usha martin kwath distribution

झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी के द्वारा सामाजिक दायित्व कार्यक्रम के तहत क्वाथ इम्युनिटी बूस्टर टैबलेट्स का निःशुल्क वितरण।

झारखण्ड राय विश्वविद्यालय, रांची द्वारा सामाजिक दायित्व कर्तव्य के तहत स्थानीय स्तर पर स्वाथ्य एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए क्वाथ (इम्युनिटी बूस्टर) टैबलेट्स का वितरण किया जा रहा है।

झारखण्ड राय विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस ) एवं यूनिवर्सिटी एक्सटेंशन एंड आउटरीच प्रोग्राम के संयुक्त प्रसाय से संचालित यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के स्थायी कैंपस नामकुम प्रखंड के राजा उलातू एवं एनएसएस के तहत गोद लिए पांच गांव राजा उलातू , सिदरौल, पलांडू, रामपुर एवं महिलौंग में चलाया जा रहा है। इसके तहत ग्रामीण किसानों, कर्मियों, बाजारों, कॉर्पोरेट कार्यालयों एवं सरकारी कार्यालयों में कार्यरत कार्मियों को पर स्वाथ्य एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करके का कार्य किया जाता है। इसके साथ उनके बिच निः शुल्क क्वाथ (इम्युनिटी बूस्टर) टैबलेट्स का वितरण किया जाता है।

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झारखण्ड राय विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. डॉ. पियूष रंजन ने यूनिवर्सिटी के एक्सटेंशन एक्टिविटी पर जानकारी देते हुए बताया की ” विश्वविद्यालय द्वारा सामाजिक दायित्व भूमिका के तहत क्वाथ टैबलेट्स का निः शुल्क वितरण किया जा रहा है। कार्यक्रम को सफल बनाने में विश्वविद्यालय के एनएसएस इकाई से जुड़े कार्यक्रम अधिकारी एवं स्वयंसेवकों की सहायता ली जा रही है। क्वाथ इम्युनिटी बूस्टर टैबलेट्स पूरी तरह आयुर्वेदिक तरीके से बने है जिन्हें भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा सुझाये गए क्वाथ (काढा ) के नियमों के तहत बनाया गया है। इसके निर्माण में सभी जरुरी प्रक्रियाओं एवं नियमों का पालन किया गया है। यह पूरी तरह निः शुल्क और किसी भी प्रकार के साइड इफेक्ट्स से मुक्त है। इसका प्रयोग किसी भी उम्र के लोगों के द्वारा किया जा सकता है।”

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इस कड़ी में पिछले दिनों रांची के टाटीसिलवे में उषा मार्टिन लिमिटेड एवं उषा बेल्ट्रॉन में कार्य करने वाले कर्मियों के बिच क्वाथ इम्युनिटी टैबलेट्स का निः शुल्क वितरण किया गया। इस अवसर पर उषा मार्टिन फाउंडेशन के सचिव डॉ. मयंक मुरारी, उषा मार्टिन डिस्पेंसरी के इन चार्ज डॉ. संजय कुमार समाज सहयोगी भुवनेश्वर के साथ कंपनी के कई महत्वपूर्ण पदाधिकारी उपस्थित थे।

कार्यक्रम को सफल बनाने में झारखण्ड राय यूनिवर्सिटी के डॉ. अशफाक आलम, यूनिवर्सिटी एनएसएस अधिकारी प्रो. रघुवंश सिंह एवं डॉ. प्रशांत जयवर्द्धन ने सक्रिय भूमिका निभाई।