रकाश मीणा सह संयोजक का दायित्व प्रो ० सुमीत किशोर एवं डॉ० विनीता कुमारी ने निभाया। कार्यशाला को सफल बनाने में विश्वविद्यालय के माइनिंग इंजीनियरिंग विभाग के सभी शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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झारखंड राय यूनिवर्सिटी के माइनिंग इंजीनियरिंग के छात्रों ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत किया शोध पत्र

झारखंड राय यूनिवर्सिटी के माइनिंग इंजीनियरिंग विभाग के तीन प्रतिभाशाली छात्रों ने “फ्यूचर ऑफ माइनिंग: डिजिटल एम्पावरमेंट एंड यूथ लेड सस्टेनेब्लिटी विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अपने शोध पत्र प्रस्तुत कर विश्वविद्यालय का मान बढ़ाया है । सम्मेलन का आयोजन कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एंड इंजीनियरिंग, उदयपुर, राजस्थान में हुआ। शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले तीनों छात्र बीटेक के हैं जिनका नाम विश्वजीत मुखर्जी (तृतीय वर्ष) बुतेश्वर (द्वितीय वर्ष) एवं शाकिब (द्वितीय वर्ष) है।

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विद्यार्थियों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शोध पत्र प्रस्तुत करने में विभाग के शिक्षक डॉ० जय प्रकाश मीणा एवं प्रो० सुमित किशोर से प्राप्त महत्वपूर्ण सुझावों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। दोनों शिक्षकों के मार्गदर्शन में शोध विषय का चयन कर शोध पत्र तैयार किया गया। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन से लौटे तीनों छात्रों की उपलब्धि पर माइनिंग इंजीनियरिंग के शिक्षकों ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि तीनों छात्रों ने शोध पत्र प्रस्तुत कर अपनी प्रतिभा, मेहनत और समर्पण को साबित किया है। उनकी इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय एवं समस्त शिक्षा जगत गर्व महसूस कर रहा है।

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विभाग उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।

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भारत की 80% उच्च शिक्षा स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी में प्राप्त हो रही है

नीति आयोग ने पिछले दिनों गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा का विस्तार नाम से एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट, उच्च शिक्षा क्षेत्र में अपनी तरह का पहला नीति दस्तावेज है। रिपोर्ट स्टेट यूनिवर्सिटी और स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर केंद्रित है। उच्च शिक्षा आधारित इस रिपोर्ट में विषय गुणवत्ता, सेल्फ फाइनेंस, एडमिनिस्ट्रेशन और रोजगार के अवसर पर परिणाम आधारित विश्लेषण दिया गया है। रिपोर्ट निर्माण में 20 से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के उच्च और तकनीकी शिक्षा विभागों के राज्य सरकार के अधिकारियों, कुलपतियों और 50 एसपीयू के वरिष्ठ शिक्षाविदों और कई राज्य उच्च शिक्षा परिषदों के अध्यक्षों के साथ आयोजित व्यापक चर्चाओं के मिली विशेष जानकारियां शामिल की गयी है।

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नीति आयोग क्या हैं ?
नीति आयोग, भारत सरकार का एक नीतिगत थिंक टैंक है. यह केंद्र और राज्य सरकारों को नीतिगत सलाह देता है. इसे राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्था (NITI) के नाम से भी जाना जाता है।

नीति आयोग के कार्य :

  • देश में सतत विकास लक्ष्यों को अपनाने और उनकी निगरानी करना
  • राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच प्रतिस्पर्धात्मक और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना
  • केंद्र और राज्यों के लिए कार्यनीति और दीर्घकालिक नीतियां और कार्यक्रम तैयार करना
  • केंद्र और राज्यों को तकनीकी सलाह देना
  • आकस्मिक मुद्दों से निपटना है।

नीति आयोग का गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा का विस्तार रिपोर्ट :

प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार , नीति आयोग की भूमिका शोध के ज़रिए साक्ष्य तैयार करना है, जबकि कार्यान्वयन मंत्रालय की जिम्मेदारी है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि रिपोर्ट में शामिल सिफारिशों को केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रालय उत्साहपूर्वक आगे बढ़ाएंगे।

नीति आयोग की यह रिपोर्ट एनईपी के कार्यान्वयन और विकसित भारत 2047 के लिए भारत के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। भारत की 80% उच्च शिक्षा एसपीयू में प्राप्त हो रही है, मानव पूंजी बनाने और भारत को एक ज्ञान केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए उनमें सुधार करना बेहद जरूरी हो जाता है।

2035 तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य, उच्च शिक्षा प्रणाली में छात्रों का नामांकन दोगुना करते हुए इसे करीब 9 करोड़ तक पहुंचाना है। इनमें से लगभग 7 करोड़ एसपीयू में पढ़ाई जारी रखेंगे। इसलिए, यह बेहद जरूरी है कि ये विश्वविद्यालय केवल उच्च शिक्षा तक पहुंच बनाने पर ध्यान केंद्रित ना करते हुए, 2047 तक विकसित भारत बनाने के दृष्टिकोण को मजबूती देने के लिए ज़रूरी उच्च गुणवत्ता वाले मानव संसाधन तैयार करने के लिए भी विश्व स्तरीय उच्च शिक्षा प्रदान करने पर ज़ोर दें। नीति आयोग की गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा का विस्तार’ पर पॉलिसी रिपोर्ट को बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।

