झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी में आयोजित एक दिवसीय नेशनल इ- कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा की “आदिवासी दौलत के भरोसे नहीं विश्वास के भरोसे जीता है। आजादी के लंबे समय के बाद भी कई क्षेत्र अछूते रह गए। नीतिगत रूप से देश के बारे में समाज के बारे में कई कार्य अधूरे है। हमें अपने देखने का नजरिया बदलने की जरुरत है। जनजातीय कार्य मंत्रालय का गठन ही आजादी के इतने वर्षो बाद किया गया। सबसे जरुरी है भरोसा कायम करना और किये जा रहे कार्यों को आगे बढ़ाना। जनजातीय समाज के मूल बहुत सिद्धांतों के प्रति समाज बढ़ाने की आवश्यकता पर भी उन्होंने बल दिया। “ झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी, रांची, ट्राइबल वेलफेयर एंड एंटरप्रेनरशीप कौंसिल, विकी के द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा की इस नेशनल कांफ्रेंस के समुद्र मंथन से कई नविन और सार्थक बातें सामने आएंगी जिनको साथ लेकर कार्य किया जायेगा।
झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी में शनिवार को “एमपॉवरिंग ट्राइबल वीमेन : इंटरप्रेनॉरशिप एंड स्किल डेवलपमेंट अ वे टुवर्ड्स आत्मनिर्भर भारत ” पर नेशनल इ- कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ “शुभम करोति कल्याणम” के सश्वर पाठ के साथ दीप प्रज्वलित कर किया गया। विषय प्रवेश करते हुए झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी की कुलपति और ट्राइबल वेलफेयर एंड एंटरप्रेनरशीप कौंसिल, विकी की नेशनल प्रेसिडेंट प्रो. डॉ. सविता सेंगर ने नेशनल इ कॉन्फ्रेंस के आयोजन पर प्रकाश डालते हुए कहा की ” यह झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी, रांची, ट्राइबल वेलफेयर एंड एंटरप्रेनरशीप कौंसिल, विकी का संयुक्त प्रयास है। हमारा उद्देश्य जनजातीय और ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने, उन्हें प्रशिक्षित करने और उनके हुनर को वैश्विक पहचान देने की है।
डॉ सेंगर ने कहा की महिलायें आज भी विषमता की शिकार है। जनजातीय महिलायें कठिन श्रम करने के बाद भी आर्थिक रूप से संपन्न नहीं बन पायी है। विकी इस दिशा में लगातार कार्य कर रहा है। सतत विकास और उद्यमिता को बढ़ाव देना इसके प्रमुख कार्यों में शमिल है। इसी कड़ी में आईडिया पिचिंग कांटेस्ट का आयोजन किया गया था जो एक सफल प्रयास रहा इसके जरिये युवा महिला उद्यमियों को अपने मौलिक विचारों को प्रदर्शित करने का मंच मिला और नविन विचारों को पुरस्कृत भी किया गया। उन्होंने भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के सार्थक प्रयत्नों की भी प्रशंसा की जिनके जरिये कार्य किये जा रहे है।
डॉ सेंगर ने बताया की ट्राइबल वेलफेयर एंड एंटरप्रेनरशीप कौंसिल, विकी के सहयोग से ट्राइबल टैलेंट पूल बिजनेस बेंचर्स “बायो आयुर्वेदा ” की स्थापना की गयी है जो जनजातीय उत्पादों को वैश्विक मंच प्रदान करने का कार्य कर रहा है। इसमें प्रशिक्षण, उत्पाद संग्रह और उत्पादन को बाजार उपलब्ध करने का कार्य किया जाता है। उन्होंने बताया की यह सेंटर फॉर एक्सीलेंस के तौर पर कार्य कर रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा की कॉन्फ्रेंस के माध्यम से नए रोड मैप मिलेंगे जिससे प्रयासों को गति मिलेगी।
कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वीमेंस इंडियन चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की फाउंडर प्रेसिडेंट और झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी की चांसलर डॉ हरबीन अरोड़ा ने अपने प्रेरणा दायी संबोधन के दौरान “समता और ममता के समन्वय पर जोर देते हुए कहा की महिलाओं को मौका देने की जरुरत है जो उन्हें कई कारणों से मिल नहीं पता है। सफलता सबका अधिकार है। आत्मनिर्भर भारत अभियान की सोच भी इसी प्रकार की है जिसमें सशक्त और कौशल आधारित भारत की कल्पना है। दुनिया को भारत का टैलेंट दिखे और वी कैन डु इट का सन्देश सबके पास जाये। डॉ अरोड़ा ने इ प्लेटफॉर्म सी -इकॉनमी की भी चर्चा की जिसमें महिला उद्यमियों को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए कार्य किया जाता है।“
झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी के एडवाइजर और एचइसी के पूर्व सीएमडी प्रो. अभिजीत घोष ने अपने संबोधन में नेशनल इ – कांफ्रेंस की चर्चा करते हुए कहा की इसमें देश के कई राज्यों से 76 से ज्यादा शोध पत्र आये है जिनमें से 42 का चयन किया गया है। कॉन्फ्रेंस में 4 आमंत्रित व्याख्यान, 4 तकनिकी व्याख्यान और 2 सामानांतर सत्र का आयोजन किया जायेगा।
उद्घाटन सत्र के समापन के पश्चात झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रो. डॉ. पियूष रंजन ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सभी अतिथियों, वक्ताओं, शिक्षाविदों , शोध छात्रों का स्वागत और अभिनंदन किया। उन्होंने विशेष रूप से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी की चांसलर डॉ हरबीन अरोड़ा को धन्यवाद दिया जिन्होंने उपस्थित होकर कांफ्रेंस का मान बढ़ाया और शोधार्थियों को प्रोत्साहित किया। डॉ. रंजन ने पुनः सभी विश्वविद्यालय कर्मियों को धन्यवाद दिया जिनके द्वारा इसे सफल बनाने में सहयोग दिया गया।