झारखंड राय विश्वविद्यालय, रांची में पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक PCPNDT अधिनियम पर आयोजित सेव गर्ल चाइल्ड वेबिनार का आयोजन किया गया। इस मौके पर राज्य के स्वास्थ्य,स्वास्थ्य शिक्षा एवं परिवार कल्याण मंत्री बन्ना गुप्ता मुख्य अतिथि के तौर पर एवं राज्य पर्यवेक्षण समिति के सदस्य प्रो. पारस नाथ मिश्रा वक्ता के तौर पर उपस्थित रहे।
वेबिनार का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्वलित और सरस्वती वंदना के जरिये किया गया।
झारखंड राय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. डॉ. सविता सेंगर ने स्वागत भाषण करते हुए उपस्थित अतिथियों एवं वेबिनार में शामिल हुए राज्य के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से शामिल विद्यार्थियों और शोध छात्रों का अभिवादन किया। डॉ. सेंगर ने अपने संबोधन में कहा कि ” देश में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित PCPNDT ऐक्ट एक संघीय अधिनियम है । यह अधिनियम प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगाने का कार्य करता है।
हमारे संविधान की धारा 21 ‘हर व्यक्ति को आजादी से जीने का अधिकार देती है जब तक वह किसी कानून का उलंघन नहीं कर रहा हो।
राज्य पर्यवेक्षण समिति के सदस्य प्रो. पारस नाथ मिश्रा ने विषय और अधिनियम ने जुड़े तकनीकी बिंदुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि “हेमंत सरकार के गठन होने के बाद राज्य पर्यवेक्षण आयोग पहला आयोग है जिसका गठन किया गया है। माननीय स्वास्थ्य मंत्री इसके अध्यक्ष है। 21 सदस्यों वाली पर्यवेक्षण समिति बेहद तत्परता के साथ इस विषय पर जागरूकता अभियान चला रही है। पीसीपीएनडीटी अधिनियम के उलंघन पर तत्परता से कार्यवाई भी की जा रही है। आयोग ने अपना वेबसाइट भी बना रखा है जिसपर सभी आवश्यक जानकारी और संबंधित नंबर दिए गए है।
प्रो. मिश्रा ने वेबिनार में जानकारी देते हुए बताया कि देश में इस अधिनियम के उलंघन से जुड़े लगभग 3 हजार मामले ही न्यायालय में है। इससे यह प्रतीत होता है कि देश में इस कानून के प्रति जागरूकता का अभाव है।
उन्होंने विद्यार्थियों और युवाओं से आह्वान किया कि सभी मिलकर इसे अपने संस्थाओं और कार्यस्थल पर एक अभियान की तरह चलाये और खुद के साथ दूसरों को भी जागरूक करने में सहयोग करें।।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मंत्री बन्ना गुप्ता ने अपने संबोधन के दौरान पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम पर खुलकर बातें करते हुए कहा कि यह ऐसा विषय है जिसे न हटाया जा सकता है और न अछूता रखा जा सकता है । इस विषय की भावना,संदेश और प्रक्रिया से सभी को अवगत करना आवश्यक है। उन्होंने महिला और स्त्री शक्ति की चर्चा करते हुए कहा कि महिला आश्रयदात्री का नाम है। वह अबला नहीं सबला है।
स्वास्थ्य मंत्री श्री गुप्ता ने कहा कि भ्रूण हत्या और दहेज प्रथा ये दो समाज में प्रचलित कुप्रथाएं ही जिनका मैं व्यक्तिगत रूप से विरोध करता हूँ। पीसीपीएनडीटी अधिनियम का पालन राज्य में पालन कराने के लिए सरकार और विभाग तत्पर है। राज्य में 856 लिंग जांच केंद्र संचालित है । अधिनियम के तहत जागरूकता से जुड़े नियमों का पालन और सूचना संबंधी जानकारी का इन्हें पालन करना है। इसके अलावा डकाय आपरेशन भी चलाया जा रहा है जिसके तहत 1 लाख रुपये देने का प्रावधान है।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर झारखंड राय विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो(.डॉ.) पीयूष रंजन ने सभी आगंतुकों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम के जारूकता के लिए एनएसएस द्वारा गोद लिए गए(अडॉप्टेड विलेज) 5 गांव में विश्विद्यालय द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में एनएसएस समन्वयक प्रो. रघुवंश और डॉ. प्रशांत जयवर्धन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. हरमीत कौर के द्वारा किया गया।