बजट 2025 में उच्च शिक्षा :
10,000 पीएमआरएफ रिसर्च फेलो का चयन, सेकेंड जेनरेशन आईआईटी में 6,500 सीटें जोड़ना और क्षेत्रीय भाषा शिक्षा के लिए भारतीय भाषा पाठ्यपुस्तक योजना । 2023-24 से 2025-26 के लिए पीएम-ऊषा को 13,000 करोड़ रुपये के आवंटन ज़िक्र। एमईआरयू बनने के लिए प्रति एसपीयू 100 करोड़ रुपये शामिल हैं।

नीति आयोग की रिपोर्ट एक विस्तृत नीति रोडमैप प्रदान करती है, जिसमें नीतियों से जुड़ी करीब 80 सिफारिशें, लघु, मध्यम और दीर्घकालिक कार्यान्वयन की रणनीतियां, सिफारिशों को लागू करने के लिए जिम्मेदार लोग अथवा कारक और 125 से अधिक प्रदर्शन सफलता संकेतक शामिल हैं। परामर्श प्रक्रिया से मिलीं सिफारिशों का मकसद अनुसंधान, शिक्षा शास्त्र और पाठ्यक्रम की गुणवत्ता में सुधार करना, संस्थागत और प्रणालीगत वित्त पोषण और वित्तपोषण क्षमता को बढ़ाना, संस्थागत शासन संरचनाओं को उन्नत और सशक्त बनाना और छात्रों की रोजगार क्षमता को बढ़ावा देने के लिए उद्योग-अकादमिक इंटरफेस को मजबूत करना है।

Supreme Court Order on Ranveer Allahbadia’s case

  1. The Supreme Court on 18 February 2025 sternly reprimanded YouTuber Ranveer Allahbadia for his objectionable remarks on the YouTube show India’s Got Latent.
  2. The bench of Justices Surya Kant and N.K. Singh didn’t mince words, as they lashed out at him for Allahbadia’s obscene remarks made on comedian Samay Raina’s YouTube show, India’s Got Latent.
  3. The bench characterised his comments as “disgusting”, “filthy”, and “insulting.”
  4. “There is something very dirty in his mind that has been vomited by way of this program,” the bench added.
  5. The Division Bench observed that the remarks he made on the show were offensive to societal norms and had the potential to shame “every parent, daughters, sisters and younger brothers”.
  6. The Bench was also critical of Allahbadia’s words and conduct on the show.
  7. The Court remarked – “The words you have chosen, parents will feel ashamed. Daughters and sisters will feel ashamed. The entire society will be ashamed. These are the levels of depravity you and your henchmen have gone to. Rule of law and system has to be followed. He should be ashamed as to what he has done to his parents. We are not in ivory towers and we know how he copied and Australian show content. There are warnings in such shows”.
  8. The Court ordered Allahbadia and his associates to immediately halt all show broadcasts until further notice.
  9. A bench of Justices stated, “The petitioner or his associates shall not air any show on YouTube or any other audio/video platform until further orders.”
  10. Several cases were filed against Allahbadia, popularly known as BeerBiceps, for the comment on parents and sex on the show, which is hosted by comic Samay Raina.
  11. The order states – The interim protection against arrest is granted further subject to the condition that the petitioner will extend full cooperation to the ongoing investigation.
  12. “He will not be accompanied by any counsel inside the police station during the course of the investigation,” the order stated.
  13. Allahbadia was directed by the bench to deposit his passport with the investigating officer of Police Station Nodal Cyber Police, Thane.
  14. “He shall not leave the country without prior permission of this court,” the bench said.
  15. The bench said Allahbadia was at liberty to approach the local police of Maharashtra and Assam for the protection of his life and liberty in the event of any threat, to enable him to join the investigation.
  16. The Court imposed several conditions:
  • No new FIRs shall be registered against Allahbadia based on the same remarks
  • He must cooperate with the police whenever summoned
  • He shall not be accompanied by a lawyer into the police station during questioning
  • He must surrender his passport at Thane police station and cannot leave the country without prior permission of the Investigating Officer, and this Court.
  • He must refrain from participating in any shows in the interim.
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केंद्रीय बजट 2025-26 : जाने कृषि क्षेत्र को धन-धान्य’ योजना से लेकर बजट में और क्या क्या मिला

केंद्रीय बजट 2025-26 में किसानों के लिए बड़ी राहत दी गई है. कृषि लोन की सीमा 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दी गई, जिससे झारखंड के 21.50 लाख से अधिक किसानों को लाभ मिलेगा। 1 फ़रवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में अपना आठवां बजट पेश किया. जिसमें 2025-26 का आम बजट पेश किया गया. इस बजट में किसान क्रेडिट कार्ड पर कृषि लोन की सीमा बढ़ाया गया है. जिसे 3 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख तक की घोषणा की है. झारखंड में लगभग 21.50 लाख से अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सकता है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना (PM Kisan Samman) की बात करें तो 21 लाख से अधिक किसान इस योजना से जुड़े है।

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बजट 2025 -26 में कृषि :
बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री ने कृषि क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने इस क्षेत्र के लिए कम से कम नौ नए मिशन या कार्यक्रमों की घोषणा की और भारत को “विश्व का खाद्य भंडार” बनाने में किसानों की भूमिका को स्वीकार किया। सीतारमण ने कृषि को “विकास का पहला इंजन” बताते हुए अपने भाषण की शुरुआत सरकार की कृषि प्राथमिकताओं से की। ये घोषणाएं कृषि क्षेत्र के महत्व को स्वीकार करने का संकेत थीं, जो लाखों लोगों की आजीविका से गहराई से जुड़ा हुआ है। कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जिसने पिछले कुछ सालों के दौरान स्थिर वृद्धि दर्ज की है और भारत के आर्थिक विकास का एक प्रमुख कारक बना हुआ है।

जानें बजट 2025-26 में कृषि क्षेत्र को क्या मिला :

    सीतारमण ने 9 प्रमुख कार्यक्रमों का प्रस्ताव रखा, जो कृषि क्षेत्र की वृद्धि और उत्पादकता को बढ़ाने पर केंद्रित हैं:

  1. प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना: इसे राज्यों के साथ साझेदारी में 100 कम उत्पादकता वाले जिलों में लागू किया जाएगा, जहां फसलों की गहनता मध्यम है और कृषि ऋण मानक औसत से कम हैं। इस कार्यक्रम से 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है, लेकिन बजट दस्तावेज में इस योजना के लिए आवंटित राशि स्पष्ट नहीं है।
  2. दालों में आत्मनिर्भरता के लिए मिशन: छह वर्ष का यह मिशन 2025-26 के लिए 1,000 करोड़ रुपए के बजट के साथ शुरू किया जाएगा। इसका मुख्य फोकस तूर (अरहर), उड़द (काला चना), और मसूर (लाल मसूर) पर रहेगा। इसके तहत केंद्रीय एजेंसियां—नेफेड और एनसीसीएफ — अगले चार वर्षों तक पंजीकृत किसानों से इन तीनों दालों की जितनी भी पेशकश होगी, उतनी खरीदेंगी।
  3. सब्जी और फलों के लिए व्यापक कार्यक्रम: यह राज्यों के साथ साझेदारी में शुरू किया जाएगा, जिसका उद्देश्य उत्पादन, आपूर्ति शृंखला, प्रसंस्करण और किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाना है। इस मिशन के लिए 2025-26 में ₹500 करोड़ का बजट रखा गया है।
  4. कपास उत्पादकता मिशन: पांच वर्षीय इस मिशन को 2025-26 के लिए ₹500 करोड़ आवंटित किए गए हैं। यह कपास की उत्पादकता और स्थिरता में सुधार करने तथा अतिरिक्त लंबा रेशा (एक्स्ट्रा-लॉन्ग स्टेपल) कपास की किस्मों को बढ़ावा देने पर केंद्रित रहेगा।
  5. उच्च उपज वाले बीजों का राष्ट्रीय मिशन: यह मिशन उन 100 से अधिक उच्च उपज, कीट-प्रतिरोधी और जलवायु-लचीले बीजों के वाणिज्यिक उपयोग, लक्षित विकास और प्रचार पर केंद्रित रहेगा, जो जुलाई 2024 के बाद जारी किए गए हैं। इसे 2025-26 के लिए ₹100 करोड़ आवंटित किए गए हैं।
  6. बिहार में मखाना बोर्ड: बिहार में मखाना उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्द्धन और विपणन को बढ़ाने के लिए एक मखाना बोर्ड स्थापित किया जाएगा। इस मिशन को 2025-26 में ₹100 करोड़ आवंटित किए गए हैं। यह किसानों को प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करेगा, साथ ही मखाना उत्पादन से जुड़े लोगों को किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) में संगठित किया जाएगा।
  7. ग्रामीण समृद्धि और सुदृढ़ता कार्यक्रम: यह राज्यों के साथ साझेदारी में शुरू किया जाएगा और कृषि में अधूरी रोजगार संभावनाओं को कौशल विकास, निवेश और तकनीक के माध्यम से संबोधित करेगा। यह विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं, युवा किसानों, ग्रामीण युवाओं, सीमांत और छोटे किसानों और भूमिहीन परिवारों पर केंद्रित रहेगा।
  8. मत्स्य पालन क्षेत्र: सरकार भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और हाई सीज में मत्स्य संसाधनों के सतत उपयोग के लिए एक सक्षम नीति लाएगी, जिसमें अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूह पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इस संदर्भ में, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के बजट में 2025-26 में 2024-25 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 64% की उल्लेखनीय वृद्धि की गई है।
  9. असम में यूरिया संयंत्र: असम के कामरूप में सालाना 12.7 लाख मीट्रिक टन क्षमता वाला एक नया यूरिया संयंत्र स्थापित किया जाएगा, जिससे देश में यूरिया की आपूर्ति को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।